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मजीठिया मुद्दे पर आरपार की लड़ाई शुरू, नोएडा में जुटे पत्रकार

नोएडा (उ.प्र.) : सेक्‍टर 22 स्थित बारातघर में गत दिनो इंडियन एक्‍सप्रेस, दैनिक भास्‍कर, दैनिक जागरण, राजस्‍थान पत्रिका, टाइम्‍स ऑफ इंडिया, दैनिक हिंदुस्‍तान आदि कई अखबारों की दिल्‍ली-एनसीआर यूनिटों के पत्रकार और कर्मचारी एकत्र हुए और मजीठिया वेतनमान के लिए आरपार की लड़ाई लड़ने का संकल्‍प लिया। सुप्रीम कोर्ट में चल रहे अवमानना के 51 मामलों के प्रतिनिधियों, कई यूनियनों के नेताओं और अधिवक्‍ताओं के एकमंच पर आने से जहां मजीठिया के लिए पत्रकारों और गैरपत्रकार कर्मचारियों की लड़ाई को बल मिला, वहीं लोगों का जुनून देखते ही बन रहा था। बारातघर परिसर में पत्रकारों के वाहन देखकर लोग यही कह रहे थे कि इतने वाहन इस परिसर में आज तक नहीं आए। 

नोएडा (उ.प्र.) के सेक्‍टर 22 में मजीठिया वेतनमान के लिए नए सिरे रणनीति बनाने में जुटे मीडिया योद्धा

नोएडा (उ.प्र.) : सेक्‍टर 22 स्थित बारातघर में गत दिनो इंडियन एक्‍सप्रेस, दैनिक भास्‍कर, दैनिक जागरण, राजस्‍थान पत्रिका, टाइम्‍स ऑफ इंडिया, दैनिक हिंदुस्‍तान आदि कई अखबारों की दिल्‍ली-एनसीआर यूनिटों के पत्रकार और कर्मचारी एकत्र हुए और मजीठिया वेतनमान के लिए आरपार की लड़ाई लड़ने का संकल्‍प लिया। सुप्रीम कोर्ट में चल रहे अवमानना के 51 मामलों के प्रतिनिधियों, कई यूनियनों के नेताओं और अधिवक्‍ताओं के एकमंच पर आने से जहां मजीठिया के लिए पत्रकारों और गैरपत्रकार कर्मचारियों की लड़ाई को बल मिला, वहीं लोगों का जुनून देखते ही बन रहा था। बारातघर परिसर में पत्रकारों के वाहन देखकर लोग यही कह रहे थे कि इतने वाहन इस परिसर में आज तक नहीं आए। 

नोएडा (उ.प्र.) के सेक्‍टर 22 में मजीठिया वेतनमान के लिए नए सिरे रणनीति बनाने में जुटे मीडिया योद्धा

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उधर, दैनिक जागरण के कुछ पालतू टाइप पत्रकार लोगों को बैठक में पहुंचने से रोक रहे थे। अब यह दैनिक जागरण प्रबंधन का भय था या कुछ और बात, लेकिन यह तय है कि कंपनी के टुकड़ों पर अपना जमीर गिरवी रखने वाले कुछ ऐसे पत्रकार बेनकाब होने लगे हैं, जो निहित स्‍वार्थों के लिए कर्मचारियों को गुमराह कर रहे हैं और लगातार उनका अहित करने पर तुले हैं। 

बैठक में यह तय पाया गया कि लड़ाई मजीठिया वेतनमान लागू कराने की नहीं है, वह तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लागू हो चुका है, लेकिन अखबार मालिक कर्मचारियों के वेतन से अकारण अत्‍यधिक कटौती कर रहे हैं, जिससे उन्‍हें वेतनमान का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसी कटौती पर अंकुश लगाने के लिए न्‍यूजपेपर कर्मचारियों के एकजुट होने पर जोर दिया गया। इसके लिए राष्‍ट्रव्‍यापी अभियान चलाए जाने पर सहमति बनी। बैठक में कर्मचारियों को प्रताडि़त किए जाने का भी मामला उठाया गया। सभी इस बात पर एकमत थे कि तबादले गैरकानूनी ढंग से किए जा रहे हैं और इसके लिए अखबार मालिकों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। दैनिक जागरण प्रबंधन तो इस बात का प्रमाण भी दे चुका है कि उसने अपने कर्मचारियों के तबादले दुर्भावनावश किए और काम बंद कर दिए जाने के बाद उसे कुछ तबादले वापस भी लेने पड़े। 

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सुप्रीम कोर्ट के वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता परमानंद पांडेय ने कहा, प्रदेश सरकारों को मजीठिया वेतनमान लागू किए जाने की स्थिति की जांच कराने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है, इसलिए अधिकारी गलत रिपोर्ट बनाने की जुर्रत नहीं कर पाएंगे। लिहाजा न्‍यूजपेपर कर्मचारियों को आशंकित होने की कोई जरूरत नहीं है। अब भयमुक्‍त होकर अपनी बात प्रदेश सरकार तक पहुंचाने की जरूरत है। 

सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का केस लड़ रहे वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता उमेश शर्मा ने कहा, इसमें कुछ बुरा मानने की जरूरत नहीं है कि अखबार मालिकों ने धोखे से या धमका कर कर्मचारियों से हस्‍ताक्षर करा लिए और सुप्रीम कोर्ट में झूठी दलीलें नामचीन वकीलों के जरिये पेश करा दी। यह तो कानूनी लड़ाई है, जिसमें दलीलों की काट पेश करनी होगी और वह काट हमने निकाल ली है। सुप्रीम कोर्ट में देर है, अंधेर नहीं। यदि कुछ कर्मचारी भय के कारण सामने आने से कतरा रहे हैं, तो भी चिंता की कोई बात नहीं है। हम तमाम तथ्‍यों के आधार पर अखबार मालिकों को सुप्रीम कोर्ट में झूठा साबित करके रहेंगे। फिर भी कर्मचारी एकजुट रहेंगे तो अखबार मालिक प्रताडि़त करने से डरेंगे। कर्मचारियों को धमकाए जाने से यह साबित हो चुका है कि अखबार मालिकों की ओर से दी गई दलीलों में कोई दम नहीं है और वे कर्मचारियों को धमका कर अपने भय का ही प्रदर्शन कर रहे हैं। 

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वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता कोलिन गोंजाल्विश ने कहा, कामगारों को अपना हक पाने के लिए आगे आना होगा। मजीठिया मामले को यूनियनों के सहयोग से जीता गया। अब फिर यूनियनें गठित करने में तेजी लाए जाने की जरूरत है। यूनियनों के दबाव में अखबार मालिक कर्मचारियों को प्रताडि़त करने से बचेंगे। आखिर उन्‍हें अखबार भी तो निकालना है। कोई भी अखबार मालिक नहीं चाहेगा कि उसका स्‍थापित अखबार किसी भी प्रकार की अशांति का शिकार बने। इस तथ्‍य के मद्देनजर कामगारों को अपना आत्‍मविश्‍वास बढ़ाना होगा, तभी वे मजीठिया वेतनमान का पूरा लाभ उठा पाएंगे। 

इस मौके पर कई यूनियन नेता भी उपस्थित थे, जिन्‍होंने यूनियनों के गठन में पूरा सहयोग देने का भरोसा दिलाया। यूनियन नेता राघवेंद्र सिंह ने कहा, न्‍यूजपेपर कर्मचारियों को अब वेतन कटौती रोके जाने की लड़ाई लड़नी है। इस लड़ाई में वह हर स्‍तर पर मदद करने को तैयार हैं। कुछ कर्मचारियों ने अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए कुछ कानूनी मुद्दे उठाए। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्‍ठ अधिवक्‍ताओं ने समस्‍याओं के समाधान के लिए कई कानूनी उपाय भी सुझाए। कुल मिलाकर बैठक मजीठिया वेतनमान के लिए शुरू होने जा रही आरपार की लड़ाई का शंखनाद कर गई है।

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Fourth Pillar एफबी वॉल से 

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0 Comments

  1. dinanath

    May 3, 2015 at 12:30 pm

    DOSTO YAH ACHI KHABAR HAI. GHABRANA NAHI HI. BAS THORA SA PRAYAS KARNA HI.
    KARNA YAH HOGA. HAME THORA SAJAG HONA HOGA. HO SAKTA HAI KI NEWSPAPER KE MALIK LABOUR DEPARTMENT KE OFFICER KO KHARIDNE KI SAJIS RACH RAHA HO. ESE ROKNE KE LIYA HAME THE PRESIDENT OF INDIA, PRIME MINISTER OF INDIA, OPPOSTION PARTY KE LEADERS KO EK-EK POST CARD BHEJNA HOGA JISME AAPKO YAH LIKHNA HOGA KI JAANCH NISPAKCH HO. ES PRAKAR SE HUM LABOUR DEPARTMENT AUR RAJYA SARKAR PAR DABAB BANA PAYENGE.

    YEH KAB HAR JAGAH KE MEDIA WORKERS OF KARNE HONGE. AGAR KOYE ES COMMENT KO READ KARTE HAI TO APNE DOSTO KO JARUR BATAYE. SAATH HI MEDIA PORTALS KE EDITORS KO BHI ESKA KNOWLEDGE DE TAKI LABOUR DEPARTMENT PAR HIGH PRESSURE BAN PAYE.

    MY NEWS PORTALS KE EDITORS SE BHI REQUEST KARTA HU KI ESE KNOWLEGE ME LE AUR JOURNALIST UNIONS’ KO BHI ESI JANKARI DE.

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