Om Thanvi : मारुति-सुज़ुकी जैसी नामी कंपनी, बड़ा हाइ-फाइ Nexa Showroom, डीलर का नाम – Fair Deal Cars; दिल्ली में अक्षरधाम मेट्रो स्टेशन के ठीक नीचे। अच्छा होता कि नाम रखते – Unfair Deal Cars! हुआ यह कि अक्तूबर 2015 में हमने उक्त शोरूम जाकर ग्यारह हजार रुपये दे एक बलेनो कार बेटे के लिए बुक करवाई। पर चंद रोज बाद और खरीदारों की राय जान बेटे को लगा कि आजमाई हुई श्कोडा ही बेहतर होगी।
कंपनी का वादा था कि बुकिंग रद्द करवाने पर बुकिंग राशि वापस कर दी जाएगी। जिस मैनेजर (नीरज गुप्ता) को पैसा दिया था, हमने उन्हें बुकिंग रद्द करने की सूचना दे दी। सोचा पैसा आ जाएगा। नहीं आया तो फोन किया। बुकिंग रद्द हो गई फोन क्यों उठाएंगे? उलटे स्टाफ से फोन आते रहे, जैसे कि बुकिंग अब भी कायम हो। किसी तरह डीलर का नंबर ढूंढ़ कर गुप्ता से संपर्क साधा तो जवाब मिला, बैंक खाते का ब्योरा भेज दें तब एक हफ़्ते बाद मिल सकेगा।
बेटे ने इ-मेल से बैंक-ब्योरा भेज दिया। फिर लम्बा वक्फा। पैसा नहीं मिला। फिर फोन किया। अब गुप्ताजी बोले, ऐसा करें आप रोज इधर से जाते हैं, जाते हुए रिफंड खुद ही ले लीजिएगा। पर जाने से पहले जब-जब फोन पर बात करनी चाही, एक बार भी फोन नहीं उठाया। एसएमएस का जवाब भी नहीं। कल आखिर उधर जा ही निकला। तो बन्दे ने वाउचर बनाकर कहा, क्या करें कैशियर ही नहीं है।
मैं वाउचर सहित लौट आया, भीतर का पत्रकार जागा, आज सुबह एक फोन ऊपर के एक जिम्मेदार अधिकारी को मिलाया कि क्या अदालत के जरिए होगी इस मामूली धन की धन-वापसी? … अभी पैसा घर दे गए हैं। लेकिन इस अनुभव पर मारुति-सुज़ुकी वालों को मेरा सुझाव कायम रहेगा कि कम-से-कम अक्षरधाम नेक्शा शोरूम का नाम Unfair Deal ज़रूर कर लें। लुच्चे कहीं के।
वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी के फेसबुक वॉल से.
विकास
January 20, 2016 at 11:27 am
ओम थानवीजी, ये किस्से हर रोज के हैं। आपने भुगता, महसूस किया और जब पानी सिर तक आ गया तो पत्रकारिता की नली लगा कर बाइपास बना छुटकारा पाया। ना मारूति वले नाम बदलेंगे ना ही यह सिस्टम क्येांकि आप जैसे पुरोधा जब तक पत्रकारिता को साफ करने का बीडृा नहीं उठाएंगे यूं ही कीचड़ में धोखे के कमल खिलते रहेंगे।
sharad
January 21, 2016 at 9:45 am
people like Om Thanvi should realise that humans work in the Nexa showrooms who r bound by regulations, particularly related to accounts. Delay is very normal, refunding money is a longer process. His criticism is as irresponsible as his journalism is. He should stop thinking himself as some VIP! I empathise with the car dealer personnel and respect their courtesy to deliver money at Om Thanvi’s home.