यशवंत जी
नमस्कार
आप पत्रकारों के साथ हो रहे अन्याय व उत्पीड़न की खबरे प्रकाशित करतें है जिससे देश के पत्रकारों को सही जानकारी मिलती है. पर कुछ लोग इसका गलत फायदा उठा कर बदनाम करके मानहानि करते हैं जिससे गलतफहमी हो जाती है.
अभी कुछ दिन पूर्व कोरोना महामारी के नाम पर पत्रकारों की मदद करने के लिए लाखों का चन्दा आरोपी राघवेंद्र शुक्ल व देवेंद्र श्रीवास्तव के द्वारा लिया गया. इसे न तो जिला मजिस्ट्रेट के खाते में जमा किया गया और न सरकार के राहत कोष में जमा किया गया.
इसकी शिकायत मैंने की. आप ने मेरे द्वारा की गई शिकायत को भड़ास पर प्रकाशित भी किया था. जब इसकी शिकायत मेरे द्वारा जिला मजिस्ट्रेट व अन्य अधिकारियों से की गई तो पेशबन्दी में राघवेन्द्र शुक्ल संवाददाता न्यूज1इंडिया व कथित वरिष्ठ उपाध्यक्ष युवा पत्रकार एसोसिएशन अयोध्या व उनके सहयोगी अध्यक्ष देवेंद्र श्रीवास्तव ने अपने गुनाहों पर पर्दा डालने के लिए थाना राम जन्मभूमि में मेरे खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करा दी.
मुझे बदनाम करने के लिए आप के भड़ास में लिखा कि मैं देह व्यापार के रैकेट चलाने के आरोप में जेल जा चुका हूं जब कि ऐसी कोई एफआईआर मेरे खिलाफ नहीं दर्ज है. ये भी लिखा कि मैं न्यूज1इंडिया न्यूज चैनल से निकाला जा चुका हूं. ये भी आरोप गलत है. मेरी नियुक्ति 20 अक्टूबर 20 तक है.
दो वर्ष हो गए, चैनल ने कोई वेतन नहीं दिया तो मैंने खबरें भेजना बंद कर दिया. इसी का फायदा उठा कर राघवेंद्र शुक्ल ने अयोध्या से फ्री में खबर भेजना शुरू किया और दलाली ब्लैक मेलिंग के जरिये चैनल को विज्ञापन देने लगा. इनके खिलाफ अयोध्या गुप्ता गेस्ट हाउस के प्रबंधक नवमी लाल गुप्ता ने सीएजेम कोर्ट में 2 लाख रुपये की ब्लैक मेलिंग का मुकदमा दर्ज करा रखा है जो विचाराधीन है.
अभी 2 माह पूर्व चेक बाउंसिंग के मामले में कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया था.
मैंने जो शिकायत इन लोगों के खिलाफ किया, एसएसपी आशीष तिवारी के द्वारा जांच कराकर आरोप सही पाए जाने पर राघवेंद्र शुक्ल के खिलाफ अयोध्या कोतवाली में मुकदमा अपराध संख्या 274 धारा 420 व 406आईपीसी के तहत दर्ज हो गया है.
एफआईआर की कापी भड़ास पर भेज दिया है. कौन दोषी है, कौन नहीं, इसका फैसला तो अब न्यायालय करेगी. पर आप मेरा भी पक्ष प्रकाशित करें जिससे सच्चाई जन मानस में जा सके.
महेंद्र त्रिपाठी
अध्यक्ष
प्रेस क्लब अयोध्या
पूरे प्रकरण को समझने के लिए इन खबरों को भी पढ़ें-
raghavendra shukla
April 22, 2020 at 9:51 am
महोदय कृपया अवलोकन करे ।
1 – यह कि पैसो के दुरुपयोग को लेकर लगे आरोप मे बाकायदा सशपथ बयान करता हूँ कि जिस संगठन द्वारा चेक से रकम लेकर दुरुपयोग करने की बात कही जा रही है निराधार है दरअसल पैन कार्ड न होने के चलते बैंक एकाउंट तक नही खुला है और चेक वापिस की जा चुकी है । जिसके सम्बंध मे दान दाताओं ने अपना बयान भी दे दिया है ।
2 – यह कि आरोप मे यह कहा गया है कि सूचना निदेशक द्वारा जांच नही की गई जबकि जांचोंपरान्त श्री मानजी द्वारा करीब साढ़े 3 बजे 31 मार्च को ही सूचना विभाग के अधिकृत ग्रुप पर यह स्पष्ट कर दिया गया था कि संगठन मे स्वच्छ छवि के मान्यता प्राप्त पत्रकार सदस्य जुड़े है और विभाग को कोई आपत्ति नही है ।
3 – आरोप है कि जिलाधिकारी को सूचना नही दी गई , बताना चाहूंगा कि विधिक प्रक्रिया मे जिलाधिकारी अथवा अन्य अफसरों को इस प्रकार की सूचना देना अनिवार्य तौर पर विधिक नही होता फिर भी संगठन के सदस्यो को कोई गलत फहमी न हो इसको लेकर सोशल मीडिया पर भी मिले सहयोग का बाकायदा प्रसारण हुआ ।
4 – शिकायती पत्र मे कहा गया है कि पैसा वसूल कर अन्य पत्रकारो को दिया जाए जो कि प्रथम दृष्टया निजिता हनन प्रतीत होता है किसी गैर व्यक्ति को बिल्कुल भी अधिकार नही कि वह किसी संगठन के आय व व्यय मे हस्तक्षेप करे ।
5 – संगठन के उपाध्यक्ष के विरुद्ध मुकदमा लिखा जाना बिल्कुल भी न्याय संगत नही है क्यूंकि उपाध्यक्ष वैसे भी आय व व्यय के मामलो मे दूर रहता है यह काम कोषाध्यक्ष का होता है ।
6 – संगठन को फर्जी कहा गया है जबकि उपनिदेशक सूचना महोदय द्वारा बाकायदा रजिस्ट्रेशन नम्बर के साथ साथ प्रमाणपत्र की छायाप्रति भी वादी को उपलब्ध कराई जा चुकी है ।
राघवेन्द्र शुक्ला
April 22, 2020 at 9:52 am
महोदय , निम्न लिखित बिन्दुओ पर मय शपथपत्र समेत साक्ष्य प्रस्तुत है कृपया अवलोकन करे ।
1 – यह कि पैसो के दुरुपयोग को लेकर लगे आरोप मे बाकायदा सशपथ बयान करता हूँ कि जिस संगठन द्वारा चेक से रकम लेकर दुरुपयोग करने की बात कही जा रही है निराधार है दरअसल पैन कार्ड न होने के चलते बैंक एकाउंट तक नही खुला है और चेक वापिस की जा चुकी है । जिसके सम्बंध मे दान दाताओं ने अपना बयान भी दे दिया है ।
2 – यह कि आरोप मे यह कहा गया है कि सूचना निदेशक द्वारा जांच नही की गई जबकि जांचोंपरान्त श्री मानजी द्वारा करीब साढ़े 3 बजे 31 मार्च को ही सूचना विभाग के अधिकृत ग्रुप पर यह स्पष्ट कर दिया गया था कि संगठन मे स्वच्छ छवि के मान्यता प्राप्त पत्रकार सदस्य जुड़े है और विभाग को कोई आपत्ति नही है ।
3 – आरोप है कि जिलाधिकारी को सूचना नही दी गई , बताना चाहूंगा कि विधिक प्रक्रिया मे जिलाधिकारी अथवा अन्य अफसरों को इस प्रकार की सूचना देना अनिवार्य तौर पर विधिक नही होता फिर भी संगठन के सदस्यो को कोई गलत फहमी न हो इसको लेकर सोशल मीडिया पर भी मिले सहयोग का बाकायदा प्रसारण हुआ ।
4 – शिकायती पत्र मे कहा गया है कि पैसा वसूल कर अन्य पत्रकारो को दिया जाए जो कि प्रथम दृष्टया निजिता हनन प्रतीत होता है किसी गैर व्यक्ति को बिल्कुल भी अधिकार नही कि वह किसी संगठन के आय व व्यय मे हस्तक्षेप करे ।
5 – संगठन के उपाध्यक्ष के विरुद्ध मुकदमा लिखा जाना बिल्कुल भी न्याय संगत नही है क्यूंकि उपाध्यक्ष वैसे भी आय व व्यय के मामलो मे दूर रहता है यह काम कोषाध्यक्ष का होता है ।
6 – संगठन को फर्जी कहा गया है जबकि उपनिदेशक सूचना महोदय द्वारा बाकायदा रजिस्ट्रेशन नम्बर के साथ साथ प्रमाणपत्र की छायाप्रति भी वादी को उपलब्ध कराई जा चुकी है ।
राघवेन्द्र शुक्ला
April 25, 2020 at 12:19 am
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विनाश काले विपरीत बुद्धि की कहावत तब सच साबित हुई जब बगैर संगठन से जुड़े सदस्य महेन्द्र त्रिपाठी ने एक मान्यता प्राप्त पत्रकारो से जुड़े संगठन युवा पत्रकार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवा दिया और आरोप लगया रुपया गमन का । जाहिलियत का आलम तो देखो एक तो पहले ही बाईलाज के मुताबिक किसी संगठन के उपाध्यक्ष का पैसे के लेन देन से कोई सरोकार नही होता और अगर होता भी तो गैर सदस्य का निजी मामलो मे हस्तक्षेप करना भी विधिक नही होता । अब परिचय की बात आती है उन आरोप लगाने वाले उन जाहिल महाशय की जिनका नाम है आदरणीय महेंद्र त्रिपाठी वैसे तो ये प्रेस क्लब अयोध्या के अध्यक्ष के नाम से जाने जाते है और अध्यक्ष जी कहने पर गद गद भी बहुत होते है पर इस प्रेस क्लब की तश्वीर कुछ अलग है दरअसल यह प्रेस क्लब , क्लब नही बल्कि एनजीओ है और महेंद्र उसके स्वयं भू अध्यक्ष । अब हम थोड़ा सा अध्यक्षा के बैक ग्राउंड पर आपको ले चलते है महेन्द्र त्रिपाठी की शुरुआत कैमरा मैन के रूप मे हुई और अयोध्या की गलियों से निकलकर महेन्द्र त्रिपाठी ने मोटी रकम कमाने की होड़ मे राहे भटकते हुए वैश्यावृति और पोर्न वीडियो बनाने जैसे घिनौने काम की शुरुआत की महाशय जेल भी गए । बाहर आते ही पत्नियों के बदलने का शौक चढ़ा एक के बाद एक कई सारी पत्नियों को बदला आलम यह रहा कि फिर एक बार जेल यात्रा करनी पड़ी । इन दो बार की यात्रा ने महेन्द्र त्रिपाठी को कानून से खेलने की कला मे माहिर कर दिया खुद का चरित्र गंदा था इस लिए दूसरो की बेइज्जती करने मे भी महेन्द्र त्रिपाठी पीछे नही रहे एक के बाद एक जेल मे रहते रहते महेन्द्र त्रिपाठी कुख्यात अपराधी बन गया और गुण्डा एक्ट की सजा काटने के बाद उसने एक एनजीओ का गठन किया और प्रेस क्लब का नाम देकर अपने आपको सफेद पोश बन बैठा । इतना ही नही महेन्द्र त्रिपाठी ने ओरिजनल प्रेस क्लब पर भी दावा ठोका और बारी बारी से प्रेस क्लब के पदाधिकारियों को बाकायदा कानून का मनगढ़न्नत पाठ पढ़ाने लगा , काले चरित्र और अपराध के बढ़ावे का आलम यह रहा कि महेन्द्र ने बारी बारी से हनुमान गढ़ी के महंत ज्ञानदास , पूर्व आईपीएस राजेंद्र सिंह , महापौर ऋषिकेश उपाध्याय , वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह समेत दर्जनो नामचीनो को ही शिकार बना डाला । सभी को पहले तो फर्जी मुकदमों मे फंसाया फिर मोटी रकम वसूली और सुलह की । जालसाज महेन्द्र सोशल मीडिया और भड़ास डाट काम जैसी बहुतायत एजंसियों से लाभ उठाना जानता है इसलिए महेन्द्र का मनोबल बढ़ता रहा महेन्द्र त्रिपाठी ने बाकायदा लोगो को धमकाने के लिए नक्सलियो की तर्ज पर एफआईआर आफिस का बोर्ड लगाकर एक कार्यालय खोला और वही पर मजबूर और कम पढ़े लिखे लोगो को बुलाकर उनसे उगाही करता रहा । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजक्ट अन्तराष्ट्रीय मीडिया सेन्टर पर भी महेन्द्र त्रिपाठी की नजरे जम गई , काले चरित्र और आपराधिक ग्राफ को छिपाकर बड़े सफेदपोश बनने के लालच ने महेन्द्र ने एक के बाद एक अपराध कर डाले , महेन्द्र त्रिपाठी ने बाकायदा किसी की हत्या का एक लाख मुकदमा लिखाने का 15 से 20 हजार हाथ पैर तुड़वाने का 25 हजार रुपए बाकायदा लोगो को बताया जाने लगा । ये ही नही यह रकम परस्पर वादी और प्रतिवादी दोनो से ही महेन्द्र के लिए आम हो चला था । लोगो को ब्लैकमेल करना मानो महेन्द्र का पुश्तैनी धंधा बन गया हो । लेकिन कहावत यही चरित्रार्थ हो गई जब युवा पत्रकार एसोसिएशन को बदनाम करने की नियत ने महेन्द्र को एक बार फिर से कटघरे मे लाकर खड़ा कर दिया । संगठन के अध्यक्ष की तहरीर पर जालसाज महेन्द्र त्रिपाठी के विरुद्ध मु.अ.संख्या 28/2020 धारा 406,419,420,467,468,471 आईपीसी मे एक मुकदमा अयोध्या के थाना रामजन्मभूमि मे दर्ज हुआ है । साथ ही अधिकारियों द्वारा महेन्द्र की जन्म कुंडली निकालने के साथ साथ दीपोत्सव के दौरान मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात के समय फर्जी पास का इस्तेमाल करना , खुफिया अधिकारियो को फर्जी शपथपत्र देने , कोतवाली अयोध्या मे बगैर तथ्यो के फर्जी मुकदमा लिखाने और अंतराष्ट्रीय मीडिया सेन्टर के नाम पर ठेकेदारों से वसूली करने के मामले मे जालसाज महेन्द्र त्रिपाठी के खिलाफ मुकदमे का लिखा जाना लगभग तय माना जा रहा है । यानि काले चरित्र वाले सफेदपोश का इंतजार अयोध्या मंडल कारागार की सलाखें एक बार फिर कर रही है ।
राघवेन्द्र शुक्ला
उपाध्यक्ष
युवा पत्रकार एसोसिएशन