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अब देवता को गाली, मैग्जीन पर पाबंदी

‘अंबेडकर टुडे’ मैग्जीन में ब्रह्मा को ‘बेटीचोद’ लिखा : बसपा के बड़े नेता हैं पत्रिका के संरक्षक : प्रतियों को जब्त करने के आदेश : टाइटिल निरस्त करने की कार्यवाही : सीबीसीआईडी जांच कराई जाएगी : तो लीजिये जनाब। देख लीजिए कि खरबूजे को देखकर खरबूजा किस तरह गिरगिट जैसा रंग बदलता है। संदर्भ है प्रिंट मीडिया। राष्ट्रीय सहारा ने जिस भाषावली का इस्तेमाल शुरू किया है उससे सबक लेकर और भी पत्र-पत्रिकाएं अपने कदम कई मील आगे तक बढा चुकी हैं।

‘अंबेडकर टुडे’ मैग्जीन में ब्रह्मा को ‘बेटीचोद’ लिखा : बसपा के बड़े नेता हैं पत्रिका के संरक्षक : प्रतियों को जब्त करने के आदेश : टाइटिल निरस्त करने की कार्यवाही : सीबीसीआईडी जांच कराई जाएगी : तो लीजिये जनाब। देख लीजिए कि खरबूजे को देखकर खरबूजा किस तरह गिरगिट जैसा रंग बदलता है। संदर्भ है प्रिंट मीडिया। राष्ट्रीय सहारा ने जिस भाषावली का इस्तेमाल शुरू किया है उससे सबक लेकर और भी पत्र-पत्रिकाएं अपने कदम कई मील आगे तक बढा चुकी हैं।

शब्दों और वाक्यों को सड़कछाप शैली में प्रस्तुत करने का एक अभियान सा लगता है, शुरू हो चुका है। पटना और कानपुर की खबरों से उर्जा लेकर अब यूपी की भी एक पत्रिका ने यह कमाल शुरू कर दिया है। व्यक्तियों या समूहों के लिए गालियों के इस्तेमाल को प्रकाशित करने के बाद अब हिंदू देवी-देवताओं पर भी बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी शुरू हो चुकी है। जाहिर है कि पत्रकारीय जिम्मेदारी और नैतिकता को तो ताक पर रख ही दिया गया है।

यह जानते हुए भी कि शब्द ही ब्रहम है, उसी ब्रहम के बारे में क्या विचार है, इन सद्य-स्तनपायी यानी नवजात पत्रकारों के। जिस देवता को हिन्दू धर्म और आस्थाएं सृष्टि-कर्ता के तौर पर पूजती हैं, उसे ही अपने घटिया राजनीतिक स्वार्थों के चलते बसपा से जुडे कुछ लोगों ने पत्रकारिता को माध्यम के तौर पर अपनाया और ब्रहमा को ‘बेटीचोद’ करार दे दिया है। यह बाद में चर्चा का विषय बना कि इन नवजातों की खुराक यानी दूध कहां से और कैसा आ रहा है। लेकिन अल्फाजों के लहजे को देखें तो साफ पता चल जाता है कि दिमाग ही नहीं, इनकी रगों तक में कितना जहरीला जहर भरा होगा। तभी तो मां-बहन से शुरू हुआ यह मामला अब बेटी जैसे संबंधों तक निर्बाध और निर्वस्त्र पहुंच चुका है।

शर्मनाक बात है कि यह पत्रिका प्रदेश सचिवालय के चंद बड़े-बड़े अफसरों और नेताओं के बीच चुस्कियां लेकर पढी जाती है। विज्ञापन भी खूब मिलता है। अखबार-पत्रिका में शब्दों के साथ दुराचार का यह ताजा मामला है जौनपुर से प्रकाशित होने वाली अंबेडकर टुडे नामक एक पत्रिका का। बसपा के एक बडे़ नेता के बेटे द्वारा अंबेडकर के विचारों को प्रकाशित करने का ठेका लेने के चलते इस पत्रिका ने पत्रकारिता को तो जानबूझकर कलंकित किया ही है, बसपा की सर्वजन हिताय और सर्वधर्म समभाव की अवधारणा को भी जमकर दुलत्ती लगायी है।

पार्टी की भाइचारा कमेटियों के बारे में उसके नेताओं की मानसिकता का अंदाजा केवल इसी बात से लग जाता है कि इस पत्रिका के संरक्षक स्वामीप्रसाद मौर्य, बाबूसिंह कुशवाहा, पारसनाथ मौर्य, नसीमुददीन सिददीकी, दददू प्रसाद और सुषमा राना आदि के नाम संरक्षक के तौर पर प्रकाशित किये गये हैं ताकि जनता में पत्रिका के लोगों की धाक बनी रहे। इसी तर्क के आधार पर इस पत्रिका के लोगों को अफसरों वाली कालोनी में एक फ्लैट भी आवंटित है। ‘बुद्ध के उपदेशों का आधार सहज बु़द्धि और वास्तविकता है’ का नारा देकर प्रकाशित हो रही इस पत्रिका का डा. अंबेडकर के विचारों से भले ही कोई लेना देना न हो, लेकिन अपने तीखे-जहरीले शब्दों के चलते इस पत्रिका के संपादक डा. राजीव रत्न के पिता पारसनाथ मौर्य प्रदेश के पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष की कुर्सी पर जरूर जमे बैठे हैं। अब जरा एक नजर देख लीजिए कि इस पत्रिका में मध्यप्रदेश के मुरैना जिला में जौरा के पगारा रोड निवासी किन्हीं अश्विनी कुमार शाक्य के शब्दों को किस तरह प्रकाशित किया गया है।

ताजी सूचना के मुताबिक प्रदेश सरकार ने इस पत्रिका की सभी प्रतियों को जब्त कर लेने के आदेश दिये हैं और इस पत्रिका का टाइटिल निरस्त करने के लिए जौनपुर के डीएम को निर्देशित किया है। गृह सचिव दीपक कुमार ने इस बारे में बताया कि मामले की सीबीसीआईडी जांच के आदेश भी दे दिये गये हैं। लेकिन हैरत की बात है कि पत्रिका के सम्पादक राजीव रत्न का कहना है कि यह लेख उनकी गैर-जानकारी में छप गया था। इतना ही नहीं, राजीव रत्न ने अपनी पत्रिका में संरक्षक के तौर पर कुमार सौवीरप्रदेश सरकार के कई मंत्रियों के नाम प्रकाशित करने के बारे में कहा है कि यह काम उन्होंने बिना उन मंत्रियों की सहमति से किया। दीपक कुमार के अनुसार राजीव रत्न ने इसके लिए क्षमायाचना भी की है। दीपक कुमार बताते हैं कि राज्य सरकार ने इस बारे में राजीव रत्न से स्पष्टीकरण भी मांगा था। मैग्जीन के मुख्य पृष्ठ को नीचे देख सकते हैं.

-लेखक कुमार सौवीर इन दिनों महुआ न्यूज चैनल के उत्तर प्रदेश के ब्यूरो चीफ हैं। उनसे संपर्क [email protected] या 09415302520 के जरिए किया जा सकता है।

45 Comments

45 Comments

  1. shankar m

    May 20, 2010 at 7:42 am

    इस तरह की पत्रिकाएं कुकुर मुत्ते की तरह प्रकाशित की जा रही है और इसे प्रकाशित करने वाले लोग भी इसी श्रेणी के हैं। प्रत्रकारिता की ए बी सी डी भी पता नहीं है और एसी गैर-जिम्मेदाराना हरकतें करके हायलाइट होना चाहते हैं। इनका मकसद सत्ता के नजदिक रहकर और उनका गुणगान करते हुए राजनैतिक लाभ लेना चाहते हैं। जिस भाषा का इस्तेमाल इन्होंने अपनी पत्रिका में किया है। यह हिंदू धर्म विरोधी है और इनके खिलाफ लोगों को गलत सूचना देने और उन्हें गुमराह करने के जुर्म में जेल जाना चाहिए।

  2. Sadashiv Tripathi

    May 20, 2010 at 7:49 am

    Well Done Dear Sauvir

  3. anand soni

    May 20, 2010 at 8:01 am

    likhne wale ne apne bare mein hi likha hai ye sab…..aise logo ko sooli par latka kar chappal marna chahiye

  4. विनय बिहारी सिंह

    May 20, 2010 at 9:14 am

    [b]जिनके पास सिर्फ गाली है, वे और क्या देंगे?[/b]
    किसी पत्रिका में ब्रह्मा को गाली दी गई है। और ब्रह्मा को ही क्यों सारे देवी- देवताओं को। वैदिक युग को कलंक कहा गया है। पूरे सम्मान के साथ गाली की भाषा लिखने वाले सज्जन से पूछा जा सकता है कि आप क्या अपनी मर्जी से इस दुनिया में आए? क्या आपने अपनी मर्जी से माता- पिता चुना? क्या अपनी मर्जी से आपको आपका शरीर मिला? क्या आपकी ही मर्जी से किसी खास जाति में पैदा हुए? इन सारे सवालों का जवाब है- नहीं। ये सारे काम मनुष्य के हाथ में नहीं है। मनुष्य की एक सीमा है। इसी सीमा में वह कूदता है, नौटंकियां करता है और आत्ममुग्ध हो कर घमंड की सीमा पर खड़े हो कर चित्कार करता है। लेकिन समय आने पर उसकी भी मृत्यु हो जाती है। वह फिर पंचतत्व में विलीन हो जाता है। यह दुनिया चलती रहती है। क्योंकि इस दुनिया को मनुष्य नहीं चलाता। ईश्वर चलाता है। ईश्वर ही सर्वशक्तिमान है। आप उसे गाली दें तो उसे क्या फर्क पड़ता है? वह सर्वशक्तिमान ही नहीं, सर्वग्याता और सर्वव्यापी भी है। आपकी आवाज जाएगी कितनी दूर? ईश्वर तो अनंत कोटि ब्रह्मांड का मालिक है। किसे गाली दे रहे हो यार? एक बार शांत हो कर बैठो और गहराई से सोचो। किसे गाली दे रहे हो?

  5. ajay shukla

    May 20, 2010 at 9:41 am

    Yah Shabdavali lekhak, sampadak aur uske sanrakshko ki mansikta ka parichayak hai. Dhanyavad Saubir bhai.

  6. next generation movement

    May 20, 2010 at 9:43 am

    उक्त लेख के लेखक और पत्रिका के संपादक को पता है कि उनका जन्म अपने पिता के कारण ही हुआ था या उनकी मां के साथ भी किसी ने संभोग किया था???

  7. Chandrabhan Singh

    May 20, 2010 at 10:15 am

    Kripya Bhavishya me aise samachar prakashit nahi kare. Paglon ke sath sahyog ka matlab hum bhi Pagal.

  8. KAMAL.KASHYAP

    May 20, 2010 at 10:15 am

    kon hai ye madarjaat jo hindu dharm ko gali de rha hai….saala kuute ka bej hai kya jo dharm ko gaali de raha hai.. galti teri nahi hai mayavati ki party ka addmi hain na vise hi baat kar raha hai….

  9. कमल शर्मा

    May 20, 2010 at 10:38 am

    हिंदू बेहद उदार कौम है। लिख दिया, लोगों ने पढ़ लिया, कुछ ने कोस दिया, कुछ ने बुद्धि‍हीन बता दिया। मैं इस पत्रिका के संपादक, मालिक और लेखकों को चुनौती दे रहा हूं कि वे एक बार मोहम्‍मद पैगम्‍बर या अल्‍लाह के बारे में उल्‍टा पुल्‍टा लिखकर बताए। जहां है वही ठिकाने लग जाएंगे।

  10. Dhiraj Kumar Gaur

    May 20, 2010 at 10:59 am

    Kya jamana aa gaya hai dosto…

  11. Hemant Tyagi Journalist

    May 20, 2010 at 11:23 am

    aise nahi likhte to kaun jaanta.aise patrakaron is peshe ki maryadaon taak par rakh rakh diya hai.aise patrakaron ke aane dukh aur apne ko patrakar batane mei sharam aane lagi hai.

  12. ashish gupta

    May 20, 2010 at 12:22 pm

    chi chi chi maya bahan ji ke ye chmche kya kar rahe hai …………

  13. kamlesh pandey

    May 20, 2010 at 12:50 pm

    प्रिय सौवीर जी!
    भड़ास के जरिये अंबेडकर टुडे पत्रिका में मनुवाद को गाली देने वाले तथाकथित दमित वर्ग के कुछ विचारवान लोगों की इन घृणित विचारों की जानकारी आपकी रिपोर्ट के माध्यम से मिली। आपकी यह रिपोर्ट काफी धारदार होने के साथ प्रेरक भी है। तथाकथित ब्राह्मणवाद को गाली देने से अगर देश की प्रगति हो जाती तो ऐसा करना जायज भी मान लिया जाता। किंतु हकीकत काफी विपरीत है। बिना मेहनत किये तथा अपनी प्रतिभा को निखारे समाज का एक वर्ग आज ऐसी ही मूर्खतापूर्ण वैचारिक क्रांति की बात करता है, जिसका समाज की वर्तमान वास्तविकता से कोई लेना देना है। वर्तमान वैश्वीकरण के युग में आज जब पूरी दुनिया सिमट गयी है, ऐसे में हाशिये के लोग अगर सचेत नहीं हुए तो ऐसे तथाकथित क्रांतिकारी उन्हें पुन: जहालत की दुनिया में वापस खीचं ले जायेंगे क्योंकि सत्ता का मदांध हाथी भी अपने को पत्थरों में ही उंकेरा जाना पसंद करता है।
    ऐसी सुंदर टिप्पणी के लिए आपको व यशवंत जी को हार्दिक बधाई।
    कमलेश पांडेय
    उप संपादक
    सन्मार्ग ( कोलकाता)

  14. Atul Chaurasia

    May 20, 2010 at 1:11 pm

    मैं तो ये सोच रहा हूं कि अगर ये बातें इस्लाम, कुरान और पैगंबर से संबंधित रही होती तो अब तक दुनिया में क्या से क्या हो गया होता. आश्चर्य इस बात से भी हो रहा है कि इतनी बड़ी खबर को अब तक हिंदू मठाधीशों, संघियों ने भी संज्ञान में क्यों नहीं लिया.

  15. sushil Gangwar

    May 20, 2010 at 1:18 pm

    Naye yug ke naye patrakaar ki patrakarita samjh se pare hoti jaa rahi hai. Bhadas4media.com par kuchh naye patrakaar apni kalam ghiste rahte hai. Jin logo ke pass naukri honi chahiye, vah khali baithe hai .jise ghar me baithna chahiye ,vah naukri kar rahe hai. Hindustan me jugaad ke bina kuchh nahi milta hai. Patrkarita ka haal kuchh naram garam hai. Sahara samachar patra me Gali chhap jaati hai , Jise sampadak edit tak nahi kar saka ? Ambedakar Today naam se magzine nikalti hai . Usme bhi Bhagwan Brahma ko gali likhi jaati hai .. Es Magzine ka naamakan khatam hona chahiye, ese B S P ke neta ka put chalata hai . Jo patrakarita ke naam par kaput ho chuka hai . Jaha bade samachar patra ke advertisment ke liye tarste hai . Ese Advertisment bhi khub milte hai. Ese kya kahe Jugaad yaa Patrkarita ?
    http://www.sakshatkar.com

  16. vijay singh

    May 20, 2010 at 2:04 pm

    hindu dharm keval dharm nahi ak vichardhara hai. aise kukurmutata chap patrikao se uska kuch nahi hone wala hai. par patrikarita ki abcd na janne wala. apne kutsit vicharo ke prasar ke liye jis taraha press ke istemal kr rahae. yah thik nahi. hindu devi devtao ke alava yadi kisi aur dharm ke bare me aisi bate likhi gayi hoti to puri sarkar hil gayi hoti. lagta hai ki bramhano ke bal par satta ka swad chakh rahi mayavati ke jane ka samay aa gaya hai.

  17. sarvesh upadhyay

    May 20, 2010 at 2:45 pm

    yashwant sir …. behuda log hain ye…bhut hi gairsanskarik kritya hai ye..main iski ninda karta hu…..link dalkar chodh dete sab apne aap dekh lete lekin jitni baar is patrika me brahma ko gali nahee di gayee hai us se jyada to aapne apni website par unhe de diya hai…TRP ke tamiyo ne kahee aapko to nahee kat liya..sir thoda sa sanjeeda hona padega warna aapme aur in logon me koi khas antar nahee hai…

  18. saurabh sharma, budaun.

    May 20, 2010 at 3:12 pm

    samaj me ekta aur sauhard kayam rakhna media ka kaam hai, lekin jab media (satta ke dalal) hi sampradaikta faikane ka kaam karne lage to desh aur samaj ka bhagwan hi malik hai. bhagwan buddha ko apni tasveer is kitab per dekhkar sharm aa rahi hogi. afsos to yeh hai ki baki media ke zimmedar log bhi aisi logon ka virodh nahi karte.

  19. Abhishek sharma

    May 20, 2010 at 4:27 pm

    patrakarita aur chatukarita ke mail ka aisa hi parinaam hoga……welldone sauveer jee..

    Abhishek sharma
    [email protected]

  20. गिरिजेश्वर प्रसाद

    May 20, 2010 at 4:37 pm

    अम्बेडकर टूडे में छपे बेटीचोद शब्द पर आपत्ति तो होनी ही चाहिए.बोलचाल में हम अपनी सीमाओं का अतिक्रमण करते ही हैं,परन्तु लिखते वक्त ऐसे शब्दों से बचना ही चाहिए.यदि जानबूझकर ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं तो यह घोर निंदनीय है. लेकिन निंदा करते वक्त इसका ख्याल अवश्य रखना चाहिए कि आप भी गाली-गलौज पर न उतर जायें.यदि आप गाली देते हैं,तो आप भी गाली सूनने के काबिल हो जाते हैं.
    विनय बिहारी सिंह ने सधे हुए शब्दों में प्रतिक्रिया दी है.उन्होंने ने कुछ सवाल भी उठाए हें,और जबाव भी खुद ही दे डाला है.बेहतर होता कि इन सवालों पर फिर से बहस होती. हिन्दु धर्म कहीं से भी उदार कौम नहीं है. रही बात ब्रह्मा की,तो क्या ब्रह्मा ने अपनी बेटी सरस्वती के साथ संभोग किया था ? यह सच है या नहीं,मुझे नहीं पता,क्योंकि मैंने ऐसे ग्रंथों को नहीं पढ़ा है. यदि ग्रंथों में ऐसा उल्लेख है,तो ब्रह्मा ऐसे विशेषण के हकदार हैं,परन्तु सार्वजनिक रुप से ऐसा बोलना या लिखना किसी विवेकवान के लिए शोभा नहीं देता.हाँ, कभी-कभी आक्रोष और उत्तेजना में ऐसा लिखा या बोला जाता है. मुझे लगता है कि आश्विनी कुमार शाक्य ने भी काफी आक्रोष और उत्तेजना में वैदिक ब्राह्मण और उसका धर्म शीर्षक के अन्तर्गत हिन्दु धर्म के बारह प्रतीकों के साथ गांधी और मीडिया को विभिन्न अलंकारों से नवाजा है.इन अलंकारों से लगता है कि श्री शाक्य के मन में हिन्दु धर्म और उसके प्रतीकों के प्रति घृणा किस कदर भरी हुई है.आखिर ऐसी घृणा का कारण क्या है ? क्या इस पर गौर करने की जरुरत नहीं है ? जरा सोचिए,हिन्दु धर्म के अनुयायियों का बड़ा हिस्सा क्यों श्री शाक्य के विचारों से मिलते-जुलते विचार रखता है ?
    -गिरिजेश्वर प्रसाद

  21. vikram dutt

    May 20, 2010 at 6:46 pm

    विक्रम दत्त जोधपुर
    कलयुग है जी, ऐसे हरामखोर खूब होंगे इस कलयुग में ! ईश्वर ने ऐसों को पैदा किया ये इनके कर्म है और इनका मानसिक दिवालियापन ऐसी भाषा से साफतौर पर झलकता है ! ईश्वर से इन्हें सद्द्बुधि देने की कामना करते है और उम्मीद करते है की ऐसे नीच लोगों को क़ानूनी सजा जरुर मिलनी चाहिए !

  22. Deep Chand Yadav Press Correspondent Kanina Punjab Kesari Delhi

    May 21, 2010 at 5:10 am

    Such type of DIRTY MINDED people should be thrown away from the society.

  23. Prem

    May 21, 2010 at 5:19 am

    Are bhai sahab likhnewale ne likh diya to itna hay tauba kyu macha rahe hai. Ye uska pariwarik mamla hai. Darasal uske baap ka naam hai BRAMHA. ab apne baap ke samman me itni pavitra bate likh rha hai to ye uska gharelu mamla hai. Apne baap ko apni bahan ke sath kabhi ulta sidha dekh liya hoga. Bolenge to bolega ki swarn jaati wale manuwadi hai. Lekin lekhak ne apni budhi dikha hi diya. Jute ko gale me pahn lene se fulo sa sushobhit nhi hone lagta, aur ful ko pairo me pahn lene se fulo ki ahmiyt kam nhi ho jati. Samjhne wale samjh hi chuke honge.

  24. prabhat

    May 21, 2010 at 7:00 am

    aadmee jab pagal ho jata hai to apne pujniya ko galee dene lagta hai… lekin dhukhad baat yah kee aj pagal hone ke liye pratiyogita machee hai… inhen nahin pata kee unkee hee wajah se aj wo sabhya insan bane hain. jinhen ye galee de rahe hain , unhone inhen Jangal se nikalkar Manav Banaya….
    Ved ko chor V do Vedic kal se pahle kaa itihas padho, Pata chalega ki Brahmanon kee Bhumika kya rahee… Brahman ke karan hee Bharat ke aadi manav Jangl se nikalkar samaj me aaye. Brahman Samaj nirmata V hai… Par Pagal log aur swarth ke rajneetee karne wale to sab ko bargala raha hai. aur ham V bina dimag lagaye Hua-hua kar rahe hain…

  25. ajay

    May 21, 2010 at 7:32 am

    ye pehli magazine nahe jo ke ambedkar ke naam par bsp sarkar ka faida le rahe hai. up me darjano news paper en dino yahe kaam kar sarkar ke dalali kar rahe hain. inke naam ke aage ya piche dalito de juda title hai……………dalali ke alawa koi maksad nahe.

  26. prabhat

    May 21, 2010 at 7:49 am

    hai himmat to Kamal Sharma kee chunautee swikar kar k dikhao. O bike hue Chadm Pragateeshilon ! Inhen abhee K Vikram Rao ne danishwar kaha hai main swarthee Parasite kahta hun. Dhikkar hai

  27. pravesh rawat

    May 21, 2010 at 10:26 am

    koi sagathan isaka virodh nahi kar raha he?

  28. ROCKY RANJAN PATNA

    May 21, 2010 at 10:29 am

    AAJ KAL GALI LIKHNE KA FAISON HO GAYA HAI

  29. deo prakash

    May 25, 2010 at 12:40 pm

    sauvir ji, you have done great job. one thing i wants to say that this is all political & it shows that their mother father had given excellent education to son. i personally feel that wait for some time even his son or daughter will say same to him. he may repeat this word to his family, relative & his community.

  30. atul saxena, gwalior

    May 21, 2010 at 12:57 pm

    lekhak Ashvini kumar se poocha jaye ki ve kon se dharm se he aur unhe ye hak kisne diya ki vo hindu dharm ka apmaan kare.

  31. alok pathak india today lucknow

    May 21, 2010 at 3:02 pm

    boss ab yahcna nahi raan hoga ab waqt aa gaya hain ki hum ye batana hoga ki hamare rago me khoon daud raha hain paani nahi

  32. गिरिजेश्वर

    May 21, 2010 at 3:48 pm

    जो गलत है उसे गलत कहना ही चाहिए.थोथी दलील जायज नहीं है.कुछ प्रतिक्रयाओं में श्रेष्ठता का दंभ दिख रहा है. ब्राह्मणों की श्रेष्ठता का दंभ.ब्राह्मणों ! इस दंभ को त्यागो.
    राष्ट्र और समाज को ब्राह्मणों की देन पर बातें अवश्य होनी चाहिए. उनकी देन है – अशिक्षा,गरीबी,पिछड़ापन,अंधविश्वास,ढोंग,…..
    गालियाँ देने से सच को दबाया जा सकता है क्या ? गालियाँ मत बको,सच का सामना करो.सार्थक बहस करो.

  33. Mukul Srivastava

    May 22, 2010 at 7:29 am

    Alochna agar sirf alochna karne ke liye kee jaaye to ye uchit nahin lagta baat ko kehne ke bahoots e sabhya tareeke ho sakte hain sauveer bhai
    badhai

  34. jugul kishore

    May 22, 2010 at 12:06 pm

    ब्राह्मणों को गाली देना आज का फैशन हो गया है.
    १-यदि ब्रहम्मा इस जगत का सृष्टा है तो सभी लोग जन्म से ब्राहमण होने चाहिए?
    २-फिर अन्य जातिओं का प्रादुर्भाव कैसे हुआ?
    ३-ब्राह्मण श्रेष्ठ हो गए,उन्होंने मनमाने ग्रन्थ रचे,दूसरों की बुरायिना लिखीं,राजाओं को अपने मुताबिक चलाया यदि ऐसा है तो जब सृष्टी की शुरुवात हो रही थी उस समय उनके पुरखे जिन्हें ब्राह्मणों के वर्चस्व पर अप्पत्ति है ,उनके द्वारा रचे ग्रंथों पर ऐतराज है वे क्या कर रहे थे?
    ४-क्या आज भी उसी रट को लगाये रहना उचित है?
    ५-जो जागेगा वह पायेगा जो सोयेगा वह खोएगा.मेरे प्यारे तुम भी जागो और पो आज भी दूसरों को देखोगे तो फिर शायद जगाने का मौका न मिले.
    ६-प्रछें काल में ब्रह्मण का कर्तब्य पढना और पढ़ना था,यज्ञ करना और करना था.गुरुकुल में बिना किसी भीड़ भाव के सभी जातियों के बच्चे पड़ते थे गुरु का सभी के साथ उचित व्यव्हार होता था,कृष्ण और सुदामा एक ही गुरु के चेले थे, दोनों को हे लकड़ी के लिए भेजा जाता था.आपने अप्पने प्रवृत्ति से वे रजा या रंक बनाते थे.
    ७-श्रेष्ठ और समर्थों में एकता नहीं होती क्यों की वे निश्चिंत होते हैं, शेर अकेला चलता है जंगल में शेष पसुवों के समूह देखे जाते हैं,खास कर भेद बकरी,हंस अकेला उडाता है बगुलों की पंक्ति होती है,.
    ८-ब्राह्मणों के बारे में पुराणी उक्ति है दुहराना चाहतो हूँ-
    सिन्हानाम महालस्यम,सर्पानाम महद्भयं,ब्रह्मनानाम अनेकत्वं ,तेन जीवन्ति जन्तवा. भगवान न करे की सिंहना आलस्य छोड़ें ,सर्प भय छोड़े और ब्राह्मणों में एकता आये यदि ऐसा हुआ तो ये कुत्सित विचार और प्रचार के साथ ही समाज द्रोहियों का नाश सुनिश्चित होगा.
    ९-चाणक्य ब्रह्मण थे उन्होंने जनकल्याण हेतु चरवाहे के पुत्र चन्द्रगुप्त को गोद लेकर मौर्या प्रशाशन की स्थापना की.
    10-अल्प ज्ञान विष के सामान है,गुरुओं के पास बैठ के ज्ञान मिलता है गाली गलौज नहीं .गनीमत है की हिन्दू धर्मं की निंदा की गयी है अन्यथा क्या होता सभी कोपता है.
    11-मानस कहती है, जो अस हिशिषा करै नर ,जड़ विवेक अभिमान .परे नरक माँ कल्प सत जीव कि ईश सामान
    12-आज जो भी भारत या हिन्दू संस्कृति के पास है वह ब्राह्मणों की ही दें है
    13-मनु स्मृति के लिए भी ब्रह्मण गली खाते हैं जबकि इसके राजचयिता मनु महाराज क्षत्रिय थे.
    14-जब जो समाज की मांग होती है उसी के अनुसार नियम बनाए जाते हैं, इसमे किसी का दोष नहीं जो कुछ किसी को कहीं औचित्य लगता भी है तो
    15-आंगे आयो समाज का नेतृत्व करो आज के नेतओयों जैसा नहीं ये तो क्या कर रहे हैं उन्हें समय ही बताएगा.
    16-श्रेष्ठ बनो, पूज्य बनो अहंकार त्यागो , योग्यता किसी की बपौती नहीं पर बिना कुछ जाने समझे भड़ास मत निकालो . आपने बाप का पता नहीं वे क्या करते हैं जगत के बाप की पोल खोलने चले हैं?
    17-बाबा भीमराव को भी तो ब्रह्मण ने ही सरे समाज के विरोध के बावजूद चुपके से रात में शिक्षा देने का कार्य किया था जिनसे प्रभावित होकर ही भीमराव ने अपने गुरु अम्बेडकर का सरनेम अपने साथ रखा , महाराष्ट्र में आंबेडकर ब्रह्मण होते है महार नहीं,
    १८-द्वापर युग में जब भरत राजा थे तो उनके सौ पुत्र थे किन्तु जब उत्तराधिकारी चयन के बात आई तो उन्होंने खुली प्रतियोग आयोजित करायी उसमे एक किसान का पुत्र विजयी हुआ और राजा बना, किन्तु उसी वंश में दुर्योधन भी पैदा हुआ जो अपने हाथ के चलते नाश करा बैठ.
    मेरे कहने का आशय यह है कि सभी के साथ गर्व व कलंक जुड़ा हुआ है अपने को देखो पूर्वजों ने जो गलती की तो सुधार लो किसी को गाली देके अपना परिचय मत दो प्यारे.

  35. jugul kishore

    May 22, 2010 at 12:07 pm

    ब्राह्मणों को गाली देना आज का फैशन हो गया है.
    १-यदि ब्रहम्मा इस जगत का सृष्टा है तो सभी लोग जन्म से ब्राहमण होने चाहिए?
    २-फिर अन्य जातिओं का प्रादुर्भाव कैसे हुआ?
    ३-ब्राह्मण श्रेष्ठ हो गए,उन्होंने मनमाने ग्रन्थ रचे,दूसरों की बुरायिना लिखीं,राजाओं को अपने मुताबिक चलाया यदि ऐसा है तो जब सृष्टी की शुरुवात हो रही थी उस समय उनके पुरखे जिन्हें ब्राह्मणों के वर्चस्व पर अप्पत्ति है ,उनके द्वारा रचे ग्रंथों पर ऐतराज है वे क्या कर रहे थे?
    ४-क्या आज भी उसी रट को लगाये रहना उचित है?
    ५-जो जागेगा वह पायेगा जो सोयेगा वह खोएगा.मेरे प्यारे तुम भी जागो और पो आज भी दूसरों को देखोगे तो फिर शायद जगाने का मौका न मिले.
    ६-प्रछें काल में ब्रह्मण का कर्तब्य पढना और पढ़ना था,यज्ञ करना और करना था.गुरुकुल में बिना किसी भीड़ भाव के सभी जातियों के बच्चे पड़ते थे गुरु का सभी के साथ उचित व्यव्हार होता था,कृष्ण और सुदामा एक ही गुरु के चेले थे, दोनों को हे लकड़ी के लिए भेजा जाता था.आपने अप्पने प्रवृत्ति से वे रजा या रंक बनाते थे.
    ७-श्रेष्ठ और समर्थों में एकता नहीं होती क्यों की वे निश्चिंत होते हैं, शेर अकेला चलता है जंगल में शेष पसुवों के समूह देखे जाते हैं,खास कर भेद बकरी,हंस अकेला उडाता है बगुलों की पंक्ति होती है,.
    ८-ब्राह्मणों के बारे में पुराणी उक्ति है दुहराना चाहतो हूँ-
    सिन्हानाम महालस्यम,सर्पानाम महद्भयं,ब्रह्मनानाम अनेकत्वं ,तेन जीवन्ति जन्तवा. भगवान न करे की सिंहना आलस्य छोड़ें ,सर्प भय छोड़े और ब्राह्मणों में एकता आये यदि ऐसा हुआ तो ये कुत्सित विचार और प्रचार के साथ ही समाज द्रोहियों का नाश सुनिश्चित होगा.
    ९-चाणक्य ब्रह्मण थे उन्होंने जनकल्याण हेतु चरवाहे के पुत्र चन्द्रगुप्त को गोद लेकर मौर्या प्रशाशन की स्थापना की.
    10-अल्प ज्ञान विष के सामान है,गुरुओं के पास बैठ के ज्ञान मिलता है गाली गलौज नहीं .गनीमत है की हिन्दू धर्मं की निंदा की गयी है अन्यथा क्या होता सभी कोपता है.
    11-मानस कहती है, जो अस हिशिषा करै नर ,जड़ विवेक अभिमान .परे नरक माँ कल्प सत जीव कि ईश सामान
    12-आज जो भी भारत या हिन्दू संस्कृति के पास है वह ब्राह्मणों की ही दें है
    13-मनु स्मृति के लिए भी ब्रह्मण गली खाते हैं जबकि इसके राजचयिता मनु महाराज क्षत्रिय थे.
    14-जब जो समाज की मांग होती है उसी के अनुसार नियम बनाए जाते हैं, इसमे किसी का दोष नहीं जो कुछ किसी को कहीं औचित्य लगता भी है तो
    15-आंगे आयो समाज का नेतृत्व करो आज के नेतओयों जैसा नहीं ये तो क्या कर रहे हैं उन्हें समय ही बताएगा.
    16-श्रेष्ठ बनो, पूज्य बनो अहंकार त्यागो , योग्यता किसी की बपौती नहीं पर बिना कुछ जाने समझे भड़ास मत निकालो . आपने बाप का पता नहीं वे क्या करते हैं जगत के बाप की पोल खोलने चले हैं?
    17-बाबा भीमराव को भी तो ब्रह्मण ने ही सरे समाज के विरोध के बावजूद चुपके से रात में शिक्षा देने का कार्य किया था जिनसे प्रभावित होकर ही भीमराव ने अपने गुरु अम्बेडकर का सरनेम अपने साथ रखा , महाराष्ट्र में आंबेडकर ब्रह्मण होते है महार नहीं,
    १८-द्वापर युग में जब भरत राजा थे तो उनके सौ पुत्र थे किन्तु जब उत्तराधिकारी चयन के बात आई तो उन्होंने खुली प्रतियोग आयोजित करायी उसमे एक किसान का पुत्र विजयी हुआ और राजा बना, किन्तु उसी वंश में दुर्योधन भी पैदा हुआ जो अपने हाथ के चलते नाश करा बैठ.
    मेरे कहने का आशय यह है कि सभी के साथ गर्व व कलंक जुड़ा हुआ है अपने को देखो पूर्वजों ने जो गलती की तो सुधार लो किसी को गाली देके अपना परिचय मत दो प्यारे.

  36. prabhat jee

    May 22, 2010 at 1:26 pm

    girijeshwar jee
    Ankh aur dimag kholiye aur sach se muh nahin modiye. asikcha,Gareebee aur pichdapan Brahmanon kee den nahin balki andh Rajneetee kee den hai. Brahman kee bhumika samaj nirdeshak kee rahee hai. Bharat ka gyat itihas me unka sashan kal kul 2-3 pratishat se jyada nahin hai. jo daliton k shasankal se V kam hai.sach kahna sreshtha kaa dambh nahin hai.
    aur ek baat- Galee dekar aj tak naa to koi samaj aagen badha hai aur naa kabhee badhega. han,Galee dekar vote bank kee rahneetee jaroor ho saktee hai. kuch chadm pragateeshil apne fayde ke liye is rajneetee k han me han milate hain. mujhe nahin pata kee ap Rajneta hain ya fir chadm pragateeshil.

  37. Kamlesh Tewari

    May 22, 2010 at 4:23 pm

    Priya Hindu Bhaiyo,

    AKHIL BHARAT HINDU MAHA SABHA UTTAR PRADESH IS MAMLE KO LEKAR PRADARSHAN KARNE KA FAISLA KIYA HAI. 27 MAY KO PRADESH VYAPI PRADARSHAN HOGA. KAMLESH TEWARI – 9794131330

  38. shashi bhushan

    May 22, 2010 at 6:32 pm

    ठीक तो लिखा है, बस शब्दों का चयन गलत कर लिया है।

  39. गिरिजेश्वर

    May 23, 2010 at 8:25 am

    भाई जुगल किशोर और प्रभात जी,
    भारत में अशिक्षा,गरीबी,शोषण,पिछड़ापन का एकमात्र कोई जिम्मेवार है तो वह हिन्दू धर्म की जाति व्यवस्था है.यह जाति व्यवस्था ब्राह्मणों की देन है.
    ब्राह्मणों ने पढ़ने का अधिकार अपने पास रखा.दूसरों को शिक्षा से वंचित रखा.दूसरो को कहा,तुम राज की रक्षा करो,भोजन की व्यवस्था करो और एक बड़ी आवादी को कहा,तुम हम सब की सेवा करो.पढ़ने-पढ़ाने का काम केवल ब्राह्मणों का है.नतीजा,देश की बड़ी आवादी अशिक्षित रह गई.अशिक्षित वर्ग का विकास नहीं होता.इस वर्ग का जमकर शोषण हुआ.जाति के नाम पर मानव अधिकारों से भी वंचित रखा गया.इसलिए देश का विकास नहीं हुआ.भारत ही एक मात्र देश है जहाँ साक्षर बनाने का अभियान चलता है,क्योंकि यहां आज भी ज्यादा लोग निरक्षर हैं.भारत की निरक्षरता ब्राह्मणों की देन है.भारत का पिछड़ापन ब्राह्मणों की देन है.इसलिए मित्रों ब्राह्मणों की देन की बातें न करें.अमबेडकर जी के बारे में जुगल किशोर जी तथ्यात्मक रुप से सही हैं.भारत में विनोद मिश्र नक्सलवादियों के बड़े नेता हुए,उन्होंने गरीबों के लिए जीवन भर संघर्ष किया.दलितों के लिए पूरा जीवन लगा दिया.विनोद मिश्र ब्राह्मण थे,क्या इसलिए यह मान लेना चाहिए कि सारे ब्राह्मण नक्सलवादी हो गये ? अपवाद हमेशा हर जगह होते हैं.मैं उस व्यक्ति को सलाम करता हूँ,जिसने ब्राह्मणों के घोर विरोध के बावजूद भीमराव को पढ़ाया और मदद की.डा भीमराव अम्वेडकर बनाया.एक व्यक्ति (ब्राहम्ण) ने एक मेहतर को पढ़ाया तो वह विद्वान बन गया.राष्ट्र का संविधान निर्माता बन गया.कल्पना कीजिए,उस वक्त और उसके बाद भी ब्राह्मणों ने दलितों और कमजोर वर्ग से जाति व्यवस्था के नाम पर घृणा नहीं की होती,उन्हे पढ़ने से रोका नहीं होता, तो देश में कितने विद्वान हुए होते ! ब्राह्मणों ने प्रतिभाओं की हत्या की है. ब्राह्मणों ने पढ़कर क्या किया ? लोगों को मूर्ख बनाने के लिए,ठगने के लिए ग्रंथों की रचना की.कोई ऐसा काम नहीं किया,जिससे मनुष्यों का जीवन आसान हो.कोई आविष्कार नहीं किया.जब पूरी दुनिया में मानव जीवन को आसान बनाने के लिए यंत्र गढ़े जा रहे थे ,तब हमारे देश के विद्वान मंत्र गढ़ रहे थे,लोगों को ठगने के लिए.
    आज के ब्राह्मणों को देखना है,तो कोडरमा में पत्रकार निरुपमा पाठक की हत्या का मामला देखिए,कैसे जातिवादी श्रेष्ठता के दंभ की रक्षा के लिए बेटी की भी हत्या कर देते हैं.
    इसलिए,जो गलत है,उसकी आलोचना को स्वीकार कीजिए.गालियाँ मत दीजिए.
    पत्रिका में जो कुछ भी छपा है,सब उचित ही छपा है.यदि सनातनी हिन्दू चाहें तो खुले मंच पर बहस करा कर देख लें.

    जुगल किशोर जी ठीक कहते हैं,” अपने को देखो पूर्वजों ने जो गलती की तो सुधार लो किसी को गाली देके अपना परिचय मत दो प्यारे.” लोगों ने अपनी गलती सुधार ली है,अन्यथा कोई आश्विनी कुमार शाक्य सामने कैसे आता ? क्या सनातन धर्म के झंडाबरदार ब्राह्मणों को अपने पूर्वजों की गलतियों का अहसास है ?

  40. D.k srivastava,

    May 23, 2010 at 8:28 am

    media ke naam par u.p. mai dalalo ke bharmar ho gaye hai.. char panne ke dalale bhare magzine aur akhbar nikale wale bhadte ja rahe hai.. aise log 50-50 rupaye mai press card bechte hai.. sampadak khud kise bade akhbar ke stringer banane ke layak nahe hote hai..
    hindu dharm ko aisa kehna koi galti se nahe hua hai.. katith seculer aur rashtra virodhi hindu ko gali dena shaan samajhte hai.. hindu sahansheel hai. ekta se door hai.. iseliye hajaro saal gulam rahe hai. hindu phir gulami ke oor badh rahe hai. iska utahran hindu samaj per aayedin ho rahe vaicharik aur hinsak hamle hai..
    aise sadakchap aur chatukaar lekhako ko moohtod jawab dena chahiye….
    – D.k srivastava, journalist, lucknow.

  41. jugul kishore

    May 23, 2010 at 1:36 pm

    श्रीमद्भागवत के तीसरे स्कंध के बारहवें अद्द्याय के श्लोक २८ से ३३ के मध्य सृस्ती विस्तार में अंधकार के जन्म के सन्दर्भ में उल्लेख मिलता है- ब्रम्हा की पुत्री सरस्वती बेहद ख़ूबसूरत थी जिसे देखकर ब्रह्मा के मन में कामभावना जागृत हुयी. यह देख कर ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि आदि ने ब्रह्मा जी को समझाया की आप समर्थ हैं तेजस्वी पुरुषों को ऐसा काम शोभा नहीं देताही क्योंकि आप लोगों के आचरण का अनुसरण करने से संसार का कल्याण होता है. अपने पुत्र मारीच आदि प्रजापतियों को अपने सामने इस प्रकार कहते देख ब्रह्माजी बड़े लज्जित हुए और उन्होंने उस शरीर को उसी समय छोड़ दिया तब उस घोर शरीर को दिशाओं ने ले लिया. वही कुहरा हुआ, जिसे अंधकार भी कहते हैं,अंधकार को पाप का प्रतीक मन जाता है. यानि कि तत्कालीन ब्रह्मा पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा अशुभ संकल्प के लिए अपने प्राण त्यागने परे फिर भी उन्हें पाप का जन्म ही मिला सृस्ती रचना के लिए ब्रम्हा का यह उच्चकोटि का त्याग ही था.जिसे जातिवाद के झर से भरे कोबरा नहीं समझ सकते, गुरुओं के पास बैठकर ग्रंथों का अध्धयन करने से समझ आएगी बदतमीजी,बदजुबानी या बदमिजाजी से नहीं.
    यहाँ यह बताना भी प्रासंगिक होगा कि ब्रम्हा,विष्णु एवं शिव किसी व्यक्ति विशेष के नाम न होकर पद हैं, जैसे कि इस समय पुरंदर नाम का व्यक्ति इन्द्र के पद पर विराजमान है. अपने अपने कर्म व् गुणों से कोई भी व्यक्ति इन पदों को प्राप्त कर सकता है आज भी.

  42. kamlesh

    May 24, 2010 at 8:39 am

    अखिल भारत हिन्दू महा सभा उत्तर प्रदेश में हुए हिन्दू देवी देव्ताओ के अपमान के खिलाफ २७ मई को प्रदेशव्यापी प्रदर्शन करेगी

  43. Bhawna malhotra

    May 24, 2010 at 10:08 am

    Dheere-dheere Gaali ki tarakki ho rahi hi..pahle aapas mein di jati thee..fir filmo mein aane lagi…aur ab magazines mein aa rahi hai..intzaar kijiye us din ka..jub school education mein bhee isay shaamil ker liya jayga..

  44. rishu gupta

    June 3, 2010 at 10:16 am

    Dr. Rajeev ratan ji is tarah ki behuda comments jo kar rahe hai wo na apke hit main hai aur na samaj ke hit main hai. is tarah ki comments likhkar ap samaj ko kya dena chahte hai.ambedkar today patrika main apne jo brahma ji ka ke bare main likha hai wah bahut hi galat likha hai. hindu dharam ko galat kehne wale ko shayad apne dharam ka pata nahi hai. isliye wo dharam wo galat bata rahe hai. brahma ji ki sari duniya pooja karti hain shayad yah bat likhne wale logo ko nahi malom hai. is comment main shreeman jugal kishore ka bhi comments hai woh bhi isi mansikta se prarit hai aur woh arvind ji ki kahi hui bat ka samarthan kar ki Shreeman Kumar Sauveer ji ko galat bata rahe hai. desh ke 100 cr. janta ke bhavnao ka apne apman hi nahi unke shradha ko apne thesh pahchaya hai. janta jo chahe woh kar sakti hai is bat ka kalpana apko nahi hai shayad. Kumar Sauveer ji ap sangharsh karo hum apke sath hai.

  45. pandit

    December 6, 2010 at 2:35 pm

    पहले अपने बापों का पता करो फिर दुसरे के बापों को टटोलना प्यारे जो सेलेब्रेटी होता है उसे जब गाली देते हैं ऐसा ही कुछ ब्रह्मनं के साथ है

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