अमर उजाला के अंदर काम करने वाले पत्रकारकर्मी कितने मजूबर और मूक-बधिर हैं, उसका अंदाजा इस ख़बर से लग जाएगा। लगभग पांच महीने पहले अमर उजाला की तरफ से अपने कर्मचारियों को एक ऑफीशियल मेल भेजा गया जिसमें कहा गया कि मजीठिया की सिफारिशों के तहत रात्रि की पाली में काम करने वाले कर्मियों को मई माह से वेतन के साथ नाइट अलाउंस दिया जाएगा।
लेकिन अमर उजाला ने अपने पत्रकारों को नाइट अलाउंस देने की बात बताने के बाद बहुत बड़ा धोखा दिया। ऑफिशियल मेल आने के बाद सभी पत्रकार बहुत खुश हो गए कि उनकी दो कौड़ी की कमाई में कुछ पैसे और जुड़ जाएंगे लेकिन यह उनके लिए मुंगेरीलाल का हसीन सपना साबित हुआ। पत्रकार मई में इंतजार करते रहे कि नाइट अलाउंस अकाउंट में अब आएगा, तब आएगा लेकिन नहीं आया।
जून, जुलाई, अगस्त के बाद सितंबर आ पहुंचा। अब तो सभी पत्रकार मन मारकर चुप हो गए हैं और समझ गए हैं कि नाइट अलाउंस नहीं मिलने वाला। नौकरी बचानी है तो चुप मारकर जो मिल रहा है, उसी में संतोष करते चलो।
मजीठिया सिफारिशों के लागू होने के बाद एक तरफ अमर उजाला ने खुद को पांचवी श्रेणी की कंपनी में दिखाया और उस आधार पर कर्मचारियों के महज कुछ सौ रुपए बढ़ाकर धोखा किया। दूसरी तरफ, हर साल होने वाले इंक्रीमेंट और प्रमोशन को रोककर पत्रकारों के करियर के साथ छलावा किया। तीसरी तरफ, नाइट अलाउंस देने का वादा कर मुकर गयी।
इतना धोखा आंखों के सामने हो रहा है और अमर उजाला के पत्रकारकर्मी खामोश हैं। संपादक मालिक की गोद में बैठकर मलाई खा रहे हैं और पत्रकारों को बंधुआ मजदूर बनाकर उनकी छाती पर मूंग दल रहे हैं। अमर उजाला के पत्रकार कोल्हू में पेरे जा रहे पशु जैसे हो गए हैं जिनको दाना-पानी कम देकर, चारा दिखाकर और मार-मारकर हांका जा रहा है। यह हिंदी के पत्रकारों की दुर्दशा को दिखाता है।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित।
chanchal singh
September 16, 2014 at 8:09 am
aachi baat hai patrkaro ke sath aasa hi hona chahiye, ptakar samaj me sabke samne badi dige marte hai ki ham dosro ki ladai ladate hai, jab baat apne hak ki hoti hai to sabse pahle dom dabakar bhag jate hai
chanchal singh
arunesh sharma
September 18, 2014 at 9:45 am
😆 😆 😆 😆 😆 😆 😆 😆 😆 aise hi hoga jub tak sanjay pandey, aashutosh, alok singhal, alok kapoor jaise gandu amar ujala me rahenge, vaibhav ki to maa chud gaye,