टाटा को ब्लैकमेल करने की कोशिश में दयानिधि : रतन टाटा नीरा राडिया का इस्तेमाल कर के द्रमुक कोटे में किसी भी कीमत पर दयानिधि मारन को संचार मंत्री बनने से क्यों रोकना चाहते थे? धीरे धीरे गुप्तचर एजेंसियों के पास इसके सबूत आते जा रहे हैं। दयानिधि मारन करुणानिधि के चचेरे पोते हैं लेकिन उनका यही परिचय नहीं है। मारन परिवार एशिया के सबसे रईस परिवारों में से एक हैं और सन टीवी के अलावा उसके कई दक्षिण भारतीय भाषाओं में सात चैनल, कई एफएम स्टेशन और दिनाकरन नाम का एक अखबार भी है जो दस लाख कॉपी रोज बेचता है।
जब इस मीडिया साम्राज्य के शेयर बेचे गए तो साढ़े आठ सौ रुपए में दस रुपए का एक शेयर बिका और जितनी उम्मीद थी उससे पैतालीस गुना ज्यादा बिका। पंद्रह दिन में मारन परिवार के पास 9 हजार 9 सौ 20 करोड़ रुपए आ गए। दयानिधि मारन पहले खुद नीरा राडिया के काफी करीब थे। जब वे चेन्नई में हैल फ्रीजेज ओवर यानी एचएफओ के नाम से डिस्को और बार चलाया करते थे तो नीरा राडिया कई बार वहां देखी गई। अप्रैल 2006 में नीरा राडिया रतन टाटा को भी यहां ले के आई थी।
सन मीडिया साम्राज्य दयानिधि के भाई और अमरीका में पढ़े लिखे कलानिधि चलाते हैं और जब दक्षिण भारत में उनके मीडिया साम्राज्य की तूती बोलने लगी तो उन्होंने इरादे और बड़े कर लिए। कलानिधि मारन ने रतन टाटा को संदेश भिजवाया कि उनके डिश कारोबार यानी टाटा स्काई डीटीएच सर्विस में एक तिहाई हिस्सा दस रुपए प्रति शेयर के हिसाब से सन समूह के नाम किया जाए। तब तक टाटा स्काई के अस्सी प्रतिशत मालिक टाटा थे और बीस प्रतिशत पैसा स्टार टीवी ने लगाया हुआ था। नीरा राडिया ने टाटा को समझाया मगर रतन टाटा ने साफ इंकार कर दिया। नीरा के जरिए ही रतन टाटा तक संदेश पहुंचाया गया कि दयानिधि मारन देश के संचार मंत्री है और मंत्रालय कभी भी टाटा स्काई बंद करवाने के लिए आदेश दे सकता हैं। लाइसेंस रद्द करना संचार और सूचना प्रसारण मंत्रालय का काम है और लाइसेंस की शर्तों में ऐसी एक दर्जन शर्ते हैं जिनके न मानने पर सरकार एकतरफा लाइसेंस रद्द कर सकती है।
उस समय लाल कृष्ण आडवाणी ने भी कहा था कि दयानिधि मारन अपने भाई और अपनी सन टीवी कंपनी को डीटीएच और एफएम के लिए सारे नियम तोड़ कर स्पेक्ट्रम अलॉट कर रहे हैं। रतन टाटा को खतरों का अंदाजा था इसलिए उन्होंने इस सरकार में दयानिधि मारन को संचार मंत्रालय किसी भी कीमत पर नहीं मिलने देने के लिए दलाली से ले कर दादागीरी तक और रोकड़े के इस्तेमाल तक सब कुछ किया। नीरा राडिया और रतन टाटा के बीच 2009 और की बातचीत के जो और टेप निकल कर आए हैं उनमें से एक हिस्सा यह है-
रतन टाटा- यह दयानिधि बहुत गड़बड़ कर रहा है। ए. राजा को तो मैनेज किया जा सकता हैं।
नीरा – पता है। दयानिधि का फोन मेरे पास भी आया था। वो गुलाम नबी और अहमद पटेल से लगातार मिल रहा है। करुणानिधि से भी मनमोहन सिंह को फोन करवाया है।
रतन टाटा- इसका क्या करना है? मुझे तो यह आदमी खतरनाक लगता है और ये हमे दूसरों के बराबर खड़ा नहीं होने देगा। राजा ने बीएसएनएल वाले मामले में हैल्प की थी और एक ज्वाइंट सेक्रेटरी को तो मेरे साथ कांटेक्ट रखने के लिए कहा था।
नीरा- पैसा हर जगह चलता है। मगर दयानिधि और कलानिधि को पैसा कमाना आता है। बहुत चालाक है ये लोग। दयानिधि ने तो अपने टीवी चैनल और सारे मीडिया के काम का कॉरपोरेट ऑफिस डीएमके के ऑफिस में ही बनाया है। पार्टी को पैसा भी लगातार पहुंचता है। करुणानिधि को हैंडल करना पड़ेगा। मैं कनिमोझी (करुणानिधि की बेटी) से संपर्क में हूं। लालची तो राजा भी है लेकिन उसे सिर्फ काम के पैसे चाहिए।
सुन लिया आपने? दयानिधि मारन के बहाने रतन टाटा की भी पोल कैसे खुल रही है? ए राजा पर सीधे सीधे स्पैक्ट्रम घोटाले में हजारों करोड़ के घपले का इल्जाम लगा। नीरा राडिया के साथ उनकी बातचीत के टेप उजागर हो गए मगर उनका मिस्टर क्लीन मनमोहन सिंह भी कुछ नहीं बिगाड़ पाए। कनिमोझी तो साफ साफ कहती हैं कि मारन बंधुओं का टीवी और अखबारों का साम्राज्य मदद करता है मगर अगर पार्टी नहीं होती तो यह साम्राज्य भी नहीं होता।
दयानिधि मारन का पूरा ध्यान सरकार में रखा जाता हैं। नीरा राडिया ने उन्हें संचार मंत्री भले ही न बनने दिया हो मगर सन टीवी ने जब दो आधुनिकतम जहाज आयात करने के लिए अर्जी दी और देश और विदेश में विमान सेवा शुरू करने का लाइसेंस मांगा तो उन्हें 237 करोड़ रुपए में ये जहाज आयात करने की मंजूरी मिल गई और 12 दिसंबर 2006 को दी गई अर्जी पर सिर्फ 23 दिन में यानी 5 जनवरी 2007 को विदेश व्यापार के महानिदेशक ने लाइसेंस के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट दे दिया।
इसी बातचीत में एक जगह यह भी आया है कि दयानिधि मंत्री बनने के ठीक पहले तक सुमंगली केबल नेटवर्क चलाते थे और पूरे तमिलनाडु में केबिल कारोबार पर उनका ही सिक्का चलता था। मंत्री बनने के बाद उन्होंने सुमंगली केबल नेटवर्क भाई कालानिधि को पावर ऑफ अटार्नी पर दे दिया। इतना ही नहीं, दयानिधि मारन ने संसद में झूठ बोला कि सन चैनल से उनका लेना देना नहीं हैं मगर स्टॉक एक्सचेंज ने जो दस्तावेज दिए गए हैं उनके अनुसार दयानिधि मारन को इस पूरे कारोबार का प्रमोटर बताया गया हैं। करुणानिधि और दयानिधि के नामों का अर्थ एक ही होता है और शायद इसीलिए करुणानिधि अझागिरी और स्टालिन की नाराजी के बावजूद दयानिधि को बचाते रहते है।
लेखक आलोक तोमर वरिष्ठ पत्रकार हैं.
Dhananjay Jha
May 17, 2010 at 10:23 am
Alok Sir..
ek story ko laikar aap log baaith gaye hai?
yeh first story nahi hai?
iss se phale bhi “Bhopal Gas “issue par Dow chemical ko bachane kai liye Mr. Tata aapne offcial letter pad par Man Mohan Singh ko letter likh chuey hai, kya hua uska?
95% Media walo ko yeh story malum bhi nahi, ek Delhi based weekly mai cover story thi, lekin Ad kai liye wo bhi letter publish nahi kiye, mere paas letter ki copy hai?
yeh corporate corrution hai Sir, isko control karna hum journalisto kai aukaad nahi hai. lets begin development journalism
satya prakash "AZAD"
May 17, 2010 at 10:39 am
kaash! desh azad na hota to hamari ginti bhi shaheedon me hoti……aaj to sarkar naxlite ghoshit kar degi……
-jai hind……
Poojan Negi
May 17, 2010 at 10:43 am
bahut khoob sir………… is baar bhi ummeed k mutabik hai……..!
Poojan Negi
May 17, 2010 at 10:47 am
bahut khoob sir…………………… is baar bhi ummeed k mutabik////!