: राजेंद्र तिवारी अमर उजाला, लखनऊ के संपादक बनने की चर्चा : अमर उजाला में कुछ उठापटक होने की चर्चा अंदरखाने जोरों पर है. कहा जा रहा है कि राजेंद्र तिवारी अमर उजाला, लखनऊ के नए संपादक के रूप में ज्वाइन कर सकते हैं. इंदुशेखर पंचोली का तबादला अमर उजाला, बरेली के स्थानीय संपादक के रूप में किया जा सकता है. बरेली के आरई के रूप में काम देख रहे प्रभात सिंह को नोएडा भेजे जाने की तैयारी है. ये तीनों चर्चाएं एक-एक कर कल दोपहर से फैलनी शुरू हुई.
इन चर्चाओं, सूचनाओं की आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं हो पा रही है. सूत्रों के मुताबिक लखनऊ और बरेली में अस्थिरता, अंदरुनी राजनीति व स्टाफ में आक्रोश को देखते हुए यहां के आई का तबादला किया जा सकता है. बरेली व लखनऊ में हर हफ्ते-दो हफ्ते में कुछ न कुछ ऐसा हो जा रहा है जिससे ब्रांड इमेज पर असर पड़ रहा है. अमर उजाला, नोएडा में बैठे न्यूज सेक्शन के वरिष्ठ बरेली व लखनऊ की स्थिति को लेकर संतुष्ट नहीं दिख रहे हैं. नोएडा में होने वाली बैठकों में बरेली के संपादक के व्यवहार व लखनऊ यूनिट की अस्थिरता पर अक्सर चर्चा होने लगी है. ऐसा माना जा रहा है कि देर-सबेर प्रबंधन को कुछ न कुछ कदम उठाना पड़ेगा. संभव है, इसकी शुरुआत हो चुकी हो लेकिन आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं हो पा रही हो.
pankaj awasthi lucknow
September 11, 2010 at 9:17 am
ashok pandey ji k jane k baad to halat bahut kharab ho gai thi lekin pancholi ji k lko me join karne k baad amar ujala lko edition ki quality me bahut sudhar aya hai. mujhe lagta hai ki ujala ke dushman aisi afwaah uda rahe hain.
अभिषेक, बरेली
September 12, 2010 at 7:42 pm
प्रभात का हटाया जाने सभी के हित में
अच्छा ही रहेगा जो प्रभात सिह अमर उजाला से हटा दिए जाएं। उनके आने से संस्थान में जाहिलता भरे शब्दों के इस्तेमाल होने में भारी तेजी आई है। वो अपने से बड़ों से भी अबे करके बात करता है। शायद उसे वो वक्त याद नहीं है जब वो एक खटारा स्कूटर पर बैठकर घूमता था। कई लोगों से पेट्रोल के पैसे लेकर उसकी टंकी फुल करता था। एक आफिस का बाबू था आज अमर उजाला, बरेली का संपादक प्रभात। यह वहीं प्रभात है जिसे भास्कर प्रबंधन ने नोटिस देकर बाहर का रास्ता दिखा दिया था। बरेली में जब उसने पहली मीटिंग ली थी तो उसने कहा था कि राजुल जी ने मुझे फोन करके बरेली की कमान संभालने को कहा है। तब भड़ास पढ़ने वाले लोग हंस रहे थे,क्योंकि सभी उसकी असलियत से वाफिक थे। हालांकि उस वक्त गधे की बाप बोलना मजबूरी थी, लेकिन अब नहीं है। राजुल जी ने उसका तबादला तय कर दिया है, कुछ समय बाद उसकी फेयरवेल हमेशा के लिए अमर उजाला या यूं कहें बरेली से ही हो जाएगी। जागरण में उसे संपादक तो दूर चपरासी के पद पर भी नहीं लिया जाएगा। क्योंकि प्रभात की राजनिति से सभी वाफिक हैं। हिंदुस्तान को इतनी गालियां देता है कि वहां जा नहीं सकता। अब देखते हैं कुत्ता किस खंबे पर मूतता है। माफ करें… प्रभात के लिए इससे बेहतर शब्दों का इस्तेमाल और क्या हो सकता है। राजुल जी अगर इसका तबादला हो जाता है तो आप मान लीजिए कि संस्थान में कई पुराने रिपोटर्स की वापसी संभव हो जाएगी।