सेबी ने एनडीटीवी प्रमोटर्स प्रणय रॉय और उनकी वाइफ राधिका रॉय को एक बड़ा झटका देते हुए तत्काल प्रभाव से भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सिक्योरिटी एक्सचेंज मार्केट में किसी भी प्रकार के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लेन-देन पर दो साल के लिए रोक लगा दी है और निर्देश दिया है कि एनडीटीवी मैनेजमेंट में दोनों किसी भी पोस्ट पर दो साल तक नहीं रहेंगे। वर्ष 2009-10 से ही विभिन्न जाँच एजेंसियाँ प्रणय और राधिका के कई टैक्स फ्रॉड और वित्तीय अनियमितताओं की जाँच कर रही थी। इससे पहले प्रणय और राधिका रॉय को सेबी ने 10 सितम्बर 2018 को कारण बताओ नोटिस भेजा था। 14 जून 2019 को पारित इस आदेश पर पूर्णकालिक सदस्य एस के मोहंती के हस्ताक्षर हैं।
सेबी ने 51 पृष्ठों के इस आदेश की प्रति स्टॉक एक्सचेंज,निवेशकों,रजिस्ट्रारऔर सभी म्युचुअल फंडों के शेयर ट्रांसफर एजेंटों को भेजने का निर्देह दिया है ताकि इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित हो सके।
एनडीटीवी पिछले कई सालों से वित्तीय अनियमितताओं और टैक्स फ्रॉड के कारण जाँच एजेंसियों के रडार पर थी। एनडीटीवी प्रमोटर्स प्रणय रॉय और उनकी वाइफ राधिका रॉय को एक बड़ा झटका देते हुए सेबी ने सिक्योरिटी एक्सचेंज मार्केट में लेन-देन और एनडीटीवी मैनेजमेंट में किसी भी पोस्ट से 2 साल के लिए बाहर कर दिया है। 2009-10 से ही विभिन्न जाँच एजेंसियाँ प्रणय और राधिका के कई टैक्स फ्रॉड और वित्तीय अनियमितताओं की जाँच कर रही थी। इससे पहले प्रणय और राधिका रॉय को सेबी ने 10 सितम्बर 2018 को कारण बताओ नोटिस भेजा था।
एनडीटीवी के प्रमोटर प्रणय रॉय और राधिका रॉय को10 सितम्बर 2018 को कारण बताओ नोटिस मिला था। यह नोटिस 31 अगस्त 2018 को सेबी द्वारा सेबी कानून की धारा 11(1), 11(4) और 113 के तहत भेजा गया था । यह नोटिस सेबी कानून की धारा 12 ए (डी) और (ई) के कथित उल्लंघन को लेकर था । इस नोटिस को इस धारा के साथ साथ सेबी के नियमन 3(i) और नियमन 4 के साथ भी जोड़ा गया है, जो बाजार में भेदिया कारोबार को रोकने के प्रावधानों से जुड़ा है।एनडीटीवी ने शेयरबाजारों को दी गयी सूचना में कहा था कि न्यू दिल्ली टेलीविजन लि. (एनडीटीवी) के प्रवर्तक प्रणय राय और राधिका राय को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से 10 सितंबर, 2018 को कारण बताओ नोटिस मिला है।
सेबी कानून की धारा 12A इनसाइडर ट्रेडिंग से ताल्लुक रखती है जिसका मतलब है कि वैसे व्यक्ति कंपनी के शेयर/सिक्योरिटी आदि खरीद-बेच नहीं सकते जिनके पास कंपनी की भीतरी जानकारियाँ उपलब्ध होती हों। इससे पहले भी एनडीटीवी का पाला इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से पड़ चुका है।
इससे पहले, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा भेजा गया कारण बताओ नोटिस 2009-10 में IT डिपार्टमेंट द्वारा 436.80 करोड़ रुपए की पैनल्टी के सन्दर्भ में था। एनडीटीवी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया लेकिन उन्होंने इस मामले में दखल देने से मना कर दिया था और कहा था कि चैनल इनकम टैक्स कमिशनर (अपील) के पास जाए। कमिशनर ने उनकी अपील ठुकरा दी और पूरा फाइन भरने के लिए 15 जून, 2018 तक की मोहलत दी थी।
वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट.
Bhavi
June 15, 2019 at 4:22 pm
Asha he ki ravish sir is prakran (ndtv) par bhi kuchh jaroor likhenge. Saath hi modi se nafrat karne vale bhi