अपडेटेड खबर : जनरल डेस्क के इंचार्ज थे प्रदीप श्रीवास्तव : घर में चल रहे अखंड हरिकीर्तन के आखिरी दिन भोजन की व्यवस्था हेतु सामान खरीद कर लौट रहे थे प्रदीप : अभी-अभी सूचना आई है कि राष्ट्रीय सहारा, गोरखपुर में कार्यरत डिप्टी न्यूज एडिटर प्रदीप श्रीवास्तव की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई है. प्रदीप कार चला रहे थे और एक ट्रक की कार से टक्कर हो गई. प्रदीप के साथ कार में बैठे उनके बहनोई की भी मौत हो गई.
बताया जा रहा है कि टक्कर इतनी भीषण थी कि शव कार को काटने के बाद बाहर निकाला जा सका. प्रदीप की उम्र 47 वर्ष थी और वे करीब 18 वर्ष से राष्ट्रीय सहारा के साथ थे. वे राष्ट्रीय सहारा, गोरखपुर के जनरल डेस्क इंचार्ज थे. महाराजगंज जिले के रहने वाले प्रदीप के परिवार में उनकी पत्नी, दो बच्चियां और एक बेटा है. उनकी एक बेटी ने अभी हाल में ही इंटर पास किया है. बेटा करीब 12 साल का है. गोरखपुर से मिली सूचना के मुताबिक प्रदीप के महाराजगंज स्थित पैतृक घर में अखंड रामायण का पाठ चल रहा था. अखंड हरिकीर्तन का आज अंतिम दिन था. आज लोगों को खाने-खिलाने की व्यवस्था की जा रही थी.
इसी मकसद से प्रदीप पनीर लेने के लिए अपनी कार से गोरखपुर आए और वहां से लौट रहे थे. वे खुद कार चला रहे थे. उनकी कार मारुति 800 में उनके साथ उनके बहनोई अशोक श्रीवास्तव भी बैठे हुए थे. बताया जाता है कि सामने से आ रहा एक ट्रक, जो एक्सेल टूटने के बाद बेलगाम हो गया था, उनकी कार से भिड़ गया. इस भीषण टक्कर में प्रदीप और अशोक दोनों की मौत हो गई. प्रदीप कवि हृदय आदमी थे और कभी-कभार कविताएं भी लिखते थे. अपने साथी के अचानक गुजर जाने से गोरखपुर के पत्रकार शोकाकुल हैं. भड़ास4मीडिया इस शोक की घड़ी में प्रदीप-अशोक के परिजनों को यह दुख सहने की क्षमता देने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है.
अगर आपके पास प्रदीप श्रीवास्तव की कोई तस्वीर, उनकी कोई स्मृति हो तो [email protected] पर मेल कर दें.
Ranjeet Singh
May 21, 2010 at 2:47 pm
the name of प्रदीप श्रीवास्तव in the start is changed as अशोक श्रीवास्तव in the last where you ask for his phtograph….. please correct it ..
अमित गर्ग. राजस्थान. बेंगलूरू.
May 21, 2010 at 5:23 pm
इन पंक्तियों के जरिये भाई प्रदीप जी को मेरा अंतिम प्रणाम.
जिन्दगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र.
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं.
जिन्दगी को बहुत प्यार हमने दिया.
मौत से भी मोहब्बत निभाएँगे हम.
रोते-रोते ज़माने में आये मगर.
हँसते-हँसते ज़माने से जायेंगे हम…
Dr Matsyendra Prabhakar
May 21, 2010 at 5:31 pm
Bhai Pradeep Shrivastav was good in his job and duty. He was a man of strong moral correcter and a good associate of his colleagues. I pray to GOD for his blessings to Pradeeps’s family.
Dr Matsyendra Prabhakar
May 22, 2010 at 2:58 am
Yashwant jee, Thank You very much for your tribute to bhai Pradeep Jee. Please correct the Correcter as “Character” in above comments.
अमित गर्ग. राजस्थान पत्रिका. बेंगलूरू.
May 22, 2010 at 11:20 am
इन पंक्तियों के जरिये भाई प्रदीप जी को मेरा अंतिम प्रणाम.
जिन्दगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र.
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं.
जिन्दगी को बहुत प्यार हमने दिया.
मौत से भी मोहब्बत निभाएँगे हम.
रोते-रोते ज़माने में आये मगर.
हँसते-हँसते ज़माने से जायेंगे हम…