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निजी टीवी चैनल ‘न्यूज चैनल’ की बजाय ‘न्वायज चैनल’ हो गए हैं : प्रसार भारती चेयरमैन

बेंगलूरू। प्रसार भारती के नव नियुक्त चेयरमैन ए. सूर्य प्रकाश ने कहा कि दूरदर्शन एवं आकाशवाणी को स्वायत्तता हासिल करने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है। “प्रेस से मिलिए” कार्यक्रम में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि प्रसार भारती एक स्वायत्त निगम है और इसके गठन के बाद पीछे हटने का सवाल ही पैदा नहीं होता। सूर्यप्रकाश ने कहा कि प्रसार भारती के 90 फीसदी कर्मचारी केंद्र सरकार के हैं, जबकि शेष विभिन्न मीडिया हाउस से हैं जिन्हें करार पर रखा गया है। जब तक यह स्थिति रहेगी तब तक प्रसार भारती की स्वायत्तता की राह नहीं खुलेगी। इस दिशा में कदम उठाए जाने की जरूरत है मगर यह एक प्रक्रिया है। गुणवत्ता के लिए पेशेवर होना पड़ेगा। यह संभव है और इसे अवश्य करेंगे।

<p>बेंगलूरू। प्रसार भारती के नव नियुक्त चेयरमैन ए. सूर्य प्रकाश ने कहा कि दूरदर्शन एवं आकाशवाणी को स्वायत्तता हासिल करने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है। "प्रेस से मिलिए" कार्यक्रम में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि प्रसार भारती एक स्वायत्त निगम है और इसके गठन के बाद पीछे हटने का सवाल ही पैदा नहीं होता। सूर्यप्रकाश ने कहा कि प्रसार भारती के 90 फीसदी कर्मचारी केंद्र सरकार के हैं, जबकि शेष विभिन्न मीडिया हाउस से हैं जिन्हें करार पर रखा गया है। जब तक यह स्थिति रहेगी तब तक प्रसार भारती की स्वायत्तता की राह नहीं खुलेगी। इस दिशा में कदम उठाए जाने की जरूरत है मगर यह एक प्रक्रिया है। गुणवत्ता के लिए पेशेवर होना पड़ेगा। यह संभव है और इसे अवश्य करेंगे।</p>

बेंगलूरू। प्रसार भारती के नव नियुक्त चेयरमैन ए. सूर्य प्रकाश ने कहा कि दूरदर्शन एवं आकाशवाणी को स्वायत्तता हासिल करने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है। “प्रेस से मिलिए” कार्यक्रम में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि प्रसार भारती एक स्वायत्त निगम है और इसके गठन के बाद पीछे हटने का सवाल ही पैदा नहीं होता। सूर्यप्रकाश ने कहा कि प्रसार भारती के 90 फीसदी कर्मचारी केंद्र सरकार के हैं, जबकि शेष विभिन्न मीडिया हाउस से हैं जिन्हें करार पर रखा गया है। जब तक यह स्थिति रहेगी तब तक प्रसार भारती की स्वायत्तता की राह नहीं खुलेगी। इस दिशा में कदम उठाए जाने की जरूरत है मगर यह एक प्रक्रिया है। गुणवत्ता के लिए पेशेवर होना पड़ेगा। यह संभव है और इसे अवश्य करेंगे।

उन्होंने कहा कि पिछले दो तीन वर्षो के दौरान अधिकांश निजी टीवी चैनल “न्यूज चैनल” की बजाय “नॉयज चैनल” हो गए हैं। न्यूज चैनलों पर आजकल न्यूज के नाम पर देखने को कुछ नहीं मिलता। प्राइम टाइम बैंड में भी चैनलों पर “मारामारी” चलते रहती है। यह सिर्फ हिंदी और अंग्रेजी चैनलों की हालत नहीं है बल्कि क्षेत्रीय चैनलों पर भी यही चल रहा है। यह किसी के लिए अच्छा नहीं है और दर्शकों के लिए तो बिल्कुल ही अच्छा नहीं है। यह दूरदर्शन के लिए एक बड़े अवसर की तरह है और सर्वश्रेष्ठ समाचारों की प्रस्तुति के साथ वह विश्वसनीयता एवं लोकप्रिता की ऊंचाई छू सकता है।

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नित नई प्रोद्यौगिकी से तालमेल बिठाने के लिए सोशल मीडिया के उपयोग पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में प्रसार भारती की समाचार सेवाएं इन माध्यमों से भी लोगों तक पहुंचेगी। मीडिया संगठनों के लिए यह एक बड़े बाजार की तरह है। देश में 22 करोड़ इंटरनेट कनेक्शन हैं जिसमें से 18 .5 करोड़ मोबाइल इंटरनेट है। अगले पांच वर्षो में इनके 50 से 60 करोड़ तक का आंकड़ा छूने की उम्मीद है। सभी मीडिया संगठनों को इसके लिए तैयार हो जाना चाहिए। प्रसार भारती जल्दी ही तैयार हो जाएगा।

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