हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर से छपने वाले अखबार अखंड हिमाचल, जो चंडीगढ़ में दैनिक भास्कर की प्रेस से छपवाया जा रहा था, को भास्कर प्रबंधन ने वित्तीय गड़बडि़यों के चलते छापना बंद कर दिया है. पता चला है कि अंखड हिमाचल के प्रबंधकों ने प्रिंटिग की एवज में जो चेक भास्कर को दिया वह बाउंस हो गया. बाद में भास्कर की ओर से रितेश बंसल को सुंदरनगर भेजा गया. तब जाकर वसूली हो पाई.
हालात यह रहे कि इन सब दिक्कतों के चलते अखबार छापने में भी मुश्किलें आईं. बाद में अंखड हिमाचल को मोहाली के जगजीत प्रेस में छपवाने का इंतजाम किया गया. हालांकि अखबार की प्रिंट लाइन में अभी भी भास्कर का नाम ही दिया जा रहा है, लेकिन सच यह है कि अखबार को भास्कर नहीं छाप रहा, लेकिन इस सारी कवायद में कंपनी की जो साख गिरी उससे जगजीत प्रेस में भी अखबार छपवाने में खासी दिक्कत पेश आ रही है. यही वजह है कि अब हिमाचल प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में अखबार को नहीं भेजा जा रहा है.
एक पत्रकार द्वारा भेजा गया पत्र.
Comments on “अखंड हिमाचल को अब नहीं छाप रहा दैनिक भास्कर”
अखबार अखंड हिमाचल को घोर आर्थिक संकट ने घेर लिया है; जिससे अखंड हिमाचल को विग्यापन के अभाव में बंद करने की तैयारियां चल पडी हैं; हालांकि यह अखबार अभी दैनिक के रूप में महीना भर पहले ही सामने आया था; लेकिन अब इसका दम फूलने लगा है; मिली जानकारी के मुताबिक पिछले तीन दिनों से हिमाचल के कई हिस्सों में अखबार नहीं आ रहा है; उधर डेसक पर भी हालात बिगडते जा रहे हैं; कर्मचारियांें को तीन माह का वेतन नहीं मिल पाया है; जिससे तनातनी का महौल है;
Ek patarkar
सुशील कुमार संपादक कम मार्किटिंग मेनेजर जादा लगते हैं उनहोंने अपना वेतन बैठ कर खाने का नया फ़ॉर्मूला निकला है कहते हैं की अखंड हिमाचल के रिपोर्टर विज्ञापन लायें और ४० % कमीशन पायें वेतन नहीं मिलेगा इस उम्र में रिपोर्टरों का शोषण करने की इस तरकीब से उनहोंने अपना वेतन ६० हज़ार रूपए निधारित करवाया है
अखंड हिमाचल की नींव ही झूठ छल फरेब के बल पर ही रखी गई थी; संपादक सुषील कुमार का छल कपट किसी से छिपा नहीं है; पत्रकारों से पैसा लेकर उन्हें यह लोग अपने आई डी कार्ड बेच रहे हें;सुषील कुमार हालांकि यहां अंदरखाते सितंबर महीने से ज्वाईन कर चुके हैं; इससे पहले वह शिमला में पंजाब केसरी के ब्यूरो चीफ थे; लेकिन बीच में उन्होंने पंजाब केसरी से छुटटी ले ली; जाहिर है; उन्होंने पुरानी नौकरी नहीं छोडी ; यानि दोहरा वेतन लेने का जुगाड; अखबार का मालिक गौरव सोनी भी धोखेबाज है; अंखड हिमाचल में असंतोष के चलते वहां काम कर रहे लोगों को वेतन नहीं मिल पा रहा है;
स्ंापादक जी अपनी सेलरी बचाने के लिये तरह तरह के रोज फार्मूले ला रहे हैं लेकिन डेस्क के लोगों को तीन महीने की पगार नहीं मिली है; यह कैसी व्यवस्था खुद संपादक होटलों में ऐष करे; व दूसरों को अंगूठा; खून चूस कर किसी का भला नहीं होगा; सुशील कुमार पहले पैसा दो फिर करो अगली बात हैरानी ेी बात है कि हम लोगों कों दीवाली के मौके पर चेक दे दिये गये, लेकिन उनका भुगतान आज तक नहीं हो पाया;अखबार के लिये संपादक सुषील कुमार नित नये फार्मूले ला रहे हें;लेकिन दूसरों को पगार देने में मनाही है; यहां;
its also bad for print media.