जिया न्यूज़ में पिछले काफी समय से बड़े संपादकों और मालिक के चाटुकारों ने इस चैनल से जमकर मलाई खाई… और निकल लिये… पर जब चैनल के नोएडा आफिस बंद कर कर्मचारियों की सेटलमेंट की बात आई तो उंट के मुंह में जीरा आया….. ये चैनल न्यूज चैनल कम, मज़ाक ज्यादा था… हर बार आए नए अधिकारियों ने इसे जमकर लूटा और बेचारे कर्मचारी हाथ मलते रह गये…. पहले जाय सेबस्टियन फिर एसएन विनोद फिर जेपी दीवान फिर एसएन विनोद और आखिर में चैनल का बंटाधार… बस यही कहानी है इस चैनल की….
पिछले कई महीनों से चैनल के शिफ्ट होने की खबर ने कर्मचारियों को बेचैन कर रखा था…. वहां मौजूद तथाकथित चाटुकारों की कलाबाज़ियां देखने और चाय पीकर वक्त निकालने के अलावा कोई रास्ता न था…. बार बार hr से पूछने पर चैनल के भविष्य के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई…. बस कुछ लोग एसएन विनोद के प्राईम टाईम शो को लेकर उत्साहित रहते…. दिन भर में चैनल बस रात को 8 से 9 बीच सक्रिय रहता बाकी समय चने मूंगफली खाकर निकाला जाता…
दिवाली के कुछ दिन पहले सेलरी को लेकर कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया… निराश और गुस्से में कर्मचारियों ने वरिष्ठ पत्रकार और सीईओ एसएन विनोद का रुख किया… विनोद साहब ने सभी से दो टूक कह दिया कि सेलरी के लेनदेन में उनका कोई हस्तक्षेप नहीं… वे सिर्फ जिया इंडिया मैग्जीन के संपादक भर हैं…. और हाथ जोड़ लिये…. हालांकि चैनल में उनका शो इस दौरान रोज आन एयर हो रहा था…. काम बंद करने की धमकी पर दिवाली के एक दिन पहले सेलरी का इंतज़ाम किया गया… इसमें कईयों की दीवाली काली भी हुई क्योंकि सेलेरी आते आते महीना खत्म हो चुका था…. नवंबर महीने के दौरान भी यही कहानी चलती रही…. एक बार फिर परेशान कर्मचारियों ने 26 तारीख को काम बंद कर दिया… लेकिन उसके एक दिन बाद जो हुआ उससे सबके होश फाख्ता हो गये…..
बिल्कुल तय रणनीति के तहत रोहन जगदाले के सिपाही कानूनी किताब और अपने हुक्मरान की महानता के कसीदे गढते सेटलमेंट के नाम पर आ धमके…. निचले कर्मचारियों को भयाक्रांत करने और मालिक की महानता बताने के साथ चेक बंटने शुरू हुए….. ये ठीक वैसा ही था जैसे कि भूखों में रोटी फेंकी जाती है…. या फिर किसी प्राकृतिक आपदा के बाद हेलीकाप्टर से राहत सामग्री…. चेक लीजिये नहीं तो कोर्ट जाईये… यही कुछ मिज़ाज था महान संपादक एसएन विनोद का…. ये वही साहब हैं जो दिवाली के एक दिन पहले पैसे देने की बात से कन्नी काट गये थे….. पर आज वे मध्यस्थ कम मसीहा की भूमिका में थे…. उन्होंने कर्मचारियों को बताया कि कानून की पूरी किताब छान लीजिये, इससे ज्यादा पैसा नहीं मिलेगा… और तो और, सालों तक कोर्ट में केस लड़ना पड़ेगा सो अलग…. कोई भी इतना नहीं देता जितना रोहन जगदाले दे रहे हैं… रोहन जगदाले की यशगाथा गाते हुए विनोद जी दो कदम और आगे निकले… और कहा कि आप लोगों को पता चले कि मालिक कहां से पैसा अरेंज कर रहा है तो आप उसे फूल माला पहनाएंगे और आपके आंखों से आंसू निकल जाएंगे…. वो तो चैनल के बाहर close का बोर्ड लगा रहा था… मैंने उसे मनाया….
ये सुनकर तो लगने लगा कि कर्मचारी सेलेरी मांगकर ही गलती कर रहा है….. कईयों को अपराधबोध होने लगा…… मालिक रोहन जगदाले जिसने कभी बोनस नहीं दिया… टाईम पर सेलेरी नहीं दी…. साल भर में एक रुपये का अप्रेज़ल नहीं किया…. फर्जी संपादकों और दलालों से कर्मचारियों का शोषण कराया…. बाकी इसी बीच कईयों को सड़क पर कर दिया गया….. उसके पास पाखंडियों को देने के लिये लाखों रुपये की सेलेरी है….. 2 दिसंबर को लान्च होने वाली मैग्ज़ीन जिसमें नितिन गडकरी को बुलाया जा रहा है, उस भव्य आयोजन पर खर्चा करने के लिये माल है….. लेकिन कर्मचारियों के लिये कुछ नहीं….. वाकई सौदा हो तो ऐसा हो…..
कर्मचारियों को उन्हीं की मेहनत का पैसा देकर एहसान कर रहा था…. यानी एक महान पत्रकार अपनी अगली पीढी को चिटफंडियों की महानता करूणा और न्यायप्रियता का हवाला देकर सेट करने में लगा रहा… लगा कि मालिक के चरणों में गिरे रहो, वहीं स्वर्ग है….. कर्मचारी बेचारे मरते क्या न करते….
फिलहाल स्थिति ये है कि जिया न्यूज में कर्मचारियों ने काम बंद किया हुआ है… हड़ताल जारी है… कुछ लोग चेक लेकर घर जा चुके हैं लेकिन ज्यादातर लोग अड़े डंटे हुए हैं… बकाया पुरानी सेलरी और तीन महीने का एडवांस वेतन देने की मांग कर रहे हैं…
…जारी…
जिया न्यूज में कार्यरत एक कर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित. अगर उपरोक्त राइटअप / रिपोर्ट / विश्लेषण पर किसी पक्ष को कुछ कहना है तो अपनी बात [email protected] पर मेल कर सकते हैं.
former strinjer
November 29, 2014 at 2:16 pm
ये एसएन विनोद पूरी तरह दोगला और धोखेबाज आदमी है। यह मालिकों पर कुछ मुद्दे उठाकर दबाव बनाता है और अपना हिसाब लेकर सरक लेता है। साधना न्यूज में भी इसके गुप्ताओं पर स्ट्रिंगरों का बकाया देने की आवाज उठाई। स्ट्रिंगरों ने इसे भगवान माना, लेकिन बाद में यह अपनी मोटी तनख्वाह लेकर निकल गया, स्ट्रिंगर हाथ मिलते रहे गए। हालांकि स्ट्रिंगर बताते हैं कि जो पत्र इसने मालिकान को लिखा था, उसमें बड़ी-बड़ी आदर्श की बातें लिखीं थीं। और यही खेल यह यहां जिया में कर रहा है। केवल और केवल ग़ड़करी के नाम की खा रहा है। कर्मचारियों सादऴान, यह यहां तुम्हें भी सूली पर चढ़ा देगा।
राकेश वर्मा
November 29, 2014 at 2:28 pm
जब धंधा चमकाना हो तो विनोद ग्रूप का एडिटर इन चीफ बन जाता है, जब कर्मचारियों को हक देने की बात हो तो, केवल मेग्जीन का संपादक बन जाता है। दोगला कहीं का।
ashutosh awasthi
November 29, 2014 at 3:13 pm
ऐ कर्मचारियों, खड्ग उठाओ, आगे बढ़ो, 2 तारीख के मैग्जीन की फर्जी लांचिंग पर टूट पड़ो, अपना अधिकार मांगो, वहीं, जहां मैग्हजीन की लांचिंग है, कम से कम वहां उपस्कथित सभी लोगों को पता चलना चाहिए, लड़ाई लड़ो, पीछे मत हटो, अधिकार लेकर रहो, तब तक रुको मत, लाल सलाम, लाल सलाम।