काम न आया पैसा और पावर : मीडिया हाउस खोलना भी हुआ बेकार : पैसा, पावर, प्रभुता सब कुछ है उनके पास. पर ये सब उनके किसी काम न आया. लोकतंत्र की ताकत ने उन्हें उनकी औकात बता दी. मीडिया की ताकत ने उनके गुरुर को तोड़ डाला. बात हो रही है मनु शर्मा एंड फेमिली की. दारू खत्म होने की बात कह देने पर मॉडल जेसिका लाल के माथे पर गोली मार देने वाले मनु शर्मा की उम्र कैद की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने भी कायम रखने का फैसला सुना दिया है. अब जेल काटने के अलावा मनु शर्मा के पास कोई विकल्प नहीं रह गया है.
पिता विनोद शर्मा और भाई कार्तिकेय ने सारी कोशिशें कर लीं और करा डालीं पर कोई तदबीर काम न आई. बताया जाता है कि मीडिया वालों द्वारा मनु शर्मा के मामले को जोर-शोर से उठाने के बाद कार्यवाही होने से खफा मनु शर्मा के पिता विनोद शर्मा व भाई कार्तिक शर्मा ने इसी जिद में खुद का मीडिया हाउस भी खड़ा कर डाला. न्यूज चैनल खोल डाला. अखबार निकाल डाला. मैग्जीन प्रकाशित कर दी. पत्रकारों की फौज इकट्ठी कर दी. पर यह मीडिया हाउस और इनके साथ जुड़े नामी-गिरामी पत्रकार-संपादक भी मनु शर्मा की सजा में कोई फेरबदल नहीं करा पाए. इंडिया न्यूज चैनल, आज समाज अखबार और इंडिया न्यूज पत्रिका को संचालित करने वाली कंपनियों के चेयरमैन, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे मनु शर्मा को जेसिका लाल की हत्या करने के आरोप में दिल्ली हाईकोर्ट ने उम्रकैद की जो सजा सुनाई, उस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी आज ओके की मुहर लगा दी है.
दिल्ली के बहुचर्चित जेसिका लाल हत्याकाण्ड में मुख्य अभियुक्त मनु शर्मा और अन्य दो आरोपियों की सजा को उच्चतम न्यायालय द्वारा बरकरार रखे जाने से अब यह तय हो गया है कि मनु शर्मा किसी हाल में जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार और न्यायमूर्ति पी सदाशिवम की एक पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष ने अपराध के समय मनु शर्मा की उपस्थिति को साबित कर दिया है. इस पर संदेह नहीं किया जा सकता.
हरियाणा के पूर्व मंत्री विनोद शर्मा के पुत्र मनु शर्मा की तरफ से जेसिका की हत्या के लिए दोषी ठहराए जाने और सजा के फैसले को चुनौती दी गई थी. इस केस में दो आरोपी विकास यादव और अमरजीत सिंग गिल की 4-4 साल की सजा को भी सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है. शर्मा को निचली अदालत ने बरी कर दिया था, लेकिन जनता के भारी दबाव को देखते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई करने के बाद निचली अदालत के फैसले को पलट दिया और उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
गौरतलब है कि वर्ष 1999 में रात के समय शराब देने से इनकार करने पर जेसिका लाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. यह बात वर्ष 1999 में 29 अप्रैल की है. दिल्ली की सोशलाइट बीना रमानी ने अपने नए रेस्टोरेंट में एक नाइट पार्टी का आयोजन किया था. इसमें कई महत्वपूर्ण हस्तियों ने शिरकत की. रात करीब 11.15 बजे मनु शर्मा अपने दोस्तों के साथ इस रेस्टारेंट पहुंचा. पार्टी में जेसिका लाल बार टेंडर के रोल में थी. मनु ने जेसिका से और अधिक शराब मांगी तो जेसिका ने यह कह कर शराब देने से मना कर दिया था कि शराब खत्म हो चुकी है. इसके बाद मनु ने एक के बाद एक दो गाली दाग दीं. मीडिया और महिला संगठनों के दबाव के बाद इस केस का ट्रायल शुरु हुआ. लेकिन इसमें पूरे सात साल लग गए. इसके बाद बीस दिसंबर 2006 को मनु शर्मा को इस केस में उम्रकैद की सजा सुनाई गई.
जेसिका लाल हत्याकांड को 11 साल बीत चुके हैं. अंतत: आज इस हत्याकांड पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए अपनी मुहर लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखने के लिए 11 वजहें बताई हैं. ये हैं मुख्य वजहें- सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में श्याम मुंशी और बीआर रमानी के बयान को आधार बनाया है, मौका-ए-वारदात की लाइव रिपोर्ट को भी आधार बनाया है, दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट को आधार बनाया है, पैरोल बढ़ाने की याचिका पर शीला सरकार की चौतरफा निंदा को आधार बनाया है. पिछले वर्ष इस प्रकरण के चलते दिल्ली में शीला दीक्षित की सरकार भी सवालों के घेरे में आ गई थी. कारण कि मनु शर्मा को 22 सितंबर को एक माह की पैरोल पर छोड़ दिया गया था. इसके कुछ ही दिनों बाद पैरोल को बढ़ाने की याचिका दी, इस पर शीला दीक्षित ने अपनी सहमति दे दी थी. इसके बाद तीसरी बार पैरोल को बढ़ाने की याचिका पर शीला दीक्षित सरकार की चौतरफा निंदा हुई थी.
Dheeraj Prasad
April 19, 2010 at 12:13 pm
भारत को हमने लोकतान्त्रिक बनाया है, संबिधान के अनुसार न कोई इसके अंतर्गत बड़ा है न ही कोई छोटा होता है, हाँ वह बात अलग है की कुछ लोग अपनी शक्ति के गुमान में यह बात भूल जाते हैं | पर अंत में विजय सत्य की ही होती है | कमी बच्चो में नहीं होती कमी माता -पिता की होती है, जो अपने लाडले को यह अनुभव नहीं कराते की इन्सान क्या है, और उसमे तथा दूसरो में कोई भी अंतर नहीं है, हाँ वह बात अलग है की तुम्हारे पास धन है और दूसरो के पास वह नहीं, लेकिन इसी को शक्ति ( राजनेतिक / धानता / आदि ) से नहीं तोलना चाहिए , हम यह जानते है की इसका प्रभाव हमारे लाडले पर क्या होता है, और यही मन्नू के साथ हुआ | माँ – पिता के अंधे प्यार ने जीवन को अँधेरे की काल कोठारी में भेज दिया |
रुपया / ताकत के मद में वह यह भूल गए की कोई हमसे भी ऊपर है, नेता केवल कुछ ही वर्षो के लिए होता है, परन्तु नेता को बनाने वाली जनता सदा ही कायम रहती है| पल भर का गुमान अब पूरी उम्र भुगतने को मिलती है, हम यह भूल जाते हैं की कानून की आँखों पर पट्टी बंधी होती है, वह उस गांधारी की भांति है जिसे सत्य और असत्य में कोई फर्क नहीं ज्ञात था| पर उसके कर्ण ( कान ) खुले थे जिसने उसे यह मानने पर विवश कर दिया की अन्तः में सत्य की ही जीत होती है| हम पाप को छुपाने के लिए स्वय भी पाप करना आरम्भ कर देते है, सबूतों को नष्ट करने का भरपूर प्रयास करते हैं | पर यह भूल जाते है की उस गांधारी के केवल आँखों पर पट्टी बंधी है कानो पर नहीं | वह सुन कर भी उचित न्याय कर देती है | फिर चाहे वह राजा हो या रंक |
धीरज प्रसाद –नॉएडा
anil pande
April 19, 2010 at 5:45 pm
अब मधुकर उपाध्याय जी का क्या होगा?
सुना है कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद विनोद शर्मा ने उन्हे जमकर गलियाँ दी है.
mazmoon
April 20, 2010 at 2:26 pm
madhukar jee hee nahin, un patrakaron ka kya hoga jo aaz samaz, india news aur tv news channel mein naukari kar rahe hain? hazaron patrakaron ki rozi roti par sankat?????
kartik upadhaya
April 21, 2010 at 8:09 am
madhuker g National Herald ja rahe hai, sunne mai ayya hai ki diwedi chaha or vohra uncle ne madhuker g ko madam se millya hai baat laj-bhaj final hai. is liye herald jane wale bole jai madhukar baba……………