गल्तियां सबसे होती हैं. वेब वालों से भी होती हैं. पर कुछ ऐसी गल्तियां, जो हजम न हों, दुख देती हैं. वो गल्ती अगर हिंदुस्तान जैसा बड़ा ग्रुप करे तो और भी ज्यादा कष्ट होता है. अब इसी खबर को ले लीजिए. इसमें मैटर व हेडिंग, दोनों जगह एक शब्द का गलत इस्तेमाल कर दिया गया है. लेखक का इरादा भले कुछ ऐसा न रहा हो, पर जो सामने है, वह तो अनर्थ जैसा है. उम्मीद है भड़ास4मीडिया पर यह खबर छपने के बाद हिंदुस्तान वाले भाई लोग इसे दुरुस्त कर लेंगे. वैसे, लग रहा है कि हिंदुस्तान वाले शशिजी से डर नहीं रहे हैं वरना ऐसी गल्ती भला कैसे कर सकते थे. अगर आप हिंदुस्तान की वेबसाइट पर जाकर यह खबर देखना चाहते हैं तो इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं- हेडिंग व मैटर में ब्लंडर
दूसरी गल्ती राजस्थान के अखबार नवज्योति की वेबसाइट में है. दिग्विजय सिंह नाम की समानता के कारण जो दिग्विजय सिंह मरे नहीं, उन्हें मार दिया गया, उनकी फोटो लगाकर. यह गल्ती नाम की समानता के कारण हुई है पर यह समझ में नहीं आ रहा कि जो भी सज्जन इस वेबसाइट के प्रभारी हैं, उन्हें क्या दोनों दिग्विजय सिंह के बारे में नहीं पता है. खबर छापी उस दिग्विजय की जिसकी मृत्यु हुई, और तस्वीर दे दी उस दिग्विजय की जिसकी मौत नहीं हुई. नवज्योति की वेबसाइट पर इस खबर को देखने के लिए इस लिंक को क्लिक कर सकते हैं- जिंदा दिग्विजय को मार डाला
ratan-chaman
July 22, 2010 at 2:36 pm
oh..galti se Mistake ho gaya ![u][/u][u][/u][b][/b][b][/b]
pathak
July 22, 2010 at 2:43 pm
हिंदुस्तान वालों की साइट से पूरी खबर ही गायब हो गई है. मतलब है कि भड़ास पर खबर छपते ही उनकी गलत खबर गायब हो गई. पर नवज्योति वाले नहीं सुधरे हैं. लगता है वो सो रहे हैं घोड़े बेचकर… देकिए वे लोग कब तक अपनी खबर ठीक करते हैं…. जय हो
ABC
July 23, 2010 at 2:46 am
kam salry aur tension me yehi hota hai
एक पाठक
July 23, 2010 at 3:42 am
हिंदुस्तान वालों की साइट से पूरी खबर ही गायब हो गई है. पर नवज्योति वाले नहीं सुधरे हैं. लगता है वो सो रहे हैं घोड़े बेचकर…
शुभचिंतक
July 23, 2010 at 12:36 pm
पता चला है कि हिंदुस्तान अखबार में जो गलती हुई है, वह तकनीकी त्रुटि है. दरअसल अखबार के पोर्टल के कंटेंट को चाणक्या से यूनीकोड में चेंज किया गया तो इसी क्रम में पुराने आर्काइव मैटर को भी चाणक्या से यूनीकोड में बदल दिया गया. जब फांट चेंज किया जाता है तो कई शब्द मात्राएं आदि बिगड़ जाते हैं. पुराने आर्काइव मैटर के साथ यही हुआ. े की मात्रा के न आऩे से प्राब्लम हुई. यह जानबूझ कर की गई गलती नहीं है.
राम प्रकाश द्विवेदी
August 1, 2010 at 11:13 am
भाई आपकी ‘गल्ती’ भी गलत है। पहले अपनी गलती सुधारें।