: दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने खुद मुकदमा सुनने से इनकार कर दिया : मामले को कोर्ट नंबर दो में स्थानांतरित किया जहां अब कल होगी सुनवाई : जमशेदपुर के जिलाधिकारी द्वारा डिक्लयरेशन एसेप्ट किए जाने और रांची से दैनिक भास्कर के मुद्रण पर संजय अग्रवाल के वकील ने जताई आपत्ति :
दिल्ली हाईकोर्ट की एकल खंडपीठ द्वारा रांची से डीबी कार्प के नेतृत्व में दैनिक भास्कर नाम से अखबार का प्रकाशन रोके जाने के निर्देश के दो दिनों बाद आज डीबी कार्प के लोग राहत के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की शरण में पहुंचे लेकिन आज कोई राहत नहीं मिली. सूत्रों के अनुसार मुख्य न्यायाधीश दिलीप मिश्रा ने दैनिक भास्कर का नाम आते ही इस प्रकरण को सुनने से इनकार कर दिया और याचिका को कोर्ट नंबर दो में स्थानांतरित करने के आदेश दिए.
डीबी कार्प की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने ज्योंही रांची में भास्कर का प्रकाशन रोके जाने का मामला मुख्य न्यायाधीश के सामने उठाया, न्यायमूर्ति दिलीप मिश्रा ने मुकदमें को सुनने से इनकार कर दिया है. जब मुकदमा न सुनने के पीछे कोई लीगल वजह होने के बारे में डीबी कार्प के वकील ने मुख्य न्यायाधीश से जानना चाहा तो न्यायमूर्ति दिलीप मिश्रा ने इससे इनकार किया. उनका कहना था कि ये मामला वे नहीं सुनेंगे. इसे कोर्ट नंबर दो में स्थानांतरित कर रहे हैं. कल वहां सुनवाई होगी.
सूत्रों का कहना है कि दिलीप मिश्रा मध्य प्रदेश में पदस्थ रहे हैं और दैनिक भास्कर समूह के बारे में काफी कुछ जानते हैं, संभवतः यही वजह हो कि उन्होंने खुद इस मामले को सुनने से इनकार कर दिया हो. उधर, दैनिक भास्कर ब्रांड नेम के को-आनर संजय अग्रवाल ने हाईकोर्ट में दो अन्य याचिकाएं लगा दी हैं. एक में जमशेदपुर के डीएम द्वारा डिक्लयरेशन देने पर आपत्ति की गई है. इसमें कहा गया है कि जब जमशेदपुर के डीएम के यहां वे लोग पहले ही अपनी आपत्ति लगा चुके थे तो बिना उनका पक्ष सुने किस तरह डीबी कार्प का डिक्लयरेशन एसेप्ट कर अखबार प्रकाशन की अनुमति दी गई.
दूसरा मुद्दा रांची में भास्कर के मुद्रित होने का है. संजय अग्रवाल के वकील राजीव नय्यर ने कोर्ट को सूचित किया है कि जब अखबार का प्रकाशन रांची से बंद करने के निर्देश हैं तो ऐसे में रांची से मुद्रण कैसे किया जा सकता है. संभव हो कि कल डीबी कार्प की यायिका के साथ-साथ संजय अग्रवाल की याचिकाओं पर भी सुनवाई हो. कुल मिलाकर भास्कर घराने का यह झगड़ा कानूनी दावपेंच में बुरी तरह उलझ चुका है. फिलहाल इसका कोई समाधान नहीं निकलता दिख रहा है.
VIKAS SHUKLA
August 30, 2010 at 9:56 am
यशवंत जी हल जल्दी ही निकलेगा आप सब परेशां न हो .
jagdish yadav
August 30, 2010 at 4:46 pm
authority should stop the publication from jharkhand and teach the lession to bhaskar group.they think that they are above the law.
surinder singh
August 31, 2010 at 3:28 am
ye sab galat hai itna sab kuch hone ke baad agar koi prakashan par rok lagaey to ye sarasar galat hai isse na to sirf bhaskar ko nuksan hoga balki lakho pathak gan ko bhi iska nuksan ka samna karna hoga behatar yehi ho hi ghar ki ladai ghar pe hi rehne deni chahiye aur milkar sab kuch baat chit dwara mamla sulzha lena chaiye mein kanoon se bhi darkhwast karta hoon ki is aur dhyan diya jaya