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‘मिशन’ पर हैं भास्कर की ये 18 महिला पत्रकार

दैनिक भास्कर में प्रकाशित विज्ञापन का एक अंशभोपाल में डेरा : कल्पेश  ‘बेरोजगार’ : भास्कर समूह कंटेंट प्लानिंग में लगातार बाजी मार रहा है. महिला दिवस के मौके पर यह समूह जो कुछ कर-करा रहा है, वह बेमिसाल है. आज दैनिक भास्कर में लगभग आधे पेज का विज्ञापन निकला है. इसे देखकर पता चलता है कि महिला दिवस के दिन जो अखबार मार्केट में आने वाला है, वह ‘महिलाओं के लिए, महिलाओं के द्वारा और महिलाओं का’ अखबार होगा. इसके लिए दैनिक भास्कर से जुड़ी कई महिला पत्रकार पिछले कई हफ्तों से जी-जान से जुटी हुई हैं. ये महिला पत्रकार भास्कर समूह के अलग-अलग एडिशनों में कार्यरत हैं और कई हफ्तों से भोपाल आकर सिर्फ एक ही मिशन में लगी हुई हैं. वह मिशन है महिला दिवस के दिन दैनिक भास्कर को सिर्फ अपना अखबार बनाना. यानि आधी दुनिया के हाथों तैयार, आधी दुनिया के लिए और आधी दुनिया का अखबार बनाना.

दैनिक भास्कर में प्रकाशित विज्ञापन का एक अंश

दैनिक भास्कर में प्रकाशित विज्ञापन का एक अंशभोपाल में डेरा : कल्पेश  ‘बेरोजगार’ : भास्कर समूह कंटेंट प्लानिंग में लगातार बाजी मार रहा है. महिला दिवस के मौके पर यह समूह जो कुछ कर-करा रहा है, वह बेमिसाल है. आज दैनिक भास्कर में लगभग आधे पेज का विज्ञापन निकला है. इसे देखकर पता चलता है कि महिला दिवस के दिन जो अखबार मार्केट में आने वाला है, वह ‘महिलाओं के लिए, महिलाओं के द्वारा और महिलाओं का’ अखबार होगा. इसके लिए दैनिक भास्कर से जुड़ी कई महिला पत्रकार पिछले कई हफ्तों से जी-जान से जुटी हुई हैं. ये महिला पत्रकार भास्कर समूह के अलग-अलग एडिशनों में कार्यरत हैं और कई हफ्तों से भोपाल आकर सिर्फ एक ही मिशन में लगी हुई हैं. वह मिशन है महिला दिवस के दिन दैनिक भास्कर को सिर्फ अपना अखबार बनाना. यानि आधी दुनिया के हाथों तैयार, आधी दुनिया के लिए और आधी दुनिया का अखबार बनाना.

इन सभी महिला पत्रकारों को बीते पखवाड़े दैनिक भास्कर के भोपाल स्थित मुख्यालय बुलाया गया. इन्हें भास्कर समूह के नेशनल एडिटर कल्पेश याज्ञनिक ने महिला दिवस के दिन ‘अपना अखबार’ निकालने की जिम्मेदारी और चुनौती दी. इन महिला पत्रकारों ने इस जिम्मेदारी-चुनौती को कुबूल किया. सभी महिला पत्रकारों ने कल्पेश याज्ञनिक द्वारा दी गई चुनौती को मूर्त रूप प्रदान करने के लिए अलग से बैठक की. बैठक में 8 मार्च के अखबार की रूपरेखा खुद इन महिला पत्रकारों ने तैयार की.

जिन महिला पत्रकारों को भास्कर की विभिन्न यूनिटों से भोपाल बुलाया गया, उनके चयन में यह खास ध्यान रखा गया कि ये सभी महिला पत्रकार अलग-अलग विधा की मास्टर हों. माने, कोई रिपोर्टर हो, कोई न्यूज एडिटर हो, कोई डेस्क वाली हो, कोई लेआउट वाली हो, कोई तस्वीर वाली हो, कोई फीचर वाली हो, कोई नेशनल तो कोई लोकल रिपोर्टिंग वाली हो. मतलब, महिला पत्रकारों की यह टीम जब एक साथ बैठे और काम शुरू करे तो किसी पुरुष पत्रकार की जरूरत न पड़े. ये अपने आप में मुकम्मल अखबार निकालने वाली टीम हो. भोपाल में महिला पत्रकारों ने अपनी योजना को कागजों पर उतारा. आपस में जिम्मेदारियां बांटीं. और निकल गईं अपने-अपने इलाके में. ये जहां जन्मी हैं. ये जहां ब्याही हैं. ये जहां काम करती हैं. वहां-वहां, उन सभी इलाकों का दौरा कर, अपने दिल-दिमाग के हिसाब से स्टोरी तैयार करने में जुट गईं. सूत्रों के मुताबिक कुछ दिनों पहले ही ये महिला पत्रकार एक बार फिर भोपाल में एक साथ इकट्ठी होकर डेरा डाल दिया. अपनी-अपनी रिपोर्ट फाइल करने के बाद एडिटिंग, लेआउट, न्यूज डिस्ट्रीव्यूशन, हेडिंग, इंट्रो, पिक्चर… आदि संपादकीय और तकनीकी गतिविधियों में जुट गईं हैं.

भोपाल में कल के लिए जो दैनिक भास्कर अखबार आज तैयार हो रहा है, उसके कई पेज, खासकर महिला दिवस के लिए विशेष तौर पर सेंट्रलाइज पेज,  दैनिक भास्कर के देश भर के एडिशन्स में प्रकाशित होंगे. ये पेज पूरी तरह इन महिला पत्रकारों द्वारा निर्मित किए गए होंगे. जाहिर है, यह सब करने-कराने के लिए प्रबंधन की अनुमति बहुत जरूरी होती है वरना बड़ी से बड़ी संपादकीय योजनाओं को अखबार के बनिया मानसिकता वाले मालिक यह कहकर कैंसिल कर देते हैं कि इसमें पैसा बहुत खर्च होगा, भले ही वे अखबार से करोड़ों-अरबों रुपये मुनाफा कमा रहे हों. महिला पत्रकारों को कई बार भोपाल बुलाना, उनके इलाकों में रिपोर्टिंग के लिए भेजना, ग्राउंड रिपोर्टिंग से वापस भोपाल बुलाना, अलग से कई पेज तैयार कराना… यह सब खर्चीला काम है. लेकिन भास्कर समूह अब बेहतर कंटेंट के लिए पैसे की परवाह बिलकुल नहीं कर रहा. तभी भोपाल गैस ट्रेजडी वाले दिन विशेष मैग्जीन का प्रकाशन-वितरण, नए साल पर कई हफ्ते तक विशेष पेजों का प्रकाशन, टैलेंट पूल बनाकर प्रतिभावान जर्नलिस्टों को ट्रेनिंग जैसे काम यहां लगातार हो रहे हैं. इसी कारण भास्कर समूह दूसरे बडे़ अखबारों को विशेष मौकों पर कंटेंट के मामले में मात देने में कामयाब हो रहा है. हालांकि कंटेंट बेटरमेंट के काम में दूसरे अखबार भी लगे हुए हैं और वे भी अब इसके लिए भरपूर संसाधन झोंक रहे हैं पर भास्कर ग्रुप इन्नोवेटिव आइडियाज के चलते आगे निकल रहा है.

रचना सक्सेना (भोपाल), रूमनी घोषा (इंदौर), मीरा त्रिवेदी (अहमदाबाद), आशी (भोपाल), गीता वर्मा (भोपाल)

रचना सक्सेना (भोपाल), रूमनी घोषा (इंदौर), मीरा त्रिवेदी (अहमदाबाद), आशी (भोपाल), गीता वर्मा (भोपाल)

भास्कर से जुड़े सूत्र बताते हैं कि निदेशक सुधीर अग्रवाल कंटेंट के मोर्चे को लगातार मानीटर करते हैं और बेहतर अखबार के लिए श्रेष्ठ आइडियाज पर कितना भी पैसा लगाने में नहीं हिचकते. संपादकों की ओर से आए आइडियाज में बेस्ट आइडियाज को सुधीर अग्रवाल ही ओके करते हैं. सूत्रों के मुताबिक नेशनल एडिटर कल्पेश याज्ञनिक जमीनी फीडबैक और अपने अधीनस्थ एडिटरों-पत्रकारों की राय लेने के बाद खास मौकों पर विशेष अखबार की पूरी परिकल्पना प्रबंधन के हवाले करते हैं और प्रबंधन से मंजूरी मिलने के बाद उसे अखिल भारतीय स्तर पर लागू कराने में जुट जाते हैं.

महिला दिवस पर विशेष अखबार निकालने के लिए महिला पत्रकारों की जुटान को लेकर भोपाल में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं. एक तो यह कहा जा रहा है कि इस बार कल्पेश याज्ञनिक जिस आइडिया पर अपने महिला पत्रकारों से काम करा रहे हैं, उसके चलते उन्हें खुद ही महिला दिवस की पूर्व संध्या पर अपने अखबार में ‘बेरोजगार’ होना पड़ा है क्योंकि आखिरकार वे भी एक पुरुष पत्रकार हैं. कल्पेश अपने ही आइडिया में फंसते हुए वोमेन्स डे की पूर्व संध्या पर कई घंटों के लिए अपनी कुर्सी भास्कर की महिला पत्रकारों के हाथों गंवा चुके हैं. वे और उनके साथी पुरुष पत्रकार सिर्फ इस बात की गारंटी करने में लगे हैं कि महिला पत्रकारों की टीम को बेहतर अखबार निकालने में किसी चीज की कमी न पड़ जाए. कागज, कुर्सी, चाय, प्रिंटिंग, कंप्यूटर आदि की दिक्कत न हो. इसलिए इन तकनीकी व व्यवस्थागत कामों को आज देखने में जुटे हुए हैं कल्पेश याज्ञनिक 🙂

सलोनी अरोड़ा (इंदौर), सरिता शिन्दे (बड़ौदा), शायदा (चंडीगढ़), प्रेरणा साहनी (जयपुर), प्रियंका चोपड़ा (चंडीगढ़), रेणु खंटवाल (दिल्ली), मनीषा पांडेय (भोपाल), मंजरी शुक्ला (भोपाल)

सलोनी अरोड़ा (इंदौर), सरिता शिन्दे (बड़ौदा), शायदा (चंडीगढ़), प्रेरणा साहनी (जयपुर), प्रियंका चोपड़ा (चंडीगढ़), रेणु खंटवाल (दिल्ली), मनीषा पांडेय (भोपाल), मंजरी शुक्ला (भोपाल)

यह देश में संभवतः पहला मौका होगा जब कोई बड़ा अखबार अपने सभी एडिशनों से महिला पत्रकारों को मुख्यालय बुलाकर महिला दिवस के दिन सभी एडिशनों के लिए ‘महिलाओं के लिए, महिलाओं के द्वारा, महिलाओं का’ अखबार निकाल रहा हो. ऐसे में हम सभी को कल का दैनिक भास्कर जरूर पढ़ना चाहिए. चलिए, चलते-चलते बता दें कि जो महिला पत्रकार भोपाल में पहुंची हुई हैं, उनका नाम क्या है और दैनिक भास्कर के किस एडिशन में कार्यरत हैं- रचना सक्सेना (भोपाल), रूमनी घोषा (इंदौर), मीरा त्रिवेदी (अहमदाबाद), आशी (भोपाल), गीता वर्मा (भोपाल), सलोनी अरोड़ा (इंदौर), सरिता शिन्दे (बड़ौदा), शायदा (चंडीगढ़), प्रेरणा साहनी (जयपुर), प्रियंका चोपड़ा (चंडीगढ़), रेणु खंटवाल (दिल्ली), मनीषा पांडेय (भोपाल), मंजरी शुक्ला (भोपाल), श्वेता पंत (दिल्ली), उपमिता वाजपेयी (इंदौर), ज्योत्स्ना पंत (भोपाल), लता खंडेलवाल (जयपुर) और लक्ष्मी कुमार (रायपुर)।

श्वेता पंत (दिल्ली), उपमिता वाजपेयी (इंदौर), ज्योत्स्ना पंत (भोपाल), लता खंडेलवाल (जयपुर) और लक्ष्मी कुमार (रायपुर)

श्वेता पंत (दिल्ली), उपमिता वाजपेयी (इंदौर), ज्योत्स्ना पंत (भोपाल), लता खंडेलवाल (जयपुर) और लक्ष्मी कुमार (रायपुर)

महिला दिवस पर महिला पत्रकारों द्वारा तैयार किए जा रहे विशेष अखबार से संबंधित जो विज्ञापन आज दैनिक भास्कर अखबार में प्रकाशित हुआ है, उसमें इन सभी महिला पत्रकारों के नाम और उनकी तस्वीर प्रकाशित है. यह इन महिला पत्रकारों के लिए महिला दिवस का सबसे बड़ा तोहफा है.  ऐसा इसलिए क्योंकि अखबार में काम करते हुए और जीते जी पत्रकारों की तस्वीर उनके अखबार में छपने का संयोग बहुत रेयर ही मिलता है.  महिला पत्रकारों के नाम और तस्वीर के ठीक ऊपर कहा गया है- ”इस वुमन्स डे पर हम तैयार कर रहे हैं आपका दैनिक भास्कर”. आखिर में लिखा है- ”दैनिक भास्कर की सभी वुमन जर्नलिस्ट द्वारा निर्मित पहली बार दैनिक भास्कर का विशेष अखबार. आप सभी महिलाओं के लिए बनाया गया है एक ऐसा अखबार जो खासतौर पर वुमन द्वारा वुमन को समर्पित है, कुछ ऐसे लेख कुछ ऐसी कहानियां जिन्हें हम अपनी निजी जिन्दगी में महसूस करते हैं…. 8 मार्च वुमन्स डे पर पढ़ना न भूलें दैनिक भास्कर की ये विशेष प्रस्तुति, जिसे तैयार किया गया है सिर्फ आपके लिए।”
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0 Comments

  1. RAKESH KUMAR

    March 8, 2010 at 11:24 pm

    ….BUT THE REAL ISSUES OF WOMENS R MISSING IN THIS ISSUE…WOMEN JOURNALIST DONT SUPER USE THIS APPORUNITY…

  2. sapan yagyawalkya

    March 8, 2010 at 9:41 pm

    zid hai kuchh karne ki…… zid hai duniya badalne ki…… zid puri karne ke liya kuchh bhi karenge……
    sapan yagyawalkya [b]DAINIK BHASKAR[/b] bareli MP

  3. bhojraj.uchchsare

    March 8, 2010 at 7:48 am

    bahoot achha hai.ab koshish ho ki national youth day per bhi youth ka akhbar youth journalist nikale.congrates kalpeshji.

  4. सखाजी,

    March 8, 2010 at 5:30 am

    इस तरह का अद्भुत प्रयास भास्कर ही कर सकता है। कारण यहां का स्वतंत्र एडिटोरयल और आजाद ख्याल माहौल है…….जहां हर शख्स को लगता है, भास्कर का वो मालिक है। चाहे वो अखबार के कर्मचारी हों या संपादकीय के लोग या फिर पाठक ही क्यों ना हो। यही तो भास्कर की पहचान है जी……….

  5. pathak

    March 8, 2010 at 5:04 am

    purana idea. kitne bar aise hi page niklenge

  6. neel

    March 8, 2010 at 2:52 am

    we read that newspaper today..where are the EXCLUSIVE stories by all these women jurnos??? u know these jurnos are the best in their fields..but again the male bosses porked their legs and spoilt the game…much of the content is TABLE CONTENT..we were expecting EXCLUSIVE, WOMAN ORIENTED, GROUND WORKED STORIES from them..GREAT JOB BY ALL THESE JURNOs…and FLAP SHOW for BHASKAR Mgt…Sudhir jee, fire those male bosses…

  7. Aman Agarwal

    March 8, 2010 at 2:26 am

    ye bhi koi idea hai ? NBT 10 saal pahle ye sab drama kar chuka hai. Newspaper purush ke badle mahila nikale to readers per kya asar padne wala hai ???? ye idea readers point of view se bekar hai….

  8. surendranath sinha

    March 7, 2010 at 11:37 pm

    wonderful idea

  9. satyendra

    March 7, 2010 at 2:30 pm

    ”दैनिक भास्कर ne hidi ptrakarita men kai prayog kiye han. mahila diwas par esse achchha prayog bhala our kya ho sakta hai..

  10. raj

    March 7, 2010 at 1:44 pm

    DB ka yeh edition dekhne padne ki bahut utsukta hai.

  11. sandhya

    March 7, 2010 at 10:03 am

    ‘महिलाओं के लिए, महिलाओं के द्वारा और महिलाओं का’ kab tak yahin tak simit rahega. mahilayen sab k liye aakhbaar nikal sakti hai aur jinke naam diye hai wo saal bahr nikalti he hai. ek din ka dikhawa karne se kaya fayada? hakikat…………….?

  12. KALAMWALA-GUNDA

    March 7, 2010 at 11:09 am

    media jagatt ki matrsakti ko mera sadar parnam……………… aadhi dunia ka puri dunia k liye aane wala ye ank is bat ka gawah banega ki aaj samaj purush pardhan kahlane me garw bhale hi mahsoos kare per iski sali haqdar humari maa or bahane hi h. …………. mai apne pure pariwar ki taraf se is puri teem ko hardik shubh kamnaye deta hun………….. ABRAR ALI BERI, CHIEF-EDITOR, RAJASTHAN-MEGHDOOT, DIDWANA-NAGAUR-RAJ. . . . . 9414587222, 9252608910, 01580222111, 2220268 MAAAAAAAAAAA TUJHE SALAMMMMMMMMMMM …………

  13. jaatak

    March 7, 2010 at 8:48 am

    wonderful……cheers!!!

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