Connect with us

Hi, what are you looking for?

आयोजन

अन्ना हजारे के पास पहुंचिए… आईबीएन7 देखते रहिए…

: रवीश कुमार का भाषण देना और गोपाल राय का आमरण अनशन में भागीदारी करना अच्छा लगा : कल अन्ना हजारे के पास मैं गया था. जंतर-मंतर. वहां मेला लगा है. जी, मेला. क्रांतिकारियों का मेला. आंदोलनकारियों का मेला. बदलावपरस्तों का मेला. बहुत दिनों बाद बहुत अच्छा लग रहा था. अचानक अचानक कोई न कोई मिल जा रहा था. चितरंजन सिंह, विपुल, अविनाश, संजय, नवीन, हरपाल, गोपाल राय…. न जाने कितने लोग.

: रवीश कुमार का भाषण देना और गोपाल राय का आमरण अनशन में भागीदारी करना अच्छा लगा : कल अन्ना हजारे के पास मैं गया था. जंतर-मंतर. वहां मेला लगा है. जी, मेला. क्रांतिकारियों का मेला. आंदोलनकारियों का मेला. बदलावपरस्तों का मेला. बहुत दिनों बाद बहुत अच्छा लग रहा था. अचानक अचानक कोई न कोई मिल जा रहा था. चितरंजन सिंह, विपुल, अविनाश, संजय, नवीन, हरपाल, गोपाल राय…. न जाने कितने लोग.

अपने क्रांतिकारी नेता और साथी गोपाल राय भी अन्ना हजारे के साथ आमरण अनशन पर बैठे हैं.  अन्ना हजारे को मंच से बोलता देखा. रवीश कुमार का भाषण सुना. बहुत अच्छे. शाबास. बढ़िया. शानदार. जंतर-मंतर पहुंचे लोगों के दिलों को सुकून था, भरोसा जग रहा था. लगा- लोग अब जगने लगे हैं. कुछ न कुछ होकर रहेगा. रवीश ने सही कहा, ये अन्ना 70 साल के जवान और हम लोग 35-36 के बूढ़े. मेला स्थल पर लोग आ जा रहे थे. सबको भरोसा दिख रहा था अन्ना हजारे में. पर कई बुद्धिमानों-विद्वानों को शक था. और ये शक की बीमारी रखने वालों का कोई इलाज नहीं होता. रामदेव के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के बारे में लोग मुझसे पूछते हैं तो मैं यही कहता हूं कि रामदेव ने दुस्साहस किया है कि राजनीतिज्ञों को चुनौती देकर, भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर और इसके लिए उन्हें सलाम किया जाना चाहिए, उनकी सराहना की जानी चाहिए. रामदेव चाहते तो आराम से धर्म और आध्यात्म की चाशनी में योगा को मिला-मिलाकर बेचते रहते और इसकी बेहद महंगी महंगी रोटियां खाया करते लेकिन उन्होंने लीक से हटकर काम किया और करप्शन को मुद्दा बनाकर नेताओं की नाराजगी मोल ली.

तो, हो सकता है कि हम रामदेव से दूसरे मुद्दों को लेकर सहमत न हों लेकिन भ्रष्टाचार के मुद्दे पर तो बिलकुल साथ हैं. उसी तरह अन्ना हजारे, किरन वेदी, अग्निवेश आदि के लोकपाल बिल वाले मुद्दे पर हम लोग साथ हैं. घनघोर सन्नाटे को तोड़ने वाली इन क्रांतिकारियों की ये पहल स्वागत योग्य है. अन्यथा तो अब तक यही माना जाता रहा है कि आंदोलन करने के लिए पेशेवर आंदोलनकारी होते हैं और बाकी लोग सिर्फ वोट डालने के लिए होते हैं. पर दुनिया में पिछले दिनों जिस तरह से सरकारें बदली हैं, न्यू मीडिया ने आंदोलन के नए फार्मेट्स के लिए जिस तरह से कैटालिस्ट का काम किया है, वो सब जानने बूझने के बाद लगता है कि अब कामरेडों और संघियों को भी अपने चाल-चलन-चेहरे को बदलने के बारे में सोचना चाहिए. नई पीढ़ी और नया दौर, ये दोनों मिल-मिलाकर कुछ नया तैयार कर रहे हैं जिसकी गंध-सुगंध इन पारंपरिक किस्म के पेशेवर आंदोलनकारियों के पास नहीं पहुंच पा रहा है या पहुंच भी पा रहा है तो अपनी जड़ बुद्धि चेतना के कारण उसका एहसास ये नहीं कर पा रहे हैं.

मैं अन्ना हजारे या किसी शख्स या किसी पार्टी को क्रांति का प्रतीक नहीं बता रहा बल्कि यह समझा रहा हूं कि आंदोलन तभी संभव हैं जब हम पीपल को कनेक्ट कर पाएं और पीपल को कनेक्ट करने के लिए उनके दिल व दिमाग को पकड़ना बदलना पड़ता है और इसके लिए पीपल से ज्यादा दूरदर्शी और ज्यादा समकालीन बनना पड़ता है. ये पीपल आज का यूथ है, वो चाहे गांव का हो या शहर का. गंवई यूथ की प्राब्लम्स अलग हो सकती हैं और शहरी की अलग, लेकिन दोनों की पीड़ा यही है कि सिस्टम ट्रांसपैरेंट नहीं है. कहा कुछ जाता है और होता कुछ है. ये जो हिप्पोक्रेसी है, उसी की आड़ में करप्शन और बेईमानी फलफूल रहा है. तो इस हिप्पोक्रेसी के खात्मे के लिए और भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए जरूरी है कि सरकारी संस्थाओं पर सरकारी लोगों का नहीं बल्कि जनता के लोगों का कब्जा हो. लोकपाल बिल उसी की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह एक ऐसा बिल है जिसे जनता के लोगों ने तैयार किया और अगर ये पास हो गया तो ये पहला बिल होगा जिसे सरकार ने नहीं बल्कि जनता के लोगों ने तैयार किया और सरकार ने पास किया.

ज्यादा बहस के मूड में नहीं हूं. दो चार साफ साफ बातें कहना चाह रहा था. एक तो ये कि अगर आप दिल्ली या आसपास के शहरों में रहते हैं तो आपको जंतर मंतर कुछ एक घंटों के लिए जरूर जाना चाहिए. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं और ऐसा न करने के कारण आपकी आत्मा या आपकी जमीर आपको नहीं धिक्कारती है तो फिर आपसे कोई बात करना बेकार है लेकिन अगर आप वाकई चाहते हैं कि देश अच्छे रास्ते पर जाए और जनता का भला हो तो आपको जेनुइन आंदोलनों को सपोर्ट करना आना चाहिए और इन आंदोलन को सपोर्ट करने के लिए अपनी फिजिकल प्रजेंस की गारंटी करनी चाहिए.

इसी कारण मैं कल निजी तौर पर वहां पहुंचा और अपने साथ तीन-चार लोगों को भी ले गया था. टीवी चैनलों और अखबारों को दिल से धन्यवाद देना चाहिए जिन्होंने बहुत लंबे समय बाद किसी आंदोलन को इतने दिल से कवरेज दिया है. आप लोग आईबीएन7 को खासकर देखिए जिस पर अन्ना हजारे, लोकपाल बिल व करप्शन के मुद्दे को बार-बार हाईलाइट किया जा रहा है. यह चैनल देश के कई शहरों में चल रहे आंदोलनों का लाइव कवरेज कर रहा है. भोपाल, मुंबई, दिल्ली समेत कई शहरों में लोकपाल बिल और अन्ना हजारे के सपोर्ट में चल रहे आंदोलन की कवरेज इसके रिपोर्टर बार-बार दिखा रहे हैं. यह बढ़िया है. इस चैनल ने यहां तक कह दिया है कि जंतर मंतर तहरीर चौक बनता जा रहा है. बहुत सुंदर. कुछ लोग कह रहे हैं कि सोनिया जल्द ही लोकपाल वाली मांग मानकर पूरे आंदोलन को टांय टांय फिस्स कर देगी. तो क्या. कर दे. लेकिन यह तो पता चल गया न कि इस देश में लोगों में आंदोलन करने का दमखम बाकी है. बस, नेतृत्व ईमानदार और संजीदा होना चाहिए और खुल दिल दिमाग वाला होना चाहिए.

सरकारें ऐसे ही आंदोलनों से मांगें मानती रहें तो फिर समस्या किस बात की है. जंतर मंतर पर थोक के भाव ओवी वैन देखकर दिल को सुकून मिल रहा था. नीचे आपको जंतर मंतर की कुछ तस्वीरें, आईबीएन7 चैनल पर चल रहे समाचार की कुछ तस्वीरें, रवीश के भाषण आदि को दे रहे हैं. आनंद लीजिए और जंतर-मंतर भी पहुंचिए. रवीश कुमार और गोपाल राय जैसों के इस आंदोलन में शामिल हो जाने से मैं भी खुद को इस आंदोलन से बुरी तरह कनेक्ट पा रहा हूं. रवीश कुमार ने अन्ना हजारे के साथ मंच से जनता को कल संबोधित किया. गोपाल राय आमरण अनशन करने वालों की टीम में शामिल हैं. रवीश कुमार समकालीन मीडिया के सरोकारी, संवेनशील और मुखर जर्नलिस्ट हैं, देसज हैं और भावों की अभिव्यक्ति के धनी आदमी हैं. उनके ढेर सारे प्रशंसक हैं और मैं भी हूं.

गोपाल राय और मैं करीब-करीब एक साथ भाकपा माले के होलटाइमर बने थे. पर माले वाले गोपाल राय की त्वरा झेल न पाए और खुद को गोपाल राय से अलग कर लिया. गोपाल जी नहीं माने. गुंडों और डंडों टाइप लोगों से लखनऊ में भिड़ते लड़ते रहे, उसी प्रक्रिया में उन्हें गोली मारी गई. मरते मरते बचे और जब चार वर्ष पहले जीते-जीते जी गए तो फिर से आंदोलनकारी बन गए. तबसे वे विभिन्न मसलों पर इतनी बार आमरण अनशन कर चुके हैं कि उनके शरीर में सिर्फ अनशन अनशन सा रह गया है, चनन मनन खन खनन तो कतई न बचा होगा. ऐसा मैं महसूस करता हूं. उन्हें मैं अपना नेता मानता हूं. तो मेरे ये दो अजीज लोग इस आंदोलन में शामिल हैं तो फिर ये आंदोलन अपना है. और, यकीन मानिए, ऐसे ही किसी बहाने से आप भी इस आंदोलन को अपना बना लें, तो गजब हो जाएगा. कोई और बहाना नहीं तो यही बहाना कि जब सत्तर साल के अन्ना मंच से कहते हैं कि हार्ट अटैक से नहीं, आंदोलन करके मरूंगा और यह भी कि दिल दिया है जान भी दूंगा… तो हमारे आप जैसे नौजवानों को अपनी जवानी पर वाकई शर्म आनी चाहिए… क्योंकि.. वो जवानी जवानी नहीं जिसकी कोई कहानी न हो…

किसी में कमी निकालना बहुत आसान है और यह आसान काम ज्यादातर सामान्य लोग करते रहते हैं. और बड़ा मुश्किल भी होता है अपने समकालीन समय व समाज के अच्छे  लोगों व अच्छे कामों को पहचान पाना और उन्हें उनका उचित सम्मान व मान दे पाना क्योंकि तात्कालिकता और समकालीनता का जो चश्मा होता है उसमें कोई किसी को बड़ा नहीं दिखता. हर कोई एक दूसरे को बौना ही नजर आता है क्योंकि दृष्टि व सोच ऐसी बना दी गई है या कह लीजिए कि चश्मा ही ये ऐसा बाजार में है कि सिर्फ एकल ब्रांड है और यही हर कोई लगाता है. अगर आज के दिनों में कोई कबीर भी होता तो हम उसे चिरकुट कह देते क्योंकि कबीर हम लोगों के समय में होते तो उन्हें भी समकालीनता व तात्कालिकता के चश्मे से देखते. जो अपने समय की तात्कालिकता के आग्रहों-दुराग्रहों को समझते हुए दूर तलक देख पाते होंगे वे ही सही तौर पर जान पाते होंगे कि इन दिनों कहां ठीक और कहां खराब, क्या ठीक और क्या खराब चल रहा है. मैं देख रहा हूं, सुन रहा हूं कि बहुत सारे लोग किरन बेदी और अग्निवेश को गरिया रहे हैं. इनकी कमियां बता रहे हैं. सवाल ये नहीं है. मसला ये है कि हम सिर्फ घर में लेटकर बकचोदी करने के आदी हैं या सड़क पर निकल कर जिंदाबाद-मुर्दाबाद करने में भी यकीन रखते हैं. अगर नहीं रखते तो फिर हमारी बकचोदियों का भी कोई मतलब नहीं है.

खैर, कहानी लंबी होती जा रही है. आखिर में ये ही कहूंगा…

Advertisement. Scroll to continue reading.

जंतर मंतर पहुंचिए अन्यथा खुद को पंचर फच्चर मान लीजिए… इसके अलावा कोई तर्क-कुतर्क न चलेगा, इसके बीच में कुछ न चलेगा साथी. आज शाम या रात में मैं भी जंतर-मंतर पहुंचूंगा, खटोला अब वहीं बिछेगा.

यशवंत

एडिटर

भड़ास4मीडिया

आईबीएन7 ने अन्ना हजारे के आमरण अनशन और भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को बतौर कंपेन प्रसारित करना शुरू कर दिया है और इसके लिए आईबीएन7 की टीम तारीफ की हकदार है.

आईबीएन7 पर जंतर-मंतर से रिपोर्टर लाइव करते हुए

आईबीएन7 अन्ना हजारे अनशन के मुद्दे पर कई जगहों से लाइव कर रहा है, कुल छह फ्रेम से इसे देख सकते हैं.

कल रात में आईबीएन7 पर एजेंडा प्रोग्राम में अरविंद केजरीवाल और प्रकाश जावड़ेकर से अन्ना के आंदोलन और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बात करते आशुतोष.

रवीश कुमार ने जंतर-मंतर पर अन्ना के मंच से दिल छूने वाला भाषण दिया.

Advertisement. Scroll to continue reading.

जंतर-मंतर पर लगे मेले का एक कोना

जंतर-मंतर पर सभा को संबोधित करते बाबा हरदेव

कल जंतर मंतर पर दर्जनों चैनल वाले लाइव करने में जुटे रहे.

घूसखोरों भारत छोड़ो का नारा काफी लोकप्रिय हो रहा है आजकल.

जंतर मंतर पर अन्ना के साथ आमरण अनशन में शामिल होने वाले गोपाल राय. (सबसे बाएं)

बाबू चितंरजन सिंह, पीयूसीएल वाले, गमछा से सिर ढके, भी मौके पर मिले.

एक बुजुर्ग कुछ इस अंदाज में अपनी सचल दुकान लिए टहल रहे थे मेले में.

एक सज्जन वानर सेना के बैनर तले किसी धरने में कई घंटे तक अकेले ही बोलते रहे, अंततः उनका गला ध्वस्त हो गया.

जंतर-मंतर पर लगे मेले-मजमे का मजा लेने के बाद मैं थकान मिटाने इंडिया गेट पर पहुंच गया और वहां बोट चलाने का सुख उठाया. क्या मजा आए जब आंदोलन में लोगों को मजा आने लगे… !!

Advertisement. Scroll to continue reading.

रवीश कुमार के भाषण को सुनने के लिए क्लिक करें… 70 साल का जवान

Click to comment

0 Comments

  1. मदन कुमार तिवारी

    April 6, 2011 at 11:27 am

    आपने टिपण्णी के लिये तो कोई जगह हीं नही छोडी। पहले हीं गालियों का और कोसने का अंबार लगा दिया। रह गई बात अना हजारे की तो महाराष्ट्र के आंदोलन से देख रहा हूं। किरन बेदी की कमियां निकालनेवालों में मैं भी शामिल हूं। क्यों न निकालू। अपनी औलाद को नागालैंड के कोटे से दाखिला करवाने का भ्रष्टाचार कर चूकी हैं। अब चली हैं एक नया ड्रामा करने। अगर यह आंदोलन आप, शेषनाथ जी रविश कुमार, गोाालाल राय , विस्फ़ोट , मोहला ाईव , सुप्रिया तोमर यानी सामान्य लोगों के द्वारा शुरु किया गया होता तो अपन भी सोचता चलो कुछ बुरे-अच्छे लोगों ने शुरु किया है , छोटा ही सही बिना ओ वी वान का हीं सही , न दिखाये कोई टीवी वाला लेकिन अच्छा आंदोलन aै । अना हजारे कहते हैं किसी दल को राजनीतिक फ़ायदा नही लेने दुंगा लेकिन रामदेव को फ़ायदा मिले कोई एतराज नही । लोकपाल बिल क्या है ? एक आदमी का पद हमेशा ्संशय की नजरो से देखा जायेगा । राष्ट्रीय स्तर पर लोकपाल और राज्यों के लिये लोकायुक्त , यह बैंक के ओंबडसमैन की तरह का पद है जिसके पास अपनी स्वतंत्र जांच एजेंसी नही होगी , अब चाहे वह सीबीआई हो या कोई और एजेंसी जांच तो वही करेगी । वस्तुत: यह चुनी हुई सरकार के विपरित कुछेक तथाकथित बुद्धिजीविओं के द्वारा चुने गया एक व्यक्ति मात्र होगा। एक समांनांतर सरकार । आप पहले स्वंय पढे और उसके फ़ायदे और नुकसान का आंकलन करे , उसके बाद पता चलेगा की यह लोकपाल और लोकायुक्त से कुछ नही फ़र्क पडनेवाला भ्रष्टाचार पर । प्रशासनिक सुधार आयोग ने १९६६ में हीं इसकी अनुशंसा की थी , तब से अब तक गंगा में बहुत पानी बह चुका है । तकरीबन देश के १७ राज्यों में लोकायुक्त कार्यरत हैं , कोई फ़र्क नही पडा है । लोकायुक्त का राष्ट्रव्यापी स्वरुप है लोकपाल । १९७१ से लोकायुक्त कार्य कर रहे हैं । लोकपाल बिल पढने में जितना अच्छा लगता है उसका रती भर भी प्रभाव में नही साबित होगा । कुछेक चीजे मैं यहां बता देता हूं । उच्चतम न्यायालय का रिटायर्ड मुख्य न्यायाधीश या न्याधीश तथा उच्च न्यायालय के दो रिटायर्ड न्यायाधीशो की तिन सदस्यीय कमेटी है लोकपाल । इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा , एक समिती की अनुशंसा पर होगी जिसके सदस्य होंगे , उप – राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष , दोनो सदनों के नेता और विरोधी पक्ष के नेता । लोकपाल कोई लाभ का पद रिटायर्ड होने के बाद भी ग्रहण नही करेंगे। लोकपाल के खिलाफ़ शिकायत होने पर ,हटाने के लिये उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या वरीय न्यायाधीश द्वारा जांच के बाद हीं हटाया जा सकेगा। लोकपाल का कार्यकाल तीन वर्षो का होगा । मैं समझता हूं की बहुत हद तक आप समझ गये होंगे । यानी वह सारे लोग जो किसी न किसी रुप से भ्रटाचार का अंग है या जिनके पद पर पक्षपात का आरोप लगता रहा है, वे लोकपाल की नियुक्ति की प्रक्रिया से जुडे हैं। बालाकर्षण पर आरोप लगा क्या हुआ ? मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष बन कर एश कर रहे हैं। संपति की घोषणा नही करना चाहते। यशवंत जी भुखे मर जाउंगा वाला ड्रामा कर – कर के गांधी जी ने एक समाजवादी सुभाषचन्द्र बोस को कांग्रेस के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देने के लिये बाध्य किया । अब कौन लोग हटाने के पिछे थे यह सबको पता है। भ्रष्टाचार एक हफ़्ते में खत्म होने की चीज है लेकिन कोई चाहता नही । यूनिक आई डी का ड्रामा जब शुरु हुआ था तब मैने समझा था की अब काली कमाई छुपाना मुश्किल होगा , लेकिन हुआ क्या , एक आधा-अधुरा पहचान पत्र मात्र बनकर रह गई यूनिक आई डी । आज सरकार उस यूनिक आई डी में पहचान पत्र धारक के बारे में सारी सुचना दर्ज कर दे , जिसमे उसकी संपति , बैंक खाता और जायदाद का भी आंकडा दर्ज हो , कल काला धन देश में किसका है पता चल जायेगा , लेकिन यह होगा नही । मैने जयप्रकाश जी की संपूर्ण क्रांति वाला दौर देखा है , जन आंदोलन में बच्चे के रुप में हीं सही शामिल रहा , लगा था बस अब क्रांति हो गई , लेकिन हुआ क्या , जिसे सता से हटाया , उससे भी बुरे सता में आ गये । बल्कि गुंडा विधायको का प्रचलन भी उसी दौर में शुरु हुआ । खैर टिपण्णी लंबी हो गई , मेरी बकचोदी अगर बुरी लगी हो तो माफ़ करना , परंतु मैं ड्रामो से बहुत नफ़रत करता हूं। मेरा जो संशय है वह यह है कि आखिर रामदेव के नेतर्तव में अचानक बहुत सारे भ्रष्ट बुद्धिजीवी क्यों खडे हो गये और यह सारा ड्रामा अपने चरम पर तब पहुंच रहा है जब २जी घोटाला और काला धन वापस लाने के लिये न्यायिक स्तर पर कारवाई शुरु हो चुकी है। बाकी फ़िर कभी । मैं कतई इस तरह के ड्रामे का समर्थन नही करता , चाहे आप गाली दे या जो करें।

  2. govind goyal,sriganganagar

    April 6, 2011 at 12:23 pm

    हम सब अन्ना हजारे के साथ हैं। और आप? अगर आप भी तो फिर इस सन्देश को भेजो जहाँ तक भेज सकते हो। क्योंकि भारत को सचमुच महान बनाना है।

  3. sandip thakur

    April 6, 2011 at 3:14 pm

    यशवंतजी, अन्ना के corruption हटाओ anondolan को intne aachi covreg देने के lye बधाई. बुधवार को मै भी जंतर मंतर गया था.लोगो का मिल रहे समर्थन से अन्ना बहुत उत्साहित थे.मेरे नजरो के सामने एक रोचक घटना घटी.वावाही lotne के lye bharast netyo में से एक ओम प्रकाश chotola जंतर मंतर आ धमके. वो मंच के ओर bharhe . उन्हें dhekthe ही लोगो का गुस्सा baraha और लोग chotala वापस jayo , chotala वापस jayo के नारे लगाने लगे. chotola को वापस lotana para . इससे साबित होता है कि आम आदमी में नेताओ को ले कर kitena गुस्सा है.लोगो के आज के गुस्से को dhek यह भी लगता है कि यदि अन्ना के इस corruption विरोधी आन्दोलन को मीडिया का सही मायने में support मिला तो यह deshvaypi जन आन्दोलन का रूप ले सकता है.देखना यह है कि trp के इशारे पर नाचने वाले चैनल और पेज-३ वाली patrakaritia करने वाले engilish और हिंदी newspaper नेक मकसद के लिये aana के leadership में shru keye गए इस आम आदमी के आन्दोलन को kitina ,keshe और कब तक coverege देते हैं.बुधवार यानि ६ मार्च को delhi के सबसे bare समाचारपत्र नवभारत times ने aana के आमरण अनशन कि खबर को पेज one पर single colum छापा है.

    संदीप ठाकुर
    senior journalist

  4. sk singh

    April 6, 2011 at 5:04 pm

    baba ramdev may be an honest person for his corrupt followers but is it not fact that he threatened the officials of coal ministry as they were taking steps to prosecte sindhu brothers of rohtak who allegedly finance ramdev. capt abhimanyu who resorted to every malpractices during his election compaign is chela of ramdev. captains integrity is doubtful and he is in politics for his economic intersts.if ramdev takes lunch at the house of captain how he can be honest. ramdev is actually financed by such corropt politicians.

  5. kk

    April 6, 2011 at 7:26 pm

    ravish ji UP k ghazipur jile me bhi nazar daliye. ANNA k samarthan me yeha ek nahi teen samajsevi kar rahe hai AAMARAN ANSHAN..
    jab tak ANNA karege tab tak……….inhe agar aapki nigahe ignor karegi to…….

  6. sanjay

    April 7, 2011 at 4:20 am

    @ Madan tiwari,Bro. Kahin se to shuaat honi chahiye thi, ab aana ne lo jala di hai to safar par nikal pado, kaon achha hai aur kaon bura ye sochne ka samay nahi hai, bas maksad hai abhi itna hi bahut hai….Ramdev aur Kiran bedi se bad me nipat lenge…. abhi waqt hai sath mil kar corruption ke khilaf ladne ka, na ki apni apni rag alapne ka…. Yashwant Bhai, khub bahut khub likha hai aapne…. dil me jo hai kah dena chahiye kar lena chahiye, warna aane wale kal ko jab bachhe puchhenge ki aap anna ke aandolan ke samay kya kar rahe the to kya jawab denge……

  7. Agyaani

    April 7, 2011 at 4:41 am

    यशवंत जी इस लेख के लिए शुक्रिया लेकिन ऐसा लगता है आप आन्दोलन और मस्ती को साथ साथ जोड़ कर देख रहे हैं अगर आप मस्ती और आन्दोलन को अलग अलग रखते तो शायद पाठक इस मुद्दे को अधिक गंभीरता से लेते!

    आपके लेख से ऐसा आभास होता है की मेट्रो में रहने वाले लोग मस्ती के लिए कैनडल मार्च में शामिल हो आते हैं वैसे ही आप भी अपनी हाजिरी लगा आये! आपके द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा सख्त है इसमें कोई शंका नहीं ये आपका व्यक्तिगत तरीका है लेकिन इतनी हिन्गिंदी आपके पुराने लेखों में नहीं मिलती :)! वक़्त के साथ साथ आप भी बदल रहे हैं शायद 🙂

    तिवारी जी की टिप्पणी से कुछ हद तक सहमत हूँ. जिधर देखो अवसरवादी लोगों की भरमार है बहती गंगा में हाथ धोने सब भागे भागे आ रहे हैं अन्ना जी और स्वामी रामदेव जी को इन अवसरवादी लोगों से बचना चाहिए वरना भविष्य में वे खुद ही कहीं मजाक का विषय न बन जाएँ!

  8. s.p.singh

    April 7, 2011 at 1:42 pm

    this is the publicity stunt of ibn7, who has given wide coverage to the unconstitutional dharna of Annaa Hajare

  9. नरेन्द्र प्रताप

    April 10, 2011 at 2:39 am

    यशवंतजी,
    रवीश का भाषण अपलोड नही किया, प्लीज डू दिस

  10. varun

    August 16, 2011 at 11:05 am

    [b]anna tum aage badho hum tumhare saath hai[/b]
    if you want any type of support plz contact me

  11. abhinandan

    August 27, 2011 at 9:08 pm

    Madan Kumar Tiwari ji,
    Ummed hai aaj bhi aapke vichar badle nahin honge?
    Agar kuchh parivartan hua ho to likhne main sharmane ki ko vajah nahin hai.

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

हलचल

: घोटाले में भागीदार रहे परवेज अहमद, जयंतो भट्टाचार्या और रितु वर्मा भी प्रेस क्लब से सस्पेंड : प्रेस क्लब आफ इंडिया के महासचिव...

Advertisement