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फ्लाप लांचिंग का ठीकरा कल्पेश एंड कंपनी पर!

जगदीश शर्मा को मिला ज्यादा अधिकार : : कमलेश सिंह को सौंपी गई कमान : बहुतों को याद आने लगे श्रवण गर्ग : तबादले से रांची पहुंचे भास्करकर्मियों में पद-पैसे न बढ़ने से रोष :  रांची से सूचना है कि दैनिक भास्कर की सुपर फ्लाप लांचिंग का ठीकरा नेशनल एडिटर कल्पेश याज्ञनिक एंड कंपनी के सिर फोड़ दिया गया है. कहा भी जाता है कि सफलता के सौ दावेदार होते हैं लेकिन असफलता से सब सिर बचाते हैं. कल्पेश याज्ञनिक के नेशनल एडिटर बनने के बाद पहली बड़ी लांचिंग रांची में हुई. कंटेंट व टीम सेलेक्शन का सारा दारोमदार उन्हीं पर था.

<p style="text-align: justify;"><strong>जगदीश शर्मा को मिला ज्यादा अधिकार : </strong>: <strong>कमलेश सिंह को सौंपी गई कमान : बहुतों को याद आने लगे </strong><strong>श्रवण गर्ग : तबादले से रांची पहुंचे भास्करकर्मियों में पद-पैसे न बढ़ने से रोष </strong>:  रांची से सूचना है कि दैनिक भास्कर की सुपर फ्लाप लांचिंग का ठीकरा नेशनल एडिटर कल्पेश याज्ञनिक एंड कंपनी के सिर फोड़ दिया गया है. कहा भी जाता है कि सफलता के सौ दावेदार होते हैं लेकिन असफलता से सब सिर बचाते हैं. कल्पेश याज्ञनिक के नेशनल एडिटर बनने के बाद पहली बड़ी लांचिंग रांची में हुई. कंटेंट व टीम सेलेक्शन का सारा दारोमदार उन्हीं पर था.</p>

जगदीश शर्मा को मिला ज्यादा अधिकार : : कमलेश सिंह को सौंपी गई कमान : बहुतों को याद आने लगे श्रवण गर्ग : तबादले से रांची पहुंचे भास्करकर्मियों में पद-पैसे न बढ़ने से रोष :  रांची से सूचना है कि दैनिक भास्कर की सुपर फ्लाप लांचिंग का ठीकरा नेशनल एडिटर कल्पेश याज्ञनिक एंड कंपनी के सिर फोड़ दिया गया है. कहा भी जाता है कि सफलता के सौ दावेदार होते हैं लेकिन असफलता से सब सिर बचाते हैं. कल्पेश याज्ञनिक के नेशनल एडिटर बनने के बाद पहली बड़ी लांचिंग रांची में हुई. कंटेंट व टीम सेलेक्शन का सारा दारोमदार उन्हीं पर था.

हालांकि सूत्रों का कहना है कि सारा कुछ सुधीर अग्रवाल सीधे देख रहे थे. एक-एक काम उनकी जानकारी में लाकर संपन्न किया गया. सारी स्ट्रेटजी व प्लानिंग सीधे सुधीर अग्रवाल मानीटर कर रहे थे. लेकिन मालिक कभी फेल नहीं होता है. जब मामला बिगड़ जाता है तो मालिक के ठीक नीचे के किसी वरिष्ठ के सिर पर आरोप मढ़ दिया जाता है. यहां भी ऐसा ही हुआ. फ्लाप लांचिंग का ठीकरा किसी वरिष्ठ के सिर पर फोड़ा जाना ही था, सो, कंटेंट सुप्रीमो कल्पेश याज्ञनिक एंड कंपनी (नवनीत गुर्जर आदि) पर तोहमत चस्पा कर दिया गया. इसी कारण इन लोगों को रांची से अपने-अपने ठिकानों की ओर कूच करने को कहा जा चुका है और सभी लोग जा भी चुके हैं. प्रबंधन इस बात से खासकर दुखी है कि झारखंड-बिहार व यहां के लोगों को समझने में अपने वरिष्ठों से कैसे चूक हो गई. बासी कंटेंट व टीम में भगदड़ को प्रबंधन पचा नहीं पा रहा है. झारखंड से जुड़े कुछ स्थानीय पत्रकारों ने भास्कर प्रबंधन को बताया है कि यहां राजस्थान व मध्य प्रदेश की स्टाइल में काम नहीं हो सकता. इस इलाके को वही समझ सकता है जो यहां से जुड़ा रहा हो.

इसके बाद से रांची में नए सिरे से रणनीति बनाए जाने लगी है. भास्कर के पंजाब, हरियाणा, हिमाचल के हेड कमलेश सिंह को रांची बुला लिया गया है. कमलेश के बिहारी होने का फायदा भास्कर प्रबंधन उठाना चाह रहा है. उन्हें पिछली विफलता से सबक लेकर कंटेंट व टीम को मजबूत करने व अखबार को झारखंड-बिहार में चलाने-जमाने के काम पर लगा दिया है. सूत्रों के मुताबिक भास्कर प्रबंधन के खासमखास जगदीश शर्मा ने भी लांचिंग में कोई खास रुचि नहीं दिखाई थी क्योंकि कल्पेश याज्ञनिक से जगदीश शर्मा का छत्तीस का आंकड़ा माना जाता है. खासकर न्यूज टीम के चयन व कंटेंट प्लानिंग को लेकर जगदीश शर्मा की एक नहीं चली थी. इससे जगदीश शर्मा दुखी थे और अपना बेस्ट नहीं दे सके थे.

लांचिंग विफल होने के कारण प्रबंधन ने जगदीश शर्मा को ज्यादा अधिकार दे देकर बिहार-झारखंड प्रोजेक्ट की कमान पूरी तरह उन्हें सौंप दी है. सूत्रों के मुताबिक जगदीश शर्मा की सलाह पर ही भास्कर प्रबंधन ने कमलेश सिंह को रांची भेजा है. उधर, भास्कर के कई वरिष्ठ लांचिंग से श्रवण गर्ग को अलग रखे जाने को विफलता का कारण बता रहे हैं. इन वरिष्ठों का नाम न छापने की शर्त पर कहना है कि अब तक ज्यादातर जगहों की सफल लांचिंग कराने का श्रेय श्रवण गर्ग को जाता है लेकिन प्रबंधन ने जिस तरह से उन्हें काफी दिनों से किनारे कर रखा है और नीति-निर्धारण के मामलों में उनसे कोई संपर्क नहीं रखा है, इस कारण प्रबंधन को रांची में शिकस्त का सामना करना पड़ रहा है.

इस बीच, भास्कर, रांची में अंदरखाने चल रहा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. जो स्टाफ भास्कर में पहले से कार्यरत रहा है और उनका तबादला करके रांची भेजा गया है, वे नाराज चल रहे हैं. प्रबंधन ने उनसे पद व पैसे में वृद्धि की बात कही थी लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है. उपर से रांची के स्थानीय जर्नलिस्टों को ज्यादा पैसे व पद देकर भास्कर के पुराने पत्रकारों का इंचार्ज बना दिया गया है. इससे भास्कर की दूसरी यूनिटों से आए पत्रकारों में जबर्दस्त आक्रोश है. भोपाल से आए कुछ खास लोगों को भी बढ़ावा देने का आरोप वरिष्ठों पर लगाया जा रहा है. सात लोगों के हिंदुस्तान जाने के बाद अब भास्कर के पुराने इंप्लाई जो तबादले पर रांची आए हुए हैं, दूसरे शहरों के बड़े हिंदी अखबारों से संपर्क साध रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक कइयों की बात पक्की हो चली है. अगर प्रबंधन ने जल्द ध्यान नहीं दिया तो संभव है कि सात-आठ अन्य जर्नलिस्ट भी भास्कर, रांची को गुडबाय बोल दें.

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0 Comments

  1. anirudh

    August 26, 2010 at 1:44 pm

    Flop launching ka thikra to Anil Singh,Pawan Goswami,Abhay abam unke sagirdo par forna chahiye. Kyoki obe log abhi tak ranchi ke vendro ko manage nahi kar paye hai. Dainik Bhaskar aaj bhi beyapak paimane par dump kiya ja raha hai . Lekinn obe log APNI DAPLI APNI RAG ALAPNE ME LAGE HAIN.

  2. rishi naagar

    August 26, 2010 at 2:28 pm

    Bhai logon ko pata hona chahiye kaun kahaan fit hota hai…Nishikant Thakur ko jagran se bulakar, bhaskar ki kamaan de deni chahiye…chacha, bhatija, mama, saala, jeeja, sab ki sab team aa jayegi…koi bhi nahi jayega…akhbaar bhi chal jayega…ab yeh salaah to maani jaa sakti hai na!

  3. HARSH KUMAR

    August 26, 2010 at 3:00 pm

    agar akhbaar sahi dhang se bantwana hai to yahan ke sayunkta shangharsh maurcha se samjhawta kar leni chahiye.

  4. govind goyal sriganganagar

    August 26, 2010 at 3:50 pm

    jagdish sharma ji to rajasthan se hee powerful hain. sudhir jee ke sabse nikat.sriganganagar me bhee wahi the or jodhpur me bhee.

  5. VIKAS SHUKLA

    August 26, 2010 at 6:00 pm

    किसी पर कमेन्ट करने से पहले सब जन लेना ज़रूरी है
    रांची में फ्लॉप नहीं हित है भास्कर
    आज का हिंदुस्तान और प्रभात खबर दोनों पढ़ लें पूरे पेपर में तमाम बड़ी गलतियाँ हैं

  6. biharbandhu

    August 26, 2010 at 6:31 pm

    क्यों भाई. दिल्ली में बैठे बैठे ये ज्ञान कहाँ से हो गया की भास्कर की लौन्चिंग फ्लॉप हो गई है. प्रभात खब रके अगेंट के रूप में कम करना बंद करे तभी क्रेडिबिलिटी बचेगी. भास्कर ने वहां सब के पसीने छूड़ा दिए हैं. नंबर १ तो वो पहले दिन ही हो गया था

  7. rajesh saxena

    August 26, 2010 at 9:04 pm

    bhaskar ko yeh samajh lena chahiye ki duniya ko bewakoof dobaar nahin banaya ja sakta. rajasthan main shuru main safal hone ka yeh matlab thode hi hai ki sab jagah chutiapa kar loge…….. ab to mp main bhi izzat bach jaye to ganimat samajh lena…….dwarka prasad ke sath ramesh chandar agarwal ne jo salook kiya..voh sudheer agarwal rameshji ke saath kab karne wale hain?!!!!!!!!

  8. avinash aacharya

    August 27, 2010 at 3:52 am

    Bihar Bandhu bhai, ye bhadas ya yashwant ya koi aur nahi keh raha ki bhaskar ki launching floop hai, Bhaskar ke fer-badal aur wanha ke badey log khud rotey fir rahey hai. wanha ke roz ke badalav bata rahey hai ki haal kya hai. JAGDISH SHARMA ke to sirf Chaplus ho saktey hai log, unki taarif me maalik kaseedey padheyn to padheyn baaki patrakaar aur patrakaarita ke hawale se unhey sahi thahrana murkhata hi kahi jaayegi.

  9. manish singh rathore

    August 27, 2010 at 6:00 am

    day 5 aj bhi purani khabar.Dusre akhbar se gaye huwe log purani file nikalkar bhaskar mai story chap raha hai.bhaskar mai lagta hai koi dekhne wala nahi hai.aaise no. 1nahi no. 4 kai lale pad jayenge

  10. VIKAS SHUKLA

    August 27, 2010 at 10:01 am

    bhaskar ki launching flop hai tabhi baki teeno akhbaro ki neend udi hui hai. Khabre chori karva rahe hai. Yakeen nahi ata to bhaskar ki file nikal lo, kai khabre repeat milengi. Khabre bhaskar ke pas thee iska saboot yeh hai ki uska placement kahin behter hai, jabki bakiyoan me zldbazi me lagaye huin lagti hain. Doosri baat, conspiracy khud kar rahe hain, aur pitne ke baad teeno mil kar chilla rahe hain ki maar diya. Ek aur baat. Jitne log bhaskar chod kar gaye hain, wo sab dage hue the. Jabki jtine log doosre akhbaro se bhaskar aye hain, woh unki backbone hua karte the. Hindustan to khali ho gaya hai. Local photos me obama aur nuclear deal ka caption lagaya ja raha hai…afsoos ki baat hai. Hindustan ke bade log, phone kar-kar bhaskar ke logo ko bargala rahe hain. Lekin, jo purane vafadaar log hain wo kahin nahi ja rahe, ulta phone call dikha-dikha kar apas mein mazaak kar rahe hai. Virodhiyon me hatasha saaf dikh rahi hai……………..

  11. Adil Hassan

    August 27, 2010 at 11:18 am

    in baton main koi dam nahi hai. ranchi main kiya ho raha hai wo sabhi jaan rahe hai. Bhaskar ne dj, hh or pk ki neend uda di hai.

  12. sachkaha

    August 27, 2010 at 11:35 am

    [b]Vikas Bhai Aapney bilkul sahi kaha Pehley rate 2/- kiya aur ab page 16 sey 14 kar diye Pathako sey dhoka ho raha hai……..[/b]

  13. राजाराम सिन्हा, रांची

    August 29, 2010 at 8:34 am

    [b]रांची ने कहा- यह गलत बात है[/b]
    यशवंतजी, आप पत्रकारिता की बात क्यों नहीं करते हैं। ऐसा लगता है जैसे आप भी रांची मामले में पीत पत्रकारिता पर उतर आए हैं। रांची में दैनिक भास्कर के आने से तो लग ही रहा था कि वहां सालों से पीत पत्रकारिता कर रहे अखबारों व पत्रकारों की 12 तो बजेगी ही और यह भास्कर की लांचिंग के पहले ही दिन साबित भी हो गया।
    आप अपनी वेबसाइट पर कंटेंट की बात क्यों नहीं करते। ऐसा लगता है कि आप दैनिक भास्कर और नेशनल एडिटर कल्पेश याग्निक के प्रति खासी दुर्भावना रखते हैं। वरना फिर आप रांची में दैनिक भास्कर के आने के बाद से कंटेंट में बुरी तरह से पिट रहे अखबारों के बारे में ज़रूर लिखते लेकिन आप भला ऐसा क्यों करेंगे। मैं मूलतः रांची का रहने वाला हूं और आपके द्वारा दैनिक भास्कर के बारे में चलाए जा रहे एकतरफा अभियान व दैनिक भास्कर के कंटेंट को लेकर रांची के 100 से ज्यादा पाठकों से बात की तो उनमें से 88 ने यही कहा कि भड़ास केवल पीत पत्रकारिता कर रहा हैं। रांची में दैनिक भास्कर की लांचिंग के पहले ही दिन से तय हो गया था कि रांची में अब असली लड़ाई कंटेंट की ही है और यशवंतजी आप अपने ब्लाग पर इस बारे में कोई बात करना ही नहीं चाहते। मैं रांची को पूरी तरह समझता हूं और पिछले एक सप्ताह में रांची की जनता का एक ही बात कहना है कि कंटेंट के मामले में दैनिक भास्कर ने सारे अखबारों को पछाड़ दिया है।
    अब कंटेंट की बात कर लें ः
    1. दैनिक भास्कर में पहले पेज पर रोजाना गुड न्यूज़ दी जा रही है, क्या यह किसी अन्य अखबार में है।
    2. पहले पेज पर रोजाना ज़रा हटके क्या किसी दूसरे अखबार के पास है।
    3. दैनिक भास्कर की तरह कितने अखबारों में हर पेज पर कम से कम एक स्टिकिंग पाइंट है।
    4. क्या अन्य अखबारों में धरती मां की बेटी है।
    5. क्या अन्य अखबारों में हमने खोया आप न खोएं… जैसा मार्मिक अपील व कंटेंट वाला एक भी कालम है।
    6. क्या रांची का कोई दूसरा अखबार सिविक ईशु उठाता है।
    7. दैनिक भास्कर में अभिव्यक्ति पेज पर जैसा संपादकीय का कंटेंट है क्या वैसा कंटेंट देना किसी दूसरे अखबार के बस में है।
    8. दैनिक भास्कर जैसा कंटेंट माय मनी में दे रहा है वैसा रांची के किसी भी अखबार में है क्या।
    9. धर्म दर्शन, मेरा गांव कालम जैसा कंटेंट आज तक रांची का कोई भी दूसरा अखबार क्यों नहीं दे पाया।
    10. न्यूज मेकर्स, एक्सपोज़ जैसा कंटेंट दूसरे अखबार सोच भी नहीं पा रहे हैं।
    यशवंतजी मैं नहीं जानता कि आप इस प्रतिक्रिया को अपने ब्लाग में जगह देंगे या नहीं लेकिन यदि आप वाकई पत्रकार हैं तो एक बार रांची के दैनिक भास्कर का कोई भी अंक उठाकर देखें, पहली झलक में ही आपको नजर आ जाएगा कि इतना कंटेंट कल्पेश याग्निक की टीम ही दे सकती है। इसके पीछे कितनी मेहनत और जज्बा, जुनून की ज़रूरत होती है वह रांची के दैनिक भास्कर के न्यूज़ रूम में जाकर देखिए।
    सबसे बड़ी बात यह कि दैनिक भास्कर फ्लाप नहीं हुआ है बल्कि रांची के सारे अखबार फ्लाप हो गए हैं। मैंने उपर जितने भी बिंदु लिखे हैं वे मुझे रांची के लोगों ने बताए हैं। रांची दैनिक भास्कर को पसंद कर रहा है। रांची का कहना है जो हमारे हक की बात करेगा वही अब रांची में चलेगा। रांची का कहना है कि अब वाकई हमारी मर्जी चलेगी पीत पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों की नहीं।
    अंत में रांची की जनता से मेरा आव्हान है कि जो भी इस प्रतिक्रिया को पढ़ रहा हो वह अपना जवाब ज़रूर दे।
    [b]राजाराम सिन्हा,[/b] एक जागरूक नागरिक, रांची

  14. jha

    August 29, 2010 at 3:52 pm

    i am with Rajaram sinha. i will saport to sinha,
    jha

  15. wrong news& wrong views

    August 30, 2010 at 4:02 am

    राजाराम सिन्हा ने बिल्कुल सही लिखा है। मैं उनके साथ हूं। मैं भी रांची का ही रहने वाला हूं और लगातार भास्कर पढ़ रहा हूं। न केवल प्रस्तुतिकरण में वरन कंटेंट प्लानिंग में भी भास्कर का कोई सानी नहीं।
    मैं इस बात से बिल्कुल सहमत हूं कि भड़ास में रांची दैनिक भास्कर के बारे में आपने जो भी प्रकाशित किया है वह गलत है। यशवंत भाई मैं समझता हूं कि आप स्वयं अब खबरों की फिक्सिंग करने लगे हैं और यह भी तो यलो जर्नलिज्म ही है। नहीं है क्या….?

  16. arbaaz

    September 8, 2010 at 4:49 pm

    kalpesh yagnik fail nahin ho sakate lekin navneet jaison ka kya…news sense hee nahin hai.shravanji kaa dabdaba bhaskar kee saflata mein mahatvapurna raha hai.ve hee rajsthan,gujrat,chandigarh,punjab-haryana kee saflata kee vajah hai.
    sudhir agrawal har jagah poori pakad rakhte hai.isliye saflata-asaflata mein barabar bhagidaar hai.lekin jagdish sharma na news samjhate hain aur nahi standard maintain kar paate hai akhbar kaa.haryana ka bhaskar inhone porn magazine bana kar rakh diya tha..inhe laga tha ki haryana ke log nude photo pasand karenge lekin…balatkaar kee khabare ras le-lekar chhapavaate the..lekin malikon ko to business se matlab,paisa kamakar jo de vahi aankhon kaa tara

  17. BIJAY SINGH

    December 21, 2010 at 3:25 pm

    DAINIK BHASKAR bada akhbar hai.bada hone ke kayi karan hote hain.contents me bhaskar kaphi aage hai,haan jahan tak jharkhand ka sawal hai,ho sakta hai launching me bhul hui ho,par bade projects me ye sab chalta hai.bhaskar akhbar chalana janta hai,issliye abhi koyi bhi comment jaldi baji hogi.

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