Sanjaya Kumar Singh : इंटरनेट बंद होने से जो परेशान हुए… मैं 2002 से जनसत्ता की नौकरी छोड़कर घर से काम करता हूं और इंटरनेट पर पूरी तरह निर्भर हूं। बिना इंटरनेट के रहना तो बहुत पहले से मुश्किल है। अभी हाल तक मुझे अपने काम के लिए सिर्फ बैंक जाना होता था। अब उसकी भी जरूरत नहीं पड़ती।
मेरा व्यवसाय, मनोरंजन और जीवन बहुत कुछ इंटरनेट पर टिका है और बिना बताए इंटरनेट बंद होने से भारी असुविधा हुई। और यह सिर्फ मेरे साथ नहीं हुआ। जोमैटो और स्विगी जैसे कारोबारी जो लोगों को खाना पहुंचाते हैं और हम जैसे उनके ग्राहक जो उनके भरोसे ही मनपंसद खाना खाते हैं, भारी परेशानी के शिकार हुए।
अगर पता होता (देर से पता चला) कि दिन भर इंटरनेट नहीं रहेगा तो कहीं घूम आते, किसी से मिल आते पर वो भी नहीं हो सका। इसके लिए ओला / उबर जैसी टैक्सी सेवा की जरूरत थी पर बुक करना संभव नहीं था। यही नहीं घर में खाली बैठे तो छुट्टी पर जाने के टिकट कटा लेते, कैंसल करा लेते, बिलों का भुगतान करने जैसे काम निपटा लेते कोई नहीं हो पाया।
मुझे दो बिलों के भुगतान आज करने हैं कल करूंगा तो जुर्माना लगेगा। क्रेडिट रेटिंग खराब होगी। सो अलग। आज नहीं हो पाया तो मुफ्त का नुकसान। बाद में पता चलेगा कि कार्यदिवस के बाद किए गए भुगतान को आज किया गया माना जाएगा कि नहीं।
यू ट्यूब, सोशल मीडिया और नेटफिल्किस नहीं चलने से घर में मनोरंजन के तमाम साधन बंद थे। मुझे नहीं लगता कि नेटबंद करने से कोई लाभ है। आज की सीख यही रही कि अगली बार प्रदर्शन में मैं भी जाऊंगा। लेकिन मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान करने वालों की भरपाई उनकी संपत्ति से करेंगे। और ये जो नुकसान हुआ वह सार्वजनिक नहीं है?
जनसत्ता अखबार में वरिष्ठ पद पर कार्यरत रहे और जाने-माने अनुवादक संजय कुमार सिंह की एफबी वॉल से.
Sp
December 25, 2019 at 3:29 pm
आप क्या चाहते हैं , सरकार यांनी टॅक्स भरने वाली जनता अंततः आपको भरपाई दे? क्यो भाई? आपके लिखे को पढकर भी हजारो लोगो का अमूल्य वक्त बरबाद हुआ ही होगा न, हो भी रहा होगा ,उसकी भरपाई क्या आप करेंगे? लोकतंत्र , अधिकार वगैरे का ये मतलब नाही होता सर जी .