भाई आवेश तिवारी जी, स्वर्गीय नरेंद्र मोहन के जन्मदिन को प्रेरणा दिवस के रूप में मनाने पर आपने जो आपत्ति दिखाई, मुझे उसका कोई निहितार्थ समझ में नहीं आया। स्वर्गीय नरेंद्र मोहन जी का जन्मदिन तो दैनिक जागरण और इससे जुड़े लोग हर साल मनाते हैं, फिर आज अचानक आपको यह चुभने क्यूं लगा। शायद आपको जागरण प्रबंधन ने बाहर का रास्ता दिखा दिया, इसीलिए क्या? जब आप यहां नौकरी करते थे तब भी तो इसे मनाया जाता था, फिर उस समय आपने कोई लेख क्यों नहीं लिखा? आप यकीन करें या ना करें, लेकिन सच तो यह है कि आप भी उसी दैनिक जागरण के प्रोफाइल फैक्ट्री के पैदा किए हुए पत्रकार हैं। आपका दैनिक जागरण के प्रति पूर्वाग्रह सर्वविदित है। सोनभद्र में मीडिया जगत के लोग आपके चरित्र के बारे में अच्छी तरह जानते हैं। आपके जिले के कई पत्रकार साथियों ने आपके बारे में मुझे काफी कुछ बताया है। आप जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद कर देते हैं।
दैनिक जागरण में रहते हुए आपने जो गुल खिलाए, उसके बारे में जब प्रबंधन को पता चला तो आपको बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। हम आपके बारे में बहुत ज्यादा तो नहीं जानते, लेकिन जो भी आपके साथियों ने हमें बताया, उसे लेकर हमें आपसे पूरी सहानुभूति है। आपसे अपेक्षा करते हैं कि अपने मन के भड़ास को शांत करें। पत्रकारिता जगत के लिए स्वर्गीय नरेंद्र मोहन जी प्रेरणास्रोत हैं। उनके जन्मदिन को प्रेरणा दिवस के रूप में मनाने का फैसला उनके संस्थान और उनको मानने वालों का है। आप जैसे महान चरित्र के लोग बेवजह विवाद पैदा कर सुर्खियों में रहना चाहते हैं, जो उचित नहीं है। आप आजकल जिस मीडिया कंपनी (अखबार) में हाजिरी बजाते हैं, कभी उनके मालिकों के बारे में जानने का प्रयास कीजिएगा, सब कुछ समझ में आ जाएगा। तिवारी जी, खुद सीसे के घरों में रहने वाले दूसरों पर पत्थर नहीं उछाला करते। धन्यवाद !!!
–माइकल चंदन
नई दिल्ली
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