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कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव पकड़ाए

….ब्रेकिंग न्यूज… ….एक्सक्लूसिव…. …..बड़ी खबर…. ….बिग न्यूज…. ….बड़ा खुलासा…. …विशेष रिपोर्ट…. : कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव गिरफ्तार कर लिए गए हैं. पकड़ लिए गए हैं. पुलिस ने पकड़ा है. गोरखपुर की पुलिस ने पकड़ा है. जो दर्शक, श्रोता, पाठक अभी अभी इस खबर के साथ जुड़ रहे हैं, इस खबर को पढ़ देख सुन निगल रहे हैं, उन्हें एक बार फिर से बता देते हैं…. कि…

….ब्रेकिंग न्यूज… ….एक्सक्लूसिव…. …..बड़ी खबर…. ….बिग न्यूज…. ….बड़ा खुलासा…. …विशेष रिपोर्ट…. : कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव गिरफ्तार कर लिए गए हैं. पकड़ लिए गए हैं. पुलिस ने पकड़ा है. गोरखपुर की पुलिस ने पकड़ा है. जो दर्शक, श्रोता, पाठक अभी अभी इस खबर के साथ जुड़ रहे हैं, इस खबर को पढ़ देख सुन निगल रहे हैं, उन्हें एक बार फिर से बता देते हैं…. कि…

आपको फिर से ये बड़ी खबर दे देते हैं….. कि…. कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव को गोरखपुर की पुलिस ने पकड़ लिया है….

जानते हैं क्यों?

बाप रे बाप. इतना बड़ा पापी निकला कोमल यादव. इतना बड़ा जुर्म किया था उसने. करीब डेढ़ किलो गांजा रखा था उसने.

डेढ़ किलो गांजा!!! सोचिए, सोचिए, खूब सोचिए….. पूरे डेढ़ किलो गांजा रखा था कोमलवा ने. अरे वही, पुत्र रघुनंदनवा ने.

और, जानते हैं, उसको पकड़ने का यह कारनामा किसने किया है? उसे लखेद कर धर – पकड़ – दबोचने का सनसनीखेज कारनामा किया है उप निरीक्षक श्री अनिल कुमार पांडेय थाना सहजनवां जनपद गोरखपुर वाले ने. यह सब मैं नहीं कह रहा, ये सारे तथ्य पुलिस की प्रेस विज्ञप्ति में दर्ज है. नीचे गोरखपुर पुलिस की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति प्रकाशित है.

जो लोग मीडिया के हिस्से हैं, उन्हें ऐसी पुलिसिया विज्ञप्तियों से रोजाना दो-चार होना होता है. खासकर क्राइम रिपोर्टरों को. पर मीडिया के बाहर के लोगों को कम पता होगा कि पुलिस भी विज्ञप्ति भेजती है, बिलकुल सभ्य नागरिक की तरह, जी हुजूर वाले अंदाज में, विज्ञप्ति की भाषा और लिखावट देखिए, पहचानिए छिपे भाव को.

चलिए, बुझवनी बंद करते हैं और कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव का आगे का किस्सा सुनाते हैं, जो पुलिस की प्रेस विज्ञप्ति के प्लाट-थीम पर आधारित है.

तो उपर बताए थे कि कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव को डेढ़ किलो गांजा रखते हुए पकड़ लिया गया. उसके आगे अप्रत्याशित घटनाक्रम यह घटित हुआ कि गोरखपुर की सहजनवा पुलिस ने फौरन सक्रियता दिखाते हुए डेढ़ किलो गांजा रखने जैसा जुर्म करने वाले कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव पर धारा 8 बटा 20 एनडीपीसी एक्ट में अभियोग तुरंत पंजीकृत कर अग्रिम विधिक कार्यवाही शुरू कर दी है.

पता है कब और कैसे पकड़े गए कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव?

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बात तबकी है जब चहुंओर शांति थी. सब लोग निश्चिंत थे. प्रकृति की बनस्पतियां अठखेलियां खेल रहीं थीं. नर-नारी प्रभु के ध्यान में लगे हुए थे. पुलिस के जवान इलाके में शांति देख शांति के साथ गश्त कर रहे थे. पर अचानक…. यहीं से सीन चेंज होता है. अचानक मलिन वेश-भूषा धारी कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव की बदबू पुलिस तक पहुंची. आपको बता ही दें अब कि कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव उस समय पकड़े गए जब उप निरीक्षक श्री अनिल कुमार पांडेय थाना सहजनवां जनपद गोरखपुर मय हमराह पुलिस बल के क्षेत्र गश्त कर रहे थे तभी पुलिस बल को कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव स्टेट बैंक कस्बा सहजनवां के पास संदिग्ध अवस्था में डेढ़ किलो गांजा ले जाते दिखा और उन्हें लखेद कर धर पकड़ दबोच लिया गया, कस के.

तो भइया, ये है अपने देश की बहादुर पुलिस और उसका सनसनीखेज कारनामा.

मेरे गांव में फुन्नन मियां के पास डेढ़ किलो क्या, दो किलो गांजा मिल जाए. पीने के शौकीन हैं, सो माल लाकर स्टाक में रखते हैं. जरूरतमंद गंजेड़ी गांव वालों को फुटकर में बेच भी देते हैं. मेरे पिताजी मशीन के पास बैठका के आगे पीछे गांजा मलकर पीने के दौरान उसके जो बीज फेंक देते हैं, वे बारिश में धरती फाड़ के निकल जाते हैं और कुछ दिनों में लहलहा के तन जाते हैं. इन्हें तोड़ाई के वक्त तौलवा दिया जाए तो वजन दो-तीन-चार किलो हो ही जाए. बहादुर पुलिस जब चाहे इन लोगों को पकड़ ले और लिख दे कि फलां पुत्र फलां संदिग्ध अवस्था में डेढ़-दुई किलो गांजा ले जाते पकड़े गए, तब पकड़े गए जब बहादुर पुलिस दल गश्त पर था और अभियुक्त कस्बे के अस्पताल के पीछे से छुपकर निकलने की फिराक में संदिग्ध अवस्था में टहल रहा था.

अरे भइया पुलिस वालों. डेढ़ किलो गांजा वाले को जेल भेजकर का पाओगे. ये तो हम सबको पता है कि उसने बेचारे ने सौ-पांच सौ दे दिया होता तो आज गोरखपुर पुलिस की प्रेस रिलीज में कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव का नाम न दर्ज किया जाता. हो सकता है कि उसके पास वाकई पैसा नहीं रहा हो क्योंकि जो पैसा रहा होगा उसका वह माल खरीदकर तेज चाल से घर की ओर निकल रहा होगा. अरमान ये होगा कि फुटकर बेचकर ओरीजनल दाम निकाल लेंगे और पीने को मिलेगा मुफ्त. हो सकता है कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव किसी बड़े गैंग के आदमी हों. तो पुलिस वालों को उनके बॉस का पता लगाना चाहिए था. हो सकता है गिरोह के सरदार के पास एक कुंतल गांजा निकल आवे.

लेकिन अपनी पुलिस गिरोह के सरदार के पास पहुंच कहां पाती है. गिरोह का सरदार तो चलता होगा बड़ी वाली कार से, हो सकता है वह विधायक या पार्षद या सांसद हो, सो उस पर पुलिस भला कैसे हाथ डाल सकती है. वह हाथ डालेगी कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव पर. कोमल यादव जाने किस ग्रह नक्षत्र में घर से निकले थे कि धरा गए. बेचारे अब जेल जाएंगे और कुछ दिन बड़े अपराधियों की सेवा टहल कर जमानत पर छूट कर घर आएंगे.

पता नहीं, जमानत पर छूट कर आने के बाद कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव गांजा पियेंगे या मारे हदसन सब छोड़ देंगे? वैसे, आपको क्या लगता है, कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यदव गांजा पीना छोड़ देंगे या पीते रहेंगे? अच्छा अच्छा… आपने ये कहा कि कोमल यादव मारे डर के गांजा का धंधा छोड़ देंगे, पीना नहीं छोड़ेंगे. आप बहुत समझदार आदमी हैं, इसीलिए तो देश इतना विकास कर रहा है. आपको भी दरोगा में भर्ती हो जाना चाहिए था ताकि कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव जैसों को ठीक कर दिया जाए. जैसे अपने बहादुर पांडेजी दरोगा साहब ने किया है.

लेकिन गुरु, एक चीज तो बिलकुले तय है कि आज कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव के घर चूल्हा नहीं जला होगा. घर वाले कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव के गंजेड़ी होने पर दुखी होंगे. कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव की मेहरारु कोने में अकेले कुछ देर रोई होगी ई वाली खबर सुनके और फिर शांत भाव से, जैसे कुछ सुना ही न हो, गोरु-जनावर के चारा-पानी दूध बाल्टी में लग गई होगी.

और, पूरे गांव में क्या सीन होगा?

दो सीन संभावित है. गांव के उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली विश्वसनीय जानकरी के अनुसार गांव की विरोधी लाबी जो मुफ्त में गांजा पीने से वंचित है, कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव की गिरफ्तारी पर मन ही मन खुश है, कोमलवा के गांजे के कारोबार पर लंबी चर्चा में मशगूल है. गांव की समर्थक लाबी, जो कोमल के यहां मुफ्त में यदा-कदा गांजा सेवन कर लेती है, कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव को आज शाम बड़ी शिद्दत से मिस कर रही है. आज की शाम के धुएं के लिए वैकल्पिक बंदोबस्त में लगी है.

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और, गोरखपुर की मीडिया में क्या चल रहा होगा?

गोरखपुर की मीडिया के काबिल क्राइम रिपोर्टरों ने विज्ञप्ति में स्याही की तरह चिपके-पिचके कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव को अपने अधीनस्थ ट्रेनी क्राइम रिपोर्टरों के हवाले कर दिया होगा,  हिकारत भाव से देखते हुए और उपेक्षा के भाव से थमाते हुए, इसे अपराध-सार संक्षेप में शामिल करने के लिए कह दिया होगा. अगर ट्रेनी बिलकुल ही नया होगा तो पुलिस की इस शुद्ध हिंदी वाली प्रेस विज्ञप्ति में उलझ कर रह जाएगा और कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव का अर्थ कोमल यादव के पुत्र रघुनंदन यादव समझते हुए खबर बना देगा कि ‘डेढ़ किलो गांजा के साथ रघुनंदन गिरफ्तार’. पुलिस ने तो कोमल को पकड़ा लेकिन अखबार में बाप के गांजा में पकड़े जाने की खबर छप जाएगी. इस प्रकार पुलिस-मीडिया की कृपा से कोमल यादव व रघुनंदन यादव, दोनों ही लोगों की बाकी बची जिंदगी कोर्ट – कचहरी – पुलिस – अखबार के दफ्तर के त्रिकोण के बीच सरकती हुई गुजरती रहेगी.

बेचारे कोमल यादव पुत्र रघुनंदन यादव…. कौन करे उनकी तफ्तीश, कौन करे उनका बचाव, कौन समझे उनका दिल, कौन बूझे उनके जिनगी का हिसाब…. भइया, इहां सब पइसा से होत है और कोमलवा के पास पइसे नहीं है. बेचारा कोमलवा.

चलिए, पढ़िए गोरखपुर पुलिस की मीडिया सेल की ओर से जारी आज के कारनामे की प्रेस विज्ञप्ति…

ढन ढनन….. ढनन……… ढनन!!

म्यूजिक बज चुका है, अब शुरू हो जाइए…. अच्छा, फिर से बजा देते हैं…. ढन ढनन….. ढनन……… ढनन!!

तो आप भी बोलिए, ढन ढनन….. ढनन……… ढनन!!

कोमल यादव पत्र रघुनंदन यादव मुर्दाबाद…..

बहादुरी से लैस श्री पांडेजी दरोगाजी खूब फूलें फलें….

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कप्तान साहिब डीजीपी बन जाएं….

गोरखपुर की पूरी पुलिस इसी तरह जिंदाबाद रहे….

गोरखपुर की मीडिया फुल प्रूफ बुलेट प्रूफ जैकेट की तरह जिंदाबाद….

गोरखपुर के नेता-परेता-श्रोता-विजेता सब के सब जिंदाबाद….

प्रदेश वाली सुश्री बहन कुमारी मायावती जी जिंदाबाद….

जब तक सूरज चांद रहेगा, इसी लोक पर ऐसे ही तंत्र का राज रहेगा….

ढन ढनन….. ढनन……… ढनन!!


यशवंत

एडिटर, भड़ास4मीडिया

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संपर्क : [email protected]

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0 Comments

  1. ruby

    August 19, 2010 at 9:09 am

    bhai mujhe amjh nai aya

  2. Uttank

    August 19, 2010 at 12:15 pm

    Bahut hi sundar

    Yashwant bhai aapto bahut hi unda kism ke creative writer hain. waise aapne bahut sahi likha hai.

    aaj patrakaroon ki nai jamat isi writing style ko fallow kar rahi hai. waise wo din door nahi ki jab crime ki khabre bhi manoranjan kiya karengi. Crime reporter ko ab aisi ki shaili apnani chahiye. qki aak patrakarita ek mission nahi hai. balki business ban gaya hai. aise mein kam se kam khabren public ka manoranjan to kar hi sakti hain.

    Jai Ho Jai Ho

  3. sanjay

    August 19, 2010 at 5:41 pm

    yah Aalekh padh kar phanishwar nath renu ke upanyas maila aanchal ki yaad aa gai. bahut badhiya. sanjay swatantra, chief sub editor, Jansatta.

  4. rajoo

    August 20, 2010 at 6:14 am

    komal putra raghunandan pocketmaari karte hue pakde gaye the, charge tagada karne ke liye ndps lagaya gaya.

  5. chinmayanand swami

    September 2, 2010 at 3:52 am

    ajkal khabar, khabar kay liye kam, khabar lene kay liye zyada hai.

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