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दिल्ली

प्रति पीआईएल 25000 रुपये जमा करने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गईं नूतन ठाकुर

नई दिल्ली : सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा कोई भी पीआईएल  दायर करने से पहले कोर्ट में रुपये 25,000 जमा करने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर किया है. उनके एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड संजय पाठक हैं. डॉ ठाकुर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में स्पेशल सिक्यूरिटी ग्रुप अधिनयम 1988 को संविधान के अनुच्छेद 14  के विपरीत होने के कारण विधिविरुद्ध घोषित करने और एसपीजी सुरक्षा मात्र आवश्यकता के अनुसार प्रदान किये जाने हेतु एक पीआईएल (रिट याचिका मिस बेंच संख्या 2967/2014) दायर किया गया.

<p>नई दिल्ली : सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा कोई भी पीआईएल  दायर करने से पहले कोर्ट में रुपये 25,000 जमा करने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर किया है. उनके एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड संजय पाठक हैं. डॉ ठाकुर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में स्पेशल सिक्यूरिटी ग्रुप अधिनयम 1988 को संविधान के अनुच्छेद 14  के विपरीत होने के कारण विधिविरुद्ध घोषित करने और एसपीजी सुरक्षा मात्र आवश्यकता के अनुसार प्रदान किये जाने हेतु एक पीआईएल (रिट याचिका मिस बेंच संख्या 2967/2014) दायर किया गया.</p> <p><img class=" size-full wp-image-15397" src="http://www.bhadas4media.com/wp-content/uploads/2014/08/images_abc_news2_nutanthakur.jpg" alt="" width="829" height="300" /></p>

नई दिल्ली : सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा कोई भी पीआईएल  दायर करने से पहले कोर्ट में रुपये 25,000 जमा करने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर किया है. उनके एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड संजय पाठक हैं. डॉ ठाकुर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में स्पेशल सिक्यूरिटी ग्रुप अधिनयम 1988 को संविधान के अनुच्छेद 14  के विपरीत होने के कारण विधिविरुद्ध घोषित करने और एसपीजी सुरक्षा मात्र आवश्यकता के अनुसार प्रदान किये जाने हेतु एक पीआईएल (रिट याचिका मिस बेंच संख्या 2967/2014) दायर किया गया.

जस्टिस सुनील अम्बवानी और जस्टिस डी के उपाध्याय की बेंच ने न सिर्फ इस याचिका को ख़ारिज किया बल्कि यह भी आदेश दिया कि हाई कोर्ट को डॉ ठाकुर की याचिकाओं के सुनामी से बचाने के लिए रजिस्ट्री को निर्देशित किया जाता है कि वह इनकी कोई भी पीआईएल तभी स्वीकार करे जब उसके साथ 25,000 रुपये का बैंक ड्राफ्ट दिया जाता है. एसएलपी में कहा गया है कि यह आदेश स्पष्टतया भेदभावकारी है क्योंकि जहां अन्य सभी व्यक्तियों द्वारा मात्र 100 रुपये का कोर्ट फीस दे कर पीआईएल करने का प्रावधान है वहीं अकेले डॉ ठाकुर के लिए एक नया नियम अलग से बनाया गया है, जो सही नहीं है.

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0 Comments

  1. ANIL TIWARI

    August 2, 2014 at 3:28 pm

    sahe ha. kort

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