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दैनिक जागरण, कानपुर को पत्रकारों की जरूरत

: खराब हाल है जागरण, कानपुर के संपादकीय विभाग की : संपादकीय विभाग की आंतरिक राजनीति, अव्यवस्था, कुप्रबंधन से जूझ रहे दैनिक जागरण, कानपुर को उप संपादक और रिपोर्टर चाहिए. इससे संबंधित एक विज्ञापन कई संस्करणों में प्रकाशित किया गया है. मंगलवार को प्रकाशित विज्ञापन के अनुसार उप संपादक पद के लिए वे लोग आवेदन कर सकते हैं, जिनका जनरल डेस्क पर काम करने का तीन से पांच वर्ष का अनुभव हो. अभ्यर्थी को अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद करना आता हो, कंप्यूटर पर काम करने में सक्षम हो.

: खराब हाल है जागरण, कानपुर के संपादकीय विभाग की : संपादकीय विभाग की आंतरिक राजनीति, अव्यवस्था, कुप्रबंधन से जूझ रहे दैनिक जागरण, कानपुर को उप संपादक और रिपोर्टर चाहिए. इससे संबंधित एक विज्ञापन कई संस्करणों में प्रकाशित किया गया है. मंगलवार को प्रकाशित विज्ञापन के अनुसार उप संपादक पद के लिए वे लोग आवेदन कर सकते हैं, जिनका जनरल डेस्क पर काम करने का तीन से पांच वर्ष का अनुभव हो. अभ्यर्थी को अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद करना आता हो, कंप्यूटर पर काम करने में सक्षम हो.

रिपोर्टर पद के लिए किसी प्रतिष्ठित अखबार में तीन से पांच साल तक का कार्य करने का अनुभव रहा हो. साथ ही कंप्यूटर की जानकारी होना भी अनिवार्य है. इन पदों के लिए दस दिन के अंदर आवेदन किया जा सकता है. आवेदन करने का पता ये है- संपादक, दैनिक जागरण, जागरण बिल्डिंग, 2, सर्वोदय नगर, कानपुर-5 (नोट- लिफाफे पर पद का नाम अवश्य लिखें.)

सूत्रों का कहना है कि दैनिक जागरण, कानपुर में इन दिनों जमकर राजनीति चल रही है. वैसे भी, जहां संपादकीय प्रभारी विनोद शील होंगे, वहां आंतरिक राजनीति अपने आप ज्यादा तेज हो जाती है. उपर से चीफ रिपोर्टर संजीव मिश्रा. अपने आगे किसी की चलने नहीं देंगे. मालिकों के हनुमान हैं, सो, मालिकों के कान भरते रहते हैं, दूसरों के खिलाफ पट्टी पढ़ाते रहते हैं. आफिस के अंदर तो अपनी दादागिरी चलाते रहते हैं लेकिन जब मालिकों से मिलते हैं तो लायल्टी व विनम्रता की साक्षात हनुमान मूर्ति बन जाते हैं. सुना है, आजकल दैनिक जागरण, कानपुर में तीन-तीन चीफ रिपोर्टर टहल रहे हैं. शहर के नेतागण परेशान हैं. किसको रिपोर्ट करें, किसको न. आपस में जमकर तलवारबाजी चल रही है. लोग लंबी-लंबी मेल लिखकर, कुव्यवस्था के बारे में बताकर यहां की नौकरी छोड़ रहे हैं लेकिन निदेशक संदीप गुप्ता की नींद टूट नहीं रही है. कई अच्छे लोग दुखी होकर जागरण, कानपुर को नमस्ते करके चले गए.

पिछले कुछ महीने में कम से कम दर्जन भर लोगों ने दैनिक जागरण, कानपुर छोड़ा होगा. जो चेला बनने को तैयार नहीं, जो गाली सुनने को तैयार नहीं, जो कमाई करने-कराने को तैयार नहीं, उसे येन-केन प्रकारेण निकाल दिया जाएगा या ऐसी स्थितियां क्रिएट कर दी जाएंगी कि वो छोड़कर चला जाएगा. कोई नहीं बचेगा तो फिर निकाल दो विज्ञापन, भर्ती का. कोई न कोई मुल्ला फंस ही जाएगा, बेरोजगारी जो इतनी है मीडिया फील्ड में. पर दुर्भाग्य यह देखिए कि लाखों रुपये लेकर हर साल सैकड़ों लोगों को पत्रकारिता की डिग्री बांटने वाला दैनिक जागरण अपने ही छात्रों को अपने यहां नौकरी पर नहीं रखता. दूसरे अखबारों के अच्छे लोगों को लेकर आने को प्राथमिकता देता है.

पर दूसरे अखबारों से आए अच्छे लोग टिक नहीं पाते. जागरण, कानपुर के खुद के जो बदमाश किस्म के जड़ियल-खड़ूस व वर्षों से जमे-जमाए पत्रकार हैं, वे दूसरे अखबारों से आए नए लोगों को जमने नहीं देते, काम करने नहीं देते. कहते हैं कि कानपुर में निदेशक संदीप गुप्ता की जानकारी में सब कुछ है, लेकिन कुछ एक लोगों पर अति विश्वास और अति निर्भरता ने उनके हाथ-पांव-मुंह सब बांध रखे हैं.

ऐसे में, दैनिक जागरण, कानपुर के लिए अप्लाई करने वालों, दस बार सोचने के बाद ही फार्म भरकर भेजना. बेहद डेंजरस जोन है दैनिक जागरण, कानपुर. वहां के सीनियरों को न बात करने की तमीज है और न मनुष्य की गरिमा का ध्यान. खुद गुलाम हैं, और अपने नीचे गुलाम किस्म के पत्रकार पालना चाहते हैं.

हास्यास्पद यह है कि नेट व टेक्नालजी के इस दौर में जागरण कानपुर वालों ने लिफाफा, डाक, कुरियर आदि के सहारे आवेदन मांगा है. ये लोग बाबा आदम के समय में जी रहे हैं. कायदे से मेल आईडी प्रकाशित कर आनलाइन रिज्यूम मंगवा लेना चाहिए. लेकिन इन्हें कौन समझाए. जो समझाने वाले लोग इर्द-गिर्द हैं, वे खुद गधे से उच्च कोटि के नहीं हैं. देश का नंबर वन अखबार कहने वाला दैनिक जागरण जब डाक से रिज्यूम मंगाता है तो इसके भीतर के बौद्धिक दिवालियापन, बौद्धिक सूनापन और बौद्धिक सांय-सांय को समझा जा सकता है.

अगर आपके पास भी दैनिक जागरण, कानपुर के संपादकीय विभाग के बारे में कोई खबर, सूचना, जानकारी है तो शेयर कर सकते हैं, नीचे कमेंट बाक्स में अपनी बात लिखकर या [email protected] पर मेल भेजकर.

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0 Comments

  1. ANIL GUPTA VARANASI

    August 17, 2010 at 6:11 am

    Aapki lekhni vastav me bebak hai..yasvant jee aap jb v likhte hai vastav me kalam tod dete hai..aapke likhe lekho ko pdhkr aisa mhsus hota hai ki abhi v kalam ke pujari jinda hain..jagran me maine v kam kiya hai but dil se aawaj aati hai kam krne layak jagah nahi hai..

  2. रोशन लाल

    August 17, 2010 at 7:02 am

    इस विज्ञापन में वेतन / पारिश्रमिक का तो कोई जिक्र ही नही है . क्या इसे जागरण में प्रचलित ” शहर पड़ा है कमाने – खाने को ” मुहिम का हिस्सा मान ले .

  3. saleem malik

    August 17, 2010 at 8:04 am

    guru ji, ye angoooor khatttte he………………., koeee dusra chara latkao,, tabhi koeee fansega ?????

  4. Ghanshyam krishana

    August 17, 2010 at 9:34 am

    kya akaal pad gayaa hai reportero kaa. pahale candidates c.v. post karte per interview ke liye call nahee aatee hai.kyuki yahaa ke editors ko jaatiwaadita kee khusbu pasand hai. To candidats pahale pata kar lo ki kis cast ke editor jyada hai, agar aap bhe us series mai aate hai to c.v. jaroor post karanaa.Inshaa allah call jaroor aayegee.

  5. rajesh budaun

    August 17, 2010 at 2:06 pm

    सिर्फ ब्राह्मणों से ही आवेदन मांगते तो ज्यादा अच्छा रहता क्यूँ की औरों को लोगे नहीं या लेने के बाद शोषण करोगे

  6. susheel kumar chaudhary

    August 17, 2010 at 3:20 pm

    sir jo in sabdo ka pryog karate hai kya unke sath kuch hota hai kya….

  7. R.k.Singh

    August 17, 2010 at 4:23 pm

    भाई ये तो हो ना ही था ……भई मीडिया में लाइफ नहीं है ….केवल इंजॉय करना हो, तो जोईन करना ……….

  8. Rajesh Saxena

    August 17, 2010 at 9:32 pm

    jagran-bhaskar ke maalik avval darje ke chor uchakke hain. unhen koi matlab nahin ki desk par ya field main kya ho raha hai. jab tak inke chamche manager kamakar dete rahenge, tab tak yeh kisi baat ki parvah nahin karte. samjhe bhai logo!!!!

  9. roller

    August 18, 2010 at 7:58 pm

    yasvant bhai jagran ne too achche achche ki mari, pr ape ki lakhani main chupa dard wahi samjha sakta hai. jis ki jagran ni le lee ho.
    rajesh t

  10. GHANSHYAM S BAGHI

    August 19, 2010 at 2:51 pm

    Dear yashwant ji wakai dildar aur nidar bande ho kaya satik likhtey ho dil bag bag ho jata hai aise logo ke liye asi bhasha padhkar mera bhi sina choda ho jata hai wakai ye log isi bhasha ke kabil hain. ed mein bhi iska kata hua banda hun.thanks

  11. sanjay awasthi

    August 21, 2010 at 9:46 am

    Yashwant bhaiya apko bahut bahut dhanyavad

    Apne sachchai ko samne rakh diya hai.Main bhi Jagran Kanpur mein Mr. Vinod Sheel ke dwara sataya gaya hun aur isiliye naukri chod kar ab naye sire se job search kar raha hun. Ek karod ki gadi kharid kar chalne wale jagran ke maliko ko dhele bhar ki tamiz nahi hai aisa lagta hai.

  12. Devesh tiwari

    August 23, 2010 at 8:12 am

    4 Saal se Resume bhej rha hu..Ek se Ek Gadhe ladke Bharti kar liye jate hai. lekin Agar koi Sifarish nhi hai to Resume Dalna bekar hai……

  13. roshan jaiswal

    August 23, 2010 at 2:09 pm

    Dear sir,
    I have no experince for journalsim but i want to do this job,
    so you are requested to tell me that how can apply for the job of reporter in danik jagran……….

    waiting for favourable response

  14. nikhil

    August 24, 2010 at 9:40 am

    [b][/b] sab jagah haalaat kharab hai.youngsters ko naukri mil nahi rahi hai.jaha chance hai waha seniours ke ishare par dance karna padega………jab tak younstres free main naukri karna ya apne haak ki ladai nahi ladenge tab tak media main yahi hota rahega….aur seniours ya media sansthan youngstrs ka soshan karte rahenge…….samajh lo mere youngs journalists………aur banalo apni ek union……..ha ha ha

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