टीओआई में 15 और 16 जून को छपे एक ही संपादकीय पेज के बारे में जहां तक मैं समझता हूं कि इसमें संपादक का कोई कुसूर नहीं होता और न ही इसे मानवीय भूल के कारण रिपीट पेज माना जा सकता है क्योंकि अगर भूल के कारण पुराना पेज रिपीट होता तो उसमें डेटलाइन चेंज नहीं होती। निश्चित ही यह गलती जान-बूझकर की गई है और इसमें प्रोडक्शन विभाग के ही किसी सदस्य का हाथ है। चूंकि मैं भी एक नामी अखबार के प्रोडक्शन विभाग में जिम्मेदार पद पर कार्यरत हूं, इसलिए इस तरह के मामलों को अच्छी तरह से समझ सकता हूं।
इस मामले में ऐसा भी हो सकता है कि संपादकीय विभाग ने नया पेज रिलीज किया हो और प्रोसेस विभाग की गलती से पुराना पेज ही रिपीट कर प्लेट बना दी गई हो और अखबार छपते समय किसी प्रोडक्शन अधिकारी की नजर पुरानी डेट पर पड़ी हो तो उसने यह समझते हुए कि आज डेट गलत लग गई है, उसकी डेट चेंज करा दी हो। इस ओर उसने भी ध्यान नहीं दिया हो कि पेज पुराना भी हो सकता है।
कुल मिलाकर साफ तौर पर कह सकते हैं कि इसमें संपादक का कसूर नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ प्रोसेस विभाग की गलती है। अगर पुराने पेजों की पेस्टिंग अलग जगह रखी जाती तो इस तरह की कोई समस्या नहीं आती। टीओआई कोई लोकल अखबार तो है नहीं कि उसके पास खबरों या आलेखों की कमी हो, जिस कारण उसने पुराना पेज डेट बदलकर रिपीट कर दिया हो। और अगर ऐसी समस्या होती तो भी संपादक को इतना तो तजुरबा होता ही है कि एक दिन पुराना पेज रिपीट नहीं किया जा सकता, हां, महीनों में अंतर होता तो इस एंगल पर भी विचार किया जा सकता था।