Connect with us

Hi, what are you looking for?

टीवी

एनडीटीवी : जंग हारने पर यहां हर बार सिपाही हलाल होते हैं, सिपहसालार और राजा कतई ज़िम्मेदार नहीं!

एनडीटीवी चैनल में कम से कम 40 लोग होंगे जो दस लाख से ज्यादा महीना कमाते हैं, और ये वो लोग हैं जो नंबर वन चैनल को आख़िरी पायदान पर ले आए… फिर भी हर दिन अच्छे पत्रकार, कैमरामैन, एडिटर चैनल छोड़ रहे हैं या उन्हें छोड़ने पर मजबूर किया जा रहा है… एक तरफ जहां नौकरी जा रही है वहीं दूसरी तरफ अभिजात्य 40-50 लोगों के लिये ऑडी गाड़ियां आती है, कमरों में एयर प्यूरीफायर लगता है, हर रोज़ हज़ारों के फूल सजाए जाते हैं … कॉस्ट कटिंग जरूरी है तो अपनी लाखों की तनख्वाह छोड़ें… शेयरधारकों का पैसा डुबोने का हक़ इन्हें किसने दिया…

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-7095147807319647", enable_page_level_ads: true }); </script><p style="text-align: right;"><span style="font-size: 14pt;">एनडीटीवी चैनल में कम से कम 40 लोग होंगे जो दस लाख से ज्यादा महीना कमाते हैं, और ये वो लोग हैं जो नंबर वन चैनल को आख़िरी पायदान पर ले आए... फिर भी हर दिन अच्छे पत्रकार, कैमरामैन, एडिटर चैनल छोड़ रहे हैं या उन्हें छोड़ने पर मजबूर किया जा रहा है... एक तरफ जहां नौकरी जा रही है वहीं दूसरी तरफ अभिजात्य 40-50 लोगों के लिये ऑडी गाड़ियां आती है, कमरों में एयर प्यूरीफायर लगता है, हर रोज़ हज़ारों के फूल सजाए जाते हैं ... कॉस्ट कटिंग जरूरी है तो अपनी लाखों की तनख्वाह छोड़ें... शेयरधारकों का पैसा डुबोने का हक़ इन्हें किसने दिया...</span></p>

एनडीटीवी चैनल में कम से कम 40 लोग होंगे जो दस लाख से ज्यादा महीना कमाते हैं, और ये वो लोग हैं जो नंबर वन चैनल को आख़िरी पायदान पर ले आए… फिर भी हर दिन अच्छे पत्रकार, कैमरामैन, एडिटर चैनल छोड़ रहे हैं या उन्हें छोड़ने पर मजबूर किया जा रहा है… एक तरफ जहां नौकरी जा रही है वहीं दूसरी तरफ अभिजात्य 40-50 लोगों के लिये ऑडी गाड़ियां आती है, कमरों में एयर प्यूरीफायर लगता है, हर रोज़ हज़ारों के फूल सजाए जाते हैं … कॉस्ट कटिंग जरूरी है तो अपनी लाखों की तनख्वाह छोड़ें… शेयरधारकों का पैसा डुबोने का हक़ इन्हें किसने दिया…

Advertisement. Scroll to continue reading.

अनुराग द्वारी ने भी एनडीटीवी छोड़ दिया… दो दशकों का साथी, साथ काम करने का तजुर्बा … बेहतरीन प्रोफेशनल, ज़िंदादिल इंसान … एक दशक से ज्यादा वक्त बिताने के बाद उसने भी एनडीटीवी छोड़ दिया। डेस्क, खेल, राजनीति, क्राइम, शहर, गांव, संगीत हर विषय पर उसकी पकड़ थी … जिस भेंडी बाज़ार को मुंबई में हमने सिर्फ अंडरवर्ल्ड की नज़र से देखा वहां भी वो संगीत का घराना ढूंढ लाया … जुनूनी ऐसा कि किसी ख़बर पर बॉस से भी भिड़ना पड़े तो भिड़ जाए … जिस दौर में स्ट्रिंगरों की खबर पर दिल्ली-मुंबई में बैठे पत्रकार बाईलाइन लूटते हैं उसने अपनी ज़िद से उनकी पीटीसी तक लगवा दी … उनके एक एक बिल के लिये लड़ने वाला … साफ कहता था हमारी तनख्वाह बढ़ती तो उनके लिये क्या महंगाई घटती है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बहरहाल, एनडीटीवी ने उसकी क्षमताओं का पूरा दोहन किया … डेस्क से लेकर रिपोर्टिंग तक … हिन्दी से लेकर अंग्रेज़ी तक … खेल में कई ख़बरें उसने ब्रेक की होंगी लेकिन हर मौके पर चैनल अपनी कुलीन मानसिकता दिखाता रहा … देश में वो भागे, विदेश जाने का मौका आए तो ऐसे लोग भेजे जाते रहे जिन्होंने ताउम्र सिर्फ चिरौरी की, अपनी अंग्रेज़ियत का हवाला देते रहे … उसका दोस्त होने के नाते हम कई बातों के सामने गवाह रहे, कई बातें वो कहता भी था .. लेकिन एक संतोष के साथ चलो यार अपना नंबर भी आएगा … उसके चेहरे का असंतोष पढ़ पाओ तो पढ़ लो … नहीं तो पंडितजी गरिया देते थे …

चैनल के आख़िरी दिनों में पारिवारिक वजहों से उसने मध्यप्रदेश के ब्यूरो प्रमुख की ज़िम्मेदारी संभाली तो साबित कर दिया कि रिपोर्टिंग के मायने क्या होते हैं, जिन चैनलों को लगता है खबर दिल्ली-मुंबई है वहां उसने हक़ से चैनल का एयर टाइम छीन लिया। उसे लगातार हम टीवी पर देखते रहे और उसकी एनर्जी को सराहते रहे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बहुत दिनों से लिखना चाह रहा था लेकिन लगता था उसकी नौकरी पर दिक्कत ना आए, वैसे वो इतना डरपोक नहीं चाहे स्टार में रहा चाहे एनडीटीवी में जब जो ग़लत लगा न्यूज़ रूम हो या उसका अपना स्पेस वो खुलकर बोल देता था … उसका साफ मानना है कि ना लेफ्ट ग़लत हैं ना राइट, और ना दोनों ही एब्सोल्यूट में सही हैं … हमारा काम विचारधारा नहीं बल्कि नीतियों का मूल्यांकन है। क्रांति होगी तो लाला के पैसों से नहीं ख़ुद के दम पर …

जब उसने ख़ुद फेसबुक पर अपनी जाने की ख़बर पोस्ट की, तो लगा कमाल है … हर एक शख्स उसे याद है चाहे वो दस साल पहले ही क्यों ना गया हो या उसे निकाला गया हो … नाम-काम के साथ… बहरहाल उसकी नई पारी के लिये शुभकामना…

Advertisement. Scroll to continue reading.

लेकिन सवाल जो एनडीटीवी प्रेमी हैं उनसे भी पूछना चाहता हूं कि क्या यहां मामला निवेशकों के साथ धोखे का नहीं .. ये ठीक है कि सरकार चैनल के पीछे है … वो कोर्ट तय कर देगा कौन सच है कौन झूठ … लेकिन जिस बरखा दत्त ने अपनी सफाई के लिये, खुद को बड़ा बनाने चैनल में कोर्ट चला दिया आज वही चैनल पर भ्रष्टाचार की बातों को रिट्वीट करती हैं, जो आज भी चैनल के दिये करोड़ों के बंगले में रहती हैं।

आज भी एनडीटीवी चैनल में कम से कम 40 लोग होंगे जो दस लाख से ज्यादा महीना कमाते हैं, और ये वो लोग हैं जो नंबर वन चैनल को आख़िरी पायदान पर ले आए … फिर भी हर दिन अच्छे पत्रकार, कैमरामैन, एडिटर चैनल छोड़ रहे हैं या उन्हें छोड़ने पर मजबूर किया जा रहा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अभिजात्य होने का नमूना देखिये… एक तरफ जहां नौकरी जा रही है यहां वहीं अभिजात्य 40-50 लोगों के लिये ऑडी गाड़ियां आती है, कमरों में एयर प्यूरीफायर लगता है, हर रोज़ हज़ारों के फूल सजाए जाते हैं … ये चैनल को भारी नहीं लगता… अरे, जंग हारने पर हर बार सिपाही हलाल होगा, सिपहसालार और राजा की कोई ज़िम्मेदारी नहीं… दो कौड़ी का आइडिया देकर मोबाइल से टीवी चैनल चलवा रहे हैं… कॉस्ट कटिंग जरूरी है तो अपनी लाखों की तनख्वाह छोड़ें… शेयरधारकों का पैसा डुबोने का हक़ इन्हें किसने दिया…

अभी भी चैनल में काम कर रहे कई साथियों से बात होती है सब हताश हैं, निराश हैं लेकिन कुछ कहने की हिम्मत नहीं … उनसे बात करेंगे तो पता लगेगा कि सच्चाई क्या है। उनकी ग़लती भी क्या है, जिसने जैसा आदेश दिया, उन्होंने वैसा काम किया… वो आज भी बेहतरीन प्रोफेशनल हैं लेकिन विचारधारा के दबाव में दबाए जा रहे हैं… फील्ड में गालियां उन्हें मिलती हैं और आपके स्टार पत्रकार कॉन्फ्रेंस में जाकर तालियां बजवाते हैं…

Advertisement. Scroll to continue reading.

लेखक अजय कुमार इन दिनों मुंबई में पदस्थ हैं और अनुराग द्वारी के साथ भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकरिता विश्वविद्यालय में साथ पढ़ाई कर चुके हैं. अजय और अनुराग कई मीडिया संस्थानों जैसे स्टार न्यूज़ और एनडीटीवी में साथ काम कर चुके हैं. अजय ने कुछ साल पहले खबर की दुनिया से रुखसत ले लिया और अब वो डिजिटल स्पेस में सक्रिय हैं.

पूरे प्रकरण को समझने के लिए इसे भी पढ़ें….

Advertisement. Scroll to continue reading.

 

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. prabhu

    August 9, 2017 at 6:47 am

    Ndtv declared – No increments for next 3 years

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement