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कहिन

एनसीआर : दिन में पत्रकारिता और रात में ब्लू फिल्म!

मीडिया में यौनाचार (4) : जिस व्यक्ति, समाज और संस्थान में चरित्र और नैतिकता का अभाव होता है वह कभी भी आदरणीय नहीं हो सकता। थोड़े समय के लिय वहां सब कुछ खुशनुमा लगता दिखता है, लेकिन वह ज्यादा दिनों तक ठहर नहीं सकता। इस धारावाहिक के तीसरे भाग की प्रतिक्रिया पर हमारे कोई साथी ने दो बातें कहने की कोशिश की है. एक- उन्होंने क्षेत्रवाद का मामला उठाया है और दूसरा मेरी बेटी से सम्बंधित बातें कहीं हैं. इनका कहना है कि भोपाल और रायपुर की मीडिया पाक-साफ है और यहां कोई गन्दी बातें नहीं होतीं। ऐसा केवल बिहार में ही संभव है। जिस भड़ास पर अपनी प्रतिक्रया दे रहे थे उसी पर खबर आयी की भोपाल के दो पत्रकारों में से एक से एक महिला ने तंग आकर चैनल वालों से रक्षा की गुहार लगाई है।

मीडिया में यौनाचार (4) : जिस व्यक्ति, समाज और संस्थान में चरित्र और नैतिकता का अभाव होता है वह कभी भी आदरणीय नहीं हो सकता। थोड़े समय के लिय वहां सब कुछ खुशनुमा लगता दिखता है, लेकिन वह ज्यादा दिनों तक ठहर नहीं सकता। इस धारावाहिक के तीसरे भाग की प्रतिक्रिया पर हमारे कोई साथी ने दो बातें कहने की कोशिश की है. एक- उन्होंने क्षेत्रवाद का मामला उठाया है और दूसरा मेरी बेटी से सम्बंधित बातें कहीं हैं. इनका कहना है कि भोपाल और रायपुर की मीडिया पाक-साफ है और यहां कोई गन्दी बातें नहीं होतीं। ऐसा केवल बिहार में ही संभव है। जिस भड़ास पर अपनी प्रतिक्रया दे रहे थे उसी पर खबर आयी की भोपाल के दो पत्रकारों में से एक से एक महिला ने तंग आकर चैनल वालों से रक्षा की गुहार लगाई है।

इस सज्जन ने मेरी बेटी के बारे में लिखा की कहीं मेरी बेटी भी इस धंधे का शिकार न हो जाये। नरेन्द्र जी, अगर आप मीडिया में हैं तो दिमाग को साफ़ रखें। भोपाल की घटना से आपको आपके सवाल का जबाव मिल गया होगा। और जहां तक मेरी बेटी का सवाल है, वह आज की मीडिया को अच्छी तरह से जानती है और आप जैसे लोगों को भी। उसे क्या करना है, उसे पता है। और जहां तक मेरा सवाल है, मेरे लिये पत्रकारिता कोई कैरियर नहीं है। जो लोग इसे कैरियर मान कर आये हैं वही लोग अपनी नौकरी बचाने के लिया हर तरह का खेल कर रहे है। मेरे लिये यह जुनून है, मिशन है और सेल्फ एक्स्प्रेसन का माध्यम है। नौकरी से आना-जाना लगा रहता है. कई बार संभव होता है कि हम किसी की अपेक्षा पर खरे नहीं उतरते और कई बार हम वह कर नहीं सकते जो सामने वाला चाहता है। खैर, आपकी प्रतिक्रया के लिया बधाई।

आज हम आपका परिचय कराते हैं देश की राजधानी दिल्ली के मीडिया घरानों और उससे जुड़े कुछ ऐसे पत्रकारों से जिन्होंने उदारीकरण के इस दौर में खुलेपन का भरपूर फैदा उठाया है या फिर आज भी फायदा उठा कर पत्रकारिता को कलंकित कर रहे हैं। सबसे पहले संगठित रूप से मीडिया में यौनाचार की कहानी हमें झंडेवालान इलाके में एक अखवार में देखने को मिली थी। अखवार के मालिक एक बड़े आदमी थे। 16 आदमी का स्टाफ था यहां। चार महिला पत्रकार भी थीं। इन चारों को कहीं का नहीं छोड़ा गया। इस मालिक सम्पादक के साथ दो और पत्रकार शाम को आते और शराब के साथ जश्न मनाते थे। वह मालिक तो एक बम कांड में मारा गया और हर शाम मजा लेने वाले दोनों पत्रकार आज यहां बड़े पत्रकार बने बैठे हैं। महरौली इलाके से निकलने वाले एक अखवार की नकचढ़ी महिला को बहुत लोग जानते होंगे। यह महिला मालिक के साथ न सिर्फ सोती थी वल्कि कई और महिलाओं को भी हाजिर करती थी। पश्चिम विहार इलाके में एक छोटे अखबार के दफ्तर से 6 लड़कियां पकड़ी गयीं थीं।

1999 की घटना है। दिन में पत्रकारिता और रात में ब्लू फिल्म की कहानी यहां दोहराई जाती थी। पत्रिका के मालिक आजकल एक चैनेल में वरिष्ठ पत्रकार हैं। इसी दिल्ली में पोर्न पत्रकारिता करने वाले कम से कम 15 लोग आज कई अखभार निकाल रहे हैं। इनके यहां सिर्फ लड़कियां ही काम करती हैं। ये लड़किया यहां क्या करती हैं, नहीं कह सकता। लडकियों के रसिया एक पत्रकार महोदय एक बड़े अखवार में समय से पहले 4 लडकियों को प्रोन्नति दिला चुके हैं। नोएडा में एक अखवार के दो वरिष्ठ पत्रकार लड़कियों के चक्कर में अपना घर तोड़ चुके हैं। सीपी स्थित एक अखवार के सम्पादक की लड़कियां कमजोरी हैं। दिल्ली के एक प्रतिष्ठित अखवार में तीन लड़कियों ने एक कार्टेल बना कर तमाम तरह की सुविधाएं लेती रहीं। अंग्रेजी अखबार की ये लड़कियां अपने दम पर अब तक 7 लोगों की नौकरी ख़त्म कर चुकी हैं। इनमें से एक लड़की दक्षिण दिल्ली से आती है और अपने परिवार से अलग रहती है। दिल्ली के कई इलाकों से निकलने वाले दर्जनों अखबारों और पत्रिकाओं में महिलाओं के शोषण की अनंत गाथा है। लक्ष्मीनगर में ही दो अखबारों के मालिक सम्पादक पीटे जा चुके हैं सेक्स के आरोप में। दिल्ली से ही निकलने वाली एक पत्रिका के तीन वरिष्ठ लोग सदा से ही कामुक रहे हैं। जब ये अखवार में थे तो वहां भी रास रचाते थे।

वरिष्ठ पत्रकार खुशवंत सिंह कहते हैं कि राजनीति में कई महिलाओं का प्रवेश बिस्तर से होकर गुजरता है। ठीक उसी तरह पत्रकारिता में भी कई महिलाओं का प्रवेश शायद इसी तरह से हो रहा है। कई उदाहरण हैं इसके। एक ऐसी पत्रिका के प्रकाशन की दास्तान हमारे सामने है जिसकी बुनियाद ही सेक्स की भावना से दी गयी थी। दो लड़कियों के करामात के कारण ये पत्रिका बंद हो गयी। सम्पादक पत्रकार सड़क पर आ गए लेकिन वो दोनों महिला पत्रकार आज सेलिब्रेटी बनी हुयी हैं।

देश में प्राइवेट चैनेल की उम्र कोई 15 सालों की है। इन 15 सालों में पत्रकारिता के रूप रंग, आचार, विचार, सब बदले हैं। मिशनरी पत्रकारिता का रूप प्रोफेशन और करियर के रूप में सामने है। बाजार व्यवस्था है और उसका ब्यापक असर भी। जब मिशन की बात ही नहीं है तो ग्लैमर की इस दुनिया में भला कौन नहीं आना चाहे। बाजारवाद के इन्ही दिनों में लोगों की प्रतिबद्धता समाज से कम होकर ब्यक्ति के प्रति बढ़ गयी। आज टीवि की दुनिया में जो भी कुछ हो रहा है उसके लिए हम सब दोषी हैं।

नोएडा आज टीवी की दुनिया का केंद्र बना हुआ है। लेकिन यहां दर्जनों ऐसे केस हैं जो आधुनिक पत्रकारिता और पत्रकार के चरित्र को दिखाता है। यहां के ही एक ऐसे प्रबंध संपादक हैं जिन्हें एक महिला पत्रकार से बेहद लगाव है। कहते हैं कि इस महिला पत्रकार से हर कोई डरता है। एक चैनेल के एक एसाइनमेंट एडिटर को लड़कियों की ऐसी भूख थी कि उसे हर रोज किसी का साथ चाहिये था। लड़कियां आपस में बात करती थीं कि आज उन्होंने कैसे क्या किया। पांडव नगर से एक चैनल में काम करने आने वाली लड़की अपने इनपुट एडिटर की खासी प्यारी रही है। इस लड़की को दो प्रमोशन मिल चुका है। एक चैनेल की एंकर ने अपने लटके झटके के दम पर आउटपुट एडिटर को फंसाया। फिर यह लड़की सम्पादक से मिलकर उसकी छुट्टी करा दी। इस लड़की की उस चैनेल में खूब चल रही है और नौकरी के डर से कोई बोलने को तैयार नहीं है। एक चैनेल की प्रोग्रामिंग एडिटर को मालिक ने खूब आगे बढ़ाया। बाद में इसकी विदाई हो गयी। यह महिला आज नोएडा में ही काम कर रही है।

एंकरों की दुनिया भी खूब है। इस दिल्ली की चार एंकरों की सीडी बनी हुयी है और उसमें भीतर के खेल को दर्शाया गया है। एक चैनल के मालिक और उसके पुत्र अपने दोस्तों के साथ ही महिलाओं की इज्जत उतारते हैं। जिन लोगों ने बिरोध किया उनकी नौकरी चली गयी। एक स्टिंग आपरेशन टीम के सीईओ ने बंगलौर जाकर तीन लड़कियों के साथ गड़बड़ किया। उस लड़की ने पुलिस में कंप्लेन की बजाय नौकरी छोड़ गयी। इनमें दो लडकियां सबसे तेज चैनेल में हैं और एक नोएडा के एक चैनेल में। इसी नोएडा के एक बड़े चैनेल में दो पत्रकार महोदयों ने पहले 16 लडकियों की बहाली की। बाद में चार लड़कियां निकाल दी गयीं। इन लड़कियों ने मेल के जरिये बताया है कि उसे कुछ पाने के लिया कुछ देने की बात कही गयी थी। एक प्रोडक्शन हाउस में एक वीटी एडिटर को खुश करने के लिए लड़कियों ने काफी लिफ्ट दी। बाद में उसी के जरिये ये लड़कियां एक चैनल में सामूहिक रूप से पहुंच गयीं। दो लड़की अभी झंडेवालान में काम करती हैं। विशेष संबाददाता के रूप में काम कर रही इस लड़की के पास शायद मुकम्मल डिग्री भी नहीं है। सीपी स्थित एक चैनल को जाने वाली सीढ़ी पर ही एंकर और कैमरामैन आसक्त हो गए। सभी ने देखा। यह कैमरा पर्सन मालिक का ख़ास है। ग्रेटर कैलाश से आने वाली उस एंकर को फिल्म सिटी में कौन नहीं जानता जो हेड से ही गाली-गलौज से बात करती है।

हमारे मेल पर दर्जनों महिलाओं ने अपनी बात भेजी है और दर्जनों पुरुष पत्रकारों ने भी अपने अनुभव भेजे हैं। इनमें कई लोगों के नाम और काम भी है। अखिलेश अखिलकई मालिकों के कारनामे भी। बावजूद इसके पत्रकारिता एक पवित्र धर्म है। समाज में बदलाव लाने का जरिया है। केवल नौकरी के नाम पर सब कुछ गंवा देने की जो परम्परा चल रही है, वह हमें रसातल की और ले जाएगा। इस पूरे खेल में काम करने वाले लोग परेशान हो रहे हैं। चाहे वह पुरुष हो या महिला। इस पूरे मामले को चैनेल मालिकों को भी समझना चाहिये। ….जारी….

वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश अखिल बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के निवासी हैं. पटना-दिल्ली समेत कई जगहों पर कई मीडिया हाउसों के साथ कार्यरत रहे. मिशनरी पत्रकारिता के पक्षधर अखिलेश अखिल से संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है.
31 Comments

31 Comments

  1. A2K0

    February 7, 2010 at 12:22 pm

    अखिलेश जी लग रहा है मेंटल केस हो गए है. साउथ से लेकर नोर्थ तक का नेशनल analysis कर डाली. अखिलेश जी ब्रह्माण्ड कि कहानी कब बताएँगे. दूसरी बात ये एक ऐसा मुद्दा उठा रहे है जिस पर जितना चाहो लिख लो जितना चाहे बोल लो. लेकिन कुछ शर्म भी करो अखिलेश जी औरत को किस तरह पेश कर रहे हो. हमारी आपकी माँ और बेटी भी औरत है. कल को आपके हमारे घर कि बेटिया कही काम करने जायेंगे तो आपके जैसे मुर्ख जाने क्या क्या लिखेंगे. शर्म करो अखिलेश जी. अगर न आ रही हो तो फिर कुछ लिख मारना

  2. RINKOO SINGH

    February 7, 2010 at 12:41 pm

    SACH HAMESH KADVA HI HOTA HAI.

  3. deoki nandan mishra

    February 7, 2010 at 1:52 pm

    yar akhelesh ji aapko kya ho gaya haii jo aap apne patrkar sathtßyon ke peeche paçe hua hii. sarkari mahkame se lekar rajniti me har jagah par mahilaon ka shosan hota chla aa raha haii. girl bhi eske lia kam jimmeïar nahai hii. jaldi aage badhne ki hoda me girl khud hi apne baas ke samne khadi rahti hii. esme kewal jents patrkaro ka hi dosh nhi hii. lagta hii aapne sahi tarike se es feild ka adhyan nhi kiya hii aur story likhna prarambh kar diya. esse patrkar biradari ki badnami ho rahi hii. agar koi patrkar blue film bana raha haii to uska naam bhi aapko ujagar karna chahiya. wah patrkar nhi ho sakta hii. sabhi patrkaro ko es tarah se badnam karna thik nhi hii.[b][/b]

  4. krishna murari

    February 7, 2010 at 2:33 pm

    mere jaise chhote patrakar ke paas bhi jab char larkiyo ka mms hai. to mai samajh sakta hun ki mamla kahan tak pahunch chuka hai. mms bhi aise ki sab saf dikhai pdta hai. do to bade channelo me kam bhi kar rhe. agar bade bade sampadko ko kotha hi kholna hai to khulkar khole. patrakarita ko randi ka adda banane ki kya jarurat hai. neta se aur patrakaro se ummid ki jati hai ki vo samaj ko kuch dain. lekin dono apna khajana bharne me lage hue hai. are bhai kitna paisa chahiye apko do time pet bharne ke liye. ye log sabse bade kahil log hai. paisa hi kamana ho to ambani bane mittal bane. lekin nhi pisa chahiye lekin kuchh karna na pade, tikram bhirao paisa kamao. akhil bhai jo apke is lekh par tilmilate hai vo vaise hi log hai are ab to bakksh do. ye batain sab par lagu na hoti ho lekin kahawat hai na ek sari machhli sara talab ganda kar deti hai.

  5. manmohan singh

    February 7, 2010 at 2:37 pm

    akhileshji ki baat jinhe karwi lagi wo bharuwe hai.

  6. avinash ''a common man''

    February 7, 2010 at 4:39 pm

    Akhilesh jee hamen ye to nahin pata ki aap kitna sach likh rahen hain .Lekin sach to yahii hai. AAj ke is ghor Bajarik mahaul men ”Strii” matra bhog ki vishay ban gayee hai. Aour ham sab ek baar fir se aadam jamane men chale gaye hain . Lekin abki baar Strii Jyada chalaak hain. o bhi ise aage badhne ka jaiya manti hai.

  7. Peter Haddad

    February 7, 2010 at 5:55 pm

    Dear A2K0, Jo log ye sab kar rahe hain … unko sharam aani chahiye yaa nahi ye aapka concern nahi hai .. lekin haan jo unhe expose kar rahaa hai usko sharam aani chahiye … shayad sach hi kah rahe ho aap .. jo log patrakaritaa ko vyabhichar ki dukaan banaye hue hain wo to besharam hain hi …. aur ab aapko sharam karne ki yaad karaane ki jaroorat ‘unhe expose karne waale ko’ ko karaani pad rahi hai …

  8. ajit

    February 7, 2010 at 6:28 pm

    अखिलेश जी,
    सवाल आलोचना का नहीं है. अपने जिस मसले को उठाया है, उसके बारे मे सब जानते है. अपने लिखने कि दिलेरी दिखाई. बधाई और साधुवाद. आपके जुनूनी पत्रकारिता के बारे मे पटना मे काफी कुछ सूना है. प्रभावित भी रहा हूँ. आपसे मिला नहीं कभी. पर किया इस तरह कि लेखनी से सुधार संभव है. यदि हाँ तो लगे रहिये और अगर नहीं तो जरा सोचिये …

  9. pramod

    February 7, 2010 at 6:39 pm

    मुझे तो लगने लगा है कि भड़ास और विस्फोट में कोई प्रतियोगिता शुरु हो गई है कि कौन कितना नीचे गिर सकता है। अभी तक सुनते आ रहे थे कि अखबारों में सरकुलेशन की मारामारी में स्तर गिर रहा है.. चैनल टीआरपी की दौड़ में आगे निकलने के लिए नंगई पर उतारू हैं… लेकिन वेव पत्रकारिता तो लग ही नहीं रहा कि ये कोई पत्रकारिता हो रही है… ऐसे ऐसे शब्दों का इस्तेमाल हो रहे है, जिससे शर्मिंदगी भी एक बार शरमा जाए। ये दाढीवाला आदमी तो नीचता की सभी सीमाएं लांघ चुका है.. इसका नाम भी जुबान पर लेने भर से मन खट्टा हो जा रहा है। मुझे लगता नहीं कि इसके परिवार में औरते होंगी… ये शादीशुदा होने के बाद भी फटीचर जैसी जिंदगी जी रहा होगा.. मुझे लगता है कि इसके मित्र आगे निकल गए.. ये वही भिखमंगों की जिंदगी जी रहा है… जीवन में निराशा.. है.. परिवार में अकेला है.. सिर्फ भड़ास निकालने के लिए एक जगह मिल गई है।।।. माफ करना मित्रों शकल से ही ………………………….लग रहा है। वैस माफ करना यशवंत तुम्हे क्या हो गया है… तुम तो अकल की बात करने के लिए जाने जाते हो.. ये सब क्या लिख रहे हो…
    वैसे ये मत समझना कि मै कोई पत्रकार या संपादक हूं… जिसके बारे में तुम्हारे लेख फिट बैठ रहे हों… हां मीडिया को काफी करीब से जानता जरूर हूं… ।

  10. shayyad zeetv

    February 8, 2010 at 2:34 am

    आप ने बिल्कुल सच लिखा है…….लेकिन इस हमाम में हम सभी किसी न किसी रुप से शामिल हैं……..इसका स्टिंग कौन करेगा…..दूसरों को आइना दिखाने वाले पत्रकारों को कौन आईना दिखाएगा……..

  11. Reporter

    February 8, 2010 at 4:07 am

    दुनिया को देखने का हर किसी का अपना अंदाज है। अखिलेश जी ने सिर्फ यौनाचार देखने की कसम खाई है, कोई क्या कर सकता है। यशवंत जी को भी इसी में मजा आ रहा है। लेकिन, एक बुनियादी चीज हम सब भूल रहे हैं। यौनाचार कोई आज की बुराई नहीं है। जिस भी पेशे में अच्छाई का कोई पैमाना नहीं होता। अच्छाई आंकने का पैमाना व्यक्तिपरक होता है वहां भ्रष्टाचार का पनपना स्वाभाविक है। पत्रकारिता कोई गणित की परीक्षा नहीं है। कोई बैकिंग की परीक्षा नहीं है जहां किसी सवाल के एक ही उत्तर होते हैं। ये बौद्धिकता का मामला है। जो चीज आपको अच्छी लगती है वो हो सकता है दूसरे को बुरी लगी। ऐसे में फैसला सर्वशक्तिमान के हाथ होता है। और सर्वशक्तिमान अगर भ्रष्ठ हो तो फिर कोई कुछ नहीं कर सकता। फिर एक विकल्प है कि आप की नजर में वो बुरा है तो आप इनकार करें। यहां कोई किसी को मजबूर नहीं करता। सब अपनी स्वेच्छा से विकल्प चुनते हैं। कई बार अखिलेश अखिल ने भी विकल्प चुना होगा। किसी ना किसी को रिश्वत दी होगी, छोटे कामों के लिए ही सही। लेकिन हर कोई इस जीवन में भ्रष्ठ है। पुरुष सौभाग्यशाली हैं कि उनसे कोई देह की मांग नहीं करता। वो चापसूली और चमचागिरी करके ही काम चला लेते हैं।
    ऐसे में बार-बार लड़कियों को बदनाम करना बंद होना चाहिए। आप आज के पत्रकारों को बदनाम कर रहे हैं। यही आरोप तो पुरानी हिन्दी पत्रिकाओं और साहित्यकारों को भी लग चुका है। यही आरोप तो फिल्मकारों पर भी लगता रहा है। अखिलेश जी समझने की कोशिश कीजिए। आप जैसी दुनिया बसाने की चाहत रखते हैं वो दुनिया ना कभी थी ना कभी होगी। आप जंघिया बनियान से थोड़ा ऊपर उठिइये और कपड़े पहन कर दुनिया देखने की कोशिश कीजिए तब आपको नजर आएगा दुनिया उतनी बुरी नहीं है। आप जितना इसे गंदी नजरों से देखने की कोशिश करेंगे, उतना ही ये गंदा नजर आएगा।

  12. gurudutt mishra

    February 8, 2010 at 4:07 am

    लगता हैं यह व्यक्ति व्यवस्था से बहुत गहरे तक पीडित है तभी इसके भीतर पत्रकारिता और पत्रकारों को लेकर इतनी आग है। मुद्दे उठाना सही है पर बेवजह का तमाशा खड़ा करना अनुचित है। अगर अखिलेश अखिल खुद को सच्चा पत्रकार मानते हैं तो उन्हें न सिर्फ हव्वा खड़ा करके बल्कि अनैतिक लोगों के नाम खोलकर उन्हें उजागर करना चाहिए तभी दुनिया पत्रकारिता की काली भेड़ों का चेहरा देख पाएंगी।
    गुरूदत्त मिश्रा, भोपाल।

  13. pawan kumar

    February 8, 2010 at 5:28 am

    bilkul sahi kaha aapne, sach kadva hai, magar hai solah aane sahi.

  14. raghav

    February 8, 2010 at 5:32 am

    ….sahara samay kai newsroom mai pichlai do saal mai jo dhamal macha, uskai barai mai bhi koi kuch to likhai…25 hazar sai seedhai eik lakh par pahuchnai wali anchors ab prime time sai bhi bahar ho gayi..tch..tch…ye to ghanghor anyay hai….kotwal chalai gayai to riyaya par atyachar…bahut nainsafi hai…

  15. umashankar singh

    February 8, 2010 at 5:55 am

    Sir if it is true oh myyyyyyyyyyy SARAM

  16. hemant

    February 8, 2010 at 6:47 am

    yeh saari baatein aapne jo likhi hai…wo sarva-vyapat..koi nayi baat nahi….har field mein hai….har jagah logon ke kaam karne ke kaam nikalne ke apne raaste hain …..har koi jaanta hain wo kya kar raha hai aur use kay paana hai……koi ladki apni marji se kisi ke saath ghum rahe hai,so rahi hain to usme aap ko kya taklif hain..aur who are you to judge the people…….calling randi n all…..aap apni tarah se successful hoiye jab aapko pata hai apne raaste…….yashwantji consider before posting this type of thing……..otherwise adult talk ka adda ban jayega…..

  17. राजेश पांडे

    February 8, 2010 at 7:06 am

    नोएडा के एक चैनल में चार साल पहले सुबह-सुबह ड्यूटी पर पहुंची दो महिला पत्रकारों के पंचिंग कार्ड ब्लॉक कर दिए गए। मजे की बात ये है कि दोनों ही एक दिन पहले देर रात को ड्यूटी से गई थीं। अगले दिन उनकी शिफ्ट बदल गई तो अल्सुबह आना पड़ा। बहरहाल उन्हें बाद में समझ में आया कि उनकी ड्यूटी बदलने के साथ-साथ कॉर्ड भी ब्लॉक क्यों किया गया। दरअसल उनके एक बॉस ने उनसे कुछ मांगा था। जो वे दे नहीं पाईं। आप समझ ही गए होंगे। बॉस की इस सिलसिले में एक मध्यम श्रेणी का बॉस भी मदद कर रहा था। उनमें से एक लड़की ने पत्रकारिता को ही बॉय बोल दिया। दूसरी अब भी एक जगह काम कर रही है। रही बात उसके बॉस की तो दोनों ही दो चैनलों में ऊंची कुर्सी पर बैठे हुए हैं। नोएडा के ही एक बॉस को अपनी एक वरिष्ठ सहकर्मी के साथ रात के एक बजे कॉफी पीने में मजा आता है। नोएडा के ही एक बॉस बेहद अच्छे हुआ करते थे। शादीशुदा हैं। लेकिन अब उनका भी अपनी ही एक सहकर्मी के साथ अफेयर चल रहा है। किस्से तो हजार हैं।

  18. A2K0

    February 8, 2010 at 8:34 am

    पीटर जी
    आपका कमेन्ट देखा. अखिलेश जी कि बात इसलिए आपतिजनक है. कि ऐसे मामलो में छिपकर नहीं बोलना चाहिए. अगर उपन्यास टाइप से लिख रहे है तो ठीक है. आप रंडी बाज सम्पादक कहकर संसथान में कम करने वाली महिलाओ को क्या कहा रहे है. आप से जायदा पढ़ कर आयी हो सकते है पत्रकारिता में. भले आप से ज्ञानी न हो. दूसरी बात आप क्यों छिप कर लिख रहे हो. किसको रंडी और किसको रंदिबाज कह रहे हो. आप कि बहन बेटी दिल्ली के किसी न्यूज़ चैनल या फिर अख़बार में होते. तब कहते कि एक अख़बार कि लड़की अपने हुस्न के बूते काम कर रही है. तब न आपकी महानता होती. कुछ भी लिखो कम से कम ये आंच अपने तक नहीं आयेगी. हाँ आपको साधुवाद मिलेगा. आप बुद्धि जीवी कहे जायेंगे. जो हो रहा है. आप कहते है कि नाम नहीं लिखोंगा क्योकि घर बर्बाद हो जायेंगे. तो अखिलेश जी घर तो नीच डी जी पी राठौर का भी नहीं बर्बाद हुआ. उसकी बीबी ही मुकदमा लड़ रही है. बिल क्लिंटन का नहीं बर्बाद हुआ. हाँ बिना सुबूत अगर आरोप लगायेंगे तो आप और आप का घर बर्बाद हो जायेगा. रही बात सच कि तो हे सच के परोकारो पोर्टल पर पुरुष और महिलाओ के जननागो पर कहानी लिखना शुरू कर दीजिये. अखिलेश जी आप को नहीं लेकिन उनके लिए.. जब खबर लिखने की बारी आती है तो कुत्तो कि तरह अधिकारियो के सामने दूम हिलाते हो. अपने ठेके पट्टे करवाते हो. गरीब का दर्द लिखना हो तो सुबूत मांगते हो. सारा तेवर ख़त्म हो जाता है. और अश्लीलता को यथार्थ बताकर कहते हो कि सच कड़वा होता है.

  19. akhilesh akhil

    February 8, 2010 at 11:34 am

    kai log is dharavahik se kuchh jyada hi marmahit ho rahe hai. iske kya karan ho sakte hai iski jankari abhi nahi mil payee hai. na to mai patrakarita ko badnam kar raha hu ,na hi kisi beti bahan aur bhai ko. patrakarita aur isme kam karne wale logo ki mai jitna ijjat karta hu shayad hi we log karte honge jo vishay ko jane vagair apna comment de rahe hai. kya man liya jaye ki jo hum kah rahe hai ,galat hai.aur patrakarita pahle se jyada pak saf ho gayee hai. yaha bahas iman, charitraaur pratibadhta ko lekar ho rahi hai. hum sarbjanik log hai ,hamara daman saf hona chahiye. koi bhi charitrahin kisi behter samaj ka nirman nahi kar sakta. hum dusro ka sach likhne ka dawa karte hai fir apni tasvir kyo nahi dikhaye. aur jo log nam dene ki bat kah rahe hai,uski jankari bhi unhe lag jayegi. hum de ya koi aur. masala bahut hai aur har roj kafi jankari mil bhi rahi hai. yeh maja lene ka vishya nahi hai ,apne, samaj aur patrakarita ke bare me manthan karne ka samay hai. aur ha, mai kaun hu ,kya kar raha hu, aur maine kya kiya, iski jankari pahle we log le le jo likhne se pahle soch nahi rahe.

  20. Rajesh Gupta

    February 8, 2010 at 12:09 pm

    sach kadwa hota hi hai jo aap keh rahe ho bilkul sach hai aapke khilaf comment karne walon ko yeh sochne ki jaroorat hai ki aisi gandgi ko kaise saaf kiya jay na ki sach bolne walen ke khilaaf morcha banane ki.

  21. Mahabir Seth

    February 8, 2010 at 4:47 pm

    जब बॉस की चमचागिरी कर पुरुष गण तरक्की पा जाते हैं, बॉस को रंडी और दारु का इंतजाम कर मालामाल हो जाते हैं तो लड़कियां क्यों पीछे रहें. मर्द घिर्नित काम करते हैं तो हल्ला नहीं होता है, लेकिन जब कोई महिला कुछ करती है तो मर्द भाई लोग राशन पानी लेकर चढ़ जाते हैं . आखिर पुरुष प्रधान देश के नागरिक जो ठहरे … और भाई यशवंत जी आप क्या कर रहे हैं . ऐसी ओछी कुराचनाएं …. शर्म करो…

  22. hemant

    February 8, 2010 at 5:17 pm

    the writer has got immense contact in media circle or very private life of journalist i guess…during my work ex i always heard that this women is sleeping with boss n many other such incidents from my ill-educated colleagues but most of them were not true……yaar koi journalist ya koi businessman dus call girk ke saath sex kar raha par 1 jordaar kam kar raha hai…to why people have got problem…yeh to usse accha jindagi par apni biwi ke saath soya par dil mein humse mail rakha…….kal to yeh bahas chid jayegi ki cigraate pine wala journalist naitik nahi ho sakta ya daaru pine wala naitik nahi ho saakta because it is aginst the set norms of society…….but the whole discuss ion is centric around 1 issue rather than focusssing on vital issues…..

  23. jatin

    February 8, 2010 at 5:19 pm

    be courageous to face the comment.its democractic forum….har koi vishay ko samajhkar hi apna comment kar raha hai….apni apni samjh samjh ke hisab s…so be cool n accept it…..rather than criticizing those who dont confirm with you…..

  24. A2K0

    February 8, 2010 at 5:20 pm

    akhilesh ji
    lag raha hai aap kuch jaida hi egoist hai. alochana karna jante hai to alochana sunna bhi janiye. rahi baat patrakarita me suchita ki, to aap ki baat bilkul sahi hai. yahi hona chahiye. patrkarita ki aand me youn utpidan aur dalali karne walo ki khuleaam aur jamkar khilafat hone chahiye. per jara likhte samay soche, aap naam na dekar randi aur randibaaz jaise sabdo ka istemal kar rahe hai. aap generalise kar rahe hai. aap ki general kahani ko padkar kahi mahila patrakaro ke maa baap dar na jaye. jara aankhe kholiyea. atiwadi hona theek nahi.
    rajesh ji
    sach kadwa hota hai, ye kiske liye kadwa hai wo jo patrakarita ke naam per blackmail kar rahe honge. apna parichaye nahi doonga lekin etna bata do ki aap se jaida risk lekar patrakarita ki hai. sach ka saath diya to badi door tak awaz gayi. etna hi nahi aaj bhi sach ki kemat chukani pad rahi rahi hai. sabdo me nahi karm se kar ke dikhaya. gyanyogi nahi karmyogi hon. samay aayga to ye bhi bata donga.

  25. jatin

    February 8, 2010 at 5:24 pm

    aise lag raha hai koi rangeen upanyas lpada jaa raha hai……no responsibilty about the article…isse behtaar hota ki if you all these facts why you dont expose those people rather than criticizing alll…..if you are speaking all these on some bare facts…..rather than some loose sources…………..

  26. k.k.vyas neemuch

    February 8, 2010 at 5:28 pm

    akhilesh ji aapane sach likha hai.sach hamesha kadawa hota hai.

  27. Vikshipt.pathak

    February 8, 2010 at 6:56 pm

    Sampadak Chaddhi Khole to Badon ki Leela,
    Bhaiya Akhilesh muh kholen to inka deemag dheela.
    Shuturmurg ki tarah ret me gardan chupa bhar lene se ye len-den ki parampara nahi khatm hone wali. Likhte rahen Akhilesh Bhai aur itna likho ki jab ye geele sampadak agli bar kisi Sulabh Sauchalay me bhi apni pant sarkayen to inhe BHADAS par chapne ka dar sataye aur hilaye.

  28. chandan kr jha von d dun 9720164110

    February 9, 2010 at 3:51 am

    sir sandar comments hi maza aa gaya sach kadwa hota hi hai jo aap keh rahe ho bilkul sach hai aapke khilaf comment karne walon ki tadat jada ho rahi hay laken dont warry jeet hamari hay

  29. BALJIT SINGH

    February 11, 2010 at 2:57 am

    MITTAR,AAP NE SACHAI LIKHI PAR SACH SUNTA KAUN HA,AAP LIKHNE KE SATH SATH GANDGI SAAF KARNE KI KOSHISH KARTE TO AAP KE PECHE KARWA BANTA JATA………KYO KI JO LOG SHORTCUT RASTE CHALTE HA WO S.CUT HI REHTE HA…PRAYAS KE LIYE BADHAI….BALJIT SIRSA

  30. pratibha

    July 23, 2010 at 7:16 am

    janam……………vaise apne apna article badi rochak taraf se likha hai lekin patrakar hone ke nate mahilayo ke liye shabdo ka sahi prayog kare or jis prakar apne ye article likha hai use padh ker to aisa lag raha hai ki mahilao ka kam kerna bhi gunah hai vaise apki jankari ke liye bata du ki lekh likhne se pehne us lekh per ache se vichar kare kyonki ye muda bohot bada hai or aapne jaise lekh mein likha hai ki mahilayo ke saath media field mein kya kya hota hai to uske zimedar aap jaise mard patrakar hi hote hai…….dhanyavad

  31. Jashpal

    September 12, 2018 at 1:17 pm

    Sach likha he ek mere 5 hazari patrkar k sath wo sab hua Jo akhilesh ji ne likha he
    Dono ek new channel me job suru karte Hain channel ka CEO uski girl frnd ko fansa leta he anchor banane ka sapna dikhakr wo bechra kuch bol nahi pata job Jane k dar se

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