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आजाद के गौरी ने हड़पे मेरे 35,000 रुपये

[caption id="attachment_20576" align="alignleft" width="94"]मनीष दुबेमनीष दुबे[/caption]इस बात को शायद मैं कहता नहीं, या कह न पाता! पर इन दिनों थोडा परेशानी में हूँ, इस कारण दिल की टीस उभर कर जुबान पर आ गई! और भड़ास जैसा माध्यम हो, जिसने सबको अपनी बात रखने का जरिया और प्लेटफ़ॉर्म इजाद किया है, काबिले तारीफ़ है! इस घटनाक्रम को हुए अभी ज्यादा दिन नहीं बीते हैं!

मनीष दुबे

मनीष दुबे

मनीष दुबे

इस बात को शायद मैं कहता नहीं, या कह न पाता! पर इन दिनों थोडा परेशानी में हूँ, इस कारण दिल की टीस उभर कर जुबान पर आ गई! और भड़ास जैसा माध्यम हो, जिसने सबको अपनी बात रखने का जरिया और प्लेटफ़ॉर्म इजाद किया है, काबिले तारीफ़ है! इस घटनाक्रम को हुए अभी ज्यादा दिन नहीं बीते हैं!

और मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ आज भी अगर आप गौरी के सामने मेरा नाम ले देंगे, तो हो सकता है की उनके शरीर के एक-एक रोयें पर सिहरन मच उठेगी! पत्रकारिता करने का नया-नया उन्माद चढ़ा था उन दिनों. गौरी के अनुसार ज्यादा दाँवपेंच मालूम नहीं थे मीडिया के बारे में मुझे! उत्तर प्रदेश के शहर कानपुर का निवासी हूँ! जैन टीवी में रिपोर्टिंग करने के बाद काम न होने की कमी से बेरोजगारी काट रहा था! तभी मेरे एक सहयोगी (जो की काफी सरल और सच्चे व्यक्तित्व के इंसान हैं) स्वप्निल शुक्ल जी के माध्यम से आजाद न्यूज़ के कमलकांत गौरी से संपर्क हुआ. धीरे-धीरे बातचीत का दौर शुरू हुआ! इन्होंने मुझे लच्छेदार बातों में कैच कर लिया! फिर कैश कर भी लिया! बात जनवरी में पहले सप्ताह की है! मैं और मेरे सहयोगी स्वप्निल शुक्ल जी जनवरी की उस ठण्ड में नॉएडा पहुँच गए! इन्होंने कानपुर में बतौर रिपोर्टर नियुक्त करने के एवज में मुझसे 35,000 रुपये की रकम ऐंठ ली! मैंने 35,000 रुपये सीधे तौर पर आजाद न्यूज़ के सेक्टर 5 स्थित कमलकांत गौरी के केबिन में उनके हाथों में दिया था! उस समय कमलकांत के कथित सहयोगी दीपक मेहरा भी वहां मौजूद थे!

गौरी साहब मुझे आज भी आपसे कोई गिला, शिकवा नहीं है! क्योंकि शायद मेरी ही गलती थी जो मैं आपके जाल में आ गया! पर आज वाकई मेरी स्थिति ख़राब है! पर हाँ यहाँ एक बात जरूर कहना चाहूँगा गौरी साहब, मेरा हौसला अभी टूटा नहीं है, वो पत्रकारिता का उन्मादी बुखार आज भी अंगड़ाई ले रहा है मेरे अन्दर! और एक बात आपकी जानकारी के लिए, पिछले २ महीने से दिल्ली में हूँ, एक अखबार में काम कर रहा हूँ! आगे आने की इच्छाशक्ति भी है, हौसला भी है! बस रहने के लिए रूम नहीं है, खाने पीने का भी कोई उचित साधन भी जैसे तैसे जुटाना पड़ रहा है! धीरे धीरे सारे पैसे भी ख़त्म हो चुके हैं! तब मेरे मन में ख्याल आया कि अगर आप न मिले होते मुझे मेरे करियर में! गौरी साहब, आप जैसे लोग ही मीडिया का चेहरा भयावह कर देते हैं!  किसी को आगे पुश नहीं कर सकते तो, कम से कम उसका शोषण तो मत करो यार! कितने दिन ऐश करी होगी अपने उन रुपयों से! और कितने मुर्गे फंसते होंगे! ये मत किया करो यार, ऊपर भगवान नाम की भी कोई चीज़ है कि नहीं! आप तो अपने एयर कंडीशन कैबन में 1, 2  घंटे काम करते हो, बड़ी जगह बैठ के मजे करते हो, मुझसे पूछो कैसे क्या अरेंजमेंट करता हूँ या करूँगा!

यशवंत सर, अनिल जी, मैं इस मेल के साथ गौरी के द्वारा दिए गए प्रेस कार्ड की कॉपी आपको सेंड कर रहा हूँ, अथोरिटी लैटर तो मेरे पास मौजूद नहीं रहा! और एक गुजारिश है, इसे अगर हो सके तो अपने पोर्टल पर प्रकाशित जरूर कर दीजियेगा, आपका आभार होगा मुझपे!

मनीष दुबे
नई दिल्ली 
08130073382 
[email protected]

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0 Comments

  1. प्रदीप

    June 12, 2011 at 11:36 am

    मनीष भाई, चिन्ता मत करो आपका पैसा हड़पकर कमलकांत गौरी भी चैन से नहीं बैठ पाया। उसकी भी हालत अंदर से पतली है। लेकिन ये जानकारी सामने लाकर आपने दुसरो को ठगने से जरुर बचा लिया। दरअसल पत्रकारीता में ऐसे कई घटिया लोग है जो वरिष्ठ पद पर आने के बाद अपने ही साथियों का शोषण करते हैं। ऐसे ही एक सज्जन हैं. प्रदीप चौहान। पी-7 में इनपुट हैड बनने के बाद इन्होंने कई रिपोर्टरों और डेस्क के लोगों को चूना लगाया। शिमला के रहने वाले प्रदीप चौहान चंडीगढ़ में आजतक के स्ट्रिंगर थे। बाद में वाइस आफ इंडिया होते हुए पी-7 पहुंचे। दोनों ही चैनलों में साथियों से जमकर उधार लिया। किसी के पांच हजार, किसी के दस हजार और अपने ही एक साथी के क्रेडिट कार्ड से पचास हजार तक का चूना लगाया। बाद में पी-7 में उनको नौकरी से हटा दिया गया तो सबका पैसा डुब गया। भगवान ने भी सजा दी- डेढ़ साल के कहीं नौकरी नहीं लगी।

  2. Aniket sharma

    June 12, 2011 at 11:45 am

    azad me shukra hai aapse paisa hi manga gaya warna………………..

  3. कुमार सौवीर, लखनऊ

    June 12, 2011 at 12:08 pm

    मनीष जी।

    आपको सबक तो मिल गया ना। सभी को मिलता है। हां, कुछ लोगों को यह सबक दूसरों के सबक को देख-समझ कर मिलता है। हां, आपमें और दूसरों में फर्क सिर्फ इतना है कि आपने यह सबक भारी कीमत चुका कर हासिल किया।
    लेकिन इसी के साथ ही एक बात और। रिश्‍वत देकर नौकरी हासिल करना कितना खतरनाक होता है, साथ ही यह रिश्‍वत देने वाले शख्‍स की कमजोरी को भी तो दर्शाता है ना।
    आपने लिखा है कि आपको पत्रकारिता का उन्‍माद चढा था और पत्रकारिता के दांव पेंच भी आपको नहीं आते थे। तो क्‍या अब आ गये वह दांवपेंच। और क्‍या उन दांवपेंचों का इस्‍तेमाल क्‍या आप दूसरों के साथ भी करना शुरू कर देंगे।
    जरा बताइये तो सही कि आखिर आपके किस काम आया वह दांवपेंच।
    यह बेकार की बातें हैं। सच बात तो यह है कि आप ठगे गये अपनी मूर्खता से। इसका ठीकरा किसी पर मत फोडें।
    आपकी शैली बता रही है कि आप अच्‍छा लिखते और लिख सकते हैं। पत्रकारिता कितनी भी घिनौनी क्‍यों न हो जाए, उसे अपने आप को जिन्‍दा रखने के लिए ऐसी ही शैली रखने वालों की जरूरत पडेगी ही। यही तो आत्‍मा है पत्रकारिता की।
    हां, इतना जरूर है कि एक पत्रकार को ठगी का शिकार नहीं होना चाहिए।
    वह अगर ठगी का शिकार होता भी है तो आर्थिक नहीं, बल्कि भावनात्‍मक-लगाव की कीमत चुकाता है। लेकिन आप मूर्ख निकले–कम से कम इस ठगी के मामले में।
    हौसला रखिये।
    मंजिलें और भी हैं ठगी के सिवा। हां, कुछ दिक्‍कतें आती हैं सर्वाइवल में, लेकिन इस फील्‍ड में बढिया लोग भी हैं।
    बस खुद को मांजते जरूर रहियेगा।
    कुमार सौवीर, लखनऊ

  4. पंकज

    June 12, 2011 at 12:08 pm

    मनीष दूबे जी के साहस को सलाम कि उन्होंने अपनी बात को सामने रखने का हौसला दिखाया। दरअसल, ऐसे कई लोग हैं जिन्हें कलमकांत गौरी ने अपने कातिलाना जाल में फंसाया, उनसे हजारों-हजार रुपये ऐंठे और फिर उन्हें न तो काम दिया और न ही उन्हें उनके पैसे लौटाये। अलीगढ़ के स्ट्रिंगर चंद्रशेखर मिश्रा भी आजाद न्यूज का शिकार बने थे। भड़ास ने उनकी पिटाई का वीडियो भी लगाया था। रवीन्द्र शाह जो आजकल आउटलुक को चूना लगा रहें हैं, उन्होंने खुद और अपने गुंडों के साथ चंद्रशेखर की पिटाई करवाई थी। तब रवीन्द्र शाह आजाद में इनपुट देख रहे थे। खैर। उसके बाद इनपुट का प्रभार जुगाडू, बेईमान, अनपढ़ और चालाक कमलकांत गौरी को दिया गया। तब से कमलकांत गौरी ने स्ट्रिगरों को लूटने की सुपारी ले ली और हरेक स्ट्रिंगर से पैतीस से पचास हजार रुपये लेकर आईडी बेचने लगे। इस सिलसिले में चैनल मालिक वालिया को भी अंधेरे में रखा गया। वालिया को कम राशि बतायी जाती रही है, जबकि कमल खुद रुपये पचा जाते हैं। तभी तो 2 साल पहले तक स्कूटर से चलने वाले गौरी के पास आज कार है, कई कई फ्लैट हैं और न जाने क्या क्या है। हमारा मानना है कि ऐसे तमाम लोगों को अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए, अपनी बात खुलकर भड़ास के माध्यम से लोगों के सामने रखनी चाहिुए जिनके खून पसीने की कमाई कमलकांत गौरी ने हड़प ली है। एक ट्रेनी की नौकरी बचाने के एवज में उससे आईपौड की जबरन गिफ्ट लेने वाले कमलकांत गौरी को शर्म आनी चाहिए।

  5. ravindra kumar

    June 12, 2011 at 12:58 pm

    kamalkant gauri chor hai….usne kai stringaro se paise thaga hai…..

  6. अमित बैजनाथ गर्ग, जयपुर, राजस्थान.

    June 12, 2011 at 3:41 pm

    हिम्मत रखो मनीष भाई, ऊपर बैठा सब देख रहा है. जो लोग पत्रकारिता को बदनाम कर रहे हैं, एक दिन उनका नाम दुनिया में कहीं ढूँढने से भी नहीं मिलेगा. भाई आप अपना हौसला जिन्दा रखना और दोबारा किसी को नौकरी के लिए पैसे देने का काम मत करना.

  7. VIJAY JASUJA SIRSA

    June 12, 2011 at 5:12 pm

    चिन्ता मत करो आपका पैसा हड़पकर कमलकांत गौरी भी चैन से नहीं बैठ पाया। लेकिन ये जानकारी सामने लाकर आपने दुसरो को ठगने से जरुर बचा लिया। दरअसल पत्रकारीता में ऐसे कई घटिया लोग है जो वरिष्ठ पद पर आने के बाद अपने ही साथियों का शोषण करते हैं।

  8. prakhar sharma

    June 13, 2011 at 5:15 am

    मनीष जी के प्रति हमदर्दी ही जता सकता हूं। अगर संभव हो तो उन्हें कमलकांत गौरी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। कमल जैसे नीच और धोखेबाज लोगों ने ही पत्रकार बिरादरी की छवि को धूमिल किया है। अपने छोटे कद की कुंठा से कुंठित कमलकांत गौरी हमेशा लंबी लंबी हांकता है। काम का न काज का दुश्मन अनाज का। दिनभर अपने सड़ैले केबिन में बैठकर कुछ न कुछ खाता रहता है। भारत सरकार को इतना खाने वालों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। हमारी करोड़ों की आबादी भूखी सोती है और छोटे-अति ठिगने कद का कमलकांत गौरी बड़े बड़े हाथियों से भी ज्यादा भोजन गटक जाता है। लड़कीबाज भी अव्वल दर्जे का है कमलकांत गौरी। लड़की देखी नहीं कि लाइन लगाना शुरू। अपने से आधी उम्र की चैनल की ही लड़कियों को निशाना बनाता रहा है कमलकांत गौरी। लड़कीबाजी के इसके किस्से टोटल टीवी में भी मशहूर थे। टोटल में तो एक लड़की को इसने इतना परेशान कर दिया था कि उसे…..करना पड़ा था। वो खबर अखबार में भी आई थी। यशवंत भाई मीडिया के ऐसे दल्लों, लड़कीबाजों और जुगाडुओं के खिलाफ ऐलान-ए-जंग कीजिए…हमलोग आपके साथ खड़े हैं और रहेंगे। मनीष जी आप कमलकांत गौरी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कीजिए….कानून का रास्ता क्यों छोड़ा जाए…

  9. brijesh sharma

    June 13, 2011 at 5:41 am

    manish koi kadam uthane ke pahle bado se salaha leni chahiye – lekin tumhare haousle ko daad deni ho gi jisse kafi log sabak le sakte hai – aur ajad news ke malik se lekar aur bade adhikari kya kar rahe hai unhe iss mamle me janch kar ke turant karyavahi karni chahiye kyoki gaouri jaise logo ki vajah se hi sansthan ki lutiya dubati hai jaha kaam kam paiso me dhyan jyada rahta hai .lage raho manish

  10. अमित

    June 13, 2011 at 8:15 am

    कमलकांत गौरी और प्रदीप चौहान दोनों एक ही चट्टे बट्टे के हैं। प्रदीप चौहान ने मुझसे भी पैसे उधार लिए। गिड़गिड़ाता हुआ बोला- मेरी बीवी दिल्ली आ रही है, उसे घुमाने ले जाना है, मेरे पास कैश नहीं है. अगले महीने सैलरी मिलते ही दे दूंगा। उसकी बीवी शिमला में नौकरी करती हैं। मैं प्रदीप चौहान के अंडर में ही काम करता था, मेरी मजबूरी थी। लेकिन फिर भी मैंने जितने मांगे थे, उससे दो हजार कम दिए- वो पैसे आजतक वापस नहीं मिले। एक साथी के क्रेडिट कार्ड से पचास हजार रुपये की खरीदारी कर ली, कहा- बिल मैं चूका दूगा, बिल चुकाया नहीं। वो साथी आजतक रोता रहता है और उस समय उसका खास आदमी था, उसने नाम पर रिपोर्टरों को धमकाता रहता था, इसलिए शर्म के कारण किसी को बता भी नहीं पाता है। प्रदीप चौहान को पी-7 से निकाले जाने के बाद कहीं नौकरी नहीं मिली और अब बीवी के सहारे शिमला में छोटा मोटा काम करके खर्चा चलाता है। अब तो वो दर्जनों लोगों को उधार चूकाने से रहा। इसलिए आगे से पत्रकार भाई, ऐसे लोगों से सचेत रहें।

  11. अनुराग

    June 13, 2011 at 1:36 pm

    कमलकांत गौरी अपने आप को पत्रकार कम और ज्योतिषी ज्यादा मानता हैं। न्यूज चैनल और वेबसाइट्स खंगालने के बजाय कमल ज्योतिष की किताबों में अपना भविष्य देखता रहता है। लेकिन ज्योतिष भी ढोंग है उसके लिए। बहुत बड़ा ढोंगी है। लड़कियों को बुला बुला कर उनके ‘भाग्य’ बताता रहता है। अपने अधकचरे ज्योतिष ज्ञान के झांसे में उसने न्यूज डायरेक्टर अंबिकानंद सहाय को भी फांस रखा है। सहाय जी चाहते तो कब का कमल चैनल के बाहर होता, लेकिन पता नहीं क्यों सहाय जी ने उसे पाले रखा। कमल कांत गौरी ने कभी भी जेनुइन लोगों को आगे नहीं बढ़ने दिया। अपने ही जैसे अधकचरे और चापलूस लोगों को आगे बढ़ाने का काम किया। ढंग से दो लाइन नहीं लिख सकता है कमल, लेकिन आउटपुट हेड और इनपुट हेड बना फिरता है। क्या दुर्दशा हो गई है पत्रकारिता की!! पत्रकारिता के नाम पर कलंक है कमलकांत गौरी। ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए। मनीष जी को बधाई देना चाहता हूं।

  12. anupama

    June 13, 2011 at 4:24 pm

    kamal kant gauri ladkiyo ka shoshan karta hai…ek ladki ne jab use naukari ke liye phone kiya to gauri ne sidhe use compromise ke liye propose kar dala…ladki kisi tarah bach gai gauraiya se…

  13. madhav

    June 14, 2011 at 6:52 am

    घूस लेना और देना दोनों गलत है। मनीष जी को भी पैसे नहीं देना चाहिए था। आप पैसे देने को तैयार होंगे तो कमलकांत गौरी जैसे गिद्ध लोग तो मीडिया में मिलते ही रहेंगे। इन गिद्धों-चीलों और कौओं से खुद को बचा के रखिए और अपनी प्रतिभा पर भरोसा रखिए। रास्ता जरूर मिलेगा।

  14. kk

    June 14, 2011 at 7:05 am

    manish ji apke sath galat to hua hi hai , par apne likha achha hai , pls carry on ! aur bhavisya me agar is type ke saitan mile to bina fanse pls XPOSE them

  15. gopal tripathi

    June 14, 2011 at 7:09 am

    yar bhai phonk phonk kar kadam rakho , ye gauri to hai hi neech admi . poore media industry ko badnaam karte hain . ye ladki chhedak tatwa

  16. Anil Pande

    June 14, 2011 at 8:08 am

    BAUNA कमलू चैनल के बाहर होता, तो Circus में होता.

    Punjabi Puttar, 4 Futia कमलकांत गौरी Basically अनपढ़ और बहुत बड़ा ठग है.
    Foreign Correspondents’ Club of South Asia में न्यूज डायरेक्टर अंबिकानंद सहाय को DARU PILATE रहता है.
    ISLIYE पत्रकारिता के नाम पर कलंक कमलू को सहाय ने पाले रखा है।

    24 June 1993 Ko, Punjabi Bagh Me लड़कियों दल्ले कमलकांत गौरी Aur Iske Chote Bhai की BAHUT BURI TARAH पिटाई Ho Chuki Hai.

    Punjabi Bagh Police Station se Confirm kar Sakte Jain.

    अब कानूनी कार्रवाई नहीं , कमल जैसे नीच, दल्ले की सुपारी DE DO.

  17. Rakesh Shanu

    June 14, 2011 at 8:44 am

    गौरी जी आप के दिन पूरे हो गये … ये वाक्या आपके ताबूत में आखिरी कील साबित होगा । अपना बोरिया बिस्तरा पैक कर लो .. पाप का घड़ा भर चुका है । …..

  18. mahesh sharma

    June 15, 2011 at 5:47 am

    karmal kant gauri ko sakht se sakht saza milni chahiye…usne patrakarita ka naam kharab kiya hai…kaha ja sakta hai ki ….sakhi di-waliya to bahut hi kamaat hai….gauraiya daana chugat jaat hai………

  19. sukesh

    June 17, 2011 at 7:26 am

    कमलकांत गौरी को निकाल बाहर करो आजाद से…वालिया जी क्या देख रहे हैं…कमल को जल्द से जल्द निकालिए वहां से…कमल की काली करतूतों की वजह से चैनल की छवि खराब हो रही है…

  20. यश

    June 21, 2011 at 5:08 am

    कमलकांत सरीखे लोग पत्रकारिता में कलंक के समान है, मैंने भी इसके साथ आजाद में काम किया है। लड़कीबाज कमल के साथ काम करते हुए मेरा अनुभव भी बहुत दुखद रहा, जिसे शब्दों में यहां बयां करना कठीन है।

  21. deepak mehra

    June 21, 2011 at 11:40 am

    मेरा नाम भी इस प्रकरण में घसीटा गया है इसलिये मुझे ये सफाई देनी पड़ रही है गौरी जी खेल में मेरा रोल नही है । मुझे तो बस कभी कभी पट्रोल के लिये सौ-दो सौ रुपये दे दिये जाते थे उसके अलावा मेरे हाथ कुछ नही लगा । मैने जो भी पाप किये वो मुझसे जबर्दस्ती करवाये गये है मै जब भी कुछ कहता था तो वो मुझसे कहते थे चुप वे तू तो चूतिया है । ऐसे में मै नौकरी बचाने के लिये ये सब करता रहा ।

  22. Abhishek singham akela tiger baki chuhe.bansal news raipur head.

    July 27, 2011 at 4:20 pm

    Azad news ne hamesha logo ko lutne ka kaam kiya hai kamal kant ne santosh singh, devendra tomar aur khud muzhse bhi 25000rs le leye hai. Bhagwan aise 420 se sabko bachna.abhishek jha head bansal news raipur.

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