रांची में ‘गुलाम अली के साथ एक शाम’ बनी शानदार

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: प्रभात खबर का आयोजन : संगीत से आत्मा का संबंध जोड़ने वालों की यह महफिल थी. संगीत सुनने के साथ-साथ इसे समझने की समझ रखने वालों की भी. रांची जिमखाना क्‍लब में करीब सात हजार ऐसे ही सयाने लोगों के बीच दुनिया के मशहूर गजल गायक गुलाम अली ने अपने फन का जलवा दिखाया. कंप्‍यूटर कंट्रोल्‍ड 12 हजार वाट साउंड सिस्टम के साथ श्रोताओं ने तीन घंटे पूरे मन से उन्हें सुना.

सरहद पार से आये गुलाम साहब ने कार्यक्रम का आगाज रुखसार पर तिल का मतलब समझाने से किया…. अब मैं समझा तेरे रुखसार पर तिल का मतलब, दौलत-ए-हुस्न पर दरबान बैठा रखा है….इस शेर के बाद उन्होंने पहली गजल सुनायी- मैं नजर से पी रहा हूं… इसके बाद फिल्म निकाह की गजल- चुपके-चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है…. से पहले उन्होंने सुनाया लगता है कई रात तक जागा था मुस्सवीर, तस्‍वीर की आंखों में थकन झांक रही थी… दूसरा शेर था- दिल गया था तो कोई ये आंखें भी ले जाता, मैं फकत एक ही तसवीर वहां तक देखूं….दिल में एक लहर सी उठी है अभी, कोई ताजा हवा चली है अभी… इसके बाद बारी थी मशहूर गजल- हम तेरे शहर में आये हैं मुसाफिर की तरह… के साथ यह मुसाफिर तालियां बटोरता रहा. एक दादरा बरसन लागी सावन पिया आ जा…तेरे बिन लागे ना जियरा…..के बाद कार्यक्रम के अंत में उन्होंने 1981 में दूरदर्शन पर पेश उनकी गजल- हंगामा है क्‍यों बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है…. सुनायी.

इससे पहले मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने गुलाम साहब का खैर मकदम किया, उन्हें स्मृति चिन्‍ह प्रदान किये. कार्यक्रम के सह प्रायोजकों रिलायंस ग्रुप, अभिजीत ग्रुप, टॉरियन वर्ल्‍ड स्कूल, वेद-ए-कैफे, इलेक्‍ट्रो स्टील, कशिश चैनल व संजीवनी बिल्डकॉन को भी श्री मुंडा ने मोमेंटो दिये. प्रभात खबर के प्रधान संपादक हरिवंश ने उपस्थित श्रोताओं का स्वागत किया व उम्मीद जतायी कि यह आयोजन हिंदी क्षेत्र में सांस्कृतिक चेतना पैदा करेगा. कार्यक्रम का संचालन कर रही थीं मीनाक्षी शर्मा. मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के अलावा संगीत की इस शाम में विधानसभा अध्यक्ष सीपी सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, राज्यसभा सांसद परिमल नाथवाणी, मुख्यमंत्री के सलाहकार डीएन गौतम, मुख्य सचिव एके सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डीके तिवारी, राज्यपाल के प्रधान सचिव सुधीर त्रिपाठी व कई आईएएस, आईपीएस, आईएफएस व स्कूलों के प्राचार्य उपस्थित थे.

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