एक संपादक ने किसी पत्रकार की नौकरी ले ली. संपादक नया आया था, सो उसे पहले काम कर रहे कई लोगों को निकालना था ताकि वह अपने चेले-चमचों-भक्तों को फिट कर सके. संपादक ने जिस पत्रकार की नौकरी ली, वो संपादक से भी परम हरामी निकला. वह रोज बिलकुल तड़के संपादक के घर पर पहुंच जाता. घंटी नहीं दबाता और न ही अंदर छलांग लगाता. वो संपादक जी को बिलकुल डिस्टर्ब नहीं करता. वह केवल एक काम करता. वह संपादक के घर के सामने धुंधलके के दौरान मल त्याग कर देता. संपादक रोज मार्निंग वाक पर निकलते तो मल-मूत्र देख हिल जाते. उन्होंने अपने चौकीदार को एक दिन हड़का लिया. उन्होंने घरेलू चौकीदार को अपने आफिस के किसी सब एडिटर / प्रोड्यूसर की भांति जोर से डांट कर हड़काते हुए पूछा-
”ये बताओ… तुम साले सोते रहते हो या ड्यूटी देते हो… अगर तुम जगे रहते हो तो यहां ये मल-मूत्र त्याग करके कौन चला जाता है… मुफ्त में तनख्वाह लेने की आदत पड़ गई है तुम्हें…”
चौकीदार चुपचाप सुनता रहा. जवाब दे देता तो उसकी भी नौकरी सब एडिटरों / प्रोड्यूसरों की तरह चली जाती.
अगले दिन चौकीदार सोया नहीं. वह नौकरी खोने के लिए बिलकुल तैयार नहीं था. वह पूरी रात एलर्ट रहा. बिलकुल चौकन्ना खड़ा रहा. कई बार साइड में छिप कर अपराधी के आने का इंतजार करता रहा. सुबह शुरू होने से ठीक पहले ज्योंही संपादक के हाथों बेरोजगार हुआ पत्रकार मल-मूत्र त्याग करने आया, चौकीदार ने उसे कूदकर पकड़ लिया. चौकीदार ने जोर से पूछा-
”रोज यहां अंडबंड काम क्यों कर जाता है बे, मेरी नौकरिया खायेगा का क्या तू?”
बेरोजगार पत्रकार प्यार से बोला-
”हरामी संपादकजी के सीधे-साधे चौकीदार जी, ये मैं इसलिए करता हूं ताकि हमारे आफिसियल और आपके घरेलू संपादक जी को यह पता चल जाए कि उनके द्वारा मेरी नौकरी ले लिए जाने के बाद भी मैं भूखों नहीं मरा. मेरे पेट में पहले की ही तरह अन्न और जल पर्याप्त मात्रा में प्रवेश कर रहे हैं. उसी का सबूत देना आता रहता हूं मैं.”
चौकीदार कुछ न बोला. बात उसके भी समझ में आ गई थी. उसने पत्रकार को मल-मूत्र त्याग करने की अनुमति दी और खुद संपादक को चार गालियां देते हुए पास में ही स्थित अपने गांव की ओर निकल गया.
मीडिया के वर्तमान हालात पर अगर आपके पास भी कोई चुटकुला हो तो हमें भेजिए. ‘भड़ासी चुटकुला’ कालम को, जो आज अचानक एक साथी के सहयोग से शुरू हो गया है, जारी रखने की जरूरत है. ताकि, निराशा झेल रहे हमारे कई पत्रकार साथियों में जिजीविषा कायम रहे. हमें अपना चुटकुला आप मेल या एसएमएस के जरिए भेज सकते हैं, इन पतों पर: [email protected] या फिर 09999330099
anurag trivedi
February 5, 2010 at 5:01 pm
yah nayi shuruat achcha prayas hai
anurag trivedi
February 5, 2010 at 5:04 pm
yah nayi shuruaat ak achcha prayas hai
brijesh
February 5, 2010 at 5:06 pm
wah kya bat good biga k mara hai
dharmendra pratap singh
February 5, 2010 at 5:33 pm
ha…ha…ha………..
Ajay Mishra
February 5, 2010 at 5:56 pm
Yashwant ji
aaj kal ke sampadak isi tarah ke latkhor aur jutakhor ho chuke hai aur unhe isi tarah ki saza milani chahiye…….saale sampadak AC me baith apane niche se logo ko pareshan karate hai to unaka bhi hakikat me aisa hi haal hona chahiye…. filahaal prayas achchh hai ….. dhanyawad
shyamendra kushwaha
February 5, 2010 at 8:32 pm
aajkal naya sampadak aate hi apno ko fit karne me lag jata hai. use aache burey se matlab nahi hota. use dusere ka dard samjh me nahi aata. par kabhi to sher ko sava sher milta hi hai.
sonu
February 6, 2010 at 12:36 am
wah kya baat hai maza aa gaya……….
akelahun
February 6, 2010 at 12:40 am
kya baat hai janab……….
mahendra pathak
February 6, 2010 at 1:58 am
purani khavt hai jisne diya pet vahi dega chugga. so loi kisi ks berapar nahin lagata. ek aur khavat hai- sanch ke bulia ko sabha beech thor na hai, …. maria pagri bandhe Thare hain. so ajkal sabhi jgah esa hi hall hai. chutkula parhkar prasannta hui.
awadhesh prateek
February 6, 2010 at 2:36 am
wah…. gandhigiri ka naya udahran.
ek mukhar patrakar
February 6, 2010 at 4:34 am
yah 1 achha prayas hai, ye tanav se mukti milne kuch had tak kaargar ho sakta hai
Abhilash Nair
February 6, 2010 at 5:15 am
Really funny but it also conveys a message. Thank u so much…
ibrastogi
February 6, 2010 at 5:34 am
galati ho gayi sudhir agrwal ke bangle par mujhe bhi yahi karana chahiye tha
EKHLAQUE
February 6, 2010 at 7:08 am
Sari kami unki hai jo sampadak aur buero chief banate hain.Target ke lalach me nasamajh logon ko bara rutba dekar jahah patrakarita ki saakh ko batta laga rahe hain,vahin akhbar ko kotha bana rahe hain. aise logo ko Dalali ka shauk hai to akhbar ki office band kar Kotha chalain.
sanjay
February 6, 2010 at 12:40 pm
इस चुटकुले के बारे में एक सज्जन ने बिल्कुल सही टिप्पणी की है कि आजकल के सम्पादक ऐसे ही होते हैं। इसकी एक नहीं सैकड़ों मिशाल दी जाए तो भी कम है। बेंगलूरु में भी एक नामी गिरामी कहे जाने वाले अखबार के नए-नए सम्पादक ने पहले से काम कर रहे कई वरिष्ठ सम्पादकीय सहयोगियों को नौकरी छोडऩे पर मजबूर कर दिया। कई तो बेचारे चले गए और बचे हुए लोगों को उसने इधर-उधर करवा दिया। इसके बाद उसने अपने चंद चमचों को बुला लिया जिनको पत्रकारिता को क ख ग भी नहीं आती और वे आज उनके खास व वरिष्ठ बने हुए हैं। ऐसे हरामखोर सम्पादकों,जो अपनी रोटी सेेकने के लिए दूसरों की जिंदगी से खिलवाड़ करते हैं बड़ी सजा दी जानी चाहिए।[b][/b]
avinash
February 6, 2010 at 12:47 pm
bahut sandar v sampadak ke dimag ka batan khol dene wala hai….keep it up
Sanjay Gupta (Journalist) Orai(Jalaun)
February 6, 2010 at 5:24 pm
इस चुटकुले के बारे में एक सज्जन ने बिल्कुल सही टिप्पणी की है कि आजकल के सम्पादक ऐसे ही होते हैं। इसकी एक नहीं सैकड़ों मिशाल दी जाए तो भी कम है। ऐसे सम्पादकों को ,जो अपनी रोटी सेकने के लिए दूसरों की जिंदगी से खिलवाड़ करते हैं बड़ी सजा दी जानी चाहिए।
vijay pathak
February 7, 2010 at 7:13 am
is chutkule se meri aankhe khul gai hai, keyoki mai bhi ek sampadak hu…
raj
February 7, 2010 at 8:36 am
haa..haa…
santosh
February 7, 2010 at 3:06 pm
kya hub kahi,santosh gupta,begusarai
dilip
April 3, 2010 at 2:51 pm
bane raho pagla, kaam kerga agla,
Dhanesh diwakar
April 7, 2010 at 9:21 am
आजकल के सम्पादक ऐसे ही होते हैं। इसकी सैकड़ों मिशाल है। एक नामी गिरामी कहे जाने वाले अखबार के नए-नए सम्पादक ने पहले से काम कर रहे कई वरिष्ठ सम्पादकीय सहयोगियों को नौकरी छोडऩे पर मजबूर कर दिया। इसके बाद उसने अपने चंद चमचों को बुला लिया जिनको पत्रकारिता को क ख ग भी नहीं आती और वे आज उनके खास व वरिष्ठ बने हुए हैं।
deependra singh solanki
May 18, 2010 at 8:21 pm
samazdar sampadak ko ishara kafe
AMIT MISHRA
March 9, 2012 at 5:57 pm
Bas itna kahunga ki ye wo sach hai jise ek patrakaar to kam se kam jaroor jaanta hai aur kavi na kavi uska bhooktbhogi banta hai.