Nadim S. Akhter : अरविन्द केजरीवाल जैसा मूर्ख मुख्यमंत्री इस देश में दूसरा ने नहीं देखा, जिसन वाहवाही बटोरने के चक्कर में बिना सोचे-समझे पूरी जनता को odd-even की खाई में धकेल दिया। पहले से ही मरणासन्न दिल्ली का पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम इतनी बड़ी आबादी के सफ़र को कैसे झेलेगी, इस पर एक पल भी नहीं सोचा। ऊपर से ये महामूर्ख मुख्यमंत्री स्कूल में बच्चों के बीच जाकर कह रहे हैं कि बेटे, अपने मम्मी-पाप को इस नियम का पालन करने की सीख देना, उनसे जिद करना। लेकिन ये नहीं बता रहे कि जब टाइम से ऑफिस न पहुचने पे पापा की सैलरी कटेगी और ऑटो लेकर जाने में उनकी जेब से दोगुने नोट ढीले होंगे, घर का बजट बिगड़ेगा, तो पापा घर कैसे चलाएंगे?
केजरीवाल नमक इस मूर्खाधिराज को तो ये भी नहीं मालूम कि दिल्ली में सबसे ज्यादा प्रदूषण सड़को पे उड़ रही धूल से है, गाड़ियों से नहीं। गाड़ियां बैन करने से पहले अगर उन्होंनेे दिल्ली की टूटी-फूटी सड़कें ही बनवा दी होती तो प्रदूषण का लेवल काफी कम हो गया होता। ऊपर से ये अदूरदर्शी आदमी ये कहता है कि मैं तो अपने मंत्रियों के साथ कार पूलिंग कर लूंगा जी, आप भी कर लो। लेकिन ये नहीं बताता कि आम आदमी कार पूल करने के लिए ममुहल्ले में कहां कहाँ भटकेगा, जब एक पडोसी नौकरी-दुकान के लिए नोएडा जाता हो और दूसरा गुड़गांव, और उसे खुद कहीं और जाना हो।
भारत के चीफ जस्टिस तो सुप्रीम कोर्ट तक अपने साथी जजों के साथ कार पूलिंग कर लेंगे, अकर्मण्य मुख्यमंत्री केजरीवाल तो साथी मंत्रियों के साथ एक ही ऑफिस तक चले जायेंगे, आम जनता कहाँ जायेगी!!! आम आदमी के नाम पे सत्ता पाने वाले इस नौटंकीबाज मुख्यमंत्री ने अपने इस फैसले से उस mango people को भी भारी मुसीबत में डाल दिया है, जिसके पास न तो कार है और न स्विमिंग पूल और न ही उसे कार पूलिंग का मतलब ही समझ आता है। वो तो रोज डीटीसी बसों और मेट्रो से कमाने निकलता है। सो जब मेट्रो और बसों में लोग ठसाठस ठूंसे जायेंगे, तो बेचारे उस गरीब का कचूमर निकलना तय है।
शर्त लगा लीजिये कि अगर आज दिल्ली में चुनाव हों तो इस केजरीवाल एंड कंपनी वाली आम आदमी पार्टी को आम जनता जड़ से उखाड़ कर फेंक देगी, जनता में इतना गुस्सा है। ‘ना बंगला लूंगा और न गाड़ी लूंगा जी’ की बात कहने वाला ये मुख्यमंत्री आज सब सुख भोग रहा है। हाँ, जनता की गाड़ी छीनने में इसने कोई कसर नहीं छोड़ी है। प्रदूषण तो बहाना है, असल मकसद केजरीवाल को अपनी राजनीति चमकाना है।
केजरीवाल की पोल तो उसी दिन खुल गई, जब उन्होंने odd-even की आग में आम आदमी को तो झोंक दिया लेकिन vip culture ख़त्म करने की बात कहने वाले इस पूर्व तथाकथित आंदोलनकारी ने दिल्ली के सारे वीआईपीज को इससे छूट दे दी। यानि आम आदमी सड़क पे धक्के खाये और नेता-मंत्री-जज-राज्यपाल मिलकर मौज काटें। मानो उनकी कार से प्रदूषण का धुआं नहीं, ऑक्सीजन गैस निकलती है।
कई न्यूज चैनलों और अखबारों में वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके पत्रकार नदीम एस. अख्तर के फेसबुक वॉल से.
manjeet rana
January 1, 2016 at 7:27 pm
very bad
manjeet rana
January 1, 2016 at 7:27 pm
nice
Shubhchintak
January 2, 2016 at 6:51 am
Bhai editor ..Kuch accha na kar sako to dusro ko bhi mat karne dena….
Deepak Sengupta
January 2, 2016 at 7:20 am
behad umda likha badhaiyan