ब्रांड विभाग की बढ़ती दखलंदाजी से नाराज थे, इस्तीफा मंजूर : नवभारत टाइम्स, दिल्ली के एक्जीक्यूटिव एडिटर मधुसूदन आनंद ने इस्तीफा दे दिया है। उनका इस्तीफा प्रबंधन ने स्वीकार कर लिया है और नभाटा के साथ मधुसूदन आनंद के न रहने की सूचना नोटिस बोर्ड पर चिपका दी गई है।
सूत्रों ने बताया कि मधुसूदन आनंद ने ब्रांड विभाग की संपादकीय विभाग में बढ़ती दखलंदाजी से नाराज होकर इस्तीफा दिया है। बताया जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से ब्रांड विभाग के मैनेजरों की खबरों को लगाने और न लगाने को लेकर दखल इस कदर बढ़ गया था कि मधुसूदन आनंद परेशान रहने लगे थे। उन्होंने प्रबंधन से कई बार मौखिक रूप से इस प्रवृत्ति पर नाराजगी जताई थी। प्रबंधन ने जब उनकी बातों को अनसुनी कर दी और ब्रांड विभाग की दखलंदाजी पहले ज्यादा बढ़ गई तो उन्होंने विरोधस्वरूप इस्तीफा भेज दिया।
ज्ञात हो कि नवभारत टाइम्स में दो-दो एक्जीक्यूटिव एडिटर काम कर रहे थे। वीओआई के ग्रुप एडिटर पद से इस्तीफा देने के बाद रामकृपाल सिंह ने नवभारत टाइम्स में एक्जीक्यूटिव एडिटर के बतौर ज्वाइन किया। मधुसूदन आनंद पहले से ही एक्जीक्यूटिव एडिटर थे। दो एक्जीक्यूटिव एडिटर के बीच कोई विवाद न हो, इसलिए कामों का बंटवारा कर दिया गया था। सूत्रों का कहना है कि पहला पेज, स्पोर्ट्स पेज, देश-विदेश के पेज, संपादकीय पेज और संडे के अखबार की जिम्मेदारी मधुसूदन आनंद को दी गई। दिल्ली और दिल्ली-एनसीआर के स्थानीय पेजों की जिम्मदारी रामकृपाल सिंह को सौंपी गई। मधुसूदन आनंद के इस्तीफा देने और इस्तीफा स्वीकार किए जाने के बाद नवभारत टाइम्स के पूर्ण संपादक अब रामकृपाल सिंह हो गए हैं।
साफ-सुथरी छवि वाले मधुसूदन आनंद देश के वरिष्ठ पत्रकारों में शुमार किए जाते हैं। उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं जिनमें एक उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का लाख रुपये का पत्रकारिता भूषण पुरस्कार भी है। वे एडिटर्स गाइड आफ इंडिया की कार्यकारी समिति के सदस्य भी रहे हैं। सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों पर संवेदनशील लेखन के अलावा उन्होंने कुछ लघु कथाएं और कविताएं भी लिखी हैं। उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘करौंदे का पेड़’, ‘साधारण जीवन’, ‘बचपन’, (सभी लघु कथाएं) ‘पृथ्वी से करें फरमाइश’ (कविता) शामिल हैं। इसके अलावा मधुसूदन आनंद ने राजेंद्र माथुर के संकलन ‘सपनों में बनता देश’, ‘भारत एक अंतहीन यात्रा’, ‘राजेंद्र माथुर संचयन’ का संपादन भी किया है।