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दूरदर्शन का चेहरा और चरित्र बदलने की तैयारी में सरकार, 142 करोड़ दिए

सरकार दूरदर्शन को भी निजी चैनलों की टक्‍कर में लाने की कोशिशों में लगी हुई है. दूरदर्शन के कार्यक्रमों को नया लुक, तेवर और ताजगी देने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने करोड़ों रुपये का बजट तय किया है. इसके तहत दो सालों तक दूरदर्शन के कार्यक्रमों के लिए धन आबंटन की व्‍यवस्‍था होगी. सारी कवायद दूरदर्शन की लोकप्रियता और दर्शक बढ़ाने के लिए की जा रही है.

<p style="text-align: justify;">सरकार दूरदर्शन को भी निजी चैनलों की टक्‍कर में लाने की कोशिशों में लगी हुई है. दूरदर्शन के कार्यक्रमों को नया लुक, तेवर और ताजगी देने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने करोड़ों रुपये का बजट तय किया है. इसके तहत दो सालों तक दूरदर्शन के कार्यक्रमों के लिए धन आबंटन की व्‍यवस्‍था होगी. सारी कवायद दूरदर्शन की लोकप्रियता और दर्शक बढ़ाने के लिए की जा रही है.</p> <p style="text-align: justify;" />

सरकार दूरदर्शन को भी निजी चैनलों की टक्‍कर में लाने की कोशिशों में लगी हुई है. दूरदर्शन के कार्यक्रमों को नया लुक, तेवर और ताजगी देने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने करोड़ों रुपये का बजट तय किया है. इसके तहत दो सालों तक दूरदर्शन के कार्यक्रमों के लिए धन आबंटन की व्‍यवस्‍था होगी. सारी कवायद दूरदर्शन की लोकप्रियता और दर्शक बढ़ाने के लिए की जा रही है.

सरकारी अनुदान से चलने वाला दूरदर्शन कभी सरकार के लिए फायदे का धंधा साबित नहीं हुआ है. सरकार आय से ज्‍यादा इसके संचालन पर खर्च करती है. अब नए दर्शकों को तलाशने तथा लोगों को पुराने रोते-धोते कार्यक्रमों से इतर नए एवं तेवरदार कार्यक्रम दिखाने के लिए प्रसारण मंत्रालय ने दो वित्‍तीय वर्षों के लिए 142 करोड़ रुपये की धनराशि दूरदर्शन को आबंटित की है.

सरकार द्वारा तय की गई इस योजना पर अमल करने के बाद दूरदर्शन दिन भर में 14 घंटे नए कार्यक्रमों को दिखा सकेगा. मंत्रालय के अनुमान के अनुसार आबंटित धनराशि की मदद से करीब 15067 नए एपीसोड बनाए जा सकेंगे. ये नए कार्यक्रम दूरदर्शन के सभी चैनल मसलन डीडी न्‍यूज, डीडी भारती और डीडी इंडिया पर दिखाए जाएंगे. सरकार ने अनुमान लगाया है कि इस दौरान दूरदर्शन इन कार्यक्रमों की मदद से करीब 40 करोड़ रुपये का राजस्‍व बटोर पाएगा.

इस समय दूरदर्शन दिन भर में केवल छह घंटे ही नए कार्यक्रम दिखा पा रहा है. अन्‍य घंटों में रिपीट टेलिकास्‍ट किया जाता है, जिससे दर्शकों को कुछ नया नहीं मिलता है. इसके साथ डीडी आर्काइव पर भी कुछ धन व्‍यय करेगा. इस दौरान दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों की समीक्षा भी की जाएगी. इसके बाद नए कार्यक्रमों की रुपरेखा तैयार होगी.

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0 Comments

  1. sanad gupta

    July 28, 2011 at 5:42 pm

    रक़म तो दे दी….लेकिन लूटने वालों पर लगाम कैसे लगाएगी सरकार…और दूरदर्शन तो न दूर से ठीक है और पास से तो इसका चेहरा और भद्दा है….आप ही सोचिए कितने क़ाबिल लोग बेरोज़गार घूम रहे हैं…फिर भी निठल्‍ले, आउट डेटेड, चाचाओं के चंगुल से दूरदर्शन को कैसे बचा पाएंगे…ये एक बेहद ही अहम पहलु है….जिस पर विचार किया जाना चाहिए….अफ़सोस होता है कि हर साल कितने ही युवा पत्रकारिता और टीवी प्रोडक्शन से जुड़े प्राफ़ेशनल कोर्स करने के बाद नोएडा, मुंबई का चक्‍कर काट कर गांव लौट जाते हैं….सारा जूनून धरा का धरा रह जाता है….और रोज़ सुबह चैनलों को गालियां देकर अपनी भडास निकालते हैं…

  2. Atul Rawat

    July 29, 2011 at 10:05 am

    Salery Toi Bada Do BESIL Casual Employee Ka

  3. Atul Rawat

    July 29, 2011 at 10:07 am

    That’sTrue

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