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शर्मनाक! पुलिस-सरकार 13 दिन बाद भी जेडे के हत्यारों तक न पहुंच सकी

: अंडरवर्ल्ड ही नहीं, पुलिस से भी है पत्रकारों को खतरा : नई दिल्ली : आज मीडिया व पत्रकार कई चुनौतियों से जूझ रहे हैं। खासकर वे पत्रकार ज्यादा असुरक्षित हैं, जो खोजी या अपराध विशेष समाचारों में जुटे हुए हैं। हैरत की बात यह है कि पत्रकारों को सिर्फ बदमाश, माफिया, नेता और अंडरव‌र्ल्ड से ही खतरा नहीं है, बल्कि वे पुलिस और जांच एजेंसियों के भी निशाने पर हैं।

<p style="text-align: justify;">: <strong>अंडरवर्ल्ड ही नहीं, पुलिस से भी है पत्रकारों को खतरा </strong>: नई दिल्ली : आज मीडिया व पत्रकार कई चुनौतियों से जूझ रहे हैं। खासकर वे पत्रकार ज्यादा असुरक्षित हैं, जो खोजी या अपराध विशेष समाचारों में जुटे हुए हैं। हैरत की बात यह है कि पत्रकारों को सिर्फ बदमाश, माफिया, नेता और अंडरव‌र्ल्ड से ही खतरा नहीं है, बल्कि वे पुलिस और जांच एजेंसियों के भी निशाने पर हैं।</p>

: अंडरवर्ल्ड ही नहीं, पुलिस से भी है पत्रकारों को खतरा : नई दिल्ली : आज मीडिया व पत्रकार कई चुनौतियों से जूझ रहे हैं। खासकर वे पत्रकार ज्यादा असुरक्षित हैं, जो खोजी या अपराध विशेष समाचारों में जुटे हुए हैं। हैरत की बात यह है कि पत्रकारों को सिर्फ बदमाश, माफिया, नेता और अंडरव‌र्ल्ड से ही खतरा नहीं है, बल्कि वे पुलिस और जांच एजेंसियों के भी निशाने पर हैं।

लिहाजा, सभी पत्रकारों को एकजुट होकर इसका मुकाबला करना चाहिए। कुछ यही निष्कर्ष था फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स द्वारा इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में गुरुवार को आयोजित विचार संगोष्ठी का। मुंबई में जागरण समूह के अंग्रेजी अखबार मिड डे के पत्रकार ज्योतिर्मय डे की हत्या से उपजे सवालों पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। ”शूटिंग द मैसेंजर्स” विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार जे डे की हत्या के 13 दिन बीतने पर भी हत्यारों को गिरफ्तार न करने पर मुंबई पुलिस की कड़ी निंदा की गई।

संगोष्ठी का संचालन सीएनएन-आईबीएन की डिप्टी एडिटर सागरिका घोष ने किया। संगोष्ठी की शुरूआत करने से पहले जे डे की याद में एक मिनट का मौन रख उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। तत्पश्चात मुंबई मिड डे के कार्यकारी संपादक सचिन कालबाग ने जे डे की हत्या के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जे डे की हत्या के पीछे कोई एक खोजी स्टोरी नहीं कही जा सकती क्योंकि जे डे ने न केवल तेल माफिया, अंडरव‌र्ल्ड, बदमाश व स्थानीय नेताओं पर दर्जनों खोजपरक रिपोर्ट छापी, बल्कि पुलिस पर भी कई खबरें की। यही हत्या की वजह बनी। लेकिन बहुत शर्म की बात है कि पुलिस और सरकार 13 दिन बाद भी उनके हत्यारों तक नहीं पहुंच सकी है। साभार : दैनिक जागरण

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0 Comments

  1. jaiprakash upadhyay raipur (cg)

    July 11, 2011 at 3:10 pm

    ye badi sarmnaak baat hai hum patrakar biradari ke liye. kuchh media house ne hi is maamle ko badi gambhirta se uthaya. j de ki jagah koi bada neta maaraa gaya hota to patrakar uski puri khojbin kar ab tak sarkar ka jeena haraam kar dete. aakhir kyo hum chup hai?…. socho,,,, socho

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