Aseem Tiwari : बाते सुनो साब… जो NRC अभी लागू नही हुआ है पूरे देश में… और जिसकी रूपरेखा क्या होगी, शर्तें क्या होंगी, डॉक्यूमेंट क्या लगेंगे, कट ऑफ डेट क्या होगी… ये तय नही हुआ है, उस पर विरोध क्यों हो रहा है… अभी तय सिर्फ ये है कि लागू होगा…
ये बोलते हुए भी इनको हँसी नही आती… स्ट्रेट मुँह बना कर पेल देते हैं…
अबे साले, जिसका सब तय था नोटबंदी उसका हश्र देखा है इस जनता ने… एटीएम नए नोट के अनुसार कैलिबर नहीं थे, नए चूरन छाप नोट पर्याप्त छपे नही थे…बैंक छोड़कर.. बिग बाज़ार से लेकर पेट्रोल पंप तक में बंटे थे… तो तुम लोगों का तय कार्यक्रम इतना जोरदार होता है जब तो जिसका कुछ तय ही नही वो कितना हसीन समा बांध के खुले में शौच करोगे, ये अनुमान लगाना कोई रॉकेट साइंस थोड़े है…
ऊपर से आज एक अखंड भगत आनंद रंगनाथन, जिसे माननीय फॉलो करते हैं ब्लू टिक आईडी ने ट्विटर पर बताया कि आधार कार्ड भी चलेगा… और जब आधार कार्ड चलेगा तो 100 प्रतिशत जनता की नागरिकता प्रूफ हो जाएगी… तो जब 100 प्रतिशत लोगों की नागरिकता प्रूफ होनी ही है तो एनआरसी कर काहे रहे हो…?
हालांकि चिकारा ने साफ कह दिया था आधार और वोटर कार्ड से काम नही चलेगा… पर खैर तुम्हारी मर्ज़ी जो पेपर लेके नागरिकता दे दो… जनता डरी है तुमाए ट्रेक रिकॉर्ड की वजह से… बनाना रिपब्लिक भी नहीं, इसबगोल रिपब्लिक बनाए हो जो 6 सालों में उससे भय है…
बनाना रिपब्लिक में केला मिलता है कब्ज़ियत में, इसबगोल रिपब्लिक में नोटबंदी मिलती है ,जिसमें बिना टिशू पेपर और पानी के पुख़्ता इंतज़ाम के जनता को इसबगोल खिला दिया जाता है… और कह दिया जाता है, आपको थोड़ी परेशानी तो होगी लेकिन देश हित के लिए ये ज़रूरी है…
भय कानून से नही…
भय कानून लाने वाले झोला छाप डॉक्टर साब से है… जो बॉडी खोल तो देते हैं, वापस सिल नहीं पाते…!
पत्रकार असीम तिवारी की एफबी वॉल से.
lav kumar singh
December 21, 2019 at 5:59 pm
मेरा भी ऐसा ही विचार है कि अगर असम जैसी एनआरसी हुई तो वह देश में नोटबंदी से भी बड़ी उथल-पुथल मचाएगी। एक अदने से कवि के रूप में मैंने अपने इस गीत में मोदी जी से कुछ ऐसा ही आह्वान किया है। आपने सीधे ईंट फेंककर मार दी है, जबकि मेरा लहजा थोड़ा नरम है।