सबूत के तौर पर यहां आयकर महानिदेशालय के गुप्त दस्तावेज के वे अंश दिए जा रहे हैं, जिनमें बरखा दत्त और वीर सांघवी के नाम दर्ज हैं.
यह पूरा खेल क्या है, राडिया कौन हैं और किसलिए इस घोटाले-घपले के प्रकरण में बरखा दत्त और वीर सांघवी का नाम आया, इसे जानने के लिए थोड़ा अतीत में चलना होगा. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की इच्छा के विपरीत 22 मई 2009 को ए. राजा को केंद्रीय मंत्री पद की शपथ दिलाई गई. उन्हें लाने वाले कौन लोग थे, इसका खुलासा अब हो रहा है. जिन लोगों ने ए. राजा को मंत्रिमंडल में शामिल कराने के लिए लाबिंग की, उन्हीं लोगों ने ए. राजा को संचार व सूचना तकनीक मंत्री पद भी दिलाने की कोशिश की और इसमें सफलता हासिल की. ऐसा करने वाले लोग देश के ताकतवर कारपोरेट घराने से जुड़े थे और इनके बिचौलिए, दूत, सलाहकार, मैनेजर… जो कह लीजिए, के रूप में नीरा राडिया काम कर रहीं थीं.
नीरा राडिया, जिन्हें मीडिया, नौकरशाही और राजनीति, तीनों को मैनेज करने में महारत हासिल है, टाटा समेत कई बड़े घरानों के लिए मीडिया मैनेज करने का भी काम करती हैं. नीरा राडिया के पास कई बेहद ‘सफल’ कंपनियां हैं. इन कंपनियों की सफलता का राज क्या है, इसके बारे में इससे समझा जा सकता है कि इनमें करोड़ों के पैकेज पर रिटायर हो चुके ढेर सारे बड़े नौकरशाह काम करते हैं. ये अधिकारी सत्ता को मैनेज करने का गुर जानते हैं. नीरा राडिया टाटा के अलावा यूनीटेक, मुकेश अंबानी की कंपनियों और कुछ मीडिया समूहों के लिए काम करती हैं. नीरा राडिया की कंपनियों में काम करने वाले अधिकारी इन घरानों के हित में नीतियां बनवाने, निर्णय कराने के लिए शीर्ष स्तर पर लगे रहते हैं.
बात हो रही थी ए. राजा की. बड़े कारपोरेट घराने के लोग चाहते थे कि हर हाल में भ्रष्टाचार-कदाचार के आरोपी ए. राजा को संचार मंत्रालय मिले ताकि उनके, मतलब कारपोरेट घरानों के, निहित स्वार्थ आसानी से पूरे किए जा सकें. इसके लिए नीरा राडिया की मदद ली गई. टेलीकाम लाइसेंस, स्पेक्ट्रम, विदेशी निवेश आदि में लाभ पाने के लिए कारपोरेट घरानों ने जिस नीरा राडिया को अपना बिचौलिया बनाया, उस नीरा राडिया की खुद की कुल चार कंपनियां हैं. बड़े कारपोरेट घरानों को बड़े-बड़े लाभ दिलवाकर नीरा राडिया की कंपनियां खुद करोड़ों-अरबों रुपये कमाती हैं. देसी भाषा में कहा जाए तो यह दलाली का खेल है जो बेहद टाप लेवल पर हो रहा है.
जब यह पूरा गड़बड़झाला सीबीआई को पता चला तो आयकर विभाग की मदद से जांच कराई गई. इसके लिए नीरा राडिया के फोन टेप किए गए. इस फोन टेपिंग से नीरा राडिया के सत्ता, कारपोरेट घराने और वरिष्ठ अधिकारियों को
मैनेज करने का खेल उजागर तो हो गया है लेकिन जिन ईमानदार अधिकारियों ने इस खेल को उजागर किया, उनका तबादला भी अब किया जा चुका है. इशारा साफ है, मामले को दबाने की कोशिशें की गईं. दलाली के दलदल के गहरे राज बाहर न आ जाएं, इसलिए जांच-वांच के काम पर आंच आने लगी.फिर चलते हैं नीरा राडिया के पास. नीरा राडिया की कई संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी जब सीबीआई को मिली और एक खास मामले में इनकी आपराधिक भूमिका का पता चला तो इनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया. इसके बाद सीबीआई के एंटी करप्शन ब्यूरो के डीआईजी विनीत अग्रवाल ने आयकर महानिदेशालय के इन्वेस्टीगेशन सेक्शन के अधिकारी मिलाप जैन को पत्र लिखकर नीरा राडिया के बारे में उपलब्ध जानकारियों की मांग की.
इस अनुरोध पर आयकर विभाग के संयुक्त निदेशक आशीष एबराल ने सीबीआई के विनीत अग्रवाल को कई नई जानकारियां तो दी. इसी के बाद टेलीफोन टेप किए जाने का प्रस्ताव किया गया. मंजूरी मिलने पर विधिवत रूप से राडिया की फोन टेपिंग शुरू हुई. राडिया और उनकी कंपनियों के अधिकारियों, सभी लोगों के फोन टेप किए जाने लगे. इस फोन टेपिंग से चला कि कारपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए राडिया और उनकी कंपनियों के लोगों ने सरकार की कई नीतियों को बदलवा दिया. फोन टेपिंग से राडिया की केंद्रीय संचार मंत्री ए. राजा से नजदीकी का तो राज खुला ही, इस पूरे खेल में किस तरह राडिया ने मीडिया के बरखा दत्त और वीर सांघवी जैसे दिग्गजों को मैनेज किया, और मीडिया के इन दिग्गजों ने लाबिंग की, इसका भी पता चला.
इनकम टैक्स डायरेक्टोरेट के गुप्त दस्तावेज बताते हैं कि कॉरपोरेट घरानों की सलाहकार राडिया मीडिया दिग्गजों व अन्य प्रभावशाली लोगों के जरिए ए. राजा को केंद्रीय संचार मंत्री बनवाने में जुटी हुईं थीं. केंद्रीय कैबिनेट के शपथ ग्रहण समारोह से पहले राडिया की कई राउंड कई लोगों से बातचीत हुई. उन्होंने इस काम के लिए मीडिया के इन दिग्गजों को भी लगा रखा था जिनका सत्ता व राजनीति के लोगों से अच्छा खासा संपर्क है.
नीरा राडिया और रतन टाटा के बीच भी लंबी बातचीत हुई जिससे पता चलता है कि टाटा नहीं चाहते थे कि दयानिधि मारन संचार मंत्री बनें. उधर, भारती एयरटेल के मालिक सुनील मित्तल चाहते थे कि दयानिधी मारन संचार मंत्री बनें. ऐसा इसलिए क्योंकि मित्तल नहीं चाहते थे कि राजा के मंत्री बनने के बाद उनके हितों पर चोट पहुंचे. इस तरह राजा को मंत्री बनाने और न बनाने को लेकर कॉरपोरेट घरानों में आपसी लड़ाई जमकर चली और नीरा राडिया ने अपने प्रभाव के बदौलत टाटा के उद्योग घराने का हित सधवाने में कामयाबी हासिल की और राजा को मंत्री बना दिया गया.
सीबीआई जांच, आयकर विभाग की रिपोर्ट और फोन टेपिंग के दस्तावेजों से पता चलता है कि किस तरह इस देश में शीर्ष स्तर पर लूटपात का एक बड़ा तंत्र विकसित हो चुका है और इसमें बड़े नेता, बड़े पत्रकार, बड़े नौकरशाह आदि शामिल हैं. कारपोरेट घरानों को वित्तीय सलाह देने वाली नीरा राडिया की चार कंपनियों ने भी इस मैनेज करने, लाभ दिलाने के खेल से खूब पैसा बनाया. नीरा राडिया के बारे में बताया जाता है कि वे किसी भी कीमत पर काम कराना जानती हैं और अपने संबंधों के बल पर सरकार की नीतियों तक में परिवर्तन करा पाने में सक्षम हैं. इस खेल के कारण केंद्र सरकार और देश को भले ही करोड़ों-अरबों का चूना लगता हो लेकिन नीरा राडिया और उनके क्लाइंट कारपोरेट घराने करोड़ों-अरबों का लाभ हासिल कर दिन दूनी रात चौगुनी गति से तरक्की करते हैं.
नीरा राडिया की जो चार कंपनियां हैं वैश्नवी कॉरपोरेट कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड, नोएसिस कंसलटिंग, विटकॉम और न्यूकाम कंसलटिंग, ये सभी संचार, ऊर्जा, उड्डयन और अन्य कई मंत्रालयों में सेटिंग कर अपने कारपोरेट क्लाइंट्स को लाभ पहुंचाती हैं. आयकर महानिदेशालय की गुप्त रिपोर्ट का पूरा पेज नंबर 9 नीचे दिया जा रहा है, जिसमें बरखा दत्त और वीर सांघवी के नाम हैं, साथ ही साथ कई अन्य जानकारियां भी हैं-
ये है वो पत्र जो सीबीआई के एंटी करप्शन ब्रांच के डीआईजी विनीत अग्रवाल ने डायरेक्टोरेट जनरल आफ इनकम टैक्स (डीजीआईटी) इनवेस्टिगेशन के अधिकारी मिलाप जैन को लिखा था. इस पत्र में उन्होंने वर्ष 2007-08 में यूएएस लाइसेंस आवंटित किए जाने के मामले में आपराधिक साजिश रचने वाली नीना राडिया के खिलाफ दर्ज मुकदमें का जिक्र करते हुए नीना राडिया से संबंधित जानकारियां मांगी थी. पूरा पत्र इस प्रकार है-
Debi Pattnaik
May 30, 2010 at 1:51 pm
If the allegations are true
Barakha should return the Padmashree, quit journalism
and join any corporate house and serve their interest.
paheli
May 6, 2010 at 8:34 pm
यशवंत जी, किसी ने सही कहा है मारो तो लंबा हाथ मारो…छोटे मोटे शिकार से क्या होगा…!!!!! शर्मनाक !!!!!!
avinash jha
May 7, 2010 at 1:55 am
top level ka itna bada mamla bebaki se one n one only yaswant hi rakh sakte the
gr8. ab to imandari ka gunjaies hi nahi raha.
…SHAME……SHAME….
ankit mathur
May 7, 2010 at 4:39 am
वैसे तो ये खेल वैसा ही है, कि जो पकड़ा गया वो चोर वरना साहूकार.
sanjay pathak
May 7, 2010 at 5:40 am
bill kul theak hai aaj ki salary sa banta kya hai[
SUBHASHISH ROY
May 7, 2010 at 5:50 am
Shame-Shame.
The black side of Tata Steel viz Mr.Ratan Tata is now uncovered. However, the RISING STORY of Tata Steel was always suspicious. Especially the company always used to manage media at any cost. At Jharkhand there is lot of example of human right violation but rather disappointing that no any agency or media house takes interest to invade the issues. All here seems criplled under the high profile dealing. We must thank a lot to Bhadas4media for disclosing such a vital story. Please keep it continue for the shake of public.
Subhashish Roy, JHARKHAND
Dhananjay
May 7, 2010 at 6:48 am
Yashwantji..
congrats..this is good journalism,
first time you publish article on corporate corruption.
this is real face of indian journalist.
almost all indian journalist did this in his/ her career.
this time, Barkha and great Vir is expose?
why not government send notice to Barkha to return padma shri?
deepak
May 7, 2010 at 8:10 am
shuhrat ki bulandee bhee pal bhar ka tamasha hai,jis daal pe baitho ho wo toot bhi sakti hai
कमल शर्मा
May 7, 2010 at 9:06 am
मेरा भारत महान…।
विवेक रस्तोगी
May 7, 2010 at 3:02 pm
रुपए-पैसों का लाभ भले ही ना मिला हो। इतना मान भी लिया जाए तो भी यह तो साबित अब हो ही गया कि पॉवर कॉरीडोर में बरखा दत्त और वीर संघवी सरीखे नामी लोगों का असल पेशा क्या है। कांग्रेस से उनकी नजदीकी पहले कहा-सुनी की बातें थीं पर अब साबित भी हो गया है।
ये ‘आई तुझा आशीर्वाद’ ही था कि बरखा दत्त, विनोद दुआ और राजदीप को एक साथ पदमश्री से नवाजा गया था।
राजेश रंजन ई.टी.व्ही
May 7, 2010 at 4:29 pm
अंदर तक हिला देने वाली और बहुत से मिथक तोड़ देने वाली इस घटना में शामिल होने का जितना मुझे दुख है, उससे कहीं अधिक रोष।पत्रकारिता का इसतरह से पतन देखकर मन अंदर से बहुत भारी हो गया। और लगा जैसे पत्रकारिता की धार पैसों ने कुंद कर दी। बरखा दत्त और वीर सांघवी जैसे पत्रकारिता के दलालों की खूब चल रही है। दर्शकों और पाठकों के बीच इन दलालों की इज्जत है। समाज में इनकी प्रतिष्ठा है, रौब है। इनके पास पैसे, दौलत हैं, गाड़ियां हैं और कई अन्य ऐसी चीजें हैं जो दूसरों के पास नहीं हैं। पत्रकारिता वेश्या बनी नहीं, ऐसे लोगों के द्वार बनाई गई। ऐसे दलालों को पत्रकारिता से कमाई जब कम हो गई तब उन्होंने पत्रकारिता को वेश्या बना दिया।
Raja
May 7, 2010 at 6:00 pm
Shame… Brkha and Vir this is really pathetic both of you were ideal for many more particularly those young people who wanted to become journalists they really admired you people but what is this what else you need yar I this got enough despite you people did this for petty money…shame
Dheeraj Prasad
May 8, 2010 at 6:25 am
नमस्कार मै –धीरज प्रसाद – CNEB न्यूज़ नॉएडा से
बरखा दत्त और वीर सांघवी जैसे न जाने कई और भी हैं जो हमारे ही आस-पास में हैं पर वह दिखते नहीं, पैसा और दौलत यह दिखने में एक ही हैं, पर मै आपको इसके असली रूप के बारे में बताता हूँ, की, यह किस प्रकार दोनों अलग – अलग होते हैं| पैसा कमाने के लिए गरीब अपनी हड्डियों को मेहनत की आग में तपा कर दो वक्त की रोटी कमाता है, उसे उस से ज्यादा और कुछ नहीं चाहिए होता है, पर दौलत -इस नाम की गहराई को अगर ध्यान से देखें तो दूर से ही लालच छलकता है, दौलत कमाने की हवास में कोई भी कुछ भी कर सकता है, जो कम बुद्धि के होते है वह मार – काट या अपहरण जैसे पापों को अपना हथियार बनाते हैं, पर जो उच्च बुद्धि के होते है, वह अपना दामन बचाते हुए ऐसे चलते है, जिससे उन्हें किसी भी प्रकार का कोई भी नुकसान नहीं होता है, ऐसे लोग फिर वह पत्रकार हों, नेता हों या फिर अभिनेता यह सब अपने को बचाते हुए देश को खोखला कर देते है, जिस से हमारी राष्ट्र सम्पति में भारी कटौती होती है और उसे हम ही बाद में भुगतते है,
अब हमें यह सोंचना है की क्या ऐसे कलम के धनियों को कैसी सजा देनी चाहिए, क्या उन्हें माफ़ कर पुनः मीडिया के रण क्षेत्र में उतरने का मौका देना चाहिए, जहाँ से यह अपनी शक्ति में इजाफा करते है, और फिर उसका दुरपयोग , आखिर क्या सजा होनी चाहिए ? क्या ?
शायद मेरे इस सवाल का उत्तर वह लोग न दे पायें जो इनकी गलतियों से पर्दा उठ जाने के बाद भी, इन्हें अपने यहाँ आमंत्रित करते है, इससे ज्यादा बोलना और लिखना अपनी बेवकूफी है,
धन्यवाद् –आपका मित्र
धीरज प्रसाद – CNEB न्यूज़ नॉएडा से
ajay kumar aligarh
May 8, 2010 at 3:59 pm
Hamam mai sab nagnge hai lakin bara aadmi fir bhi izatwala rarega chota kam ki dalili wala Dalal hota hai .
shiv narayan
May 9, 2010 at 2:02 pm
is hamaam me sab nange hai.
pankaj kumar
May 9, 2010 at 6:07 pm
Big shame.This is not the first time barkha dutt is underspotlight for her miss doings. Remember, kargil footage .These sophisticated and softspoken journalist are more heinous and criminal than any hard core criminal. The list of these PIMP journalist not ends here. Rajeev shukla, chandan mitra and many more belongs to this fluke community, who fleece us.
ashok
May 12, 2010 at 8:26 am
is desh main secullar foces ko sab kush karney ka huk hai
ashok
May 12, 2010 at 8:29 am
is desh main secullar forces ko sab kush karney ka huk hai
secullar forces key nam par ye neta log desh ko lootTey hai aur desh ki janta ko bewakoof banatey hain
patrakar
May 12, 2010 at 2:22 pm
भाई वाहहहहह…क्या बात है…अब आया उंट पहाड के निचे।
बस उम्मीद है कि, इस खबर को पढने के बाद तो ये so calld पत्रकार बरखाजी और संघवी साहब फिर कभी आदर्थ पत्रकारिती के बारे में ना तो मार्गदर्शन देंगे और नाही गिरते पत्रकारिता के मायनों पर चिंता दर्शायेंगें।
खुशी होती है जब अपना ही कोई हमें आईना दिखायें…इस खबर को पढने के बाद दिल्ली 6 फिल्म का वो पागल आदमी का किरदार याद आ गया जो घूम घूमकर लोगों को आईना दिखाया करता था।
यशवंतजी, इसबार आपने ये आईना दिखाने का साहस दिखाया है। दुआ मांगता हुं कि आप हमेशा ही ये आईना हमें दिखाते रहेंगें।
rajiv tuli
May 26, 2010 at 6:36 am
this is the reason why this scandal is not the news? Other than Today TV no other tv channel ‘ve even bothered to show this. this Breaking News was not breaking for any of them.
pankaj
May 17, 2010 at 12:50 pm
all is well berkha se yesi ummed na thi.
pankaj
May 17, 2010 at 12:51 pm
sab chalta hai berkha se ye umeed na thi.
SATISH K SEHWAG
May 18, 2010 at 2:57 pm
media expose nexus amongs politicians,gundas and black money holder big fishes.
this new nexus certainly leads towards “death of trust” common people have on media. nothing left to say for media persons.
captain
May 21, 2010 at 3:44 pm
chor chor mosere bhai…………….8)
kkumarmanish
May 25, 2010 at 8:51 am
thank you sir is pe 1 sher yaad aa raha hai 100 sunar ki to 1 luhar ki.
Marx
May 23, 2010 at 5:13 pm
It’s shameful to see such reporters like Vir Shangvi and Ms. Bharkha Dutt in such shameful act of corruption. chi chi
संदीप खोपाड़े
October 15, 2010 at 2:25 pm
इस कुट्टी हत्यारी के बारें मे यहा शानदार लिखा है
[url]http://www.shreshthbharat.in/2010/10/blog-post_06.html[/url]
rajeev kumar
November 19, 2010 at 7:58 pm
satta ke in dalalon ko kya kaha jae ye samajh me nahi aata hai…… inhi jaise logon ke karan aaj media badnam ho gai hai.kya karen bhai jamana hi dalalo ka ho gaya hai, achhe logo ki kadra kahan hai.chalie dekhte hai koun-koun se raj dafan hai abhi tak.>:(>:(
jyoti
November 22, 2010 at 8:39 am
sharm aani chahiye barkha dutt ko….channel par desh ki baat karne waali khud hi desh ko barbad karne me lage hain….aisi patrakarita ko dekh kar patrakaro se bharosa hi uthega logon ka wo bhi tab jab brasht patrakar barkha aur vir sanghvi jaisa ho…
umesh kumar
November 23, 2010 at 4:03 pm
हम भी रास्ते मे खडे है ना जाने कब हमारी किस्मत मे भी पद्म श्री जैसा कोई पुरुष्कार लिखा हो।
prakash ranjan
November 30, 2010 at 9:29 am
barkha shame on u. i cant believe on u for this type of dealing. i m also a journalist and you were my idle also but after this incident i m shame myself too for make you as a idle of my journalism career.
ARBAAZ
December 1, 2010 at 3:05 pm
satta ke dalal jo patrakaron ke naam par dhabba hain…inhen baahar karo…
SADIQUE ZAMAN
December 3, 2010 at 11:57 pm
BARKHA DUTT IS DID REDICULUS JOB ….CHULLU BHAR PANI ME DUB MARO ….BARKHA ..SANGHVI
raju
December 9, 2010 at 6:20 am
in salon ko jutte maro:)
Akhtar
December 12, 2010 at 6:29 am
Shame on u barkha dutt. allways i thout NDVT is Best among all private news channel, this is very disgusting.. m requesting to indian broadcast president plzz shut all private news channel or grap it under govt. burkhaa u r really a big bitch. u r saleing to ur mother not to our country.. u r dallal of ur maaa..
kasim khan
June 2, 2011 at 4:26 am
dekho ji mai to yeh kehta hu ab wo waqt aa gaya hai jisme in logon ka ant likha hai. ab sbhi logon ko sadko par utar kar inko mar mar kar iss desh se bhaga diya jaye aur isko ek crrupt muqt desh banaya jaye.
surbhi sapru
June 4, 2011 at 5:41 am
mujhe hairaani hoti hai yeh dekhkar aur sunkar ki itne naami patrakaaron ka yeh haal hai…bhrashtachar ko hatane ke liye media se acha saadan aur koi nahi, par agar media he bhrasht ho jaye toh kya kiya jaye…..yeh ek bht bada prashn chin hai…
Rajesh Bobade
July 24, 2013 at 9:40 pm
Bureaucrat and politician are looting india ,brain of IAS,IRS are hired to make conspiracy against india