Connect with us

Hi, what are you looking for?

कहिन

भास्कर-तरकश प्रकरण : ‘हिंदी वाले सारे के सारे चोर हैं!’

भास्कर-तरकश-चोरी-प्रकरण के भड़ास4मीडिया पर प्रकाशन के बाद एक प्रतिक्रिया किन्हीं संदीप राऊजी की आई थी, जिसे उनके ही दिए शीर्षक आप भी चिरकुटई पर उतर आए हैं क्या यशवंत भाई? के साथ भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित किया गया। अब एक और प्रतिक्रिया आई है। भेजने वाले ने अपने को लंदन की कंपनी की सीनियर कंसल्टेंट बताया है। लीजिए, इन्हें भी पढ़िए, लेकिन इससे पहले एक जानकारी और एक सुझाव। भास्कर के पोर्टल पर जो आलेख तरकश से हू-ब-हू उठाकर लगाया गया था, उसे अब हटा दिया गया है, क्योंकि संबंधित लिंक क्लिक करने पर यह संदेश लिखा मिलता है—

Not Fount

The requested URL /2009/05/31/0905311540_five_thing_effects_on_sex_life.html was not found on this server.

सूत्रों ने बताया कि भड़ास4मीडिया पर स्टोरी प्रकाशित होने के घंटे भर के भीतर यह आलेख हटा दिया गया। तरकश के संचालक संजय बेंगाणी ने इस पहल के लिए भड़ास4मीडिया को धन्यवाद कहा है लेकिन संजय बेंगाणी जी से हम अनुरोध करते हैं कि लोग जो यह सवाल उठा रहे हैं कि सेमी पोर्न खबरों / आलेखों की चोरी के मुद्दे से बड़ा मुद्दा इस तरह की खबरों को अंग्रेजी से उड़ाकर हिंदी की गंभीर पोर्टलों पर परोसना है, तो ऐसे में सेमी-पोर्न खबरों की पहरेदारी करना कहां तक उचित है, पर विचार करें और संभव हो तो इन सवालों के जवाब भी सवाल उठाने वालों को दें। तरकश के संचालक संजय बेंगाणी जो कि खुद एक गंभीर हिंदी ब्लागर हैं, समेत सभी हिंदी वेब संचालकों के सामने यह एक सवाल है कि अगर हम लोग बड़े मीडिया हाउसों को अश्लीलता परोसने के लिए दोषी ठहराते हैं तो क्या हम छोटे-मोटे पोर्टल संचालक खुद यही काम नहीं कर रहे? खासकर हम न्यूज की वेबसाइट या पोर्टल बनाकर बाद में उसमें ‘अंतरंग’ जैसे कालम क्रिएट कर देते हैं और इसमें पोर्न जैसा कुछ-कुछ परोसने लगते हैं। कहीं हम भी तो आगे निकलने की होड़ में बड़े मीडिया हाउसों के नक्श-ए-कदम पर नहीं चल पड़े हैं?

भड़ास4मीडिया संदीप राऊजी और प्रीतांद अवस्थी को धन्यवाद देता है जो उन्होंने साहस के साथ अपनी बात कह दी। हम ऐसे निंदकों को हमेशा अपने नजदीक रखना चाहेंगे जिससे किसी भी मुद्दे के हर पेंच व पक्ष को समझने में मदद मिले। 

-एडिटर, भड़ास4मीडिया

<p align="justify"><a href="index.php?option=com_content&view=article&id=1664:web-content-chori&catid=27:latest-news&Itemid=29" target="_blank">भास्कर-तरकश-चोरी-प्रकरण</a> के <strong>भड़ास4मीडिया</strong> पर प्रकाशन के बाद एक प्रतिक्रिया किन्हीं <strong>संदीप राऊजी</strong> की आई थी, जिसे उनके ही दिए शीर्षक <a href="index.php?option=com_content&view=article&id=1672:comment-chori&catid=27:latest-news&Itemid=29" target="_blank">आप भी चिरकुटई पर उतर आए हैं क्या यशवंत भाई?</a> के साथ <strong>भड़ास4मीडिया</strong> पर प्रकाशित किया गया। अब एक और प्रतिक्रिया आई है। भेजने वाले ने अपने को लंदन की कंपनी की सीनियर कंसल्टेंट बताया है। लीजिए, इन्हें भी पढ़िए, लेकिन इससे पहले एक जानकारी और एक सुझाव। भास्कर के पोर्टल पर जो आलेख तरकश से हू-ब-हू उठाकर लगाया गया था, उसे अब हटा दिया गया है, क्योंकि संबंधित लिंक क्लिक करने पर यह संदेश लिखा मिलता है--- </p><p align="justify"><strong>Not Fount <br /></strong></p><p align="justify"><strong>The requested URL /2009/05/31/0905311540_five_thing_effects_on_sex_life.html was not found on this server. </strong></p><p align="justify">सूत्रों ने बताया कि <strong>भड़ास4मीडिया</strong> पर स्टोरी प्रकाशित होने के घंटे भर के भीतर यह आलेख हटा दिया गया। तरकश के संचालक<strong> संजय बेंगाणी</strong> ने इस पहल के लिए <strong>भड़ास4मीडिया</strong> को धन्यवाद कहा है लेकिन संजय बेंगाणी जी से हम अनुरोध करते हैं कि लोग जो यह सवाल उठा रहे हैं कि सेमी पोर्न खबरों / आलेखों की चोरी के मुद्दे से बड़ा मुद्दा इस तरह की खबरों को अंग्रेजी से उड़ाकर हिंदी की गंभीर पोर्टलों पर परोसना है, तो ऐसे में सेमी-पोर्न खबरों की पहरेदारी करना कहां तक उचित है, पर विचार करें और संभव हो तो इन सवालों के जवाब भी सवाल उठाने वालों को दें। तरकश के संचालक संजय बेंगाणी जो कि खुद एक गंभीर हिंदी ब्लागर हैं, समेत सभी हिंदी वेब संचालकों के सामने यह एक सवाल है कि अगर हम लोग <a href="index.php?option=com_content&view=article&id=1581:media-web&catid=30:tv-web-radio&Itemid=55" target="_blank">बड़े मीडिया हाउसों को अश्लीलता परोसने के लिए दोषी ठहराते हैं</a> तो क्या हम छोटे-मोटे पोर्टल संचालक खुद यही काम नहीं कर रहे? खासकर हम न्यूज की वेबसाइट या पोर्टल बनाकर बाद में उसमें 'अंतरंग' जैसे कालम क्रिएट कर देते हैं और इसमें पोर्न जैसा कुछ-कुछ परोसने लगते हैं। कहीं हम भी तो आगे निकलने की होड़ में बड़े मीडिया हाउसों के नक्श-ए-कदम पर नहीं चल पड़े हैं? </p><p align="justify">भड़ास4मीडिया संदीप राऊजी और प्रीतांद अवस्थी को धन्यवाद देता है जो उन्होंने साहस के साथ अपनी बात कह दी। हम ऐसे निंदकों को हमेशा अपने नजदीक रखना चाहेंगे जिससे किसी भी मुद्दे के हर पेंच व पक्ष को समझने में मदद मिले।  </p><p align="right">-एडिटर, भड़ास4मीडिया </p>

भास्कर-तरकश-चोरी-प्रकरण के भड़ास4मीडिया पर प्रकाशन के बाद एक प्रतिक्रिया किन्हीं संदीप राऊजी की आई थी, जिसे उनके ही दिए शीर्षक आप भी चिरकुटई पर उतर आए हैं क्या यशवंत भाई? के साथ भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित किया गया। अब एक और प्रतिक्रिया आई है। भेजने वाले ने अपने को लंदन की कंपनी की सीनियर कंसल्टेंट बताया है। लीजिए, इन्हें भी पढ़िए, लेकिन इससे पहले एक जानकारी और एक सुझाव। भास्कर के पोर्टल पर जो आलेख तरकश से हू-ब-हू उठाकर लगाया गया था, उसे अब हटा दिया गया है, क्योंकि संबंधित लिंक क्लिक करने पर यह संदेश लिखा मिलता है—

Not Fount

The requested URL /2009/05/31/0905311540_five_thing_effects_on_sex_life.html was not found on this server.

सूत्रों ने बताया कि भड़ास4मीडिया पर स्टोरी प्रकाशित होने के घंटे भर के भीतर यह आलेख हटा दिया गया। तरकश के संचालक संजय बेंगाणी ने इस पहल के लिए भड़ास4मीडिया को धन्यवाद कहा है लेकिन संजय बेंगाणी जी से हम अनुरोध करते हैं कि लोग जो यह सवाल उठा रहे हैं कि सेमी पोर्न खबरों / आलेखों की चोरी के मुद्दे से बड़ा मुद्दा इस तरह की खबरों को अंग्रेजी से उड़ाकर हिंदी की गंभीर पोर्टलों पर परोसना है, तो ऐसे में सेमी-पोर्न खबरों की पहरेदारी करना कहां तक उचित है, पर विचार करें और संभव हो तो इन सवालों के जवाब भी सवाल उठाने वालों को दें। तरकश के संचालक संजय बेंगाणी जो कि खुद एक गंभीर हिंदी ब्लागर हैं, समेत सभी हिंदी वेब संचालकों के सामने यह एक सवाल है कि अगर हम लोग बड़े मीडिया हाउसों को अश्लीलता परोसने के लिए दोषी ठहराते हैं तो क्या हम छोटे-मोटे पोर्टल संचालक खुद यही काम नहीं कर रहे? खासकर हम न्यूज की वेबसाइट या पोर्टल बनाकर बाद में उसमें ‘अंतरंग’ जैसे कालम क्रिएट कर देते हैं और इसमें पोर्न जैसा कुछ-कुछ परोसने लगते हैं। कहीं हम भी तो आगे निकलने की होड़ में बड़े मीडिया हाउसों के नक्श-ए-कदम पर नहीं चल पड़े हैं?

भड़ास4मीडिया संदीप राऊजी और प्रीतांद अवस्थी को धन्यवाद देता है जो उन्होंने साहस के साथ अपनी बात कह दी। हम ऐसे निंदकों को हमेशा अपने नजदीक रखना चाहेंगे जिससे किसी भी मुद्दे के हर पेंच व पक्ष को समझने में मदद मिले। 

-एडिटर, भड़ास4मीडिया

इसी मुद्दे पर आई प्रीतांद अवस्थी की ई-चिट्ठी :


Arey Bhai Yashwant,

Mai apko batana chahunga ki Hindi to chhoro, agar english ki website mein aap jaoge to pata chalega ki saara HOT maal wahan pada hai. Jis shahar mein mai rahta hoon wahan ke newspapers ko padhne ke baad jab bhi Indian sites dekhta hoon to wahi sab mujhe hindi mein mil jata hai to mujhe ye lagta hai ki saale hindi waale saare ke saare choar hain aur aap ho ki referry ban rahe ho…

Advertisement. Scroll to continue reading.

boss, jitne bhi english wale .com hain, wo sab aise hi items se bhare pade hain….

aur jahan tak mujhe yaad hai, tumne khud bhi koi kam ashleelta nahi failayi hai…….aur favour karne chale ho gair ashleelta ka…

thanks and regards

Preetand Awasthi

Sr. Consultant

1 Virginia St, London E98 1XY

[email protected] 


 

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Advertisement

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement