दूसरी कंपनियों की तरह अखबारों में भी समय पर तनख्वाह नहीं मिलना आम बात है। इन दिनों उर्दू अखबार जदीद मेल में कुछ ऐसा ही चल रहा है। यहाँ के स्टाफ को जब सितम्बर महीना की तनख्वाह समय पर नहीं मिली तो इन्होंने वहाँ हड़ताल कर दी और काम करने से मना कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि बुधवार यानी 19 अक्टूबर का अंक नहीं छाप सका।
आज के अखबार के पहले पेज पर एक नोटिस लगी है, जिसमें लिखा गया है कि कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर में खराबी की वजह से अखबार प्रकाशित नहीं हो सका। जबकि सच्चाई यह नहीं है। तनख्वाह में देर होने से नाराज़ स्टाफ ने काम करने से मना कर दिया, जिस कारण अखबार नहीं छाप सका। ज्ञात रहे ही जब यह अखबार शुरू हुआ था तो भड़ास पर दस जनवरी 2011 को एक लेख प्रकाशित हुआ था, जिसमें यह कहा गया था कि भारत में उर्दू के समाचार-पत्रों की हालत कभी भी अच्छी नहीं रही, इसके बावजूद देश के विभिन्न हिस्सों खास तौर पर दिल्ली से उर्दू अखबारों के निकलने का सिलसिला हर दौर में जारी रहा।
लेख में यह भी कहा गया था कि जिस अखबार के मालिक तेज़ और चालाक हैं वो तो कहीं न कहीं से अखबार चलाने के लिए पैसा निकाल ही लेते हैं, जिनको यह फन नहीं आता वो अपनी हिम्मत से अखबार निकाल तो रहे हैं, मगर कब तक निकालते रहेंगे यह कहना मुश्किल है। उर्दू अखबारों की आर्थिक तंगी के बावजूद एक नए अखबार ने दिल्ली में दस्तक दी है। अखबार के मालिक ने ऐसी हिम्मत कैसे कर ली और यह अखबार कितने दिनों तक चलेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा। फिलहाल तो स्टाफ को समझा बुझा कर जदीद मेल ने कुछ समय के लिए मामला टाल दिया है आगे क्या होगा यह समय बताएगा।
Nisar Khan
October 22, 2011 at 12:11 pm
aisa to aksar akhbaroon me hota hai, kahi time pe salary nahi milti to kahin pet palne bhar ke liye bhi salary nahi milti hai. aur aisa to kabhi kabhar her cpmpany ke sath hota hai, wahan per kafi tadad me kam karne wale log han aur achi salary milti hai.
sunil kumar
October 20, 2011 at 2:41 pm
india news main bhi das mah se salary nahi mili uska bhi yahi haaal hone wala hai