: द संडे इंडियन एवं कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय ने आयोजित किया सेमीनार : हमारा छ्तीसगढ़ शांति का द्वीप है। राज्य निर्माण के दस सालों में छत्तीसगढ़ ने विकास के क्षेत्र में अग्रणी कदम रखा है। छत्तीसगढ़ जीडीपी में सबसे देश में सबसे आगे हैं, वहीं बस्तर जैसे जिलों में आदिवासियों का आत्मविश्वास सरकार के प्रति गहरा हुआ है। हमारी सरकार 2020 के विजन का लक्ष्य रखके सर्वांगीण विकास की दिशा में आगे बढ़ रही है। यह विचार मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह ने राष्ट्रीय मीडिया सेमीनार में ‘छत्तीसगढ़ के 10 वर्ष का विकास, चुनौतियां व संभावनाएं’ विषय पर व्यक्त किये। मुख्यमंत्री ने रत्न छत्तीस पुस्तक का लोकार्पण भी किया। इसके पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह, लोक निर्माण व स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, कृषि और पशुपालन मंत्री चन्द्रशेखर साहू ने दीप प्रज्ज्वलित कर सेमीनार का शुभारंभ किया।
राष्ट्रीय पत्रिका द संडे इंडियन एवं कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय द्वारा होटल गोल्डन ट्यूलिप में मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह ने मुख्य अतिथि के रुप में कहा कि दस साल पहले जब राज्य का निर्माण किया गया तब ये चर्चा होती थी कि राज्यों के छोटे-छोटे हिस्से होने से विकास कैसे संभव होगा, लेकिन इन दस सालों में यह साबित हो गया है कि विकास का पैमाना कोई साईज से नहीं अपितु उसके नीतियों से, पारदर्शिता से काम करने से होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ जब सीपी बरार और मध्यप्रदेश से जुड़ा था तो यह क्षेत्र पिछड़ेपन का शिकार था, अब छत्तीसगढ़िया बेगानापन महसूस नहीं करता। भौगोलिक दूरी कम होने से प्रशासन की पहुंच राज्य के सभी जिलों में है। छत्तीसगढ़ में क्षेत्रीय असन्तुलन की स्थिति अब नहीं है, बिजली की औसत खपत में हम आगे हैं, किसानों को सबसे ज्यादा पम्प कनेक्शन इस राज्य में दिये गये हैं। पलायन जैसी स्थिति खत्म हुई है। हमारे राज्य की तुलना गुजरात और केरल जैसे राज्यों से होने लगी है। प्रजातंत्र की लड़ाई में बस्तर के आदिवासी आगे आये हैं और नक्सलियों के खिलाफ खड़े हैं।
सेमीनार के उदघाटन सत्र में अध्यक्षता कर रहे छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष रवीन्द्र चौबे ने कहा कि राज्य बनने के समय जो सपना हमने देखा था, वह अभी पूरा नहीं हुआ है। छत्तीसगढ़ में प्रदूषण की सबसे बड़ी समस्या है, चिमनियों से निकल रहा धुंआ पर्यावरण के लिये बड़ा खतरा है। छत्तीसगढ़ के खनिज संसाधनों को बेचने से विकास नहीं होगा। प्रदेश में आईटी पार्क, फूड जोन पार्क, एल्यूमीनियम पार्क आदि बनाये जाने चाहिये। किसानों को पानी और कृषि क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने की जरुरत है।
आधार वक्तव्य में प्रख्यात पत्रकार उदय सिन्हा ने कहा कि मीडिया की अपेक्षा सरकार से सुशासन की होती है। सरकार भी यह चाहती है, जनता की उम्मीदें जितनी बढ़ती हैं सरकार के पास उतनी चुनौतियां बढ़ती हैं। यह प्रसन्नता की बात है कि छत्तीसगढ में रमन सरकार जनता की आकांक्षाओं पर खरी उतरी है और विकास में पूरे अंक प्राप्त किये हैं। बिजली में यह राज्य सरप्लस है। पीडीएस में क्रांतिकारी बदलाव राज्य में देखा गया है, इसमें नरेगा को जोड़ दें तो सूदखोरों से बचाव होगा। श्री सिन्हा ने कहा कि लेकिन विकास के लिये जरुरी है कि गरीब और अमीर के बीच की दूरी कम हो। माल्स कल्चर के बीच बराबरी के विकास का माडल तैयार करना सभी की जवाबदारी है। राज्य में विकास के नये मानक तैयार होना चाहिये।
तकनीकी सत्र की अध्यक्षता करते हुये राज्य सभा सदस्य नंद कुमार साय ने कहा कि हमारे लिये चिन्ता का विषय है कि आज राष्ट्रीय चरित्र का अभाव देखा जा रहा है, व्यापारीनुमा नेता और व्यापारीनुमा मीडिया ने विकास की परिभाषाएं बदल दी हैं। सर्वत्र गुणवत्ता का अभाव देखने में आता है। उन्होंने छ्त्तीसगढ़ में नक्सलवाद के नाम पर हो रही घटनाओं को रोकने के लिये आत्मबल से काम करने की सलाह दी।
तकनीकी सत्रों के विशिष्ट वक्ताओं में सुश्री वर्तिका नंदा ने विकास पत्रकारिता तथा शहरों में सिमटती किताब की दुकानों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मीडिया को जागरुक रहकर काम करना चाहिये। इंडिया टुडे के एसोसियेट एडीटर जगदीश उपासने ने तालाबों के गायब होने पर चिंता व्यक्त करते हुये स्वास्थ्य, शिक्षा पर जोर देने की जरुरत बताई। वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु द्विवेदी ने कहा कि विकास के आंकड़े अपनी सुविधा के अनुसार रखे जाते हैं। प्रदेश में सुरक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा की चिंताजनक स्थिति है।
वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैयर ने विकास की चुनौतियों पर सारगर्भित विचार रखे। दिल्ली के पत्रकार अशोक उपाध्याय ने कहा कि जब तक गरीब के चेहरे पर खुशी नहीं दिखेगी विकास को नहीं समझा जा सकता। वरिष्ठ पत्रकार रविभोई ने कहा कि प्रदेश में नक्सलवाद की समस्या ने विकास के रास्ते में कई प्रकार से बाधाएं खड़ी की हैं। इसके अलावा प्रदेश में शराब, बेरोजगारी, नरबलि, पलायन, प्रदूषण जैसी समस्याओं ने भी विकास की चुनौतियों को बढा दिया है। दिल्ली के अनुराग पुनेठा ने छ्त्तीसगढ़ में स्थिर सरकार की स्थिति को विकास के लिये सबसे अच्छा निरुपित किया। वरिष्ठ पत्रकार अनिल विभाकर ने विकास के नाम पर आंकड़ों का प्रदर्शन को ठीक नहीं बताया।
सेमीनार के प्रारंभ में कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति डा सच्चिदानंद जोशी ने स्वागत भाषण में विकास के विभिन्न पहलुओं पर अपनी बात रखी। उन्होंने छत्तीसगढ़ में डा रमन सिंह सरकार के सात साल पूरे होने पर बधाई दी। विजन 2020 के मूलभूत उद्देश्यों को सामने रखा। द संडे इंडियन परिवार की ओर से कार्यकारी संपादक ओंकारेश्वर पांडेय तथा छत्तीसगढ़ के ब्यूरो चीफ अनिल द्विवेदी ने अतिथियों का स्वागत किया। शुभारंभ सत्र का संचालन ओंकारेश्वर पांडेय एवं तकनीकी सत्र का संचालन डा. शाहिद अली ने किया। अंत में अतिथियों को बस्तर के कलारुपों का स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया।
इस मौके पर पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसके पांडेय, मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डा. अरुण के दाबके, सीके खेतान(आईएएस), पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन, डा. सुशील त्रिवेदी, डा. डीएन वर्मा, स्वराज दास, प्रो. एलएस निगम, पंकज नयन पांडेय, शशांक शर्मा, संजय दीक्षित, सुरेन्द्र जैन, रसिक परमार, महादेव प्रसाद पांडेय, अनुज शर्मा, शेखर सेन आदि उपस्थित रहे।
Comments on “व्यापारीनुमा मीडिया ने बदली विकास की परिभाषा”
is safal aayojan ke liye sri onkareshwar pandey aur sri joshi ji ko bahut bahut badhai.
Sunday Indian patrika ke lekh vicharniya hote hain magar aisa lagta hai jaise sirf Arindam hi likhte hain.
The sunday indian patrika ne apne naam ke anusar hi acchi shuruat ki hai. Ayojkon ko Badhai.
Rath-chhattis book ka lokarpan ne Chhattisgarh ki hasti ko samajhane ka mauka uplabdh karaya hai. iske liye Arindam Chaudhury badhi ke patr hain.
MP ke bad ab Chhattisgarh mey bhi The Sunday Indian ke kadam pad gaye… garimamai ayojan ke liye Badhai.
Jis tarah Chhattisgarh vikas ki tarakki kar raha hai, uska shreya Mukhyamantri Raman singh ko shreya jata hai. Rashtriya patrikaon mey ‘Sunday indian’ ne bhi bahut jald sthan banaya hai.
संडे इंडियन का सराहनीय प्रयास रहा. इसके लिए अनिल द्विवेदी को बधाई. उम्मीद है संडे इंडियन द्वारा ऐसे आयोजन होते रहेंगे