”पत्रकारिता के पापी” – एक महिला पत्रकार के संस्मरण
एक सुंदर लड़की। एंकर बनने का सपना। थोड़े से संपर्क और ढेर सारा उत्साह। निकल पड़ी। एक प्रदेश की राजधानी पहुंची। वहां उसकी एंकर सहेली वेट कर रही थी। गले मिली। आगे बढ़ी………. और अगले एक हफ्ते में ही वो सुंदर लड़की पत्रकारिता की काली कोठरी में कैद हो गई। वहशी संपादकों, रिपोर्टरों, कैमरामैनों के जाल में फंस गई। इन लोगों को चाहिए दारू और देह। इसी को पाने के लिए पत्रकारिता की दुकान सजा रखी थी।
उसकी सहेली पहले से उस दलदल में धंसी हुई थी। निकलने की चाहत में और गहरे धंसे जा रही थी। जब वह एक से दो हुईं तो दुखों का साझा हुआ। एक दिन दोनों ने मुक्ति पाने का इरादा किया। गालियां देते, कोसते वहां से निकल भागीं। पहुंच गईं दूसरे प्रदेश की राजधानी। उम्मीद में कि अब सब बेहतर होगा। जो कुछ वीभत्स, भयानक, घृणित था, वो बीता दिन था। वो दिन गए, वो सब भुगत लिया। भूल जाने की कोशिश करने लगीं।
याद करने लगीं अपने सपने। सपनों को सचमुच में तब्दील होते देखने के लिए निकल पड़ीं मैदान में। जो सोच के इस फील्ड में आई थीं, उसे जीने के लिए खुद को तैयार करने लगीं, उसे पाने के लिए प्रयास करने लगीं। पर इन सहेलियों की देह ने यहां भी पीछा नहीं छोड़ा। जिस मीडिया कंपनी में भर्ती हुईं वहां भी था एक चक्रव्यूह। ऐसा चक्रव्यूह जिसे भेदना किसी लड़की के वश में कभी न रहा। ये लड़कियां भी इसमें फंस गईं। पत्रकारिता में सफल बनने के नुस्खे सिखाते हुए यहां के भी संपादक, रिपोर्टर, कैमरामैन इन लड़कियों के लिए काल बन गए। ये तो पहले वालों से भी ज्यादा घृणित, भयानक और वहशी निकले……………….।
बहुत जल्द, भड़ास4मीडिया पर …”पत्रकारिता के पापी”… यह शीर्षक खुद उस महिला जर्नलिस्ट ने दिया है जिसने उजले चेहरों के कालेपन को भुगता है। महिला जर्नलिस्ट ने संस्मरण के कई पार्ट लिखकर भड़ास4मीडिया के पास भेज दिया है। एक पत्र भी भेजा है, जिसके कुछ अंश इस प्रकार हैं–
”…मैंने आपके कार्यालय का पता किसी से लिया है। जो कुछ बीता है, उसे लिखकर कूरियर से भेज रही हूं। मेल के माध्यम से मैं पहले से आपसे मुखातिब थी। आगे भी रहूंगी। दर्द, घाव, टीस और भी हैं। कुछ मेरे हैं। कुछ मेरी सहेली के। कुछ आंखों देखी बातें हैं जो….और …..में देखा। मात्रा की भूल और मेरी गल्तियों को क्षमा करेंगे। मैं अपना फोटो और फोन नंबर नहीं दे सकती। मेल के जरिए संपर्क में रहूंगी। उम्मीद है जो भेजा है, उसे आप जरूर प्रकाशित करेंगे ताकि कोई लड़की फिर इस दलदल में न फंसे….”
akash rai
October 6, 2010 at 11:24 pm
sapne bechti laDki . media bhi ek glemars hi is ki chacha chondh me teen age
ladkiya faskar thagi ka shikaar hokar black mail ho rahi hai . per laaj sarm ki bajah
se khuch baya nahi kar pati ,