: राजवीर सिंह फिर आए फार्म में : रिटायरमेंट में बचे हैं एक साल : कई लोग नौकरी तलाशने में जुटे : दैनिक जागरण, मेरठ में कुछ समय से साइडलाइन चल रहे बुजुर्ग पत्रकार और डिप्टी न्यूज़ एडीटर राजवीर सिंह फिर सक्रिय हो गए हैं. रिटायरमेंट के ठीक पहले प्रबंधन ने उन्हें खुलकर खेलने का मौका प्रदान कर दिया है. राजवीर सिंह तकरीबन एक साल से संस्थान में किनारे कर दिये गये थे. तब से वह केवल मेरठ में अखबारों की समीक्षा करके अपनी भड़ास निकाल रहे थे. समाचार संपादक विजय त्रिपाठी के आने के बाद से राजवीर सिंह का न्यूज़ रूम में प्रवेश निषेध था.
कुछ महीनों से राजवीर सिंह लगातार विजय त्रिपाठी से मिलजुल रहे थे. वेस्ट यूपी स्टेट हेड बनने के बाद से विजय त्रिपाठी व्यस्त चल रहे हैं. उन्होंने भी राजवीर सिंह की सिफारिश प्रबंधन से कर दी. प्रबंधन ने राजवीर सिंह को मेरठ यूनिट के न्यूज़ रूम का प्रशासनिक दायित्व सौंप दिया है. विजय त्रिपाठी ने इससे पहले भी प्रयोग किया था और राजवीर सिंह के व्यवहार, भ्रष्टाचार और आतंक से मुक्त कराने के लिए मनोज झा को प्रादेशिक डेस्क प्रभारी बनाया था. लेकिन मनोज झा भी धीरे-धीरे कई तरह के विवादों में फंसते गए.
मनोज झा को पिछले दिनों इनपुट डेस्क प्रभारी बना दिया था. इसके तहत मनोज झा के पास खबरों की मॉनिटरिंग का काम रह गया है. राजवीर सिंह ने नई व्यवस्था की कमान शुक्रवार से संभाल ली है. विजय त्रिपाठी इन दिनों वेस्ट यूपी के दौरे पर हैं. दो दिनों में ही राजवीर सिंह ने न्यूज रूम में फिर अपने तेवर दिखा दिए हैं. वे प्रबंधन को दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके काम करने से अखबार समय से छूट रहा है. न्यूज़ रूम में डेस्क प्रभारियों से ‘अबे-तबे’ करके राजवीर सिंह अहसास करा रहे हैं कि वह अंतिम पारी खेल रहे हैं और साल भर बाद उनका रिटायरमेंट होना है.
न्यूज रूम में यह चर्चा है कि राजवीर सिंह ने अपने पुराने चेलों बिजनौर प्रभारी अशोक चौहान, मुजफ्फरनगर प्रभारी नीरज गुप्ता और सहारनपुर प्रभारी अवनींद्र कमल को तो बाकायदा फोन पर ही खुली छूट देते हुए हिसाब-किताब की पुरानी मासिक व्यवस्था बहाल कर दी है. प्रबंधन के इस कुप्रबंधन से त्रस्त जागरण के कुछ वरिष्ठ साथी नौकरी छोड़ने की फिराक में हैं. कुछ लोग भास्कर प्रबंधन के वरिष्ठों के संपर्क में हैं तो कुछ मेरठ के गॉडविन ग्रुप के नये अखबार के व्यवस्थापकों में गिने जाने लगे हैं.
उधर, राजवीर सिंह के न्यूज रूम में सक्रिय हो जाने और रवि शर्मा के फिर से सिटी इंचार्ज बना दिए जाने को मेरठ की मीडिया के जानकार लोग दूसरे रूप में ले रहे हैं. इनका मानना है कि पंचायत चुनाव नजदीक होने के कारण निदेशक गुप्ताज को कमाऊ पूतों को आगे करना ही था. राजवीर व रवि एडवरटोरियल, पेड न्यूज और लाइजनिंग के उस्ताद रहे हैं व चुनावों में इस जोड़ी ने अच्छी खासी कमाई करवाई है, सो, इसस जोड़ी को फिर से बहाल कर प्रबंधन ने चुनाव से अच्छी कमाई कर लेने की पूरी रणनीति बना ली है. ऐसे में काम करने वालों के लिए दौरे करने, दूसरे अखबारों में नौकरी तलाशने व किनारे पड़े रहने के अलावा करने के लिए और कुछ बचता नहीं है.
मेरठ से आई एक पत्रकार की चिट्ठी पर आधारित. इस विश्लेषण से कोई अगर सहमत-असहमत हो तो अपनी बात नीचे कमेंट बाक्स में लिख सकता है या फिर [email protected] पर मेल कर सकता है. मीडिया से जुड़ी सूचनाएं, खबरें, हलचल, लेख, सम्मान, गतिविधि आदि हम तक [email protected] के जरिए पहुंचा सकते हैं. अनुरोध करनने पर भेजने वाले का नाम गुप्त रखा जाएगा.
Mohammad Anas
September 6, 2010 at 12:23 pm
ab bujurgo ko khud ghar baith jana chahiye.
अमित गर्ग. जयपुर. राजस्थान.
September 6, 2010 at 1:47 pm
लॉबिंग और लाइजनिंग करने वाले लोग ज्यादा नहीं चलते…!
योगराज शर्मा
September 6, 2010 at 4:56 pm
शांति में सम्मान है…
योगराज शर्मा
http://journalisttoday.com/
rahul
September 6, 2010 at 5:53 pm
meerut mein abhi khel baki hai.
amait
September 6, 2010 at 7:09 pm
रवि शर्मा इतने बेहतर या उस्ताद होते तो आगरा छोड़ कर भागना न पड़ता ,यहाँ तक कि आगरा छोड़ते समय रवि शर्मा को अपने अधीनस्थों से मुंह छिपा कर बिना मिले ही सामान ले कर निकलना पड़ा .
M.K. Rastogi
September 6, 2010 at 8:50 pm
खबर जबरदस्त है। जागरण वालों की आंखों पर तो चुनावी पैसे की चर्बी चढ़ी है। जो जानकारी भड़ास ने दी है उससे कहीं ज्यादा राजवीर सिंह और मनोज झा उस्ताद हैं। आपने यह तो बताया ही नहीं कि अबे-तबे का दौर इसलिए शुरू हुआ है कि राजवीर सिंह और मनोज झा में अब जिलों से उगाही के पैसे को लेकर वर्चस्व की जंग शुरू होनी है। ऐसे लोगों की नौकरी जागरण में ही चल सकती है।
Arun Sharma
September 6, 2010 at 8:54 pm
Jagran ke management me agar zara bhi sharm hai tou inke khilaf karyevahi karke dikhaye. verna patrakarita ke aadarsho ka jhanda buland karna aur khud ko number one brand likhna band kare.
shubchintak
September 7, 2010 at 7:03 pm
chele or guru sab chor hai, juniors ko exploit kar apni pockets bhari ja rhi hai. upar se jagran k owners bhi rajveer singh or neraj gupta ji ko lambi paari khelne ka galat moka de rhe hai. sach to ye hai k dainik jagran k kuch seniors public or sansthan ka ullu bna rhe hai………. vishwas maniya aaj ki date me yhu sach hai
shubchintak
September 7, 2010 at 7:07 pm
rajveer singh or unke chele jaan chuke hai k unjo paari khatam hone vali hai, shayad tabhi noto ko btorne me lag gae hai jese Mr. rajnigandha tulsi (niraj gupta)
dhanish sharama
November 23, 2010 at 8:04 am
isma konsi nai baat hai.