सहारा समूह ने जिस उर्दू चैनल को लांच करने के लिए तीन साल पहले और डेढ़ साल पहले दो किश्तों में दर्जनों लोगों को नियुक्त किया था, उनमें से 13 लोगों की छंटनी किए जाने की सूचना है। छंटनी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और कई लोगों से इस्तीफा लिखवा लिया गया है। सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में कुछ और लोगों पर गाज गिराई जा सकती है। ज्ञात हो कि उर्दू चैनल लांच करने के नाम पर सीनियर प्रोड्यूसर, प्रोड्यूसर, एसोसिएट प्रोड्यूसर, असिस्टेंट प्रोड्यूसर, रिपोर्टर और एडिटर पदों पर दर्जनों लोगों को नियुक्त किया गया था। अप्रैल 2007 में भी कई लोग नियुक्त किए गए। पर तीन साल बीतने के बाद भी उर्दू चैनल लांच होने के लक्षण दूर-दूर तक नहीं हैं। इस लांच होने वाले चैनल के हेड सहारा के उर्दू अखबार के संपादक अजीज बर्नी हैं। सारी नियुक्तियां उनकी देखरेख में हुई।
तीन साल से मुफ्त में तनख्वाह ले रहे ये मीडियाकर्मी कई तरह की पीड़ा और संत्रास से गुजर रहे हैं। एक तो काम न होने की वजह से इन्हें जो कुछ काम आता था, उसका भी अभ्यास छूट रहा है, दूसरे इन लोगों से कहा जा रहा है कि वे या तो सहारा के अन्य चैनलों के लिए काम करें या फिर उर्दू अखबार के लिए रिपोर्टिंग करें। कुछ लोगों से यह भी कह दिया गया कि अगर उन्हें यहां अपने टैलेंट का बेहतर इस्तेमाल नहीं दिख रहा है तो नए ठिकाने की तलाश सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक जिन लोगों को नई नौकरी मिल गई वे तो निकल लिए लेकिन जो लोग रह गए हैं वे अनाथ की तरह इधर-उधर टहलते हुए समय काटते रहते हैं। जानकारी के अनुसार सहारा के अन्य मीडिया प्रोजेक्टों के कर्मचारी उर्दू वालों का यह कहकर मजाक उड़ाते रहे हैं कि ये बिना कामधाम के, सिर्फ मुफ्त का माल पीट रहे हैं। सूत्रों के अनुसार प्रबंधन ने उर्दू चैनल के लिए रखे गए 13 लोगों को निकालकर संकेत दे दिया है कि यह प्रोजेक्ट अब ठंडे बस्ते में डाला जा चुका है। वैसे भी, मंदी के इस कथित दौर में हर मीडिया हाउस जब खर्चे बचाने में जुटा है तो सहारा जैसे ग्रुप उर्दू चैनल लांच कर खर्चे बढ़ाने का रास्ता नहीं अख्तियार कर सकता।