: संसद में कहिन- कोई 74 साल का आदमी 12 दिन का अनशन कर कैसे सकता है, और कैसे कह सकता है कि अभी मैं 3 किमी तक और दौड़ सकता हूं : बचपन में राजनेताओं के नाम और उनके काम में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी, खेलने-कूदने से फुर्सत ही कब रहती थी कि कुछ और याद रहे। लेकिन उस वक्त भी लालू प्रसाद यादव का नाम याद था। पता था कि आप बिहार के ‘राजा’ हैं।
और इसके पीछे कारण बहुत ही सहज था, घरवाले जब भी राजनीति से जुड़ी बातें किया करते तो अक्सर लालू का जिक्र करके कोई किस्सा सुना देते या फिर उनकी तथाकथित बेबाकी पर हंसने लगते। कभी-कभी ये नाम इसलिए भी सुनाई देता कि पढ़ा-लिखा ना होने पर भी वो मुख्यमंत्री थे, जेल में थे लेकिन बीवी को तैनात कर रखा था। पढ़ने का मन नहीं करता तो हम उनका ही उदाहरण देते और मां को कहते कि ‘पढ़ लिखकर भी कोई राजा बना है क्या, लालू प्रसाद तो पढ़े-लिखे नहीं हैं फिर भी देखो…’ कुछ इन्हीं तरह की बातों से लालू प्रसाद यादव का नाम मस्तिष्क रूपी कागज पर उस वक्त से ही छप गया जब मैने राजनीति शब्द को जोड़-जोड़कर पढ़ना शुरू किया था।
उसके बाद स्कूल और फिर कॉलेज में आ गए, समझ बढ़ी, दायरा बढ़ा और राजनीति की इकाई समझ आने लगी। इस वक्त तक कई राजनेताओं के नाम के बाद ‘जी’ का सम्बोधन करने लगी तो कुछ के नाम के साथ उन तमाम शब्दों का जो अब राजनीतिज्ञों के पर्यायवाची (देशद्रोही, पापी, चोर, भ्रष्ट…आदि) बन चुके हैं। खैर लालू प्रसाद यादव का नाम कभी भी राजनीतिज्ञों की सूची में नहीं रख सकी, क्योंकि जब भी इस नाम का जिक्र होता, कोई यार-दोस्त उनके ऊपर गढ़ा गया चुटकुला सुनाने लग जाता या फिर कोई किस्सा लेकर बैठ जाता।
इन सबके बीच एक दौर ऐसा भी आया जब वो रेलवे विभाग सम्भालते हुए मैनेजमेंट गुरु बन बैठे और देश से लेकर विदेश तक घूम-घूमकर शिक्षा देने लगे, खैर ये दौर भी बीतते देर नहीं लगी और उसके बाद लालू कहीं खो से गए। चुनावो में मिली करारी हार भी कहीं ना कहीं उनकी चुप्पी का कारण बनी।
लेकिन आज एक लम्बे समय बाद लालू को सदन में बोलते देखा और आज उन पर और उनकी बातों पर हंसी आने के बजाय, उनकी सोच पर तरस आ रहा था। लालू प्रसाद ने सदन में बजाय इसके कि अन्ना के प्रस्ताव पर कोई राय दें, देश के लिए कुछ सोचें, कुछ सुझाव दें, इस बात पर खींस निपोरते दिखे कि कोई 74 साल का आदमी 12 दिन का अनशन कर कैसे सकता है, और कैसे कह सकता है कि अभी मैं 3 किमी तक और दौड़ सकता हूं।
लालू प्रसाद जी इन बातों को किसी मजाक की ही तरह सदन में अभिव्यक्त कर रहे थे। किसी सदस्य ने जब पूछा कि क्या ये इतना जरूरी विषय है तो लालू जी ने झट से जवाब दिया कि हां ये बहुत जरूरी टॉपिक है। हम नेता लोगो को ये पता करना चाहिए कि कोई ये सब कैसे कर सकता है। हम नेता लोगों को उनसे ट्रेनिंग लेनी चाहिए और डॉक्टरों को उन पर रिसर्च करना चाहिए। हालांकि इस बात पर उनके सहयोगी भी खूब दांत चीयार रहे थे लेकिन क्या ये अन्ना का अपमान नहीं है? अन्ना ही क्या ये उस तपस्या का भी अपमान ही है जो भारत की जनता पिछले 12 दिनों से कर रही है और साथ ही ये सदन का भी अपमान ही था।
सदन में आज लालू प्रसाद को सुनकर पहला ख्याल बस यही आया कि राजनेताओं और राखी सावंत में कोई खास फर्क नहीं रह गया है। वो भी अनाप-शनाप बोलकर पब्लिसिटी बटोरते हैं और ये भी कुछ ऐसा ही करते हैं। ना तो इन्हें देश से मतलब है और ना ही देश के लिए लड़ने वालों से, मतलब है तो सिर्फ अपनी कुर्सी से। खैर लालू प्रसाद ने जो करना था और कहना था वो कर-कह चुके लेकिन अगर वो अन्ना से कुछ पूछना ही चाहते हैं तो ये जरूर पूछें कि देश उनके लिए क्या है… भारत मां, जिसकी इज्जत से हम सबकी इज्जत है या बस एक जमीन का टुकड़ा, जिसे कोई भी कभी भी लूट सकता है……।
लेखिका भूमिका राय युवा पत्रकार हैं. वे दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई के साथ-साथ स्वतंत्र लेखन भी कर रही हैं. उनके ब्लाग का नाम बतकुचनी है. भूमिका से संपर्क neha.yalka@gmail.com के जरिए किया जा सकता है.
Comments on “लालू यादव राजनीति के राखी सावंत हैं!”
10 se jyda baccho kai baap or ek anpad mhila ko buhar ka c.m bnnane vale lalu se jyada kuch ki ummid krna bhi bemani hai
lalu sahi mai rajniti kai rakhi savant hai bechare kre bhi to kya chara khate khate unki ukl bhi janvro jaisi ho gyi hai
apka kahna bilkul sahi hai bhoomika jee. lekin rakhi ho ya laalu inko badhawa hum or aap jaise patrakaaron ke dwara hi diya jata hai. har roj wo koi besharmi wala drama karte hain bheed me alag dikhne ke liye chhichhori harkat karte hain or hum unhe bakayda prakashit karte hain. apni lekhni se inki ninda karke bhi hum inhe protsahit hi karke hain.
aapka lekh achha laga ho sake to aage se kisi charitrawan nayika or neta ki charcha keejiyega taki logo ko jankari or seekh mile.
God bless you
keep it up.
श्री अरविन्द कुमार जी के फेसबुक के वाल पर अचानक जब पहुंचा तो बुद्धिजीवियों के विचार पढ़ कर अपनी बाल-बुद्धि पर तरस आया कि क्यों मैं और मेरे फेसबुक के कई साथी अन्ना के आन्दोलन के साथ नैतिक रूप से जुड़े हुए थे और मैं क्यों लालू प्रसाद जी के अन्ना को लेकर संसद में किये जा रहे व्यंग से व्यथित हो रहा था. मेरा तो यह मानना है कि जब in जैसे लोग इस आन्दोलन को सही दृष्टि से नहीं देख रहे हैं तो ज़रूर कुछ गड़बड़ है. Lekin dhanyawaad Bhumika Roy ka jo meri tarah hi Laloo ke karmo se vyathit huye.
वाकई भूमिका जी खुद को और नीचे गिरा रहे थे लालू प्रसाद यादव इतना ही नहीं ये कहना कि जेपी के आंदोलन से हम निकलकर आये थे का क्या मतलब क्या जेपी ने चारा घोटाला करने वाले लोगों को बनाया था… इस बार शायद ही लालू लोकसभा जीत पाये
bhumika jee, shayad aapko kam jankari hai, Laloo jee padhe-likhe hain.
9896594794
what role of sri sri Ravi shankar ji ka in Anna’s movement, when he got paper from T.N shashen ji.?
ye sanskar bolty hy lalu ke ek bolta hy tum brastachari ho to ye lalu kuchh or bolta hy jab 150 se jyada log criminal hy or vo sansad me ho to kya umidd kar sakty hy
अन्ना का वजन ८ किलो कम हो गया …लालू जी अपना वजन एक किलो ही कम करके दिखा दें …. मैं आज तक यही सोचता रहा था, इन कपियों और लालूओं के उपद्रवों के बावजूद , यह देश चल किसके दम पर रहा है … भारत माँ तुझे प्रणाम… तू सच में रत्नगर्भा है …अन्ना हजारे, किरण बेदी,अरविन्द केजरीवाल,प्रशांत भूषणऔर उनकी टीम के अन्य सदस्य ही नहीं; सुषमा स्वराज, संदीप दीक्षित, अरुण जेटली और स्वयं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व् कई अन्य लोग भी इस भारत माता के रत्न हैं …जिन्होंने दुनिया को दिखला दिया कि बिना किसी बारूदी संघर्ष के भी बदलाव लाया जा सकता है यदि नीयत सोच और संकल्प में सत्य का बल अन्ना हजारे के जैसा हो !
Bhumika jee, take it easy, Not only Lalu all the corrupt brigade spoke like that. Sharad jee ne bhi kuch kam ni kaha hai. I think ye pre retirement ka frustration hai.
bhumika teri soch kitni ghatia hai aur tum bhumiharo ke man me lalu yadav se phatti hai.tera g s mai thik karta hun ,lalu yadav MA LLB hai. Aur patna university ke student president rah chuke hain. J p andolan me jp ke dayan hath the . Apni aur apne femily ke g k sudharo.
प्रस्तुत लेख में लालू यादव की शिक्षा पर किया गया कमेंट, गलत है। असलमें यह मेरी जानकारी में नहीं था कि वो स्नातक हैं। इसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं।
आभार भूमिका राय
lalu prasad yadav jaise murakho ke hath me satta dene ka matlab apne hi pairo me kulahadi marne ke barabar hai lalu apne aap ko gyan ka bhav sagar samghte hai dusro ko nicha dikhane ki koshish karne wale lalu jaise tucche prani ko lat mar kar desh se nikal dena chahiye lalu khud ke bare me soch kar itrate hoge wah re hum aur bhagwan se prarthna karte honge ki angle janam mohe lalua hi kijo
मै भूमिका रॉय की बातो से बिल्कुल सहमत हू. दरअसल कभी अपने प्रहसन को लेकर मीडिया की सुर्खिया बटोरने वाले लालू प्रसाद को राजनीती के हासिये पर चले जाने के बाद भी सबक नहीं मिला है. दरअसल अन्ना की आंधी से सरे राजनेता बौखला गए है. जो समझदार है वे संतुलित भाषा का प्रयोग कर रहे है. लेकिन लालू जैसे राजनेता से आप किसी भी सकारात्मक सोच की उम्मीद ही नहीं रख सकते है. ऐसे राजनेता सिर्फ और सिर्फ विरोध की राजनीति कर के ही अपनी राजनितिक जमीन तलाशते है.:o
लालू मिमियाते रह गए पर अन्ना का स्वाभिमान और मांग जीत गया | लालू सर्कस के किसी जोकर से जरा भी कम नही बिहार में करारी har ke बाद ये लगने लगा था की लालू कुछ शर्म करने लगे होंगे लेकिन कल संसद में अन्ना के भूखे रहने के राज की डाक्टरी जाँच करने की मांग कर डाली और एक बार फिर अपने गन्दी मानसिकता का परिचय दे दी दिया | जरा वो दिन याद कर लेते जिस दिन दो हजार नौ के लोकसभा चुनाव का नतीजा आ रहा था और बिल्ली की तरह अपने घर में दुबके थे और जनता की ताकत और अपनी चूहे जैसी औकात का पाता चल रहा था लेकिन इ ललुआ है जी हाँ लालू का संसदीय क्षेत्र छपरा है और मै भी उसी मीट्टी के लाल है गावं में लोग ललुआ शायद इसी लिए कहते है की चाहे जो हो जाये लालू लालुये रहिये जैसे …………पूंछ | लालू जी जरा सुनिए अब भी संभल जाइये क्योंकि आपकी दलित नौटंकी भी लोग समझ गए है और रहा अन्ना की मजाक उराने का तो हाथी रास्ता चलता है और पीछे ………………………….. जय हिंद
apne upar khatra mandraata dekh ye sab neta tilmila uthe hai or lalu ne iska hi parchay diya hai. paiso de dam par sansad me pahuchne wale ye chor anna jaise saaf chritar ke aadmi se kiss tarah ghabra gaye hai wo sab hamne pichhle dino me dekha. lalu ki baato se unki mansikta saaf jhalakti hai ki kis tarah se wo aam sansad me pahuchne ke baad aam aadmi ki awaaj ko dabane ke pakshdhar hai. wo to bhala ho anna jaise kuchh imaandaar logao or media ka ki inki kartoot ujagar ho jati hai warna ye to yaha ke dictator hi ban baithe.
भूमिका राय आपने कहाँ पत्रकारिता पढ़ी है , हमें नहीं पता परन्तु आपने इस लेख में लालू जी की शिक्षा के बारे में अपनी अज्ञानता का परिचय दिया है . आपको बता दें कि लालू जी पटना विश्वविद्यालय से विधि स्नातक हैं . राजनेताओं के बारे में पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर टिप्पणी करना पत्रकारिता के विपरीत है.
chandan kumar jee agar BHOOMIKA ne galti se lalu ki shiksha ke bare me galat likh diya aur pata chalne par maafi bhi maang li to usme harz hi kya hai?
rahi baat gs sudharne ki to pehle apni sudharo, wo GK hota hai naa ki gs. bhoomiharon ko nasihat baad me dena.
zara apni aur bhoomika ki qualification ka bhi milan kar lena.
Laloo is joker of india
Bhumika, Sansad main Lalu ji dwara diye gaye bhashan main ek baat dhyaan dene yogya thin: Unhone Ex-MPs ko Lokpal ke dayre se bahar rakhne ki maang ki. Ab is mang ke piche kya tark hai ye to vidhi snatak Lalu ji hi janen par ye lagta hai ki unhe bhi yakin ho chala hai Lokpaal banne tak wo Ex-MP jarur ho jayenge.
bhumika jee aapke bato se sahmat hu. lekin ye kahna ki lalu ko rajnitagye ki suchi me ni rakha ja sakta to ye aapki bhul kam jankari ka aabhao jayada dikhta hai. lalu ki galti yahi hai ki unhone jo socha wohi bol diya. jabki baki netao ne nhi bola, likin socha jarur. ek bhai sahab ne aapke jati to isme la diya sayad wo mansik vichipat lagte hai.
bhumika ji overconfident ho aap .
Lalu ke bare mai too sabhee jante hain…. woo yahee Jokeree karke itne saalo se raaj kar rahe hain…. nahee too jitne ghotale Lalu jee ne kiye hain sayed utne kisee ne bhee nahee kiye hain…. woo khud corrept hai isliye aana jee kaa virodh kar raha hai……………..
sach likha hai
gud comment except some error.
laluji ki soch ko janta ne gambhirta se liya hai.janta iska faisla agle chunav mei degi
TAVISH TYAGI sir ji patrakar ka kalalm banduk ki tarah hoti hai , kisi bhi khabar ki chhoti si galti sambandhit vyakti ke bare galatfahmi paida karta hai ,isliye soch samajh kar likhna chahiye, kyonki patrakaron ki rai swatantra vishwasniye hoti hai. rahi meri yogyta ki bat to BHOOMIKA ji padhai kar rahi hain mai 8 sal pahle padh chuka hun..
jo aadmi chhatr aanodalan ke samay chanda ke paisa ka gotala kar leta tha,sarkar me aane ke bad janwaron ka chara kha gaya to vo jugar taknik se ek degree nahi le sakta. kedar nath g ko mai kahna chahta hun ki lalu jaisa etna padh-likh ke bolte hain. usse achchha to ek murkh thela wala bol sakta hai. lalu jaise log bhartiy rajniti ke kalank hain.
मुझे तो लगता है कि भूमिका जी पत्रकारिता कीं राखी सावंत बनना चाहती हैं . तभी तो आधी अधूरी जानकारी होने पर भी एक मसालेदार लेख लिख ही दिया ताकि लोग उन्हें नोटिस कर सकें . आमिन……. खुदा तरक्की दे.