जब से देश में यूनिवर्सिटी प्राइवेटाइजेशन का खेल हुआ है, देश में तमाम यूनिवर्सिटी कुकुरमुत्ते जैसे उग आई हैं. इसमें कई अरबपतियों का काला पैसा लगा होने की खबरें भी अक्सर सामने आती रहती हैं.
अब पैसा वसूल करने के लिए ये प्राइवेट यूनिवर्सिटी पैसे कमाने के तमाम हथकंडे अपना रही हैं.
नोएडा के एक प्राइवेट विश्वविद्यालय “नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी (Noida International University)” से ताज़ा खबर आ रही है.
मामला यूनिवर्सिटी के अंतर्गत पी.एच.डी. कोर्स में चल रही गड़बड़ियों का है. इस यूनिवर्सिटी में पी.एच.डी. कोर्स में साल २०१२ से अंधाधुंध दाखिले लिए जा रहे हैं. २०१८ तक कुल लगभग ३०० पूर्णकालिक स्कॉलर यहाँ पी.एच.डी. में एडमिशन ले चुके हैं. केवल साल २०१४ में ही सबसे अधिक लगभग ५० पूर्णकालिक दाखिले दिए गए हैं. एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी के लिए, उसके सीमित संसाधनों को देखते हुए ये एक बहुत बड़ी संख्या है.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा गठित एक्सपर्ट समिति द्वारा नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में तमाम बुनियादी खामियां पाई हैं, जिसमें विकलांगों के लिए कोई सुविधा नहीं होने, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा तय मानकों से कम योग्यता वाले शिक्षकों की भरती करना, शिक्षकों को समय पर वेतन न देना, शिक्षकों को तय मानकों से कम वेतन देना, वीमेन सेल न होना, हॉस्टल न होना, रिसर्च सुविधाएँ न होना, प्रयोगशाला सुविधायें न होना, लाइब्रेरी कायदे से न चलाया जाना, जैसे तमाम मुद्दे गिनाये गए हैं. इसके बावजूद यूनिवर्सिटी प्रशासन अंधाधुंध एडमिशन दिए जा रहा है.
नोएडा निवासी दिवाकर सिंह ने ताजा घोटाले को उजागर करते हुए यूनिवर्सिटी प्रशासन को विधिक नोटिस भेजा है (नोटिस की कॉपी bhadas4media के पास है, नीचे देखें), जिसमें उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से आरटीआई द्वारा मिली जानकारी का हवाला देते हुए, गैर कानूनी तरीके से ५ साल से अधिक समय से बिना यूनिवर्सिटी में पढ़ाई किये, स्कॉलर द्वारा पी.एच.डी. का फुल टाइम कोर्स करने की सूचना यूनिवर्सिटी को भेजी है.
दिलचस्प यह है कि ऐसे एक स्कॉलर की सितम्बर २०१४ से अब तक एक अमेरिकन एमएनसी कंपनी (Fiserv India Pvt Ltd) में पूर्णकालिक नौकरी चल रही है, और सितम्बर २०१४ से ही पूर्णकालिक पी.एच.डी. भी चल रहा है. जो कि सरासर गैर कानूनी है. साफ़ है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा नियम कायदों की धज्जियां उड़ाते हुए खुलेआम गैर कानूनी तरीके से डिग्री बांटने का खेल खेला जा रहा है.
सूत्रों के अनुसार, नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के खिलाफ तमाम घोटालों की शिकायतें उत्तर प्रदेश सरकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग में पहले से दर्ज हैं.
फिलहाल यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अब तक इस ताजा मामले में विधिक नोटिस का जवाब नहीं दिया है. इस मामले में जल्द ही कानूनी कार्रवाही शुरू हो सकती है.