समरथ को नहीं दोष गुसाईं. अगर आप पैसे वाले हैं, पावरफुल हैं, सत्ता में आपकी पैठ है तो नियम-कानून की मनमानी व्याख्याएं कर सकते हैं. भास्कर ब्रांड नेम का विवाद कोर्ट में चल ही रहा था कि डीबी कार्प ने लांचिंग की तैयारियां शुरू कर दीं और अखबार का प्रकाशन भी प्रारंभ कर दिया. हाईकोर्ट ने कल प्रकाशन रोकने को कहा लेकिन प्रकाशन कार्य बाधित नहीं हुआ. बस कुछ तकनीकी बाजीगरी कर प्रकाशन जारी रखा गया. आज के दिन भी रांची में दैनिक भास्कर के नाम से अखबार प्रकाशित हुआ और बंटा. प्रिंटलाइन में तकनीकी बदलाव करते हुए जमशेदपुर से प्रकाशित लिख दिया गया.
साथ ही यह भी कि आरएनआई पंजीयन क्रमांक आवेदित. पूरे अखबार में कहीं भी रांची नहीं लिखा गया है. रांची से सिर्फ मुद्रित बताया गया है. आज प्रिंटलाइन इस प्रकार है- ”प्रकाशक एवं मुद्रक संजय पराशर द्वारा स्वामी मेसर्स डीबी कार्प लिमिटेड के लिए भास्कर प्रिंटिंग प्रेस प्लाट नंबर 535 एवं 1272, ललगुटवा पुलिस स्टेशन रातू, रांची से मुद्रित एवं ग्राउंड फ्लोर ब्लाक ए अपोजिट सेंट मेरी चर्च डिस्टूपुर, जमशेदपुर से प्रकाशित. संपादक- ओम गौड़. आरएनआई पंजीयन क्रमांक आवेदित. वर्ष एक. अंक 63.”
यहां यह भी आश्चर्य की बात है कि रांची में भास्कर के छपे अभी छह दिन हुए हैं जबकि वर्ष एक और अंक 63 अखबार पर लिखा हुआ है. पहले पन्ने पर कहीं ‘रांची से प्रकाशित’ शब्द का इस्तेमाल नहीं है. एक तरह से डीबी कार्प वालों ने जमशेदपुर में प्रकाशन के लिए आरएनआई में दाखिल अप्लीकेशन के आधार पर रांची में अखबार का प्रकाशन व वितरण किया. भास्कर के साथ टैबलायड डीबी स्टार का भी प्रकाशन व वितरण हुआ. इसमें भी कहीं रांची शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है.
कल रात चर्चा यह थी कि रांची में भास्कर का प्रकाशन रायपुर की प्रिंटलाइन से किए जाने की तैयारी है. शायद यह चर्चा जानबूझ कर उड़ाई गई थी ताकि कोई यह अंदाजा न लगा सके कि वाकई भास्कर प्रकाशन के लिए क्या रणनीति तैयार कर चुका है. फिलहाल, भास्कर कांड के कारण रांची में मीडिया वालों के बीच जबर्दस्त उत्तेजना का माहौल है.
ABC
August 28, 2010 at 7:09 am
Yashwant Bhai, Money makes a man smart. Jiske pas paisa hai Press., polticians, police prashasan aur priest uski mutthi me hote hain.
naresh arora
August 28, 2010 at 8:02 am
Everything is fair in love and war…it was very much expected and Bhaskar is technicaly sound here now…..Lets see what court says in this matter…
VIKAS SHUKLA
August 29, 2010 at 10:36 am
अरे भाई भास्कर वाले कोई बेवकूफ तो हैं नहीं जो ऐसे ही प्रकाशन शुरू कर देंगे, हाँ भास्कर के विरोधियों के लिए यह एक अच्छी खबर रही होगी, हिंदुस्तान ने तो इस खबर को अपनी लीड बनाया लेकिन दूसरे फनू जब भास्कर छपा तब सबकी हवा निकल गयी. अब प्रभात और दूसरे अख़बार भास्कर के लिए कोई और नयी रणनीति तैयार करें
VIKAS SHUKLA
August 29, 2010 at 10:41 am
रांची के दूसरे अख़बार वालों ने भास्कर को रोकने के लिए पहले हाकरो को पिटवाया. फिर भास्कर बेचने वाले हाकरो को भाम्काया और उनसे भास्कर के बण्डल छीन लिए. फिर भी फर्क नहीं पड़ा तो खबर छाप दी की भास्कर का प्रकाशन बंद होगा
पत्रकारिता में इससे पहेले ऐसा नहीं होता था लेकिन न जाने क्यों और अख़बारों की नींद उडी है.