गांधीजी के दर्शन को विजय माल्या ने किस तरह धंधे में तब्दील किया है और हम सब इसे कैसे ”ग्रेट सोल्यूशन” मानते हुए सेल्यूट कर रहे हैं, गांधी दर्शन का बैंड बजा रहे हैं, इसके बारे में बताने के लिए सिर्फ यह तस्वीर ही काफी है. यह तस्वीर मेल के जरिए आजकल दोस्तों से आंखें दो-चार कर रही है. कई बार कई लोगों को लगता है कि यह दारू सही है पर क्यों सही है? अगर दारू लड़ने का जज्बा पैदा करे, हार न मानने का रास्ता बताए तब तो कह सकते हैं कि ये कुछ-कुछ ठीक है पर अगर दारू दिमाग में चल रही समस्याओं को ही खत्म कर दे तो फिर दारू से बुरी कोई चीज नहीं है.
दारू मेरे लिए समस्याओं को इनलार्ज कर उसके सोल्यूशन पर ले जाने का काम करती है, उसके दर्शन को टटोलने का काम करती है, लड़ने-जूझने-टकराने के उपाय तलाशने के लिए काम करती है. पर जो लोग दारू सिर्फ इसलिए पीते हैं कि वे दुखों, तनावों, द्वंद्व को भूल जाएं और किसी अमूर्त दुनिया में जाकर बेसुध हो जाएं तो फिर वाकई, दारू उनके लिए जहर का काम कर रही है.
दारू सवालों से दूर करती है, यह सिर्फ एक पक्ष है, दारू लड़ाई से भागने को कहती है, यह सिर्फ एक पक्ष है. कायर लोग ऐसे पक्ष को तुरंत-तड़ाक से स्वीकार कर लेते हैं. पर जिन्हें गलत के खिलाफ लड़ना पसंद आता है, जिनके रगों में दोगलई के खिलाफ आवाज उठाने का जज्बा है, वे दारू को विजय माल्या के प्रोडक्ट के रूप में नहीं देखते. वे दारू को लड़ाई के बड़े फलक और बड़ी रणनीति से लड़ने के लिए इस्तेमाल करते हैं. शायद मैं ज्यादा फिलासिफी पर उतरता दिख रहा हूं, लेकिन मेल के संग आई इस तस्वीर ने दारू की दरिद्रता पर सोचने को मजबूर कर दिया है.
-एक पत्रकार
Kalu Ganju
May 7, 2010 at 12:24 pm
what’s wrong in this .
deepak khokhar
May 8, 2010 at 4:50 am
daru helps u to get answers of many questions. on many occasions it helps u to take decisions. i think that one who hate daru is not a journalist.
Deepak Khokhar
Rohtak
09355651570
gulshan
May 8, 2010 at 11:47 am
gandhi ji ek kamyab insaan the .or vijya malya bhi ek kamyab insaan hai.ishliye hame dono ke vicharo se santusht hona chahiye.