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चोर नेताओं ने अखबार पर हमला बोला

अगर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने न्याय किया और एमपी विधानसभा के अपने रिकॉर्ड पर कार्रवाई की तो इस प्रदेश के कई विधायक जालसाजी के आरोप में जेल जाएंगे। उनने फर्जी यात्रा बिल के जरिए बेशर्मी से करोड़ों रुपए की चोरी की है।

<p style="text-align: justify;">अगर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने न्याय किया और एमपी विधानसभा के अपने रिकॉर्ड पर कार्रवाई की तो इस प्रदेश के कई विधायक जालसाजी के आरोप में जेल जाएंगे। उनने फर्जी यात्रा बिल के जरिए बेशर्मी से करोड़ों रुपए की चोरी की है।</p> <p>

अगर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने न्याय किया और एमपी विधानसभा के अपने रिकॉर्ड पर कार्रवाई की तो इस प्रदेश के कई विधायक जालसाजी के आरोप में जेल जाएंगे। उनने फर्जी यात्रा बिल के जरिए बेशर्मी से करोड़ों रुपए की चोरी की है।

यह खुलासा जिस अखबार ने किया है उसे विधायकों के कोप से बचने के लिए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ी है। देश में पहली बार किसी अखबार ने इतनी हिम्मत की है। हालांकि ऐसा नहीं कि लोकसभा और दूसरे राज्यों की विधानसभाओं में ऐसा होने के संकेत नहीं मिले हो लेकिन मध्य प्रदेश विधानसभा में एक अखबार ने सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए फर्जी यात्रा बिलों और दूसरे तरीकों से विधायकों की लाखों रुपए की चोरी पकड़ी और जवाब मांगा। निर्वाचित जनप्रतिनिधि जैसे हमेशा देश और उसके पैसे को बाप का माल समझते है वैसे ही यहां भी किया गया।

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से प्रकाशित राज एक्सप्रेस के संपादक पर विधानसभा का विशेषाधिकार हनन करने का नोटिस थमा दिया गया। चोरी चकारी करना हमारे विधायकों का शायद जन्म सिद्व अधिकार हो और वही उनका विशेषाधिकार हो। मगर तथ्य सामने थे। एक ही विधायक एक समय में विधानसभा में भी था, अपने चुनाव क्षेत्र में भी था, दिल्ली या मुंबई में भी था और रेल, जहाज और टेक्सी से एक साथ चल रहा था। ऐसे अवतारी नेताओं के पास जवाब था नहीं और आम तौर पर क्षेत्रीय अखबार डर जाते हैं, विधायकों के दुर्भाग्य से राज एक्सप्रेस के मालिक अरुण सेहलोत और संपादक रवींद्र जैन ने बेईमानों से पंजा लड़ाने की ठान ली।

ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई अखबार पूरी विधानसभा के खिलाफ उसकी चोरियां पकड़वाने के लिए उच्च न्यायालय में गया है। अभी वह नाटक नौटंकी होनी बाकी है जिसमें यह तय किया जाएगा कि जनता के प्रतिनिधि बड़े है या अदालत का जज। न्याय प्रक्रिया और विधायिका के बीच एक नैतिक सवाल पर लड़ाई हो सकती है मगर यहां तो विधायक की हैसियत से नहीं बल्कि सरकारी पैसे के चोरों की हैसियत से इन लोगों से सवाल किया गया है और चोरों के पास जवाब कभी नहीं होता।

अरुण सेहलोत और रवींद्र जैन ने मई और जून के महीने में मध्य प्रदेश विधानसभा के कुछ विधायकों द्वारा मिले विशेषाधिकार हनन के नोटिस और इसके बाद इन नोटिसों को विशेषाधिकार समिति को भेजे जाने की सूचना जुलाई में आई। राज एक्सप्रेस ने सवाल किया है कि क्या संविधान की धारा 194 के तहत नेक इरादे से और जनहित में विधायकों द्वारा सरकारी पैसा हजम करने की खबर जनता को देना गलत है? क्या इस सूचना का विधानसभा की कार्रवाई से कोई रिश्ता है? उच्च न्यायालय में दी गई याचिका में सवाल यह भी किया गया है कि क्या विधानसभा के विशेषाधिकार नोटिस की, विधायकों की बेईमानी के साफ सरकारी प्रमाणों के बावजूद संविधान की धारा 226 के तहत समीक्षा की जा सकती है?

सवाल तो यह भी है क्या विधानसभा अपने ही रिकॉर्ड से इनकार कर सकती है और अपनी ही द्वारा दी गई सूचनाआंे को गलत साबित कर सकती है? कुल मिला कर सवाल यह है कि जिन्हें हम वोट देते हैं क्या उनके कुकर्मों पर सवाल भी नहीं उठा सकते? राज एक्सप्रेस ने सीधे सवाल किया है कि आखिर विधायकों के वेतन भत्ता नियमों को किस हद तक तोड़ा गया है और यह अपराध है या नहीं? अगर यह अपराध है तो अपराधी सफाई देने की बजाय आरोप लगाने पर कैसे तुल गए? विधानसभा के अध्यक्ष ईश्वर दास रोहाणी को भी सवाल उठता ही है और अदालत में उन्हें भी पार्टी बनाया गया है और पूछा गया है कि बजाय विधायकों के खिलाफ दिए गए सबूतों की जांच करने के उन्होंने अखबार को कैसे जारी होने दिया?

इसके अलावा नोटिस का जवाब देने के लिए जिस और रिकॉर्ड की जरूरत थी, वह देने से इनकार कर दिया गया और सीधे मामला विधायकों ने अपनी ही एक अदालत में पहुंचा दिया। विशेषाधिकार समिति के अध्यक्ष और विधायक गिरीश गौतम न्यायमूर्ति की हैसियत में जरूर है मगर अखबार में तो चोरों की सूची में उनका भी नाम लिखा है। उन्होंने भी विधानसभा से गलत और फर्जी तरीकों से भत्ते लिए हैं। अखबार ने संविधान की ही धारा 19/1 और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का हवाला देते हुए जनहित में अभिव्यक्ति की आजादी का सवाल उठाया है और पूछा है कि हमारे जनप्रतिनिधि किसके प्रति जवाबदेह है?

विधानसभा के अपने नियमों पर भी अगर कोई विधायक विधानसभा के आठ किलोमीटर के दायरे मंे रहता है तो उसे कोई यात्रा भत्ता नहीं मिलता। आखिर विधायकों को भी छह रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से मिलता हैं। यहां तो कमाल यह हुआ कि एक ही विधायक एक ही जगह से एक ही जगह की यात्रा करता है और उसके बिल में हजारों रुपए का फर्क होता है। इसे कहते है चोरी और सीनाजोरी।

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अखबार को सूचना के अधिकार के तहत बताया गया कि भोपाल के लोकल विधायकों ने भी दबा कर यात्रा भत्ता वसूले है। वे एक साथ रेल, जहाज और बस से भी यात्रा करने की प्रतिभा रखते हैं तो मध्य प्रदेश इतना पिछड़ा हुआ क्यों हैं? इस प्रतिभा का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा रहा? होना तो ये चाहिए कि जिस तरह की जानकारी मध्य प्रदेश विधानसभा के माननीय विधायकों के बारे में सार्वजनिक हुई हैं उसके बारे में संसद और देश की सभी विधानसभाओं में जांच होनी चाहिए तो यह खेल अरबों रुपए के घोटाले का हो जाएगा।

लेखक आलोक तोमर जाने-माने पत्रकार हैं.

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0 Comments

  1. sunil dauraya

    September 1, 2010 at 4:45 pm

    ab raj express ka slogan,SUCH KHANE KA SAHAS,aur SALIKA,satya huaa.

  2. xyz

    September 2, 2010 at 4:51 am

    Alok tomar jee , AAP behad achcha likhte hain ! kabhi-kabhi hi aisa hota hai jab topic se hat kar VYAKTIGAT CHARITRA ko aadhaar banaate hain , ( Jis se niraasha hoti hai ), par Aap ka andaaze-bayan behad khaas hota hai !
    Vyaktigat taur par to main kuch nahi kah sakta ( kyonki mila nahi hun) lekin bataur patrakaar ye kah sakta hun ki BATAUR PATRAKAAR aap behad khaas hain !
    Raha sawaal RTI ke istemaal ka , to ise har NEWS-PAPER ya NEWS CHANNEL kar sakta hai ! par ikka-dukka ko chod kar karta kaun hai ?
    Aise mein, pathakon ke liye , Aap ke dwaara pesh ki gayee ( RTI PAR AADHAARIT ) is *KHAAS KHABAR* ( Kyonki aksar aap ki khabar KHAAS hi lagti hai ) ke liye SAADHUWAAD !

  3. sunil sharma, Bilaspur( C.G.)

    September 2, 2010 at 8:40 am

    चोरी चकारी करना हमारे विधायकों का शायद जन्म सिद्व अधिकार हो और वही उनका विशेषाधिकार हो। kya khub likha hai tomre ji kash aap se jaldi mulakat ho pati. akhbar ke sahas aur hausle ko pranam aur aapko sadar sadhuwad.

  4. xyz

    September 2, 2010 at 9:02 am

    Alok jee, yakinan aap bahut achcha likhte hain ! Humesha nayee aur dhamaakedaar khabar dete hain ! bus kabhi kabhi, TOPIC SE HATKAR vyaktigat charitra ke sahare lekh ko damdaar banaane ke, aap ke prayaason se niraasha hoti hai !
    Par is mein koi do-raay nahi ki aap un patrakaaron mein se hain, jo be-baaki se likhte hain aur sarokaar rakhne waali khabar se HUMESHA SAROKAAR RAKHTE HAIN !
    Vyakti-Vishesh ke taur par to main aap ko bahut zyaada nahi jaanta ( aur jaanta bhi to us par tippani nahi karta ) par bataur patrakaar kah sakta hun ki BATAUR PATRKAAR aap laajawab hain ! RTI par aadhaarit is khabar ke liye Aap ko SAADHUWAAD !

  5. Brijesh kumar singh

    September 7, 2010 at 8:33 am

    e/; izns’k ls izdkf’kr jkt ,Dlizsl ds laiknd vknj.kh; johUnz tSu th vkSj ekfyd v:.k lsgyksr th vkids lekpkj i= ds izfr eaxydkeuk ds lkFk eS vki yksxksa ds dk;ksZ dk ueu~ vkSj vfHkuanu djrk gwaA vki yksxksa }kjk ftl rjg dk fgEer okyk dk;Z fd;k x;k gS fu’p; gh blls i=dkfjrk dks lacy feysxk rFkk reke yksxksa dks blls lh[k Hkh feysxhA

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