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9 करोड़ होते तो नौकरी क्यों तलाशता : पंवार

माफिया भाई और नेताजी के नाम की धमकी देते थे : किसी बिल्डर शमशेर को नहीं जानता : पासवान से एक साल से मुलाकात नहीं : बिना आरएनआई नंबर वित्तपोषण संभव नहीं : लड़की वाली शिकायत मेरे टर्मिनेशन के दिन क्यों?  : डीएनए चेयरमैन ने मेरे बारे में जो लिखा है, उससे साबित हो रहा है कि उनकी बातें व आरोप कितने गलत हैं. वे बाहर से पैसा लाने के मुझ पर दबाव को खुद मान रहे हैं. मेरा सवाल यही है कि क्या खुद का एक पैसा लगाए बिना यूनिट खुल सकती है? ये करिश्मा हो सकता है?

<p style="text-align: justify;"><strong>माफिया भाई और नेताजी के नाम की धमकी देते थे : </strong><strong>किसी बिल्डर शमशेर को नहीं </strong><strong>जानता </strong><strong>:</strong><strong> </strong><strong> पासवान से एक साल से मुलाकात नहीं : बिना आरएनआई नंबर वित्तपोषण संभव नहीं : लड़की वाली शिकायत मेरे टर्मिनेशन के दिन क्यों?  : </strong> डीएनए चेयरमैन ने मेरे बारे में जो लिखा है, उससे साबित हो रहा है कि उनकी बातें व आरोप कितने गलत हैं. वे बाहर से पैसा लाने के मुझ पर दबाव को खुद मान रहे हैं. मेरा सवाल यही है कि क्या खुद का एक पैसा लगाए बिना यूनिट खुल सकती है? ये करिश्मा हो सकता है?</p>

माफिया भाई और नेताजी के नाम की धमकी देते थे : किसी बिल्डर शमशेर को नहीं जानता : पासवान से एक साल से मुलाकात नहीं : बिना आरएनआई नंबर वित्तपोषण संभव नहीं : लड़की वाली शिकायत मेरे टर्मिनेशन के दिन क्यों?  : डीएनए चेयरमैन ने मेरे बारे में जो लिखा है, उससे साबित हो रहा है कि उनकी बातें व आरोप कितने गलत हैं. वे बाहर से पैसा लाने के मुझ पर दबाव को खुद मान रहे हैं. मेरा सवाल यही है कि क्या खुद का एक पैसा लगाए बिना यूनिट खुल सकती है? ये करिश्मा हो सकता है?

मुझे जो कुछ बातें कहनी हैं, वे इस प्रकार हैं-

  1. वित्तपोषण का मतलब क्या होता है? इंट्रेस्ट पर, पार्टनरशिप में या फिर फोकट की रकम? क्या कभी इंट्रेस्ट या पार्टनरशिप पर पैसा लाने और लेने की मिस्टर राय की मंशा रही? उन्हें फोकट का पैसा ही चाहिए था. क्या कहीं खैरात या फोकट में पैसा बिखरा पड़ा है? जो पैसा देगा, वो अपने इंट्रेस्ट भी देखेगा और एग्रीमेंट की लिखा-पढ़ी भी करेगा. इंट्रेस्ट भी लेगा. पार्टनरशिप भी मांगेगा. क्या यूं ही किसी के हाथ में करोड़ों रुपये थमा देगा? जब वैलिड तरीके से वित्तपोषण को इनसे कहा जाता था तो हत्थे से उखड़ जाते थे. अपने माफिया भाई और नेताजी के नाम की धमकी देते थे.
  2. नीतिगत मतभेद, इनके दबाव और अनहोनी के डर का ही नतीजा था कि मैं जनवरी से वहां नहीं हूं. दिसंबर में भी 6-7 दिन ही रहा. मेरे जैसा 24 घंटे खटने वाला जर्नलिस्ट क्या बिना काम के रह सकता है? इन्होंने प्रिंटलाइन से नाम नहीं हटाया, नतीजा, इस बीच मैं कहीं दूसरी जगह नौकरी पर भी नहीं जा पाया. कुछ मेरे शुभचिंतक नाराज भी हो गए. जनवरी से अब तक मैं अपने सभी शुभचिंतकों को जाब दिलाने के लिए भी अनुरोध कर चुका हूं. अगर मेरे पास 9 करोड़ होते या मुझे इतनी बड़ी रकम कोई देता तो क्या मैं किसी के यहां नौकरी मांगता?

  3. वित्तपोषण का मतलब यह भी होता है कि मैनेजमेंट के अनुरोध पर संपादक अपनी कोशिशों से एड रेवेन्यू जनरेट कराए. इनके पास अब तक आरएनआई नंबर नहीं है तो कैसे संपादक बड़े बड़े संस्थानों से वित्तपोषण करा सकता है?

  4. मैं भी शपथपूर्वक कहता हूं कि दिल्ली के किसी बिल्डर मिस्टर शमशेर सिंह को मैं नहीं जानता. फिर 2 करोड़ लेने-देने का सवाल ही कहां उठता है?

  5. मैं ये भी शपथपूर्वक कहता हूं कि मिस्टर रामविलास पासवान से पिछले एक साल से मेरी कोई मुलाकात तक नहीं है. और ना ही कभी टेलीफोन पर बात हुई. हम आखिरी बार उस दिन मिले थे जिस दिन दूसरी बार मनमोहन सरकार शपथ ले रही थी. बिहार में जर्नलिज्म करने के कारण मैं मिस्टर पासवान को अच्छी तरह जानता हूं. उनका नाम लेकर मिस्टर राय उनकी छवि को खराब करने की भी साजिश रच रहे हैं.

  6. इस पूरे एपिसोड में एक अच्छी बात ये हुई कि मुझे मेरे नाम कि इस वैल्यू का पता चल गया कि लोग मेरे नाम पर करोड़ों रुपये खैरात में दे सकते हैं और वो भी बिना किसी एग्रीमेंट और वैलिट पेपर के. मेरी इस मार्केट वैल्यू को सार्वजनिक करने के लिए मैं श्रीमान राय साहब का हमेशा आभारी रहूंगा.

  7. रहा सवाल लड़की के आरोपों का, भड़ास4मीडिया डाट काम पर मिस्टर राय और उस गुमनाम लड़की के लेटर से ही पता चल रहा है कि ये कितना बड़ा सफेद झूठ है और कितनी घिनौनी साजिश है. गुमनाम लड़की के लेटर पर नीचे 9 जून की तारीख पड़ी है और मिस्टर राय इसी शिकायत पर मुझे 6 जून को 3 लाइन के एसएमएस से नोटिस भेज देते हैं. यानि नोटिस पहले और कैरेक्टर की शिकायत 3 दिन बाद. भला ये कैसे हो सकता है? मिस्टर राय ही ऐसा कर सकते हैं.

  8. लड़की के लेटर में कहा गया है कि मैं ईद के बाद से ही परेशान करने लगा था. और शादी के लिए दबाव डाल रहा था. खुद मिस्टर राय लिखते हैं कि मैं अगस्त से जून तक लखनऊ से बाहर रहा. लगातार बुलाने पर भी नहीं गया. अगर मेरी मंशा गलत थी तो मैं आये दिन या तो लखनऊ में रहता या फिर कानपुर के चक्कर लगाता रहता.

  9. 50 साल मेरी उम्र है, 25 साल से मैं जर्नलिस्ट हूं. 25 की ही उम्र का मेरा बेटा है. बेटे की शादी होने जा रही है. उसकी उम्र की ही किसी लड़की से शादी करने की सोच घटिया मानसिकता का परिचायक है. मेरी सोच इतनी घटिया नहीं है.

  10. लेटर के हिसाब से मेरी नीयत ईद के बाद ही खराब हो गई थी. अगर ऐसा था तो फिर मेरे खिलाफ उसी वक्त क्यों नहीं शिकायत की गई. जनवरी में भी शिकायत की जा सकती थी. क्योंकि जनवरी से ही मैं बाहर था और राजभवन आदि एपिसोड के बाद मिस्टर राय मुझे बताए बिना सारे फैसले करने लगे थे. उल्टा-पुल्टा छापना, किसी को भी निकालना और रख लेना और आए दिन काबिल साथियों को प्रताड़ित करने का दौर चला दिया था. आखिर ये शिकायत मेरे टर्मिनेशन के दिन ही क्यों हुई?

मुझ पर जो भी आरोप लगाए गए हैं, वो सब बेबुनियाद और गलत हैं. दोनों मामलों में मेरी बेगुनाही के मेरे पास पर्याप्त सबूत हैं. इनको मैं वक्त आने पर सार्वजनिक करूंगा.

देशपाल सिंह पंवार

मेरठ

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0 Comments

  1. DEEPAK KHOKHAR, rohtak

    June 15, 2010 at 4:43 am

    deshpal ji hamen aap par poora vishwas hai.

  2. koi

    June 15, 2010 at 8:13 am

    ramvilash paswan ko aap etane achhe se kyo jante hain?
    aur koi emandar neta bihar me aapko nahin mila kya
    paswan media ko kaise aapne pachh me karte hain sari dunia janti hai,
    unke sath name jooda hai to jaanch bhi honi chahiye
    ramvilash rajya sabha ja rahe hain wahi aub aapka kaam ho jayega

  3. jasbir chawla

    June 15, 2010 at 9:12 am

    Mr Pawar aap ko legal notice dena chahiye.Moka aane par prabandhan ko jawab dene ki baat bemani hai.Aap ko toot padhna chahiye.Patrkar biradari ko saath lena jaroori hai.

  4. अभिषेक

    June 15, 2010 at 9:52 am

    आप ठीक कह रहे हैं पंवार जी। ज्यादा गंभीर मुद्दा यह है कि निशीथ रॉय एक पूर्व केंद्रीय मंत्री और बहुचर्चित नेता रामबिलास पासवान पर काला धन खर्च करने का झूठा आरोप लगा रहे हैं। जहां तक मैं रामबिलास जी को जानता हूं, वो इतने स‌तही नहीं हैं। अगर निशीथ रॉय के आरोप स‌ही नहीं हैं तो उनपर कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत है।

  5. sonia shah

    June 15, 2010 at 7:56 pm

    u r right….a person having 9crs rupees need not find a job….nd these filthy people dont understand this…if u r taking any legal actions u must do it…i m surprised ki kuch log aapke khilaf ho kar aapke baare mein itna kuch kehne ki himmat bhi rakhte hain…main toh bas ye kehna chahungi ki jo bhi ho kal ye hi log jo in ghatiya orgainsations ka support kar k keh rahe hain ki jaanch honi chahiye phir aapke pairo mein nazar aayenge…aise log sirf maza lena jaante hain…inhe kisi k sukh ya dukh se koi matlab nahi hota…bas thoda sa sangharsh aur phir aap unhi bulandiyon par honge….
    we all r wid u jinki hamesha aapne help ki aur jo nahi hai ve ehsaanfaramosh hain…neki kar dariya mein daal!!!!!!!!!!!!!

  6. amitabh ojha

    June 16, 2010 at 7:13 am

    पवार सर
    मुझको नहीं लगता की आपको कोई सफाई देनी की जरुरत है.जो आदमी खुद नेताओ और बिल्डर के पैसो से मीडिया के नाम को बेच रहा हो उससे एक पत्रकार की भावनाओ का क्या ख्याल होगा . करोडो में खेलना उनकी फितरत हो सकती होगी .एक पत्रकार की नहीं वो भो आप जैसे. अगर आप जैसे को सिर्फ पैसो की जरुरत होतो तो शयद आप हिंदुस्तान कभी नहीं छोड़ते …हम जैसो ने तो आपके साथ कम कर खुद्दारी सीखी है फिर भला कोई अप्पर बेतुका आरोप लगाये यह बर्दास्त नहीं होता. मेरे ख्याल से आपको तो मामले को कोर्ट में ले जाना चाहिए ताकि ऐसे लोगो को सबक मिले . रही उस लड़की के आरोपों को तो मुझे लगता है जिस महिला को हिंदी में एक पत्र नहीं लिखने ऑटो है वो किसी अख़बार में काम कैसे करती है. निसित राय के इस आरोपों में तो कटाई सच्चाई नहीं है .और आपका दिया तर्क भी अपनी जगह सही है .सो चितन नहीं करे सर

  7. rakesh ohlan

    June 25, 2010 at 12:22 pm

    hum aap ke sath hain

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