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पहले साथ सोता है, फिर नौकरी देता है

मीडिया में यौनाचार (2) : मीडिया में यौनाचार की दूसरी किस्त लिखने से पहले कुछ पत्रकार भाइयों के संदेह को दूर करना चाहूंगा। सबसे पहली बात तो ये है कि इस तरह के आलेख किसी को जानबूझ कर मर्माहित करने के लिए नहीं लिखा जा रहा है। यह बदलते परिवेश के लिए जरूरी है। दूसरी बात ये है कि कई साथी लोग कह रहे हैं कि अगर आपसी रजामंदी के साथ यौनाचार होता है तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। ऐसे लोगों को यह भी सोचना चाहिए की हम सार्वजनिक जीवन जीने वाले लोग हैं और ऐसे में हमें अपनी नीयत, ईमान, समाज के प्रति कमिटमेंट को नहीं भूलना चाहिए। हमारा काम केवल समाज को सूचना देने तक ही नहीं है, समाज को रास्ता दिखाना भी है। फिर वह महिला जो पैसे ले-देकर अपना तन बेचती है, उसे तो हम वेश्या कहते हैं। जबकि वह महिला भी आपसी रजामंदी से ही सब कुछ करती है। दरअसल मीडिया में आज जो कुछ हो रहा है उसके पीछे रजामंदी कम बेबसी, लाचारी और तेजी से आगे बढ़ने की बात है।

मीडिया में यौनाचार (2) : मीडिया में यौनाचार की दूसरी किस्त लिखने से पहले कुछ पत्रकार भाइयों के संदेह को दूर करना चाहूंगा। सबसे पहली बात तो ये है कि इस तरह के आलेख किसी को जानबूझ कर मर्माहित करने के लिए नहीं लिखा जा रहा है। यह बदलते परिवेश के लिए जरूरी है। दूसरी बात ये है कि कई साथी लोग कह रहे हैं कि अगर आपसी रजामंदी के साथ यौनाचार होता है तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। ऐसे लोगों को यह भी सोचना चाहिए की हम सार्वजनिक जीवन जीने वाले लोग हैं और ऐसे में हमें अपनी नीयत, ईमान, समाज के प्रति कमिटमेंट को नहीं भूलना चाहिए। हमारा काम केवल समाज को सूचना देने तक ही नहीं है, समाज को रास्ता दिखाना भी है। फिर वह महिला जो पैसे ले-देकर अपना तन बेचती है, उसे तो हम वेश्या कहते हैं। जबकि वह महिला भी आपसी रजामंदी से ही सब कुछ करती है। दरअसल मीडिया में आज जो कुछ हो रहा है उसके पीछे रजामंदी कम बेबसी, लाचारी और तेजी से आगे बढ़ने की बात है।

अपने पद के दुरुपयोग और पत्रकारिता के मानमर्दन करने की बात है। संस्थान हमें पत्रकारिता करने के लिए पैसे देता है, न कि अपने शरीर की भूख मिटाने के लिए। आज पत्रकारिता में जो गिरावट आयी है, उसके कई कारणों में एक महत्वपूर्ण कारण यही है। तीसरी बात यह है कि हम जानते हुए रंडीबाज पत्रकारों का नाम नहीं दे रहे हैं। इनकी दुनिया को हम बर्बाद करना नहीं चाहते। जरूरत पड़ने पर हम उनका नाम भी आपके सामने रख सकते हैं। हम ऐसे लोगों की आंखें खोलना चाहते हैं जो यह समझ रहे हैं कि उनकी करतूत को तो कोई जानता नहीं।

तो ये किस्से हैं दक्षिण के राज्यों के जहां पिछले 20 सालों में मीडिया का प्रसार खूब हुआ है। प्रिंट और चैनल से ये राज्य पटे पड़े है। यहां एक से एक दिग्गज पत्रकार हैं और उनकी पत्रकारिता से उत्तर के लोगों को भी बहुत कुछ मिला है। अब यहां हिंदी भाषी भी काम कर रहे हैं और अपनी छाप भी छोड़ रहे हैं। लोग फिल्म के प्रेमी हैं और इसका असर मीडिया पर भी पड़ा है। जरा हैदराबाद की जानकारी तो लें। यह एक फिल्म नगरी भी है और देश का प्रतिष्ठित मीडिया हाउस भी। इस प्रतिष्ठित मीडिया हाउस में एक मार्केटिंग के आदमी ने कई लड़कियो को बर्बाद कर रखा है। यह आदमी मार्केटिंग के दम पर एडिटोरियल में भी दखल रखता है और महिला पत्रकारों को अपनी उंगली पर आज भी नचाता फिरता है। कोई नौ महिला पत्रकारों और तीन महिला एंकरों के साथ ये अपना भाग्य आजमा चुका है। एक महिला पत्रकार ने जब इसके खिलाफ आवाज़ उठाने की कोशिश की तो उसे जान से मारने की धमकी तो मिली ही, उसे नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा। इस चैनल की शाखाएं कई राज्यों में है। इसी चैनल की एक एंकर ने एक दूसरी एंकर को नौकरी दिलाने के लिए पहले अपने इसी बॉस के पास लाई। उस लड़की को चार दिनों तक बुलाया गया। जब मामला काम सूत्र तक नहीं पहुचा तो उसे नौकरी नहीं दी गयी। यह लड़की आजकल दिल्ली में है और एक रीजनल चैनल में काम कर रही है।

आपको बता दें कि हैदराबाद के उस चैनल में मार्केटिंग का वह आदमी आज भी अपनी आदत से बाज नहीं आ रहा है। इसी शहर के एक दूसरे चैनल में काम कर रही दो महिला पत्रकारों के साथ इनके बॉस ने भरपूर आनंद उठाया। एक लड़की से तो बॉस ने शादी करने तक की बात की लेकिन शादी नहीं हुयी। इसकी जानकारी संस्थान के अन्य लोगों को भी लगी लेकिन मामला नहीं सुलझा। आज वह लड़की एक स्थानीय अखवार में काम कर रही है। यहीं के एक तेलगु में निकलने वाले अखवार के दो पत्रकार एक लड़की को पत्रकार बनाने के लिए उत्तराखंड के टिहरी में लाये थे। बेचारी महिला पत्रकार तो नहीं बनी, दोनों पत्रकार भाई और टिहरी डैम के एक ठेकेदार ने उसकी अस्मत लूट ली। यह लड़की भद्राचलम में एक अखवार में है। इसी शहर में एक सबसे तेज रीजनल चैनल के दावेदार पत्रकार ने एक एंकर के साथ ही वह सब कुछ किया जो अपनी पत्नी के साथ किया जाता है। वह महिला पत्रकार बाद में गर्भवती हो गयी और बात खुलने से पहले ही पत्रकार महोदय मुंबई पहुंच गए। ये महोदय एक राष्ट्रीय चैनल में काम कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा प्रसारित एक पत्रिका के सम्पादक महिलाओं के ख़ास प्रेमी हैं। कहते हैं कि उन्हें प्रकृति से ज्यादा लगाव है। ये सम्पादक महोदय अपनी यात्रा में एक मिस्ट्रेस लेकर चलते हैं। ये महाराज आज कल दिल्ली में हैं और अभी भी दो बालाओं के साथ हैं। आदिलाबाद से निकलने वाले एक अखवार के सम्पादक अपनी निजी सचिव के साथ ही रहते हैं और इसे लेकर संपादक जी की पत्नी कानूनी कार्रवाई करने को तैयार हैं।

उधर बंगलोर में और चेन्नई में मीडिया में यौनाचार की कई घटनाएं सामने आयी हैं। बंगलोर से प्रकाशित एक हिंदी दैनिक के बुजुर्ग पत्रकार ने एक लड़की को पहले नौकरी दी फिर उसके साथ मनोरंजन करना चाहा। लड़की के मना करने पर उसे नौकरी से निकाल दिया गया। एक कन्नड़ अखवार के दो महिला पत्रकारों के बारे में चर्चा है कि एक मालिक के साथ तो दूसरी संपादक के साथ मिलकर पूरे संस्थान को नचाती हैं। अभी हाल में ही चेन्नई के एक पत्रकार ने साथी महिला पत्रकार के साथ उसे आगे बढ़ाने के लिए कुछ सैक्रीफाइस करने को कहा तो लड़की ने उसकी पिटाई कर दी। मामला एक तमिल चैनल का है। यह चैनल यहां सबसे ज्यादा देखा जाता है। चेन्नई के ही आज से दो साल पहले केरल के कोट्यम में रंडीबाजी करते पकड़े गए थे। इनमें से एक पत्रकार दिल्ली के बड़े अखबार में हैं। ये महोदय यहां दक्षिण भारतीय नेताओं से मिलकर दलाली भी खूब कर रहे हैं।

अखिलेश अखिलहमें देश की पत्रकारिता पर गर्व है। हमें उन महान पत्रकारों के साथ ही आज के दौर में बेहतर काम करने वाले सभी पत्रकारों पर नाज है। ये लोग आज भी समाज को दिशा देने का काम कर रहे हैं। पर अब भी रंडीबाजों और भ्रष्ट पत्रकार बड़ी संख्या बड़े पदों पर काबिज हैं। जरूरत है इनकी शिनाख्त कर इन्हें इनके पद से हटाने की। अनैतिक लोग कभी भी समाज को कोई दिशा दे नहीं सकते। …जारी…

वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश अखिल बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के निवासी हैं. पटना-दिल्ली समेत कई जगहों पर कई मीडिया हाउसों के साथ कार्यरत रहे. मिशनरी पत्रकारिता के पक्षधर अखिलेश अखिल से संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है. 

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0 Comments

  1. chandan kumar jha mobile-09720164110

    January 29, 2010 at 7:12 am

    sir kab tak chalaga ya muhim

  2. charan Devesh

    January 29, 2010 at 8:11 am

    i agree Akilesh that all is happening due to mad rush to reach at the top. And our female colleagues have understood the real worth of their existence. i agrree with you that as a journalist your job is not only to provide information but also to lead a life which will be an example for others to follow.
    but my dear friend at the end of the day journalism is not a movement only but also a profession and every professional has a personal life also. as long as it is happening within the santity of four walls of a room i do nt think athat it is exploitation. girls are ready to be exploited and as human journalist have also right to be lured by little bit of lust.
    regards

  3. raju patel

    January 29, 2010 at 9:05 am

    Akilesh ji,,,,,naam bataye bina inhe koun benakab karega..?

  4. Rajesh Raj

    January 29, 2010 at 9:51 am

    अखिलेश भाई साहब
    नमस्कार…
    दूसरी किस्त में तो कई लोगो की बखिया उधेर दी .. बधाई! इन लेख के बाद ऐसे लोगो की प्रतिक्रियां भी मिलती होगी… मजेदार होती होंगी.. उन्हें भी पोस्ट किया किजिएय..

    धन्यवाद्

  5. sanjay

    January 29, 2010 at 12:17 pm

    ea sab to thik ba lekin atna time me bihar k kuch reporting kar dete to maza aa jaet. av tak portal par biar ke repot thik thik awat naekhe. ketna achha hoet ki akhlesh ji bihar ke patrakarita me ki kam karti. delhi kahe aa gye. jab aap jaisan log bihar chor ke dehi aayee t bihar ke me patrakar to ehe nu karin ji,

  6. bharat malhotra

    January 29, 2010 at 12:27 pm

    अखिलेश जी आप मीडिया में छुपे रावणों की पोल तो खोलने का दावा कर रहे हैं, लेकिन आपके लेख की हैडिंग कुछ और ही दिखाती है। ‘रंडीबाज पत्रकार-संपादक’ जैसी में पत्रकारों और संपादकों से ज्‍यादा स्‍त्री की ओर उंगलियां उठती नजर आ रही हैं। वे लोग जो औरतों की अस्‍मत से खेलते हैं आपकी हैडिंग उन पर उंगली न उठाकर दूसरा ही नजारा पेश करती है।

  7. shivaji rao

    January 29, 2010 at 1:55 pm

    भाई साहब बिल्कुल ठीक कह रहे है लेकिन सवाल सबसे बडा ये है कि जब कोई खुद ही हमबिस्तर होने के लिए तैयार हो तो आप हम क्या करेंगे। कोई जबरदस्ती तो करता नहीं। हकीकत ये भी है कि लडकियां खुद ही आफर करती है तो भला सीनियरों को क्या ऐतराज होगा।

  8. Sujit

    January 29, 2010 at 11:43 pm

    बात रंडीबाज़ पत्रकारों की

    अखिलेश जी, आपकी बातो से मैं बिलकुल सहमत हूँ. और आपका धन्यवाद करता हूँ,
    लेकिन? आपने तो उत्तर भारत यानि भारतीय मीडिया का हब कहा जाने वाला “दिल्ली”
    यहाँ के पत्रकारों के बारे में कुछ नहीं लिखा? दक्षिण भारत के पत्रकारों के में बारे बहुत जानते है, जबकि आपने उत्तर भारत में ही काम किया है,
    तो आप यहाँ के पत्रकारों के बारे नहीं जानते क्या?
    या फिर आपमें हिम्मत नहीं है यहाँ के पत्रकारों और संपादकों के बारें में लिखने की I
    बात जब रंडीबाज़ पत्रकारों की हुई है तो मैं नॉएडा स्थित एक बड़े मीडिया हाउस के पत्रकार के बारे में बताना चाहूँगा.
    वह पत्रकार साल में एक बार लिखित परीक्षा लेता हैं और उन में से 90 प्रतिशत लड़कियों को नौकरी मिल जाती है.
    ये मैं किसी सुनी सुनाई बातों के बारें में नहीं बोल रहा हूँ बल्कि मैंने खुद देखा है,
    बात 2006 की है जब मुझे भी किसी तरह उस परीक्षा में सम्मिलित होने का अवसर मिला,
    उस पत्रकार के बारे में मैं पहले से ही सुन रखा था, कि वो भोग-विलास में खूब दिलचस्पी रखता है, पर जबतक मैं खुद से देखा नहीं तबतक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा था उस
    पत्रकार के बारे में I लेकिन मैं जब परीक्षा दे रहा था तो उस पत्रकार पर नज़र रख रहा था कि कैसा व्यवहार है उसका, जो सुना था, ठीक सबकुछ उसी तरह दिखाई दे रहा था I
    उस पत्रकार को ज्यादातर लडकियां ही घेर राखी थी, लेकिन मैं फिर भी किसी नतीजे पर नहीं पंहुचा कि वो क्या है I
    जब सभी लोग परीक्षा देकर बहार चले गए तो मैं और एक मेरा सहपाठी रुका रहा परीक्षा केंद्र से कुछ दूर तक़रीबन 500 मीटर कि दुरी पर,
    सभी लोग अपने-2 घर जा रहे थे और हमलोग एक बादाम बेचने वाले से बादाम लेकर खाने लगे, और उस पत्रकार का इन्तजार करने लगे कि कब आये और उसकी गाडी में देखू कि क्या कोई लड़की है या नहीं I
    हम बादाम से टाइम पास किये जा रहा थे, तभी हमारे पास से परीक्षा देने वाली एक लड़की गुजरते हुए 20-25 कदम आगे की दुरी तय की होगी, कि उस पत्रकार की गाड़ी रुकी और वो लड़की गाडी में बैठी और चली गयी उस रंडीबाज़ पत्रकार के साथ I
    उस दिन मैं उस लड़की का चेहरा मैं याद करके रखा की देखता हूँ की उसे नौकरी मिलती है या नहीं I
    कुछ महीने बाद मैं उस न्यूज़ चैनल में गया किसी से मिलने, तो देखा की वो लड़की गले में चैनल का पट्टा लटकाए खुशी के साथ इधर से उधर हो रही है…
    गलती उस लड़की कि नहीं है कि वो क्या खोकर नौकरी पाई ! उसके पास लगा कि इसी के सहारे वो आगे बढ़ सकती है सो उसने किया..
    अब बात यहाँ हो जाती है, प्रतिभाशाली पत्रकारों कि जिनकी प्रतिभाओं को ये रंडीबाज़ पत्रकार पत्रकार जानते हुए भी कुचल देते है.
    ये रंडीबाज़ पत्रकार जरा भी नहीं सोचते हैं कि प्रतिभाशली पत्रकार अपने दफ्तर में 8-9 घंटे की ड्यूटी में एक घंटे भी हरामखोरी में नहीं लगाते, फिर बॉस इन्हीं को अक्सर डांटते-डपटते नज़र आयेंगे I
    लेकिन जब लड़कियों को छुट्टी तथा देर से आने की बात होती तो कोई बात नहीं, और प्रतिभाशली पत्रकार किसी दिन जब कुछ देर से आ जाये तो बोला जाता है की,
    एक महीने से तुम्हारी शिकायत आ रही है कि तुम लेट आते हो I ऐसे प्रतिभाशाली पत्रकारों को ना ही तररकी दी जाती है और ना ही इन्क्रीमेंट कि लिस्ट में इनका नाम डाला जाता है,
    प्रतिभाशाली पत्रकार दो साल से काम करता ये सब देखता रहता है कि नई लड़की को आये 5-6 महीने भी नहीं हुए है कि उसकी इन्क्रीमेंट हो गयी..
    आखिर में अखिलेश जी में आपका धन्यवाद करना चाहूँगा कि आपकी वजह से मैं कुछ लिखा पाया…

  9. anil chourasiya

    January 30, 2010 at 3:51 am

    APKE LEKH PAD KAR EK BAT TO SIDHDH HOTI HAI KI MEDIA BHI SAMAJ KI BURAIYO KA EK AKHADA BAN GAYA HAI

  10. Story Hound

    January 30, 2010 at 4:51 am

    मुझे लगता है ये लेख लिखने वाले महोदय को कहीं चांस नहीं मिला तो वो अपने मन का दर्द लिख रहे हैं… बहुत सारी महिलाएं जल्दी आगे बढ़ने के लिये ये कदम उठाती हैं… और ये मीडिया में ही नहीं हर प्रोफेशन में होता है.. चाहे वकालत की बात कीजिए… MNCs की बात कीजिए या एडवर्टाईज़िंग की दुनिया की.. हर जगह ये हो रहा है और ये लंबे समय से चल रहा है… आप इसपर ज्ञान तो दे सकते हैं लेकिन इसको रोक नहीं सकते.. और ये जान लीजिये 99 फीसदी मामलों में ये चीज़ लड़की की मर्जी से होती है…

  11. Dhananjay

    January 30, 2010 at 4:54 am

    अखिलेश जी ! आपकी बात है सोलह आने सच .पर रंदिबाज संपादकों की सूची भी जारी कीजिये और लोगों को यह भी बताएं की आपने कितने रंदिबाज संपादको के साथ कम किया और कहाँ -कहाँ ?एक बात और आप अछे पत्रकार हैं ,आपकी कलम के हम भी एक कायल (सॉरी घायल पढ़ें )हैं .आप जरा पत्रकारिता की ब्राह्मणवादी व्यवस्था पर भी लिखते तो मुझे अच्छा लगता .

  12. sanjay mishra

    January 30, 2010 at 5:38 am

    advartorial ke dusprabhavon par chintaa jataae jaane se thodi aas bandhee. ab akhilesh ki or se saaririk shoshan par muhim chalanaa thik hai. lekin lagataa hai ki wo ati-utsaah me hain. baar-baar randivaaj shabd ka pyayog kar we anjaane hi ek galatee kar rahe hain. randivaaj matalab randi ke paas jaane vaalaa patrakar…is shabd se aisaa lagataa hai …bade padon par baithe mediakarmi apane power ki badaulat nahee balki isliye sukh bhog rahe hain maano ki mahilaa patrakaaren randi hain. yaani ye sabd mahilaa patrakaaron par jyaadaa aakramak ho gayaa hai jabaki purush patrakaar is aalekh me paap se kai baar ojhal ho jaate hain. mahoday aap se aagrah hai koi doosaraa shabd chun len. ye sach hai ki mahilaa prem ki vajah se varisht patrakar aur sampadak khaas kar delhi ke tv channalon ke desk par purush patrakaaron ko koi tarjih nahee dete..na to naukari dene me aur naa hi promotion me. ye sab to thik hai par aap is gandagi ke vyaapak dushparinaamo par is kist ko samapt karen to achaa hogaa. aap sampadako se jabaavdehee lene sambandhee muhim chedane kee apeel jaari karen. afterall ye series jugupta shaant karane ke liye nahee honaa chaahiye.
    sanjay mishra
    ayachee.blogspot.com

  13. Ragini

    January 30, 2010 at 5:59 am

    chitra bara ashlil hai, mahila patrakar bhi is site ko parti hai, pl change the pic. With out pic bhi lekh likha ja sakta hai. pl yashwant ji ………

  14. Tarkeshwar Mishra

    January 30, 2010 at 6:31 am

    Akhilesh Ji,

    As you have written about the Film City of Hyderabad & ETV, I was also there as a Chanel In charge for more than three years.

    We worked there like a family and all of my old colleagues remember those days very proudly.

    But your article really shocked me. If some body is doing this inhuman thing he must think about the future of own son or daughter –“CAN HE ALLOW HIS DAUGHTER TO THE SAME ORGANISATION OR PROFESSION WHICH IS BEING SPOILED BY HIM?”

    As I have written earlier that now the media is an industry and part of our society. It cannot disassociate from the evils of the few spoiled minded people, but we have so many good people and organizations in this field.

    New generation coming to the media have to choose their own path.

    Tarkeshwar Mishra
    In charge (Publication Division)
    PATRIKA PUBLICATION,
    409, Laxmi Complex, M.I. Road,
    Jaipur – 302001.99280 24883

  15. purushottam kumar singh

    January 30, 2010 at 6:58 am

    yaswant bhai je.
    ye suna tha ki sabdon ka manav mastisk par gehra asar hota hai.is alekh par aa rahe comment ne ise sabit kar diya hai.aapse request hai ki is alekh ko hedar par hi rakhen.ek ek kar is sukh bhog main lipt mahanubhav aayenge aur apne tarike se is ki bykhya karenge. akhles je ke aalekh ka asar ho raha hai……… is pavitra dhram ko ……international level ke charitrahino ka pesa banane main jute randibaj ab samne aa rahe hain. rahi baaaat chitra ka to hum jo yoon sikcha schoolon main dene ki baat kar naye daur main ja rahe hain to phir chiton se gurej kiun. bhai je is mudde ko banaye rakhen.

  16. sanjay mishra editor mumbai news

    January 30, 2010 at 10:18 am

    अखिलेश अखिल जी , आपके आलेख में अपराध का बोध तो हो रहा है लेकिन अपराधियों के नामों का उल्लेख नहीं हो पाया है. हमारा आपसे आग्रह है कि जिस तरह आपने चरित्रहीन तथा कथित संपादकों और पत्रकारों का मैला आचरण पेश किया है उसी तरह आप उनके नामों का भी उल्लेख करें ताकि इन घिनौने लोगों के बारे में सभी लोग जान सके जब भ्रष्ट नेताओं का स्टिंग ऑपरेशन हो सकता है भ्रष्ट पुलिस अधिकारीयों का स्टिंग ऑपरेशन हो सकता है तो इन वासना के पुजारिओं का स्टिंग क्यों नहीं किया जाता…बड़े शर्म कि बात है कि कुछ वहशी लोगों के बुरे आचरणों के कारण सभी संपादकों व पत्रकारों का नाम मट्टी पलीद होता जा रहा है ऐसे में आवश्यकता है कि जो लोग वाकई में महिला पत्रकारों की मजबूरी और लाचारी का फायदा उठा कर उनका शोषण करने पर अमादा हैं और जिन्हें लोकतंत्र का चौथा खम्बा कही जाने वाली पत्रकारिता की गरिमा का जरा भी ख्याल नहीं है … ऐसे लोगों का असली चेहरा सबके सामने लाना ही होगा जिससे कलम की पवित्रता कायम रह सके…..

  17. mannu

    January 30, 2010 at 2:27 pm

    mai aap se sahmat hu abhi mai ek media house me jornalism ka course kar raha hu or waha k teachers bhi same yahi kaam kar rahe hai or ladkiya bhi khushi se raaji ho jaati hai magar aise me un logo ka nuksaan ho raha hai jo journalism karna chahte hai mai to abhi se is field me aake pachta raha hu………

  18. RAMANUJ SINGH

    January 30, 2010 at 8:46 pm

    सुजीत जी आपने जो अखिलेश जी के लेख पर जो कमेन्ट किया है वो वाकई सच है……लेकिन इस देहिक भ्रष्टाचार के मूल में जाने की जरूरत है……आखिर ऐसा कियों होता है……जब लोगों को रोटी कपडा और मकान की जरूरत पूरी हो जाती है…..तब लोग विलासिता की ओर मुखातिब होते हैं…..सेक्स भी विलासिता का एक पार्ट है……जिस में लोग डूबना चाहता है…..कही न कही हर किसी की दिली तमन्ना होती है सेक्स की नदिया में दुबकी लगाने की……ये तब तक इस पर अंकुस रहता है….जब तक पास में पैसे की कमी रहती है साथ ही जिसकी नैतिकता बची रहती है…..पत्रकारिता में भी सम्पादक और चैनल के वरिष्ट पत्रकारों को लाखों में सैलरी मिलने लगाती है…..और आसानी से सुन्दर व जवान लड़कियां उपलब्ध हो जाती है….तो इसका आनंद उठाते हैं……इस में हाय तोबा क्यों?

  19. rajendrakumar

    January 31, 2010 at 2:45 pm

    gr„sf uoh op gs oakjl uoki qobf tl mklx tv soel sh qkf fkl rnj tv tbeel [kpj wP\el sh zh goçaf eoß sjfl oò` uoh yco op gs tkakgcs anñukli sk wfe qO\h flch sà tkF okl jok op [kpj oa wjlKke oklfl ob< zh fakKqhe qe sj jo xul oò`[quote][/quote][img][/img][url][/url][s][/s][u][/u][i][/i][b][/b]

  20. ANTICRIME

    February 11, 2010 at 1:28 pm

    DEAR SIR,

    AAP KA LEKH PAD KAR ACCHA LAGA . IS INDUSTRY MAY KOI TO JOURNALIST AISA HAI. JO MEDIA KO BENAQAB KAR RAHA HAI. HUM JOURNALISTO KO LOKTANTRRA.KA 4THA STAMBH KAHA JAATA HAI. JISMAY HINDUSTAN KAY LOGO TO HUM MEDIA PERSONS SAY BAHUT UMEEDAY HAI.PAR AAJ KAY TIME MAY KUCH GINAY CHUNAY JOURNALISTO KAY KAARAD IS RUTBAY KI KADAR KAM HOTI DEKH RAHI HAI. PAR HUM AAP SAY UMEED REKHTAY HAI KI AAP ESI TERHA SAY APNAY LEKH LEKTAY RAHOGAY.

    JAI HIND JAI BHARAT

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