पाकिस्तानी पत्रकार सलीम शाहजाद और भारत के ज्योतिर्मय डे की हत्या भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ अभिव्यक्ति के सिद्धांत पर अमल करते हुए हुई. डे और शाहजाद इस मुहिम में अकेले नहीं रहे, यूनेस्को की रिपोर्ट के मुताबिक 2006 से 2009 तक दुनिया में 247 पत्रकार सूचना क्रांति को आगे बढ़ावा देते हुए कुर्बान हुए.
संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की रिपोर्ट के अनुसार, 2006 से 2009 के बीच अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की मुहिम को कलम के माध्यम से आगे बढाते हुए भारत में छह पत्रकार बलिदान हुए.
यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2006 में 69 पत्रकारों की हत्या हुई जिसमें सबसे अधिक 29 इराक, छह फिलिपीन, दो भारत, दो पाकिस्तान, तीन अफगानिस्तान, तीन रूस, चार श्रीलंका के थे. साल 2007 में सबसे अधिक 33 पत्रकार इराक में मारे गए जबकि सोमालिया में सात, अफगानिस्तान में दो तथा ब्राजील, तुर्की, मैक्सिको में एक.एक पत्रकार कुर्बान हुए.
साल 2008 में दुनिया में 49 पत्रकार मारे गए जिसमें 11 पत्रकार इराक में, जार्जिया में पांच, मैक्सिको और रूस में चार चार, फिलिपीन में तीन पत्रकार शामिल हैं. साल 2008 में भारत में भी चार पत्रकार चौथे स्तम्भ की रक्षा करते हुए शहीद हुए.
साल 2009 में 77 पत्रकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की मुहिम को आगे बढ़ाते और भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ क्रांति की मशाल जलाते हुए मारे गए. इस वर्ष सबसे अधिक 34 पत्रकार फिलिपीन में मारे गए जबकि सोमालिया में सात, रूस में चार, मैक्सिको में सात, इराक में चार, अफगानिस्तान में चार पत्रकार मारे गए. यूनेस्को की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन वर्षों में पत्रकारों की हत्या के मामलों से स्पष्ट है कि मीडिया से जुड़े लोगों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाये गए हैं.
यह दुखद है कि पत्रकारों के खिलाफ हिंसक गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं. अगर इनकी सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाये गए तो पत्रकार ऐसे भ्रष्ट तत्वों का ‘आसान निशाना’ बने रहेंगे. रिपोर्ट के अनुसार, ‘2006 से 2009 के बीच पत्रकारों की हत्या के संबंध में बांग्लादेश, भारत, ब्राजील, कोलंबिया, इक्वाडोर, अल साल्वाडो, ग्लाटेमाला, इंडोनेशिया, लेबनान, म्यामां, फलस्तीन, फिलिपीन, रूस, तुर्की ने न्यायिक जांच करायी. जबकि इराक, अफगानिस्तान, चीन, श्रीलंका आदि देशों में ऐसे मामलों की न्यायिक जांच नहीं करायी गई.’ साभार : आजतक
sudhir awasthi
June 13, 2011 at 12:42 pm
ptrkaron kee ghatnaun se lagta hai ki vastv men ab ak aesi vyvstha kee jroort mahsoos ho rhi hai jisme ptrkaron kee rakchha ho ske. sudhir awasthi 9125609007