‘हिन्दी न्यूज का सही लीडर पैदा हो चुका है’ : ‘दर्शकों के लिए खबरों का मतलब सिर्फ इंडिया टीवी’ : ‘इंडिया टीवी लीडर है, लीडर किसी को फॉलो नहीं करता’ : ‘हमें हर न्यूज चैनल कॉपी करने की कोशिश कर रहा’ : ‘टीवी में खबरों का दौर एक बार फिर लौट आया है’ : ‘यह यकीनन खबरों की जीत है, हम खबरों के सप्ताह में जीते हैं’ : ‘आलोचकों से निवेदन, वे स्वस्थ आलोचना करें’ : ‘गलती पर उंगली उठाएं तो अच्छाई पर पीठ भी थपथपाएं’
यह सब कुछ कहना है विनोद कापड़ी का। इंडिया टीवी को नंबर वन की कुर्सी पर बिठाने वाली टीम के लीडर हैं विनोद। वे चैनल के मैनेजिंग एडीटर हैं। उत्तराखंड के निवासी 37 वर्षीय विनोद कापड़ी इंडिया टीवी से दिसंबर 2007 में जुड़े। तबसे उनका वन प्वाइंट मिशन था- इंडिया टीवी को नंबर वन बनाना। उन्होंने यह करके दिखा दिया। भड़ास4मीडिया ने इस मौके पर विनोद से संपर्क साधा। नंबर वन बनने की बधाई देने के साथ लगे हाथ कई सवाल भी दागे। विनोद ने सभी सवालों के जवाब तफसील से दिए। बात शुरू हुई तो देर तक चली। बातचीत के दौरान विनोद कापड़ी ने जो कुछ कहा, उसे यहां दिया जा रहा है-
”….इंडिया टीवी ऐसे समय में नंबर वन बना है जब सभी न्यूज चैनल खांटी खबरों पर लौट आए हैं। हर चैनल पर सिर्फ खबर ही खबर दिखाई जा रही है। ऐसे में इंडिया टीवी का नंबर वन होना उस भरोसे की जीत है जो लोगों ने हम पर किया है। जिस हफ्ते में हम नंबर वन बने हैं, वो विशुद्ध खबरों का हफ्ता था। दिल्ली के ग्रीन पार्क में एनकाउंटर की खबर आठ घंटे तक चली। यह सभी खांटी खबरें थीं। ऐसे में इंडिया टीवी का नंबर वन होना, खबर की जीत है, इंडिया टीवी की जीत है। 20 जनवरी को जब बराक हुसैन ओबामा नए अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ले रहे थे, उस दौरान इंडिया टीवी भारत का अकेला न्यूज़ चैनल था जिसने आठ घंटे लगातार इस समारोह की कवरेज की थी। दुनिया के लिए यह बेहद अहम घटना थी और हमने इसकी अहमियत को शुरू से समझा। हमने इसके हर पहलू पर पैनी नज़र डाली। इंडिया टीवी की दो-तीन घंटे लगातार कवरेज देखने के बाद ही बाकी न्यूज़ चैनलों को भी इसकी अहमियत का पता चला और वे भी हमारे पीछे-पीछे चल पड़े।
एक बार फिर साबित हो गया कि हिन्दी न्यूज का एक सही लीडर पैदा हो चुका है। ऐसा लीडर जिसे हर न्यूज चैनल कॉपी करने की कोशिश कर रहा है। हम ये पूरे यक़ीन से कह सकते हैं कि हम किसी की कॉपी नहीं करते। यही इंडिया टीवी की और इसके कंटेंट की ताकत है। लीडर किसी को फॉलो नहीं करते। दूसरे लीडर को फॉलो करते हैं। मुंबई पर आतंकी हमलों को हमारी एडिटोरियल टीम ने भी एक चुनौती की तरह लिया। हमने जब इससे जुड़ी खबरों को प्रमुखता और वरीयता दी तो सभी चैनल ऐसा ही करने लगे। इसके बाद हमने अपनी खबरों की दिशा भारत-पाक संबंधों की ओर मोड़ी तो सारे खबरिया चैनल उसी ओर मुड़ने को मजबूर हुए। हमने अमेरिका के नए राष्ट्रपति ओबामा से जुड़ी खबरों पर बल दिया तो बाकी सारे चैनल भी पीछे चल पड़े। इसके बाद हमारी पैनी नजर थी तालिबान और अलक़ायदा पर। सबने देखा कि तुरंत बाक़ी चैनल भी इसी की नकल कर रहे थे।
मतलब साफ है कि पिछले छह महीने में हम ही न्यूज चैनलों के कंटेंट के लीडर रहे हैं। यह तमाम तथ्य साबित करते हैं कि दावे चाहे कोई कुछ भी करे, लेकिन दर्शकों के लिए खबरों का मतलब सिर्फ इंडिया टीवी ही है। पीएम के अस्पताल में भर्ती होने का मामला हो या मथुरा में हो रही हिंसा। भारत-पाक रिश्तों की बात हो या अमेरिका में नए राष्ट्रपति शपथ ले रहे हों। हर मौके पर सूचना, विश्लेषण और समझ के मामले में दर्शकों को सिर्फ इंडिया टीवी पर ही भरोसा होता है।
अब उन लोगों को जवाब मिल जाना चाहिए जो पिछले काफी समय से इंडिया टीवी की सिर्फ आलोचना के लिए आलोचना करते रहे हैं। ऐसे लोगों से भी हमें कोई शिकायत नहीं है। सबसे ऊपर दर्शक होते हैं और दर्शकों ने यह साफ संदेश दे दिया है कि खबर का मतलब सिर्फ इंडिया टीवी। इंडिया टीवी की टीम ने इस मुकाम पर पहुंचने के लिए लंबे समय से जमकर मेहनत की है। इंडिया टीवी के रिपोर्टरों ने खबर जुटाने और प्रोड्यूसरों ने उसे आप तक बेहतर अंदाज़ में पहुंचाने के लिए जी-जान लगाई है। दूसरों से हटकर नया सोचा है। इसलिए आलोचकों से सिर्फ़ इतना निवेदन है कि वे स्वस्थ आलोचना करें। सिर्फ आलोचना के लिए आलोचना न करें।
हम पत्रकारिता के ऐसे मीडियम में हैं जहां हमारा किया हर काम अगले ही पल सबके सामने होता है। हमारी ग़लतियां छिपी नहीं रह सकतीं तो जो काम हम बेहतर करते हैं वो भी तुरंत लोगों तक पहुंच जाते हैं। इसलिए अगर आप गलती पर उंगली उठाते हैं तो अच्छाई पर पीठ भी थपथपानी चाहिए। स्वस्थ आलोचना किसे अच्छी नहीं लगती। मैं यह मानता हूं कि स्वस्थ आलोचना होनी चाहिए। मेरे कुछ मित्र स्टार न्यूज़, आईबीएन7, न्यूज़ 24, आज तक और ज़ी-न्यूज़ जैसे चैनलों में संपादक हैं। इन चैनलों में जब भी अच्छा काम होता है, मैं पहला व्यक्ति होता हूं जो खुले दिल से उसकी तारीफ़ करता हूं। मुझे लगता है कि टीवी में ख़बरों का दौर लौट आया है। लोग अब सिर्फ़ ख़बरों के लिए न्यूज़ चैनल देखना चाहते हैं। ऐसे में इंडिया टीवी उनकी पहली पसंद बना, यह यक़ीनन ख़बरों की जीत है।
मुंबई के आतंकी हमले और उसके बाद से लगातार इंडिया टीवी लोगों की पहली पसंद बना हुआ है क्योंकि उसकी कवरेज दर्शकों को बेहतर नज़र आई। मुंबई हमलों के दौरान हमारे 18 रिपोर्टर और इतने ही कैमरामैन मुंबई में दिन-रात काम कर रहे थे। तीन दिन तक लगातार चले एनकाउंटर की ख़बर तो हमने दिखाई ही। इसके बाद मुंबई हमलों की इन्वेस्टीगेशन के मामले में भी हमारे रिपोर्टर सबसे आगे रहे। हम ही ने समन्दर का वो रास्ता ढूंढ निकाला जिससे आतंकवादी मुंबई आए थे। सबसे पहले वो जगह ढूंढ निकाली जहां आतंकवादी रुके थे। आतंकवादी अजमल आमिर कसाब से जुड़ा हर खुलासा सबसे पहले इंडिया टीवी पर ही देखा गया। इसका नतीजा है कि इंडिया टीवी के कुछ रिपोर्टर आज घर-घर में पापुलर हो गए हैं।”
दिवाकर मणि
January 27, 2011 at 9:18 am
हा हा हा……इंडिया टीवी और नंबर १ !! खबर, कंटेंट का लीडर इंडिया टीवी!! विश्वास नहीं हो रहा…
सच बात तो यह है कि सारे के सारे हिंदी के समाचार चैनल अंग्रेजी समाचार चैनलों के पिछलग्गू दुमकटे पिल्ले हैं. न अपनी रचनात्मकता है, न विषय की समझ, न आम जनमानस की समझ, समाचार दिखाने के नाम कूड़ा-कर्कट परोसना, अंग्रेजी चैनलों की उल्टी को खिचड़ी भाषा में पुनः प्रसारित करना। छी:छी:छी:….क्या आपलोग भी कहां की उलटबांसी लाने लगे…
rocky5
October 8, 2011 at 11:32 am
काफ़ी हद तक ये बात सही है..आज दूसरे चैनलों के न्यूज़रूम में हर वक्त़ किसी ना किसी की निगाह इस पर होती है कि इंडिया टीवी क्या चला रहा है..मैंने कई चैनलों के नियूज़रूं को देखा है..अगर इंडिया टीवी किसी ख़बर पर आ जाता है तो इसे तुरंत नोटिस किया जाता है…